Read this article in Hindi to learn about the format and features of Chambal project.

चम्बल परियोजना का प्रारूप (Format of Chambal Project):

सम्पूर्ण परियोजना तीन चरणों के अन्तर्गत पूर्ण की गयी है । प्रथम चरण के अन्तर्गत गाँधी सागर बाँध, कोटा अवरोधक, विद्युत गृह विद्युत सम्प्रेषण लाइनें तथा सिंचाई हेतु नहरों का निर्माण किया गया है । द्वितीय चरण के अन्तर्गत राणा प्रताप बाँध तथा इस बाँध पर एक विद्युत गृह का निर्माण किया गया है ।

(1) प्रथम चरण (First Stage):

परियोजना के प्रथम चरण में गाँधी सागर बाँध, कोटा अवरोधक नहरें आदि प्रमुख हैं:

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(i) नहरें (Canals):

कोटा अवरोधक बाँध के निकट से नदी के दोनों किनारों से नहरें निकाली गयी हैं जिनसे राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में सिंचाई की जाती है । बायें किनारे से निकाली गयी नहर लगभग 20 किमी. बहने के पश्चात् बूँदी तथा रुपेन दो शाखाओं में बँट जाती है जिसकी कुल लम्बाई 169 किमी. है ।

इन नहरों से राजस्थान के बूंदी, कोटा, टोंक तथा सवाई माधोपुर जिलों में सिंचाई की जाती है । दाहिने किनारे से निकाली गयी नहर 364 किमी. की है तथा इससे राजस्थान एवं मध्य प्रदेश दोनों ही राज्यों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होती है ।

अपने आरम्भिक स्थान से निकलकर यह नहर राजस्थान में 127 किमी. की लम्बाई में बहने के पश्चात् पार्वती नदी को पार करके मध्य प्रदेश में मुरैरा जिले के श्योपुर तहसील के राधापुर गाँव में पहुँचती है जहाँ यह चम्बल नदी के समानान्तर बहती है तथा भिण्ड व मुरैना जिलों को सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है । इस परियोजना के अन्तर्गत निर्मित नहरों से कुल 5 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई प्राप्त हो रही है ।

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(ii) गाँधी सागर बाँध (Gandhi Sea Tie):

यह बाँध सन् 1959 में चम्बल नदी पर मध्य प्रदेश के मन्दसौर जिले में प्रसिद्ध चौरासिगढ़ किले से 8 किमी. नीचे मध्य प्रदेश एवं राजस्थान राज्यों की सीमा पर बनाया गया है । यह बाँध 514 मीटर लम्बा तथा 62 मीटर ऊँचा है । जल निकासी हेतु इस बाँध में 9 दरवाजे लगाये गये हैं ।

इस बाँध के दोनों किनारों से दो नहरें निकाली गयी हैं, जिनसे लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है । इस बाँध के निर्माण पर 1,400 करोड़ रुपये का परिव्यय हुआ है । बाँध के निकट ही 5 करोड़ रुपये की लागत से एक जल-विद्युत शक्ति गृह स्थापित किया गया है जिसमें 23,000 किलोवाट प्रति इकाई की क्षमता वाली 5 इकाइयाँ लगायी गयी हैं ।

(iii) कोटा अवरोधक (Quota Blocker):

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यह बाँध चम्बल नदी पर कोटा शहर से लगभग 1 किमी. उत्तर की ओर बनाया गया है । इसका प्रमुख उद्देश्य नदी के दाहिने एवं बायें किनारे से निकाली गयी नहरों की जल आपूर्ति करना है । इसके जलाशय में 11 लाख घन मीटर जल एकत्र किया जा सकता है । बाढ़ के जल की निकासी हेतु इस बाँध में 16 फाटक लगाये गये हैं । यह सन् 1960 में बनकर तैयार हुआ है ।

(2) द्वितीय तथा तृतीय चरण (Second and Third Stage):

परियोजना के द्वितीय व तृतीय चरण के अन्तर्गत राजाप्रताप सागर बांध, कोटा या जवाहर सागर बांध प्रमुख हैं ।

(i) राणाप्रताप सागर बाँध (Rana Pratap Sagar Dam):

परियोजना के द्वितीय चरण के अन्तर्गत राजस्थान राज्य में बूँदी एवं कोटा जिलों की सीमा पर गाँधी सागर बाँध से लगभग 56 किमी. उत्तर की ओर रावतभाटा नामक स्थान पर जहाँ चम्बल नदी पर्याप्त संकरी घाटी से होकर बहती है 1.2 किमी. लम्बा 54 मीटर ऊँचा राणा सागर बाँध बनाया गया है ।

बाँध द्वारा निर्मित जलाशय में 2900 लाख धन मीटर जल एकत्र किया जा सकता है । इससे 1.2 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सुविधाएं प्राप्त हुई हैं । विद्युत उत्पादन हेतु मुख्य बाँध से 2.5 किमी. ऊपर एक मिट्टी का बाँध बनाया गया है जो 5 किमी. लम्बा तथा 53 मीटर ऊंचा है ।

मुख्य बाँध के निकट एक विद्युत गृह स्थापित किया गया है जिसमें 43,000 किलोवाट प्रति इकाई की क्षमता वाली चार विद्युत उत्पादन इकाइयाँ लगायी गयी हैं ।

(ii) कोटा या जवाहर सागर बाँध (Kota or Jawahar Sagar Dam):

परियोजना के तृतीय या अन्तिम चरण के अन्तर्गत कोटा एवं बूँदी जिलों की सीमा पर राणा प्रताप सागर बाँध से 32 किमी. उत्तर पूर्व की ओर कोटा शहर से 20 किमी. उत्तर चम्बल पर जवाहर सागर बाँध बनाया गया है जो 540 मीटर लम्बा तथा 25 मीटर ऊँचा है ।

इस बाँध का प्रमुख उद्देश्य जल-विद्युत उत्पन्न करना है । बाँध के समीप सन् 1971 में एक विद्युत शक्ति गृह का निर्माण किया गया है जिसमें 33,000 किलोवाट प्रति इकाई की क्षमता वाली 3 इकाइयाँ लगायी गयी हैं । तृतीय चरण के अन्तर्गत 16 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रावधान रखा गया था ।

चम्बल परियोजना की विशेषतायें (Features of Chambal Project):

इस परियोजना के क्रियान्वयन से चम्बल घाटी क्षेत्र को निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो रहे हैं:

1. इस परियोजना से राजस्थान के कोटा, बूँदी, भरतपुर, सवाई माधोपुर जिलों एवं मध्य प्रदेश के भिण्ड, मुरैना आदि जिलों की कुल 56 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधाएँ प्राप्त हुई हैं ।

2. परियोजना के अन्तर्गत स्थापित किये गये शक्ति गृहों से 386 मेगावाट विद्युत शक्ति का उत्पादन हो रहा है जिससे राजस्थान में कोटा, बूँदी, भरतपुर, सवाई माधोपुर, टोंक, अजमेर, पाली, भीलवाड़ा, सिरोही तथा उदयपुर जिलों तथा मध्य प्रदेश के मन्दसौर, इन्दौर, उज्जैन, ग्वालियर, नीमच तथा रतलाम जिलों में भी विभिन्न उद्योगों एवं प्रकाश के लिए उपयोग में लाया जाता है ।

विद्युत की उपलब्धता के कारण सांभर झील के नमक, कराना के संगमरमर, जयपुर और भीलवाड़ा के घीया पत्थर, उदयपुर की जस्ता खानों से हिन्दुस्तान जिंक स्मैल्टर लाखेरी तथा सवाई माधोपुर व निम्बाहैड़ा के सीमेंट उद्योग की विशेष प्रगति सम्भव हो सकी है ।

उपरोक्त सुविधाओं के अतिरिक्त बाँधों द्वारा निर्मित विशाल जलाशयों में मछली पालन, जल-परिवहन, पर्यटन तथा मनोरंजन एवं आमोद-प्रमोद की सुविधाएं भी प्राप्त हुई हैं ।

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