Read this article in Hindi to learn about:- 1. वर्नियर कैलिपर की बनावट (Construction of Vernier Caliper) 2. वर्नियर कैलिपर का मीट्रिक पद्धति में रीडिंग लेना (Reading of Vernier Caliper in Metric System) 3. गलत रीडिंग के कारण (Causes of False Reading) and Other Details.

Contents:

  1. वर्नियर कैलिपर की बनावट (Construction of Vernier Caliper)
  2. वर्नियर कैलिपर का मीट्रिक पद्धति में रीडिंग लेना (Reading of Vernier Caliper in Metric System)
  3. वर्नियर कैलिपर का गलत रीडिंग के कारण (Causes of False Reading of Vernier Caliper)
  4. एक माइक्रोमीटर की अपेक्षा एक वर्नियर कैलिपर के लाभ (Advantages of a Vernier Over a Micrometer)
  5. वर्नियर कैलिपर के माप लेने की तकनीक (Measuring Techniques of Vernier Caliper)
  6. वर्नियर कैलिपर के सावधानियां (Precautions of Vernier Caliper)


1. वर्नियर कैलिपर की बनावट (Construction of Vernier Caliper):

इसकी बनावट में मुख्यतः निम्नलिखित पार्ट्स होते हैं:

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i. बीम या मेन स्केल या

ii. फिक्सड जॉ

iii. मुवेबल जॉ

iv. वर्नियर स्केल

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v. फाइन एडजस्टिंग यूनिट

vi. लॉकिंग स्क्रूज

vii. फाइन एडजस्टिंग स्क्रू

viii. इनर मेजरिंग निब्स

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ix. डेप्थ गेज

अल्पतमांक:

वर्नियर कैलिपर के द्वारा जो न्यूनतम माप ली जा सकती है उसे वर्नियर कैलिपर का अल्पतमांक कहते हैं ।

मीट्रिक वर्नियर केलिपर प्रायः 0.02 मिमी. के लीस्ट काउंड वाले पाए जाते हैं जिनके मेन स्केल की ग्रेजुएशनें मिमी. में होती हैं और 49 डिवीजनों (49 मिमी.) को 50 बराबर भागों में बांटकर वर्नियर स्केल बनाया जाता है ।

लीस्ट काउंट को निम्नलिखित विधि द्वारा ज्ञात किया जा सकता है:

मेन स्केल के 1 डिवीजन का मान = 1 मि.मी.

50 वर्नियर स्केल डिवीजन = 49 मि.मी.

1 वर्नियर स्केल डिवीजन = 49 × 1/50 = 49/50 = 0.98 मि.मी.

लीस्ट काउंट = मेन स्केल के 1 डिवीजन का मान – वर्नियर स्केल के 1 डिवीजन का मान

= 1.00 – 0.98 = 0.02 मिमी.


2. वर्नियर कैलिपर का मीट्रिक पद्धति में रीडिंग लेना (Reading of Vernier Caliper in Metric System):

इस पद्धति में वर्नियर कैलिपर से .02 मिमी. की सूक्ष्मता में रीडिंग ली जा सकती है । रीडिंग लेते समय पहले पूरे मि.मी., फिर दशमलव के बाद वाली संख्या को लिया जाता है ।

यदि दशमलव के बाद वाली संख्या .5 से बड़ी है तो पहले .5 मि.मी. रीडिंग ले लेते हैं और बची हुई संख्या को 2 से भाग करके वर्नियर डिवीजन कर संख्या निकाल ली जाती है । और उस वर्नियर डिवीजन को मेन स्केल के अगले डिवीजन से मिला दिया जाता है ।

रीडिंग लेते समय निम्नलिखित मान अवश्य ध्यान में रखने चाहिएं:

1 मेन डिवीजन = 1 मि.मी.

1 सब डिवीजन = .5 मि.मी.

1 वर्नियर डिवीजन = .02 मि.मी.

उदाहरण:

वर्नियर कैलिपर से 20.78 मि.मी. रीडिंग लेनी है तो निम्नलिखित विधि अपनायेंगे:

20.00 मि.मी….. 20 मेन डिवीजन (20 × 1 मि.मी.)

0.50 मि.मी…..1 सब डिवीजन (1 × 0.5 मि.मी.)

0.28 मिमी….. 14 वर्नियर डिवीजन (14 × .02 मिमी.)

20.78 मि.मी. कुल रीडिंग

इंगलिश पद्धति में रीडिंग लेना:

इस पद्धति में वर्नियर केलिपर से .001” की सूक्ष्मता में रीडिंग ली जा सकती है । रीडिंग लेते समय पहले पूरे इंचों की रीडिंग लेते हैं, बाद में मेन डिवीजन और सब डिवीजन की रीडिंग लेते हैं । अंत में वर्नियर डिवीजन को मेन स्केल के अगले डिवीजन से मिला दिया जाता है ।

रीडिंग लेते समय निम्नलिखित मान अवश्य ध्यान रखना चाहिए:

1 मेन डिवीजन = .100”

1 सब डिवीजन = .025”

1 वर्नियर डिवीजन = .001”

उदाहरण:

वर्नियर कैलिपर से 2.146” रीडिंग लेनी है तो निम्नलिखित विधि अपनायेंगे:

2.000”…… 2 इंच डिवीजन

0.100”…… 1 मेन डिवीजन (1 × 100”)

0.025”….. 1 सब डिवीजन (1 × .025”)

0.02” …… 21 वर्नियर डिवीजन (21 × .001”)

2.146” कुल रीडिंग

मैग्निफाइंग ग्लास:

वर्नियर कैलिपर से रीडिंग लेते समय मैग्निफाइंग ग्लास की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि साधारण आँख से वर्नियर डिवीजन मिलाने में कुछ कठिनाई महसूस हो सकती है । मैंग्निफाइंग ग्लास एक प्रकार का शीशा होता है जिसको एक फ्रेम में फिट कर दिया जाता है और पकड़ने के लिए इसके साथ एक हैंडल लगा होता है । इससे वर्नियर कैलिपर के डिवीजन बड़े दिखाई देते हैं जिससे रीडिंग लेने में आसानी रहती है ।


3. वर्नियर कैलिपर का गलत रीडिंग के कारण (Causes of False Reading of Vernier Caliper):

(क) वर्नियर कैलिपर गलत होना ।

(ख) जॉब और वर्नियर कैलिपर के माप लेने वाले फेसों को साफ न करना ।

(ग) वर्नियर कैलिपर को गलत ढंग से पकड़ना और गलत रीडिंग लेना ।

(घ) जॉब की तब माप लेना जब वह गति में हो ।

(ड.) माप लेते समय बहुत अधिक या बहुत कम प्रैशर लगाना ।

(च) जब जॉब और वर्नियर कैलिपर के तापमानों के बीच अंतर हो ।


4. एक माइक्रोमीटर की अपेक्षा एक वर्नियर कैलिपर के लाभ (Advantages of a Vernier Over a Micrometer):

(क) एक वर्नियर कैलिपर से बाहरी, अंदरूनी और गहराई की मापें ली जा सकती हैं परंतु एक माइक्रोमीटर से उपरोक्त तीनों की माप लेना संभव नहीं ।

(ख) एक ही वर्नियर कैलिपर से जॉब के विभिन्न साइज पाये जा सकते हैं जब कि जॉब के अलग-अलग साइजों के लिए अलग-अलग माइक्रोमीटरों की आवश्यकता होती है ।

(ग) वर्नियर कैलिपर की सेटिंग करना और माप लेना आसान है जबकि माइक्रोमीटर की सेटिंग करना और उससे माप लेना आसान नहीं होता क्योंकि यह नट और बोल्ट के सिद्धांत पर कार्य करता है और स्पर्श को अधिक महसूस करना अत्यावश्यक है ।

(घ) माइक्रोमीटर की अपेक्षा वर्नियर कैलिपर से शीघ्रता से माप ली जा सकती है ।

(ड.) वर्नियर केलिपर से स्टेप की माप भी ली जा सकती है ।


5. वर्नियर कैलिपर के माप लेने की तकनीक (Measuring Techniques of Vernier Caliper):

(क) नर्म कपड़े से वर्नियर कैलिपर के फेसों को साफ करें ।

(ख) वर्नियर कैलिपर की जीरो सेटिंग को जॉस के बीच सूर्य की रोशनी को देखकर चैक करें ।

(ग) जॉब को बांये हाथ में पकड़े और उसे जॉस् के नजदीक रखें ।

(घ) मूवेबल जॉ को माप लेने के लिए स्लाइड करें और सही पोजीशन में आने के बाद उसके लॉक स्क्रू को टाइट करें ।

(ड.) वर्नियर कैलिपर को आँखों के सामने बिलकुल सीधा पकड़कर रीडिंग लें ।


6. वर्नियर कैलिपर के सावधानियां (Precautions of Vernier Caliper):

i. वर्नियर कैलिपर का प्रयोग करने से पहले उसकी शून्य त्रुटि अवश्य चैक कर लीनी चाहिए ।

ii. वर्नियर कैलिपर को कटिंग टूल्स के साथ मिलाकर नहीं रखना चाहिए ।

iii. वर्नियर कैलिपर का प्रयोग कभी भी किसी घूमते हुए जॉब पर नहीं करना चाहिए ।

iv. वर्नियर कैलिपर को स्नैप गेज की तरह प्रयोग में नहीं लाना चाहिए ।

v. कार्य समाप्त होते के बाद वर्नियर कैलिपर को अच्छी तरह से साफ करके रखना चाहिए ।