Here is a list of top nine minerals found in India in Hindi language.

देश की आर्थिक उन्नति/बहुत हद तक खनिजों की उपलब्धि पर निर्भर करती है । वर्तमान समय में लोहा, ताँबा, मैंगनीज, सोना, चाँदी, सीसा, बाक्साइट, यूरेनियम, थोरियम आदि आर्थिक उन्नति के लिये आवश्यक आने जाते हैं ।

कुछ विशेष खनिजों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है:

1. लोहा (Iron Ore):

लोहा वर्तमान सभ्यता का प्रमुख आधार माना जाता है । इसका इस्तेमाल विश्व के सभी देश करते हैं । बेसिक उद्योग लोहे पर आधारित हैं । लोगों का जीवन-स्तर मापने का, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष इस्तेमाल एक महत्त्वपूर्ण सूचकांक माना जाता है ।

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लोहे के बहुत से प्रकार हैं ।

धातु प्रतिशत के आधार पर लोहे को निम्न वर्गों में विभाजित किया जाता है:

(i) हेमेटाइट, लाल रंग का यह लोह-अयस्क सबसे उत्तम माना जाता है । इसमें 65 प्रतिशत के लगभग धातु पाई जाती है ।

(ii) मैग्नेटाइट लोह अयस्क में 50 से 60 प्रतिशत धातु होता है ।

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इसके कच्चे धातु का रंग काले रंग का होता है । इनके अतिरिक्त सिडेराइट एवं लिमोनाइट प्रकार के लोह-अयस्क पाये जाते हैं परंतु इनमें धातु की मात्रा कम होती है, इसलिए आर्थिक दृष्टि से इनसे धातु नहीं निकाला जाता ।

भारत में लोहा निम्न स्थानों पर पाया जाता है:

कर्नाटक- बिलैरी (होजपेट), चिकमगलूर, (बाबाबुदन पहाड़ी), धारावाड़, कमान गुडी, शिमोगा तथा टुमकुरी जन्थद ।

छत्तीसगढ़ – बस्तर, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़ तथा सरगुजा जनपद ।

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ओडिशा – कटक, कालाहांडी, केंदुझाड, मयूरभंज, संभलपुर, सुंदरगढ़ ।

गोआ – उत्तरी, तथा दक्षिणी गोआ ।

झारखंड – सिंहभूम, पलामाऊ, धनबाद, हजारीबाग, संथाल परगना तथा रांची जनपद ।

मध्य प्रदेश – बालाघाट एवं जबलपुर ।

महाराष्ट्र – चंद्रापुर तथा रत्नागिरी जिले ।

उपरोक्त लोहे के भंडारों के अतिरिक्त लोहे के भंडार कोयंबटूर, मदुरई, नार्थ-आकीट, सलेम, तिरुचिरापल्ली, तिरूणवली (तमिलनाडु); अनन्तापुर, कडप्पा, गुंटूर, खम्माम, कुनूर्ल, नेल्लौर, (आंध्र प्रदेश); अलवर, भीलवाडा, बूंदी, जयपुर, सिकर तथा उदयपुर (राजस्थान); कांगड़ा तथा मंडी (हिमाचल प्रदेश); अलमोडा, गढवाल, नैनीताल, (उत्तराखंड); महेंद्रगढ़ (हरियाणा); बीरभूम, बुर्दवान तथा दार्जिलिंग (प॰ बंगाल); जम्मू एवं उद्यमपुर (जम्मू एवं कश्मीर); भावनगर, जूनागढ़, बड़ोदरा (गुजरात) तथा कोजीकोडे (केरल) ।

2. मैंगनीज (Manganese):

मैंगनीज खनिज, लोह तथा अन्य खनिजों के मिश्रण के साथ पाया जाता है । पृथ्वी के भूपटल में मैंगनीज का मात्रा 0.1 प्रतिशत है । इसका उपयोग इस्पात तथा बहुत-से मिश्र धातु तैयार किये जाते हैं । एक टन इस्पात तैयार करने के लिये दस किलोग्राम मैंगनीज की आवश्यकता होती है ।

स्टेनलेस स्टील के बर्तनों के अतिरिक्त मैंगनीज का इस्तेमाल ब्लीचिंग पाउडर, कीटाणुनाशक दवाइयों, रंग व रोगन, बैट्री तथा चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने के काम में आता है । विश्व का 30 प्रतिशत मैंगनीज दक्षिण अफ्रीका में पाया जाता है । दक्षिण अफ्रीका के पश्चात् आस्ट्रेलिया (25%), चीन (18%) तथा ब्राजील (10%) है ।

भारत विश्व के मैंगनीज का केवल 4 प्रतिशत उत्पादन करता है । भारत में मैंगनीज के मुख्य भंडार कर्नाटक, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा गोआ में हैं । थोड़ी मात्रा में मैंगनीज आंध्र प्रदेश, झारखंड, गुजरात, राजस्थान तथा पश्चिम बंगाल में भी पाया जाता है ।

ओडिशा में सुंदरगढ़, केंदुझार, कालाहाडी तथा कोरापट मैंगनीज उत्पादन के मुख्य केंद्र हैं । महाराष्ट्र में नागपुर, भंडारा जनपद, मध्य प्रदेश में बालाघाट, छिंदवाड़ा जपनद, कर्नाटक में उत्तरी कनाडा, शिमोगा, बिलैरी, चित्रा दुर्गा, धारवाड़, चिकमगलूर तथा बीजापुर जिले प्रमुख हैं । आंध्र प्रदेश में मैंगनीज श्रीकाकुलम, विशाखापट्‌टनम, कडप्पा तथा गुंटूर जनपदों में पाया जाता है ।

3. ताँबा (Copper):

प्राचीन समय में ताँबे का इस्तेमाल सबसे पहले तुर्की के लोगों ने आरंभ किया था । ताँबे से बिजली के तार, खाने के बर्तन, सिक्के तथा सैनिक सामान तैयार किया जाता है । लोहे एवं निकिल के मिश्रण के साथ इससे मिश्रित धातु भी तैयार किए जाते हैं । चूंकि चट्टानों में ताँबा शिरा/नसों की भाँति पाया जाता है इसलिए इसका खनन करना कठिन होता है ।

चिली लगभग 35 प्रतिशत उत्पादन के साथ प्रथम स्थान पर है संयुक्त राज्य अमेरिका (88%) तथा इंडोनेशिया (7.9%) पर है, आस्ट्रेलिया तथा पेरू का चौथा तथा पाँचवां स्थान है ।

भारत में ताँबे के पर्याप्त भंडार नहों हैं । भारत में ताँबे के मुख्य भंडार झारखण्ड के सिंहभूमि, अंथितल परगना, हजारी बाग तथा पलामू जनपदों में पाया जाता है । बिहार राज्य में ताँबा गया जनपद, राजस्थान में खेतड़ी, सिंघना, झुंझनु, कोह-दरिबा में पाया जाता है ।

मध्य प्रदेश में बालाघाट जिले के मलंजखंड-पेटी में भी ताँबा निकाला जाता है । इनके अतिरिक्त गुंटूर तथा कुर्नूल जिलों में तथा सीमांधरा राज्य के चित्रादुर्गा हसन (कर्नाटक) में ताँबे के भंडार हैं । महाराष्ट्र के चद्रापुर तथा तिलंगा के खम्माम जनपदों से ताँबा निकाला जाता है । भारत में ताँबे का आयात संयुक्त राज्य अमेरिका, चिली, कनाडा, जिम्बाब्बे, जापान, पेरु तथा मैक्सिको से आयात करता है ।

4. बॉक्साइट (Bauxite) अथवा एल्युमिनियम (Aluminum):

भूपटल में बॉक्साइट की मात्रा 8 प्रतिशत है । इसका व्यापारिक दृष्टि से उत्पादन 1886 में आरंभ किया गया था । बॉक्साइट चिकनी-मिट्टी की भांति एक खनिज होता है जिसमें एल्युमिनियम हायडरेटिड-ऑक्साइड पाया जाता है । बॉक्साइट की सबसे अधिक मात्रा ऊष्ण तथा अर्द्ध ऊष्ण जलवायु प्रदेशों में पाई जाती है ।

इसकी उत्पत्ति विभिन्न प्रकार की सिलिकेट चट्टानों अपघटन के कारण होती है । ऊष्ण कटिबंध में अधिक गर्मी/ताप तथा वर्षा के कारण चट्टानों का अपघटन तेजी से होता है जिससे बॉक्साइट की उत्पत्ति होती है । एक सामान्य बॉक्साइट खनिज में एल्यूमिनियम की मात्रा लगभग 55% होती है ।

एल्युमिनियम, बॉक्साइट खनिज से प्राप्त किया जाता है । एल्युमिनियम एक मजबूत तथा हल्का धातु है । बॉक्साइट को पहले पीसकर आटे के रूप में तैयार किया जाता हैं तत्पश्चात् इसको 982C तापमान पर भट्टी में पिघलाया जाता है ।

इसके कारखाने पन-बिजली उत्पादन करने वाले बांधों के निकट या सागरी अधिक उत्पादन आस्ट्रेलिया ने किया था जो विश्व उत्पादन का 34 प्रतिशत था । इसके उत्पादन में चीन दुसरे, ब्राज़ील तीसरे तथा जमाइका चौथे स्थान पर थे ।

भारत में बॉक्साइट के मुख्य भंडार निम्न प्रकार हैं:

ओडिशा – कालाहांडी, बोलंगीर, कोरापट, सुंदरगढ़ तथा संभलपुर ।

गुजरात – जामनगर, खेड़ा, साबरकांठा, कच्छ तथा सूरत जनपद ।

झारखड – राँची, डाल्टनगंज तथा पलामु ।

महाराष्ट्र – कोलाम्बा, रत्नागिरी तथा कोल्हापुर ।

छत्तीसगढ़ – बस्तर, बिलासपुर, सरगुजा (अंबिकापुर) जनपद ।

5. सीसा (Lead):

अपनी मजबूती, भारीपन तथा उष्मा संवहन के कारण सीसे का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है । सीसे की चादरें, तारों के आवरण, रंग व रोगन, शीशे तथा रबड़ उद्योग में किया जाता है । आजकल सीसे का भारी इस्तेमाल वाहन वायुयान टाइप, तथा कंप्यूटर मशीनों में किया जाता है ।

भारत में सीसा प्रमुख रूप से सीमांधारा में कुर्नुल, गुंटूर, तेलंगाना में नालगोंड़ा और खम्माम जिलों में, तमिलनाडु में उत्तरी आर्काट, अंबेदकर तथा दक्षिणी आर्काट जिलों, में उत्तराखंड में टिहरी, गढ़वाल तथा पिथौरागढ़ जिलों में, झारखंड में हजारीबाग, सिंहभूमि, रांची तथा पलामू; जम्मू एण्ड कश्मीर में बारामूला तथा ऊधमपुर जिलों में, मध्य प्रदेश के होशिंगाबाद, शिवपुरी तथा ग्वालियर जिलों में, छत्तीसगढ़ में बिलासपुर, अंबिकापुर (सरगुजा) तथा दुर्ग जिलों में तथा पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी एवं दार्जिलिंग के जनपदों में पाया जाता है ।

6. सोना (Gold):

सोना एक बहुमूल्य धातु है जो स्वर्णमय चट्टानों में पाया जाता है और कुछ नदियों के रेत में भी सोना पाया जाता है । सोना एक अंतर्राष्ट्रीय विनिमय के साथ-साथ जेवरात/गहने बनाने के काम में आता है ।

भारत में सोने का सबसे अधिक उत्पादन करने वाला राज्य कर्नाटक है ।

भारत में सोना उत्पादन के तीन मुख्य खनन केंद्र हैं:

(i) कोलार गोल्ड माईन,

(ii) हुत्ती गोल्ड फील्ड, रायचूर जनपद (कर्नाटक) तथा

(iii) रामगिरी गोल्ड फील्ड अनंतापुर जिले (सीमांधरा) में ।

इनके अतिरिक्त थोड़ी-बहुत मात्रा में सोना स्वर्ण रेखा नदी तथा शिमला बिलासपुर नदियों के रेत दरास नदी (लद्दाख), मध्य प्रदेश के बालाघाट, छत्तीसगढ़ के रायपुर, बस्तर तथा रायगढ़ की नदियों के रेत में पाया जाता है । पश्चिम बंगाल के पुलिया नदी के रेत में भी सोना मिलता है ।

7. चाँदी (Silver):

चाँदी चमकदार सफेद रग का धातु होता है । बहुमूल्य धातुओं में सोने के पश्चात चाँदी का स्थान आता है । इसके आभूषण बनाये जाते हैं, परंतु वायु में पाई जाने वाली सल्फर से संपर्क स्थापित होने पर इसकी चमक फीकी पड़ जाती है । चाँदी एसीटिक एसिड से प्रभावित नहीं होती, इसीलिए इसके बर्तनों का उपयोग बियर, सिरका, तथा औद्योगिक एसिड के इस्तेमाल में किया जाता है ।

दूसरे महायुद्ध से पहले चाँदी का इस्तेमाल सिक्के बनाने के काम में होता था । चाँदी को सोने की भांति बारीक तारों में ढाला जा सकता है । चाँदी इलेक्ट्रो-प्लेटिंग के काम में भी आता है । विश्व में चाँदी का सबसे अधिक उत्पादन (16%) पेरू देश में होता है जिसके पश्चात् चीन 12.5 प्रतिशत, आस्ट्रेलिया (10.9%) तथा कनाडा (7.2%) ।

8. यूरेनियम (Uranium):

यूरेनियम एक भारी धातु है इस खनिज को मार्टिन एच॰ कलाप्रोथ ने पता लगाया था जिसने इसका नाम यूरेनस ग्रह के नाम पर रखा था । यूरेनियम बहुत स्थानीय रूप पर पाया जाता है तथा इनका संकेद्रण भी कम होता है इसलिए इसका खनन कठिन एवं महँगा होता है । यूरेनियम से परमाणु ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है ।

परमाणु ऊर्जा प्लांट में बिजली यूरेनियम की सहायता से पैदा की जाती है । यूरेनियम का एटोमिक-वेट केवल प्लटोनियम से कम होता है । इसका घनत्व सीसे के घनत्व से सत्तर गुणा अधिक होता है । शुद्ध करने पर इसका रंग सफेद होता है । इसका इस्तेमाल सैनिक तथा असैनिक उद्देश्यों के लिये किया जाता है । यूरेनियम, हृदय, दिमाग, गुर्दों तथा शरीर के अन्य तंत्रों के लिये हानिकारक होता है ।

विश्व में यूरेनियम का सबसे अधिक उत्पादन (30.1%) कनाडा में होता है । तत्पश्चात् आस्ट्रेलिया (20.9%), कजाकिस्तान (8.8%), नाइजर (8.5%) तथा रूस (8.3%) का स्थान है ।

यूरेनियम का सबसे अधिक उपभोग संयुक्त राज्य अमेरिका (30.1%) है । उसके पश्चात् फ्रांस (15.5%), जापान (12.5%), जर्मनी (5.3%) का स्थान है । विश्व में यूरेनियम का एक बहुत बड़ा भंडार आस्ट्रेलिया ओलंपिक डेममाइन में मौजूद है ।

भारत में यूरेनियम के भंडार झारखंड के सिंहभूमि, हजारीबाग, बिहार के गया जनपद तथा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिलों में पाया जाता है ।

9. थोरियम (Thorium):

थोरियम खनिज को मोनेजाइट रेत से प्राप्त किया जाता है । थोरियम का उपयोग परमाणु ऊर्जा केंद्रों में किया जाता है । इसका उपयोग हवाई जहाजों के इंजन के रूप में भी किया जाता है । थोरियम विकिरण की रोकथाम के लिये एक प्रभावशाली शील्ड का काम करता है । भारत का काकरापारा (सूरत के निकट) रिएक्टर विश्व का पहला परमाणु ऊर्जा केंद्र या जिसमें थोरियम का उपयोग किया गया था ।

आस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा भारत में थोरियम के बडे भंडार हैं । इनके पश्चात् कनाडा, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका तथा तुर्की का स्थान आता है ।

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