Read this article in Hindi to learn about:- 1. मशीनों की स्थापना करना (Installation of Machines) 2. मशीन की फाउंडेशन (Foundation of Machine) 3. मेंटिनेंस (Maintenance) and Other Details.

मशीनों की स्थापना करना (Installation of Machines):

मशीनों की स्थापना करते समय बड़ी सावधानी रखनी पड़ती है । यदि मशीन अच्छी तरह से स्थापित नहीं की जाती है तो उस पर कार्य को भली-भांति नहीं किया जा सकता है । इसलिए मशीनों की स्थापना का बड़ा महत्व है ।

कार्यक्रियायें:

मशीनों की स्थापना करते समय निम्नलिखित कार्य-क्रियायें करनी पड़ती है:

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(i) पैकिंग खोलना:

सबसे पहले मशीन की पैकिंग खोलनी चाहिए और दिये गए निर्देशों के अनुसार मशीन को बाहर निकालना चाहिए ।

(ii) चैक करना:

मशीन की पैकिंग खोलने के बाद चैक करना चाहिए कि मशीन के साथ कौन- कौन से सहायक टूल्स और पार्ट्स आए हैं जिनकी लिस्ट बना लेनी चाहिए ।

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(iii) लटकना:

मशीन की पैकिंग खोलने के बाद देखना चाहिए कि मशीन को उठाने के लिए कुछ निर्देश दिए हैं कि नहीं । यदि निर्देश दिए हों तो उसी के अनुसार मशीन को उठाना चाहिए । मशीन को उठाने के लिए रस्सों और क्रेन का प्रयोग किया जा सकता है । यदि मशीन को उठाने के लिए कोई निर्देश न हो तो मशीन की सेंटर ऑफ ग्रेविटी को ध्यान में रखकर उठाना चाहिए ।

(iv) अंतिम स्थापना और लेवलिंग करना:

मशीन को उसके स्थान पर रखने के बाद उसकी लेवलिंग की जाती है । लेवलिंग स्टील को वेज या स्क्रू की सहायता से की जा सकती है । लेवलिंग करने के बाद मशीन को फाउंडेशन बोल्टों की सहायता से फर्श के साथ कस दिया जाता है । यदि कोई मशीन अधिक झटकों के साथ चलती है तो उसके लिए एंटी-वाइब्रेशन पैड का प्रयोग किया जाता है । अंत में मशीन को बिजली के साथ कनेक्शन दे दिया जाता है ।

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(v) स्प्रिट लेवल:

यह एक लेवल चैकिंग इंस्ट्रूमेंट है जिसमें तरल पदार्थ के साथ एक कर्वड ग्लास ट्‌यूब होती है । इस ट्‌यूब में एक बुलबुला दिखाई देता हे । बुलबुला और तरल पदार्थ दोनों ग्रेविटी के फोर्स द्वारा बराबर किया करते हैं । साज-समाज को हॉरिजांटल पोजीशन में चैक या सेट करने के लिए स्प्रिट लेवल का प्रयोग किया जाता है ।

प्रकार:

प्रायः निम्नलिखित प्रकार के स्प्रिट लेबल प्रयोग में लाए जाते हैं:

i. प्रिसीजन स्प्रिट लेवल:

इसका प्रयोग 0.02 से 0.05 मि.मी. की सेंसिविटी के साथ मशीन की लेवलिंग के लिए किया जाता है ।

ii. ब्लॉक लेवल:

इसका प्रयोग मशीन की वर्टिकल और हॉरिजांटल लेवलिंग के लिए किया जाता है । इसका अधिकतर प्रयोग मशीन टूल स्लाइडों की वर्टिकल और हांरिजाटल अलाइंनमेंट करने के लिए किया जाता है ।

मशीन की फाउंडेशन (Foundation of Machines):

मशीन की फाउंडेशन कंक्रीट मिश्रण अनुपात के साथ की जाती है जो कि प्रायः 1:2:4 अर्थात् 1 भाग सीमेंट, 2 भाग रेत और 4 भाग पत्थर होती है ।

एक फाउंडेशन को निम्नलिखित आवश्यकताओं की पूर्ति करनी चाहिए:

(क) इसे मशीन के अलाइनमेंट को अच्छी दशा में रखना चाहिए ।

(ख) यह झटके सहने योग्य होनी चाहिए ।

(ग) इसे स्टेटिक और डायनामिक लोड्‌स लेने योग्य होनी चाहिए ।

मशीन को शॉप फ्लोर के साथ अच्छी तरह से पकड़ने के लिए फाउंडेशन बोल्टों का प्रयोग किया जाता है । मशीन के बॉटम और शॉप फ्लोर या फाउंडेशन ब्लॉक के टॉप के बीच गैप भरने को ग्राउटिंग कहते हैं । फाउंडेशन में कंक्रीट भरते समय किसी भी मूवमेंट को रोकने के लिए वुडन फार्म्स का प्रयोग किया जाता है ।

इन्हें खोखले भाग में रखने के बाद बाहर से कसकर बांध दिया जाता है । इससे ये कंक्रीट के प्रैशर को आसानी से सहन कर लेते हैं । टेम्पलेट लकड़ी का एक पैटर्न है जो कि मशीन के बेस का प्रतिनिधित्व करती है और खोखले भाग में बोल्ट को आश्रय देती है ।

मशीनों की मेंटिनेंस (Maintenance of Machines):

मशीनों को सही दशा में रखना अति आवश्यक होता है । यदि मशीनों की मेरिनेंस समय-समय पर न की जाए तो उन पर परिशुद्धता में कार्य नहीं किया जा सकता । इससे उत्पादन में भी कमी आ सकती है ।

लाभ:

(अ) मशीन अधिक समय तक कार्य कर सकती है ।

(ब) मशीन परिशुद्धता में कार्य कर सकती है ।

(स) मशीन अधिक पार्ट्स का उत्पादन कर सकती है ।

(द) पार्ट्स कम खराब होते हैं ।

(इ) कार्य को आसानी से किया जा सकता है ।

(फ) कम पॉवर खर्च होती है ।

प्रकार:

मशीनों की मेन्टिनेंस निम्नलिखित प्रकार से की जाती है:

i. रूटिन मेन्टिनेंस:

इसमें मशीन को प्रतिदिन चालू करने से पहले साफ करके तेल दिया जाता है । कभी-कभी कार्य करते समय कुछ खराबी भी आ जाती है जिसे ठीक कर लिया जाता है और आवश्यकतानुसार तेल भी लगाया जा सकता है ।

ii. प्रिवेंटिव मेन्टिनेंस:

इसमें मिलराइट सेक्शन के द्वारा प्रत्येक मशीन को ठीक दशा में रखने के लिए एक प्रोग्राम बना लिया जाता है और नियमानुसार प्रत्येक मशीन को समय-समय पर चैक किया जाता है । यदि आवश्यकता होती है तो खराब पार्टस को बदल भी दिया जाता है जिससे मशीन खराब नहीं होने पाती है । मिल राइट सेक्शन के द्वारा एक चार्ट भी बनाया जाता है कि कौन-कौन सी मशीनों पर कितने समय के बाद कौन सा तेल देना है ।

मशीनों की ओवरहॉलिंग करना (Overhauling and Alignment of Machines):

मशीन को ठीक दशा में रखने, उसका जीवन बढ़ाने और उसकी परिशुद्धता बनाए रखने के लिए आवश्यक हो जाता है कि कुछ निश्चित समय के बाद मशीन की ओवर-हॉलिंग की जाए । इसमें मशीन के प्रत्येक पार्ट को खोलकर अलग कर दिया जाता है और उन्हें साफ करके तेल देकर दोबारा फिट किया जाता है ।

कार्यकियायें:

मशीन की ओवरहॉलिंग करने के लिए निम्नलिखित कार्यक्रियायें की जाती हैं:

i. खोलना:

ओवर-हॉलिंग करने के लिए मशीन के प्रत्येक पाई को खोलकर अलग कर दिया जाता है । मशीन को खोलने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी कर लेनी चाहिए । यदि मशीन की कार्य-विधि के बारे में जानकारी न हो तो उसे नहीं खोलना चाहिए ।

मशीन के प्रत्येक पार्ट को खोलने के बाद बोल्ट, नट, स्क्रू और छोटे-छोटे पार्ट्स आदि को एक ट्रे में डालकर रखना चाहिए । पार्ट्स को खोलते समय साक्षी निशानों को ध्यान में रखना चाहिए । यदि मशीन पर ऐसे निशान न दिखाई दें तो अपने निशान लगाकर पार्टस को खोलना चाहिए जिससे फिटिंग वाले पार्टस को दुबारा फिट करने में आसानी रहती है ।

ii. साफ करना:

मशीन के प्रत्येक पाई को खोलने के बाद उसे साफ किया जाता है । पार्ट्स को साफ करने के लिए थोड़ी देर तक मिट्टी के तेल में डुबोकर रखा जाता है और बाद में ब्रुश या साफ कपड़े के द्वारा साफ कर लिया जाता है ।

iii. चैक करना:

प्रत्येक पाई को साफ करने के बाद उसे चैक करना आवश्यक होता है । इसमें यह देखा जाता है कि पाई, में कोई खराबी तो नहीं है । किसी पाई में कोई खराबी दिखाई दे तो उसे ठीक कर लेना चाहिए या पाई, को बदल देना चाहिए ।

iv. तेल लगाना:

पार्टस को साफ करने के बाद उन पर तेल लगाया जाता है । पार्टस के प्रकार के अनुसार उचित ग्रेड के तेल का प्रयोग करना चाहिए । इससे पार्ट्स को जंग लगने से बचाया जा सकता है ।

v. असेम्बल करना:

पार्ट्स को साफ करने और तेल लगाने के बाद फिर से असेम्बल किया जाता है । पार्टस को फिट करने के लिए अधिक ताकत का प्रयोग नहीं करना चाहिए और जिस स्थान पर पार्ट्स को जोड़ना हो वह साफ सुथरा होना चाहिए ।

फिटिंग वाले पार्ट्स के साक्षी निशानों को ध्यान में रखकर फिट करना चाहिए । पार्ट्स को जोड़ते समय साथ-साथ चैकिंग भी करते रहना चाहिए कि पार्टस ठीक तरह से फिट हो रहे हैं कि नहीं । पूरी मशीन को असेम्बल करने के बाद चैक करना चाहिए कि वह अपना कार्य भली भांति करती है कि नहीं । यदि कोई कमी हो तो उसे पूरा कर देना चाहिए ।

सावधानियां:

a. ओवरहॉलिंग करने से पहले मशीन के बारे में पूरी तरह से जानकारी कर लेनी चाहिए ।

b. पार्ट्स को खोलते समय साक्षी निशानों को ध्यान में रखना चाहिए । यदि ऐसे निशान दिखाई न दे तो अपने निशान लगा लेने चाहिए ।

c. पार्ट्स को साफ करने के बाद दुबारा फिट करते समय ध्यान रखना चाहिए कि उन पर मिट्टी वगैरा न लगने पाए ।

d. नट, बोल्ट, स्क्रू व छोटे-छोटे पार्टस को एक ट्रे में डालकर रखना चाहिए ।

e. पार्ट्स को खोलने या फिट करने के लिए उचित टूल्स का प्रयोग करना चाहिए ।

f. पार्ट्स को साफ करने के बाद अवश्य चैक कर लेना चाहिए कि वे कार्य करने योग्य है कि नहीं । यदि आवश्यकता हो तो उन्हें ठीक कर लेना चाहिए अथवा बदल लेना चाहिए ।

मशीन का अलाइनमेंट करना (Alignment of Machines):

मशीन के पार्ट्स और शाफ्टों को परिशुद्धता में सेट करके बांधने को अलाइनमेंट कहते हैं । यदि किसी मशीन का अलाइनमेंट ठीक नहीं होगा तो उस पर परिशुद्धता में कार्य नहीं किया जा सकता है, मशीन अधिक पॉवर खर्च करेगी और उसके पार्ट्स भी कम समय में घिस जायेंगे जिससे मशीन जल्दी खराब हो सकती हैं । अतः मशीन का अलाइनमेंट करना अति आवश्यक है ।

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