मानव विकास सूचकांक और भारत | Human Development Index and India in Hindi!

Read this article in Hindi to learn about:- 1. Introduction to Human Development Report 2. Human Development Index-HDI 3. Human Development Report – 2015 4. India Human Development Report 5. Human Capital Report – 2015 6. World Prosperity Index – 2015 7. World Hunger Index 8. World Happiness Day 9. Millennium Development Goals 2015 10. Sustainable Development Goals-2030.

मानव विकास रिपोर्ट का आशय (Introduction to Human Development Report):

प्रारंभ में प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) में वृद्धि को ही किसी भी देश के विकास का मुख्य मापक माना जाता रहा था, जिसे कुछ संशोधित रूप में विश्व बैंक (World Bank) ने भी आधार बनाया है ।

परन्तु यह विधि काफी संकीर्ण है, क्योंकि अनेक देश ऐसे हैं, जिनकी प्रति व्यक्ति आय तो बहुत अधिक है, किन्तु वहाँ के लोगों का सामाजिक, धार्मिक, तकनीकी व संस्थागत दृष्टिकोण काफी रूढ़िवादी और परंपरागत है । इसके अलावा वहाँ का सामान्य जीवन स्तर भी काफी दयनीय है, जैसे-ओपेक के देश ।

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अतः बाद में यह माना जाने लगा कि यदि किसी देश का आर्थिक कल्याण अर्थात् वहाँ के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार हो, तभी उसे ‘आर्थिक विकास’ कहा जाएगा ।

इस प्रकार, आर्थिक वृद्धि (Economic Growth) व आर्थिक विकास (Economic Development) की अवधारणा में मूलभूत अंतर है । आर्थिक विकास के सूचकों के निर्धारण के लिए समय-समय पर अनेक प्रयास हुए हैं, जो अन्ततः मानव विकास सूचकांक (HDI) के रूप में फलीभूत हुए है ।

मानव विकास सूचकांक (Human Development Index-HDI):

यह पाकिस्तानी अर्थशास्त्री ‘महबूब-उल-हक’ द्वारा विकसित किया गया सूचकांक है । प्रो. अमर्त्य सेन इसके विकास में उनके मुख्य सहायक थे । यह सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme-UNDP) द्वारा 1990 में पहली बार प्रयोग में लाया गया ।

HDI के अध्ययन का उद्देश्य विभिन्न देशों में मानव विकास के क्षेत्र में प्राप्त होने वाली उपलब्धियों का आकलन करना तथा इस संदर्भ में दिशा-निर्देशन करना है ।

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इस सूचकांक में प्रति व्यक्ति आय के साथ-साथ जीवन-प्रत्याशा, शिक्षा, साक्षरता, स्वास्थ्य सुविधा जैसे सामाजिक सूचक भी रखे गए हैं । मानव विकास सूचकांक 3 चरों (Variables) पर आधारित है । इसके सूचकांक का मान 0 से 1 के बीच होता है ।

1. जन्म के समय औसत जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy at Birth):

इससे सम्बंधित आँकड़े संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या विभाजन (United Nations Population Division-UNPD) द्वारा तैयार किए जाते हैं ।

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जीवन प्रत्याशा से सम्बंधित भारांक निम्न सूत्र से ज्ञात किए जाते हैं:

2. शिक्षा स्तर (Education Level):

इसमें दोतिहाई भार वयस्क शिक्षा को एवं एक-तिहाई भार प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक स्कूलों में संयुक्त नामांकन अनुपात को दिया गया है । इसके आँकड़े यूनेस्को (UNESCO) द्वारा तैयार किए जाते हैं ।

शिक्षा स्तर से सम्बंधित भारांक निम्न सूत्र से ज्ञात किए जाते हैं:

3. प्रति व्यक्ति आय (वस्तु व सेवाओं की क्रय-शक्ति के आधार पर-PPP):

इसके आँकड़े विश्व बैंक के द्वारा लिए जाते हैं, जो नवीनतम् ‘International Comparison Programme’ (ICP) द्वारा 118 देशों के सर्वेक्षण पर आधारित है । PPP (Purchasing Power Parity) आँकड़ों के लिए वर्ष 1996 को आधार वर्ष माना गया है । विश्व बैंक ने प्रति व्यक्ति आय के आधार पर विश्व के देशों को 3 समूहों में वर्गीकृत किया है ।

ये निम्न हैं:

i. उच्च आय वाले देश – प्रति व्यक्ति आय $ 9361 या अधिक ।

ii. मध्यम आय वाले देश – प्रति व्यक्ति आय $ 761 से $ 9361 तक ।

iii. निम्न आय वाले देश – प्रति व्यक्ति आय $ 760 से कम ।

मानव विकास सूचकांक के निर्धारण में प्रति व्यक्ति आय की तुलना में अन्य दो सूचकों का महत्व अधिक है ।

प्रति व्यक्ति आय से सम्बंधित भारांक निम्न सूत्र से ज्ञात किए जाते हैं:

HDI इन तीनों समान भार वाले सूचकों का साधारण औसत है ।

मानव विकास के स्तर के आधार पर विश्व के देशों को तीन समूहों में बाँटा गया है:

i. उच्च मानव विकास – HDI मूल्य – 0.800 या अधिक

ii. मध्यम मानव विकास – HDI मूल्य – 0.500 से 0.799 तक

iii. निम्न मानव विकास – HDI मूल्य – 0.500 से कम

मानव विकास सूचकांक की नई प्रविधि (HDI’s New Methodology):

2009 तक मानव विकास सूचकांक HDI की गणना हेतु तीन आयामों-जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, सकल नामांकन अनुपात व प्रौढ़ साक्षरता दर एवं प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (PPP आधारित) को क्रमशः स्वास्थ्य एवं दीर्घजीविता, शैक्षणिक स्तर व जीवन निर्वाह स्तर के मापन हेतु प्रयुक्त किया जाता था ।

वर्ष 2010 की मानव विकास रिपोर्ट हेतु यूएनडीपी ने HDI की गणना हेतु नई प्राविधि का प्रयोग किया गया था ।

जिसके अंतर्गत तीन संकेतक शामिल थे:

1. जीवन प्रत्याशा सूचकांक (LEI):

स्वास्थ्य एवं दीर्घजीविता के मापन हेतु पहले की तरह ही जन्म के समय जीवन प्रत्याशा को आधार बनाया गया है ।

2. शिक्षा सूचकांक (EI):

यह दो नए आँकड़ों पर आधारित है:

i. स्कूलावधि के औसत वर्ष (MYS: Mean Years of Schooling) 25 वर्षीय वयस्क द्वारा स्कूल में बिताए गए वर्ष ।

ii. स्कूलावधि के अनुमानित वर्ष (MYS: Mean Years of Schooling) 5 वर्षीय बालक द्वारा अपने जीवन काल में स्कूल में बिताए गए वर्ष ।

3. आय सूचकांक (II):

जीवन निर्वाह स्तर के आकलन के लिए प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद GDP (PPP पर आधारित) को प्रति व्यक्ति PPP आधारित सकल राष्ट्रीय आय (GNI) से प्रतिस्थापित किया गया है । नई प्राविधि के तहत यूएनडीपी ने उपर्युक्त तीनों सूचकांकों के आयमों के लिए उच्चतम एवं निम्नतम मूल्य निर्धारित किए थे ।

जो इस प्रकार हैं:

a. जीवन-प्रत्याशा – उच्चतम 83.2 वर्ष (जापान, 2010) एवं न्यूनतम 20.0 वर्ष ।

b. स्कुलावधि के औसत वर्ष – उच्चतम 13.2 (अमेरिका, 2000) एवं न्यूनतम शून्य था ।

c. स्कुलावधि के अनुमानित वर्ष – उच्चतम 20.6 (आस्ट्रेलिया, 2002) एवं न्यूनतम शून्य था ।

d. सम्मिलित शैक्षिक सूचकांक – उच्चतम 0.951 (न्यूजीलैण्ड, 2010) एवं न्यूनतम शून्य था ।

मानव विकास रिपोर्ट के स्वरूप का क्रमिक विकास:

1. GDI और GEM:

1995 में UNDP ने दो नए सूचकों का प्रयोग किया:

i. लिंग आधारित विकास सूचकांक (Gender Related Development Index-GDI) तथा

ii. लिंग सशक्तिकरण मापन (Gender Empowerment Measurement-GEM) GDI में भी HDI से सम्बंधित सूचकों का ही प्रयोग किया जाता है, परन्तु यह पुरूष व महिलाओं के बीच मानव विकास के क्षेत्र में असमानताओं को व्यक्त करता है ।

GDI मूल्य का आकलन 155 देशों के आँकड़ों के आधार पर किया गया है । यह देखने में आया है कि प्रायः प्रत्येक देश में GDI मूल्य सामान्यतः HDI मूल्य से कम है । इस प्रकार, प्रायः सभी देशों में लिंग आधारित असमानता देखने को मिलती है । HDR-2009 में GDI मूल्य में नॉर्वे व आस्ट्रेलिया क्रमशः प्रथम दो स्थान पर था । GDI मूल्य की सूची में भारत का 114वाँ स्थान था ।

भारत का GDI मूल्य 0.594, जो उसके HDI मूल्य का 97.1% था । नाइजर विश्व में GDI मूल्य में अंतिम स्थान पर था । इस सूची में उसके ठीक ऊपर अफगानिस्तान था । दक्षिण एशियाई क्षेत्र में मालदीव का GDI मूल्य में प्रथम स्थान था ।

उसके बाद क्रमशः श्रीलंका, भूटान, भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान व अफगानिस्तान का स्थान आता था । चीन GDI मूल्य में विश्व में 75वें स्थान पर था । GEM महिलाओं की आर्थिक व राजनीतिक भागीदारी एवं नीति निर्माण में उनकी स्वतंत्र भूमिका से सम्बंधित था ।

GEM रैंकिंग में प्रथम पाँच देशों में चार स्कैंडिनेवियाई देश आते हैं । प्रथम स्थान नॉर्वे का था । निम्नतम GEM मूल्य इस्लामी देशों में मिलता है, जिसका मुख्य कारण वहाँ महिलाओं पर लगाई जाने वाली बंदिशें हैं । कुछ विकासशील देशों में GEM की स्थिति विकसित देशों से भी बेहतर थी ।

2. मानव निर्धनता सूचकांक (Human Poverty Index-HPI):

HDR, 1997 में इसे पहली बार शुरू किया गया था । यह गरीबी का बहुआयामी मापक है । इसमें लंबा स्वस्थ जीवन, ज्ञान और सामाजिक स्थिति शामिल है ।

HPI को पुनः दो भागों में बाँटा गया है:

i. HPI-I:

यह विकासशील देशों में गरीबी का आकलन करता है । इसमें जन्म के समय 40 वर्ष की जीवन प्रत्याशा, व्यस्क साक्षरता व आर्थिक सक्षमता का अभाव शामिल किए गए थे ।

ii. HPI-II:

यह सिर्फ 18 विकसित औद्योगिक देशों के लिए तैयार किया गया है । इसमें जन्म के समय 60 वर्ष की जीवन-प्रत्याशा, व्यस्क कार्यश्रम निरक्षरता (Adult Functional Illiteracy), आर्थिक सक्षमता (Economic Provisioning) और सामाजिक स्थिति (Social Inclusion) शामिल किए जाते थे ।

HDR – 2009 में कुल 135 देशों के HPI मूल्य का आकलन किया गया है । इसमें HPI-I के 28% मान के साथ भारत को विश्व में 88वाँ स्थान दिया गया है । अफगानिस्तान का इस सूची में अंतिम स्थान था ।

3. प्रौद्योगिकी उपलब्धि सूचकांक (Technology Achievement Index-TAI):

UNDP ने इस सूचकांक का पहली बार प्रयोग HDR-2000 में किया था । यह एक ऐसा सूचकांक है, जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी के निर्माण और विस्तार व कुशल मानव श्रम के निर्माण में देशों की उपलब्धियों को व्यक्त करना है ।

यह सूचकांक उपलब्धियों को चार आयामों और 8 सूचकों में मापता है:

i. प्रौद्योगिकी सृजन (Technology Creation):

a. पेटेंट की संख्या ।

b. विदेशों से प्राप्त होने वाली रॉयल्टी व लाइसेंस शुल्क ।

ii. नवीनतम् खोजों का प्रसार (Diffusion of Recent Innovations):

a. इंटरनेट केन्द्रों की संख्या ।

b. मध्यम व उच्च प्रौद्योगिकी का निर्यात ।

iii. पुरानी खोजों का प्रसार (Diffusion of Old Innovations):

a. टेलीफोन की संख्या

b. विद्युत उपयोग ।

iv. मानव कुशलता (Human Skills):

a. 15 + आयु की जनसंख्या के लिए स्कूली शिक्षा का औसत वर्ष ।

b. समग्र तृतीय विज्ञान नामांकन अनुपात ।

मानव विकास रिपोर्ट-2010:

‘राष्ट्रो की वास्तविक संपदा : मानव विकास के मार्ग’ (The Real Wealth of Nations : Pathways to Human Development) शीर्षक से 4 नवम्बर, 2010 को न्यूयार्क में जारी इस रिपोर्ट में मानव विकास को मापने के लिए नवीन प्रक्रिया अपनाई गई थी तथा आमूलचूल परिवर्तन किए गए थे ।

प्रथमतः इस वर्ष साक्षरता और आय जैसे संकेतकों को नया रूप दिया गया है, जिसके तहत सकल नामांकन दर एवं व्यस्क साक्षरता दर को क्रमशः स्कूलावधि के अनुमानित वर्ष एवं स्कूलावधि के औसत वर्ष किया गया है तथा सकल घरेलू उत्पाद का स्थान सकल राष्ट्रीय आय ने लिया है, जिसके अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय आय प्रवाहों को भी शामिल किया जाता है ।

इसके बाद HDR-2010 में तीन नए अतिरिक्त पैमाने भी जोड़े गए थे:

i. बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (The Multidimensional Poverty Index)

ii. लिंग असमानता सूचकांक (The Gender Inequality Index)

iii. असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक (The Inequality Adjusted Human Development Index)

इन नए पैमानों का उद्देश्य किसी देश के विकास मार्ग का गहन मूल्यांकन करना है ।

HDR-2010 में शामिल किए गए नए सूचकांक:

असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक (Inequality Adjusted Human Development Index):

HDR-2010 में प्रस्तुत एक नया महत्वपूर्ण सूचकांक असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक (IHDI: Inequality Adjusted IHDI) है, जो असमान समाज में लोगों के मानव विकास स्तर का मापन करता है ।

पूर्ण समान समाज की स्थिति में HDI और IHDI के मान के बराबर होंगे जबकि स्वास्थ्य, शिक्षा एवं आय के विभिन्न आयामों में असमानता की स्थिति में समाज के निचले स्तर के व्यक्तियों का IHDI औसत HDI से कम होगा । IHDI के HDI से कम होने की स्थिति समाज में अधिक असमानता को प्रदर्शित करती है । HDR-2010 में 139 देशों के लिए IHDI का आकलन किया गया था ।

जिसके प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार थे:

a. असमानता के कारण HDI में औसत कमी लगभग 23% है । अर्थात् असमानता को समायोजित करने पर वैश्विक HDI 0.62 से गिरकर 0.49 प्रतिशत रह जाता है, जो इसे उच्च HDI श्रेणी से मध्यम HDI श्रेणी में ला देता है ।

b. असमानता के कारण HDI में औसत कमी विभिन्न देशों में 6 प्रतिशत (चेक गणराज्य) से लेकर 45 प्रतिशत (मोजाम्बिक) तक विस्तृत था ।

c. अल्प मानव विकास वाले देशों विशेषकर उप-सहारा अफ्रीका में HDI में असमानता आधारित गिरावट सभी तीनों आयामों में असमानता के कारण है जबकि दक्षिण एशिया में यह मुख्यतः स्वास्थ्य के क्षेत्र में असमानता के कारण है ।

लिंग असमानता सूचकांक (GII- Gender Inequality Index):

HDR-2010 में लिंग असमानता सूचकांक (GII-Gender Inequality Index) भी प्रस्तुत किया गया था, जो मानव विकास के विभिन्न आयामों के संदर्भ में महिलाओं एवं पुरुषों के बीच असमानता का मापन करता है ।

इस सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष निम्नवत हैं:

a. विभिन्न देशों में लिंग असमानता में अत्यधिक भिन्नता की स्थिति है, जिसका कारण सभी देशों में अलग-अलग है । सामान्यतः यह सामाजिक उपलब्धियों में हानि को दर्शाता है ।

b. सर्वाधिक लिंग-समानता वाले देशों में सर्वोच्च स्थान नीदरलैण्ड का है तथा उसके पश्चात् डेनमार्क, स्वीडन एवं स्विट्‌जरलैण्ड आते हैं ।

c. मानव विकास के अधिक असमान वितरण वाले देशों में महिलाओं एवं पुरूषों के बीच असमानता भी अत्यधिक है तथा ऐसे देशों में सर्वाधिक खराब स्थिति मध्य अफ्रीकी गणराज्य, हैती एवं मोजाम्बिक की है ।

बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (MPI- Multidimensional Poverty Index):

निर्धनता स्तर मापने की आय आधारित मानव निर्धनता सूचकांक, निर्धनता की समग्र तस्वीर प्रस्तुत नहीं कर पाती है । शिक्षा, स्वास्थ्य एवं जीवन स्तर आदि के संदर्भों में वंचनों का भी निर्धनता से गहन सम्बंध है ।

इन्हीं वंचनों को आधार बनाते हुए मानव विकास रिपोर्ट में 1997 से प्रयुक्त HPI (Human Poverty Index) के स्थान पर इस वर्ष बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (MPI: Multidimentional Poverty Index) प्रस्तुत किया गया था ।

यूएनडीपी के सहयोग से ऑक्सफोर्ड निर्धनता एवं मानव विकास पहल द्वारा विकसित यह सूचकांक HDI के तीनों आयामों के विभिन्न पहलुओं के संदर्भ में वंचनों पर ध्यान केन्द्रित करता है । यह बहुआयामी तौर पर उस गरीब आबादी पर ध्यान केन्द्रित करता है, जो जीवन-स्तर, स्वास्थ्य और शिक्षा की दृष्टि से घोर अभावों में जीती है ।

MPI आकलन में शामिल 104 देशों में लगभग 1.75 बिलियन लोग (कुल जनसंख्या का लगभग एक तिहाई) बहुआयामी निर्धनता से ग्रस्त हैं, जो 1.25 डॉलर प्रतिदिन से कम के आय आधारित मापदंड की 1.44 बिलियन अनुमानित संख्या से कहीं अधिक है ।

104 देशों एवं विभिन्न क्षेत्रों के संदर्भ में MPI आधारित निर्धनता क्रम (निम्नतम से उच्चतम निर्धनता) के आंकड़े HDI-2010 के प्रकाशन से पूर्व जुलाई, 2010 में ही जारी कर दिए गए थे । ‘एक्यूट मल्टी डाइमेंशनल पॉवर्टी: ए न्यू इंडेक्स फॉर डेवलपिंग कंट्रीज’ नाम से तैयार इस रिपोर्ट में नाइजर को MPI आधार पर सर्वाधिक गरीब देश बताया गया था ।

केन्या का ग्रामीण उत्तर-पूर्वी क्षेत्र नाइजर से भी अधिक निर्धन था । MPI आधारित निर्धनों का 51% भाग दक्षिण एशिया में है । रिपोर्ट में चीन को 46वाँ और भारत को 63वाँ स्थान दिया गया है । भारत में बिहार को सर्वाधिक निर्धन राज्य बताया गया है, इसके बाद झारखंड का स्थान आता है । भारत के न्यूनतम निर्धन राज्य दिल्ली व केरल हैं ।

मानव विकास रिपोर्ट, 2015 (Human Development Report – 2015):

a. मानव विकास रिपोर्ट (Human Development Report) वर्ष 1990 से संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP-United Nations Development Programme) द्वारा सामान्यतः वार्षिक आधार पर जारी की जाती है ।

b. 14 दिसंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा इथियोपिया की राजधानी ‘अदिस अबाबा’ में मानव विकास रिपोर्ट की नवीनतम 24वाँ (HDR, 2015) जारी किया गया ।

c. HDR, 2015 का शीर्षक है- ‘मानव विकास के लिए पुनर्विचार कार्य’ (Rethinking Work for Human Development) ।

d. वर्ष 2015 की HDR में 188 देशों को वर्ष 2014 में उनके ‘मानव विकास सूचकांक’ (HDI) की स्थिति के आधार पर रैंकिंग प्रदान की गई है ।

e. HDR-2015 में 0.944 मानव विकास सूचकांक मूल्य के साथ नॉर्वे मानव विकास रैंकिंग में प्रथम स्थान पर है, जबकि अंतिम स्थान (188वाँ) वो पर नाइजर है ।

f. HDR-2014 में 187 देशों में से भारत का स्थान 135वाँ था, जबकि HDR 2015 में 188 देशों की सूची में 0.609 मानव विकास सूचकांक मूल्य के साथ भारत का स्थान 130वाँ है ।

g. ब्रिक्स व सार्क देशों में भारत का स्थान 130वाँ है ।

h. मानव विकास रिपोर्ट 2015 के अनुसार भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति इस प्रकार है- श्रीलंका (73वाँ), चीन (90वाँ), मालदीव (104वाँ), भूटान (132वाँ), बांग्लादेश (142वाँ), नेपाल (145वाँ), पाकिस्तान (147वाँ), म्यांमार (148वाँ), और अफगानिस्तान (171वाँ) ।

राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट:

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की मानव विकास रिपोर्ट की तर्ज पर योजना आयोग द्वारा अप्रैल, 2002 में पहली राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट जारी की गई । इस रिपोर्ट में मानव विकास सूचकांक (HDI), मानव निर्धनता सूचकांक (HPI) और लिंग समानता सूचकांक (GEI) को आधार बनाया गया है ।

15 राज्यों के लिए तैयार राष्ट्रीय मानव विकास सूचकांक में मानव संसाधन विकास रैंकिंग के मामले में केरल, पंजाब, तमिलनाडु व महाराष्ट्र क्रमशः प्रथम चार स्थान पर तथा बिहार, असोम, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश क्रमशः अंतिम चार स्थान पर हैं । बिहार में लिंग समानता सूचकांक का स्थान भी अंतिम रहा है ।

इस रिपोर्ट में प्रति व्यक्ति आय के बदले प्रति व्यक्ति व्यय अर्थात् उपभोक्ता व्यय सूचकांक को आर्थिक विकास का सूचक माना गया है । रिपोर्ट में बताया गया है कि विगत कुछ वर्षों में देश की ग्रामीण जनता की व्यय क्षमता में कमी आई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में इसमें कुछ वृद्धि हुई है । पंजाब, हरियाणा, केरल व राजस्थान ही ऐसे राज्य हैं, जहाँ प्रति व्यक्ति व्यय राष्ट्रीय स्तर से अधिक है ।

भारत मानव विकास रिपोर्ट, 2011 (India Human Development Report):

21 अक्टूबर, 2011 को भारत ने मानव विकास रिपोर्ट (IHDR)-2011 जारी की थी । लगभग एक दशक के अंतराल के बाद प्रस्तुत इस द्वितीय भारत मानव विकास रिपोर्ट का शीर्षक बिन्दु है ‘सामाजिक समावेशन की ओर’ ।

इस रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य निम्न थे:

a. IHDR-2011 के अनुसार, वर्ष 1999-2000 से वर्ष 2007-08 के दौरान संपूर्ण भारत के मानव विकास सूचकांक (HDI) में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा इस अवधि में यह 0.387 से बढ़कर 0.467 हो गया है ।

b. IHDR-2011 के अनुसार, वर्ष 2007-08 में भारत के राज्यों में मानव विकास की दृष्टि से 0.790 HDI अंक के साथ केरल सर्वोच्च स्थान पर है, जबकि मात्र 0.358 HDI अंक के साथ इस संदर्भ में छत्तीसगढ़ सबसे निचले स्थान पर है ।

छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं असोम में मानव विकास सूचकांक राष्ट्रीय औसत से कम रही थी ।

c. राष्ट्रीय औसत से कम मानव विकास सूचकांक (HDI) वाले 5 राज्यों- ‘बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदे, ओडिशा और असोम’ तथा उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों (असोम के अतिरिक्त) में HDI में प्रगति राष्ट्रीय औसत से अधिक रही थी ।

d. IHDR-2011 के अनुसार, 1999-2000 से 2007-08 की अवधि में देश के संदर्भ में आय सूचकांक (असमानता समायोजित MPCE आधारित) में HDI के लगभग समान, अर्थात् 21% की वृद्धि दर्ज हुई है । आय सूचकांक में राज्यवार-विभिन्नता दिल्ली के 0.68 से बिहार के 0.13 तक विस्तारित है ।

e. 1999-2000 से 2007-08 के दोरान देश के शिक्षा सूचकांक में 28.5% की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जो HDI वृद्धि का मूलभूत कारक रही है । देश के राज्यों में शिक्षा सूचकांक के संदर्भ में असमानता केरल के 0.92 से बिहार के 0.41 तक विस्तृत था ।

a. देश के स्वास्थ्य सूचकांक में 1999-2000 से 2007-08 की अवधि के दौरान वृद्धि अपेक्षाकृत निम्नतर (मात्र 13.2%) दर्ज हुई है । स्वास्थ्य सूचकांक का विस्तार केरल के 0.82 से असोम के 0.41 तक थी ।

b. भूख और कुपोषण की दृष्टि से देश के औद्योगिक एवं उच्च प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में गुजरात की स्थिति सबसे खराब है । यहाँ के 5 वर्ष से कम आयु के 69.7% बच्चे रक्ताल्पता ग्रस्त (Anaemic) और 44.6% कुपोषित थे ।

मानव पूँजी रिपोर्ट-2015 (Human Capital Report – 2015):

मानव पूँजी के सम्बंध में जेनेवा स्थित ‘विश्व आर्थिक मंच’ द्वारा 13 मई, 2015 को ‘मानव पूँजी रिपोर्ट-2015’ (Human Capital Report-2015) जारी की गई, जिसमें विश्व के चुने हुए 124 एवं उन देशों का एक सूचकांक तैयार किया गया है ।

देशों को इस आधार पर रैंकिंग प्रदान की गई है कि वे शिक्षा, कौशल और रोजगार को केंद्र में रखते हुए कितने अच्छे और असरदार तरीके से अपनी मानव पूँजी का इस्तेमाल और विकास कर रहे हैं ।

विश्व आर्थिक मंच द्वारा मानव पूँजी सूचकांक-2015 में दो क्षैतिजीय विषय-वस्तुओं (Horizontal Themes) ‘शिक्षा और रोजगार’ (Learning and Employment) को शामिल किया गया है । मानव पूँजी सूचकांक-2015 कुल 46 संकेतकों (6 संकेतक 15 वर्ष से कम आयु समूह से सम्बंधित पर आधारित है ।

मानव पूँजी सूचकांक-2015 में कुल 124 देशों की सूची में फिनलैंड को प्रथम स्थान दिया गया है । इसका कुल स्कोर 85.78 है । फिनलैंड के पश्चात् चार देशों के क्रम इस प्रकार हैं- नॉर्वे (स्कोर-83.84), स्विट्‌जरलैंड (स्कोर-83.58), कनाडा (स्कोर-82. 88) एवं जापान (स्कोर-82.74) ।

मानव पूँजी सूचकांक-2015 में यमन अंतिम स्थान (124वाँ) पर है तथा इसका कुल स्कोर 40.72 है । मानव पूँजी सूचकांक-2015 में भारत 57.62 स्कोर के साथ 100वें स्थान पर है ।

विश्व समृद्धि सूचकांक, 2015 (World Prosperity Index – 2015):

लेगाटम संस्थान द्वारा 1 नवंबर, 2015 को लेगाटम विश्व समृद्धि सूचकांक (World Prosperity Index), 2015 जारी किया गया । इस सूचकांक में कुल 142 देशों को उनके स्कोर के साथ रैंकिंग प्रदान की गई है ।

सूचकांक में समग्र स्कोर 3.504 अंक प्राप्त कर नॉर्वे लगातार सातवें वर्ष शीर्ष पर है । इसके बाद स्विट्‌जरलैण्ड दूसरे, डेनमार्क तीसरे, न्यूजीलैंड चौथे और स्वीडन पाँचवें स्थान पर है । इस सूचकांक में भारत 99वें स्थान पर है ।

वैश्विक भूखमरी सूचकांक (World Hunger Index):

वैश्विक भूखमरी सूचकांक (World Hunger Index) को अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान’ (International Food Policy Research Institute-IFPRI) द्वारा दो गैर-सरकारी संगठनों ‘वेल्ट हंगर हिल्फ’ (Welt Hunger Hilfe) और ‘कंसर्न वर्ल्ड वाइड’ (Concern World Wide) की सहायता से प्रति वर्ष प्रकाशित किया जाता है ।

इस सूचकांक में ‘कम मान’ (Low Score) देश की अच्छी स्थिति को दिखाता है, वहीं ‘अधिक मान’ (High Score) देश में भूखमरी की भयावहता को प्रदर्शित करता है । वर्ष 2015 के लिए यह रिपोर्ट 12 अक्टूबर, 2015 को जारी की गई ।

इस सूचकांक के महत्वपूर्ण बिंदु निम्न हैं:

a. भूखमरी की स्थिति में सुधार होने के बावजूद भी गंभीर स्थिति बनी हुई है, क्योंकि विश्व की 795 मिलियन (79.5 करोड़) आबादी अभी भी भूखमरी की चपेट में है ।

b. 117 देशों में से 52 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक स्कोर गंभीर या भयावह स्थिति में है ।

c. इस वर्ष की रिपोर्ट में सबसे कम GHI (Global Hunger Index) स्कोर कुवैत (स्कोर-5 प्रथम स्थान) का है ।

d. वैश्विक भूखमरी सूचकांक (GHI)-2015 में भारत का स्थान 80 वाँ है, जबकि गत वर्ष 55वाँ स्थान (76 देशों में) था । GHI-2015 में भारत का स्कोर 29 है ।

विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट (World Happiness Day):

a. संयुक्त राष्ट्र महासभा के नेतृत्व में ‘संयुक्त राष्ट्र निर्वहनीय विकास समाधान नेटवर्क’ द्वारा 23 अप्रैल, 2015 को तृतीय ‘विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट’ (World Happiness Day) 2015 जारी की गई ।

b. विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट, 2015 के अनुसार, विश्व के सबसे प्रसन्न देशों की सूची में प्रथम स्थान स्विट्‌जरलैंड का है, वहीं सबसे अंतिम पायदान (158वें) पर स्थित देश टोगो है ।

c. विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट-2015 में भारत का स्थान 117वाँ है । रिपोर्ट के अनुसार, सबसे प्रसन्न एशियाई देश है-इजरायल ।

सहस्राब्दि विकास लक्ष्य रिपोर्ट, 2015 (Millennium Development Goals 2015):

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 6 जुलाई, 2015 को सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों (Millennium Development Goals-MDGs) पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट जारी की है । यह रिपोर्ट आर्थिक और सामाजिक मामलों के संयुक्त राष्ट्र विभाग द्वारा तैयार तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्ष 2000 के सहस्राब्दि सम्मेलन द्वारा निर्धारित आठ सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों की दिशा में वैश्विक और क्षेत्रीय प्रगति का आकलन है ।

संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दि सम्मेलन-2000 में आठ सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वर्ष 2015 तक की समय सीमा निर्धारित की गई थी ।

i. पहले लक्ष्य, ‘चरम निर्धनता एवं भूख का निवारण’ (Eradication of Extreme Poverty & Hunger) के सम्बंध में कहा गया है, कि अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या वर्ष 1990 में 1.9 बिलियन (अरब) थी, जो घटकर वर्ष 2015 में 836 मिलियन रह गई । इस सफलता में चीन और भारत की मुख्य भूमिका रही है ।

एमडीजी के तहत अत्यधिक गरीबी में रहने वालों का अनुपात आधा करने का लक्ष्य वर्ष 2015 में 12 प्रतिशत रह गई है, जबकि विकासशील देशों में यह घटकर वर्ष 2014 में 14 प्रतिशत है, जो वर्ष 1990 में 47 प्रतिशत थी ।

वैश्विक स्तर पर रोजाना 1.25 डॉलर से कम पर जीवन-निर्वाह करने वालों का अनुपात वर्ष 2011 में घटकर 15 प्रतिशत रह गया, जो वर्ष 1990 में 36 प्रतिशत था ।

ii. दूसरे लक्ष्य सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा (Universal Primary Education) के अंतर्गत स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या जो वर्ष 2000 में 10 करोड़ थी, घटकर वर्ष 2015 में 5.7 करोड़ रह गई है ।

रिपोर्ट के अनुसार, एमडीजी ने विश्व को अब तक के इतिहास का सबसे सफल गरीबी उन्मूलन अभियान दिया है, जिससे एक अरब से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकालने एवं भूख की समस्या कम करने में सहायता मिली तथा अधिक से अधिक लड़कियों को स्कूल भेजना संभव हो सका ।

iii. तीसरे लक्ष्य लिंग समानता को प्रोत्साहन (Promotion of Gender Equality) के अंतर्गत वर्ष 2015 की समय सीमा तक प्राप्त करने के लक्ष्य को संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकांश देशों में प्राप्त कर लिया गया है ।

iv. चौथे लक्ष्य बाल मृत्यु दर घटाने (Reduction of Child Mortality) में भी लगभग 50 प्रतिशत सफलता मिली है । वर्ष 1990 के बाद 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर आधी रह गई है ।

v. पाँचवें लक्ष्य, मातृत्व सुधार (Improvement of Material) के सम्बंध में आँकड़ों में वर्ष 1990 के बाद 45 प्रतिशत की गिरावट आई है ।

vi. छठे लक्ष्य, एचआईवी/एड्‌स, मलेरिया व अन्य रोगों के निवारण (To Combat HIV/AIDS, Malaria & Other Diseases) के मामले में वर्ष 2000 व वर्ष 2015 के बीच 62 लाख मौतें जहाँ रोकी जा सकीं, वहीं एचआईवी संक्रमण के मामलों में वर्ष 2000 से 2013 के बीच 40 प्रतिशत की गिरावट आई है ।

vii. सातवें लक्ष्य पर्यावरण की सत्ता (Environment Sustainability) ।

viii. आठवें लक्ष्य विकास हेतु वैश्विक भागीदारी विकसित करने (To Develop a Global Partnership for Development) के सम्बंध में भी उपलब्धियों का उल्लेख किया गया है ।

सतत् विकास लक्ष्य-2030 (Sustainable Development Goals-2030):

सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों का स्थान लेने के लिए न्यूयॉर्क में 2015 के सतत् लक्ष्यों पर 25-27 सितंबर को होने वाले सम्मेलन में ‘एजेंडा-2030’ को स्वीकार किया जाएगा । इस एजेंडा पर सभी देशों के बीच सहमति बन गई है । सम्मेलन में इसे केवल पारित करना शामिल है ।

इस एजेंडा का नाम है ‘हमारे विश्व का परिवर्तनः सतत् विकास के लिए 2030 का एजेंडा (Transforming our World: The 2030 Agenda for Sustainable Development) । इस लक्ष्य में पाँच ‘पी’ पर बल दिया गया है ।

ये हैं- लोग (People), ग्रह (Planet), समृद्धि (Prosperity), शांति (Peace) व भागीदारी (Partnership) । 2030 में ’17 विकास लक्ष्य’ तय किए गए हैं, जिसके 169 सहायक लक्ष्य हैं ।

सतत् विकास लक्ष्य:

a. गरीबी के सभी स्वरूपों को समाप्त करना ।

b. भूखमरी को समाप्त करना एवं खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना ।

c. स्वस्थ जीवन को सुनिश्चित करना ।

d. समावेशी एवं समानता पर आधारित शिक्षा को सुनिश्चित करना ।

e. जल की उपलब्धता एवं सतत् प्रबंधन को सुनिश्चित करना ।

f. ऊर्जा के वहनीय, विश्वसनीय और सतत् उपयोग को सुनिश्चित करना ।

g. लिंग आधारित समानता को सुनिश्चित करना एवं महिलाओं का सशक्तिकरण करना ।

h. समावेशी एवं सतत् विकास को प्रोत्साहित करना ।

i. स्थिति-स्थापक आधारभूत संरचना के निर्माण को सुनिश्चित करना और समावेशी एवं सतत् औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करना ।

j. देशों के अन्दर व्याप्त असमानता को कम करना ।

k. शहरों को मानव के उपयोगी, सुरक्षित, समावेशी और सतत् बनाना ।

l. सतत् उत्पादन और उपयोग को सुनिश्चित करना ।

m. जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव पर तुरंत कार्यवाही को सुनिश्चित करना ।

n. समुद्र, महासागर के सतत् उपयोग को सुनिश्चित करना ।

o. पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षा प्रदान करना ।

p. सतत् विकास को सुनिश्चित करने के लिए सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करना ।

q. ग्लोबल पार्टनरशिप को बढ़ावा देना ।