Read this article in Hindi to learn about:- 1. नागार्जुन सागर परियोजना के उद्देश्य (Objectives of Nagarjuna Ocean Project) 2. नागार्जुन सागर परियोजना का स्वरूप (Nature of Nagarjuna Ocean Project) 3. उपयोगितायें (Utilities).

नागार्जुन सागर परियोजना के उद्देश्य (Objectives of Nagarjuna Ocean Project):

नागार्जुन सागर परियोजना हमारे लिये किस प्रकार लाभकारी सिद्ध हुआ है ।

इसे निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है:

1. मछली-पालन उद्योग एवं पर्यटन क्षेत्रों का विकास करना ।

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2. सिंचाई हेतु सुविधाएं विकसित करना ।

3. जल विद्युत का उत्पादन करना ।

4. आन्तरिक जल परिवहन के साधन विकसित करना ।

5. कृष्णा नदी पर नागार्जुन सागर बाँध बनाकर इसकी बाढ़ पर नियन्त्रण करना ।

नागार्जुन सागर परियोजना का स्वरूप (Nature of Nagarjuna Ocean Project):

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नागार्जुन सागर परियोजना के प्रमुख निर्माण क्षेत्रों पर निम्न प्रकार प्रकाश डाला जा रहा है:

(1) विद्युत शक्ति गृह (Electric Power House):

विद्युत शक्ति गृह के क्षेत्र में नागार्जुन सागर परियोजना के अन्तर्गत तीन शक्ति गृह मुनीराबाद, हम्पी तथा हास्पेट में निर्मित किया गया । पहला विद्युत गृह बाँध के निकट उसकी बायीं ओर मुनीराबाद में स्थापित किया गया है । इसमें 9000 किलोवाट प्रति इकाई की क्षमता वाली 4 इकाइयाँ लगायी गयी हैं ।

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दूसरा शक्ति गृह 22.5 किमी. लम्बी विद्युत नहर के किनारे पर हम्पी में स्थापित किया गया है । इस विद्युत गृह में भी 9000 किलोवाट प्रति इकाई की क्षमता वाली 4 विद्युत उत्पादक इकाइयाँ लगायी गयी हैं । तीसरा विद्युत गृह हास्पेट के निकट निर्मित किया गया है तथा इसमें भी कुल 36,000 किलोवाट उत्पादन क्षमता की 4 इकाइयाँ स्थापित की गयी हैं ।

इस प्रकार इस परियोजना के अन्तर्गत कुल 1,08,000 किलोवाट विद्युत शक्ति का उत्पादन होता है तो जिसे निकटवर्ती क्षेत्रों के सिंचाई एवं उद्योगों में उपयोग किया जाता है । इस परियोजना के क्रियान्वयन से कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश राज्यों में आर्थिक समृद्धि के नये आयाम विकसित हुए हैं ।

(2) नहरें (Canals):

बाँध के दोनों किनारों से दो नहरें निकाली गयी हैं । दाहिने किनारे से निकाली गयी जवाहर नहर की लम्बाई 22.5 किमी. है तथा इसमें 1500 घन मीटर जल प्रति सेकण्ड की गति से प्रभावित होता है । इस नहर द्वारा गुन्दूर, प्रकासम तथा नेल्तूर जिलों की लगभग 4 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है ।

बाँध के बाएँ किनारे से 178 किमी. लम्बी लालबहादुर शास्त्री नहर निकाली गयी जिससे नलगोन्डा, खम्मम, कृष्णा और पश्चिम कावेरी जिलों की लगभग 3 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सम्भव हो सकी है । वैसे इस परियोजना के अन्तर्गत निकाली जाने वाली नहरों से कुल 8.3 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रावधान रखा गया है ।

(3) नागार्जुन सागर बाँध (Nagarjuna Sagar Dam):

इस परियोजना के अन्तर्गत कृष्णा नदी पर आन्ध्र प्रदेश के नलगोंडा जिले में हैदराबाद से लगभग 144 किमी. दक्षिण-पूर्व में नन्दीकोड़ा गाँव के निकट 15 किमी. लम्बा तथा 10 मीटर ऊंचा नागार्जुन सागर बाँध बनाया गया है ।

बाँध द्वारा निर्मित जलाशय में 808 करोड़ धन मीटर जल एकत्र किया जा सकता है । बाँध के दोनों ओर लगभग 3.5 किमी. लम्बे मिट्टी के पुश्तीवान भी बनाये गये हैं ।

नागार्जुन सागर परियोजना की उपयोगितायें (Utilities of Nagarjuna Ocean Project):

इस परियोजना के प्रमुख लाभ निम्नवत हैं:

1. इस परियोजना के क्रियान्वयन होने से आन्ध्र प्रदेश व कर्नाटक राज्यों में सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि हुई है । इस परियोजना के अन्तर्गत निकाली गयी नहरों से इन राज्यों की लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सुविधाएँ प्राप्त हुई हैं ।

2. सिंचित क्षेत्र में वृद्धि होने के उपरान्त उपरोक्त राज्यों के कृषि उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि हुई है । अनुमानत: यहाँ 1.5 लाख टन खाद्यान्न तथा 1 लाख टन व्यावसायिक फसलों का अतिरिक्त उत्पादन सम्भव हो सका है ।

3. परियोजना के अन्तर्गत स्थापित किये गये उत्पादन गृहों से वस्त्र, कागज, चीनी व सीमेंट आदि उद्योगों के लिए विद्युत शक्ति की आपूर्ति सम्भव हो सकी है । परियोजना से सस्ती एवं पर्याप्त विद्युत प्राप्त होने के कारण यहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर एवं लघु उद्योगों का विकास भी हुआ है ।

इसके अतिरिक्त बाढ़ नियन्त्रण, मछली-पालन तथा मनोरंजन एवं पर्यटन की सुविधाएं भी प्राप्त हुई है । अत: नागार्जुन सागर परियोजना के माध्यम से कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश की सिंचाई व्यवस्था एवं विद्युत शक्ति के क्षेत्रों में काफी विकास हुआ है ।