आरएनए से डीएनए का संश्लेषण | RNA Se DNA Ka Sanshleshan | Read this essay to learn about Reverse Transcription in Hindi!

कैंसर ऊतक में रोज सार्कोमा विषाणु (RSV) में डबल स्ट्रैण्डेड RNA की सक्रियता का अध्ययन, करते हुए टेमिन व वाल्टिमो (1972) द्वार रिवर्स ट्रांस्क्रिप्शन खोजा गया । उन्होंने पाया कि विषाण्विक RNA तो अपने दो स्ट्रैण्ड्स का DNA सम्पूरक बना लेता है ।

RNA के रूप में वंशानुगत सामग्री वाले विषाणुओं का समूह (रिट्रोवायरसेस) पोषी जिनोम DNA से तभी समाकलित होता है, जब RNA द्वारा DNA प्रति संश्लेषित कर ली गयी हो । इसकी उत्पत्ति एन्जाइम RNA आश्रित DNA पॉलीमरोज या रिवर्स ट्रांस्क्रिप्टेज द्वारा होती है, जो इन RNA ट्यूमर विषाणुओं से जुड़ा होता है ।

चर्चा की गयी क्रियाविधि तो रिट्रोवायरसेस के लिए अभिलाक्षणिक होती है तथा अन्य RNA विषाणुओं द्वारा उसे क्रियाविधि का अनुकरण नहीं किया जाता । AIDS करने वाला HIV ह्यूमन इम्यून (डेफिशियंसी वायरस) भी एक रिट्रोवायरस है ।

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मम्प्स या मीजल्स के लिए उत्तरदायी पैरामिक्सोवायरस द्वारा नये जिनोमिक RNA व mRNA बनाने के लिए अपने RNA को साँचे के रूप में प्रयोग किया जाता है (DNA मध्यवर्ती द्वारा जाये बिना) ।

कुछ विषाणुओं (जैसे AIDS का कारक HIV) में तो DNA में RNA के अनुलेखन की क्षमता होती है । HIV में ऐसा RNA जीनोम होता है, जो DNA में डुप्लिकेट हो जाता है । फलस्वरूप बना DNA तो पोषी कोशिका के DNA जिनोम में समा सकता है ।

RNA साँचे से DNA के संश्लेषण हेतु उत्तरदायी मुख्य एंजाइम रिवर्स ट्रांस्क्रिप्टेज है । HIV के प्रकरण में रिवर्स ट्रांस्क्रिप्टेज तो विषाण्विक RNA जिनोम में सम्पूरक DNA स्ट्रैण्ड (cDNA) के संश्लेषण हेतु उत्तरदायी होता है । एक जुड़े एन्जाइम राइबोन्यूक्लियेज H द्वारा RNA ट्रांस्क्रिप्टेज द्वारा डबल हेलिकल DNA संरचना को बनाने के लिए DNA के सम्पूरक स्ट्रैण्ड का संश्लेषण कर लिया जाता है ।

यह cDNA अन्य एन्जाइम (इंटीग्रेज) द्वारा पोषी कोशिकाओं के जिनोम में समाकलित हो जाता है, जिससे पोषी कोशिका विषाण्विक प्रोटीन्स उत्पन्न करने लगती है, जो कि नये विषाण्विक कणों से जुड़ जाते है । परिणामत: पोषी कोशिका का ‘नियोजित कोशिका मरण’ (एपोप्टोसिस) हो जाता है ।

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कुछ यूकैरियाटिक कोशिकाओं में रिवर्स ट्रांस्क्रिप्शन क्रियाशीलता वाला एक एन्जाइम होता है, जिसे टीलोमरेज कहते हैं । टीलोमरेज वह रिवर्स ट्रांस्क्रिप्टेज है, जो ऋतु (रैखित) गुणसूत्रों के छोरों की लंबाई बढ़ाता है ।

टीलोमरेज तो RNA साँचे का वहन करता है, जिससे वह DNA पुनरावर्ती अनुक्रम अथवा जंक DNA का संश्लेषण करता है । ‘जंक’ DNA का यह पुनरावर्ती अनुक्रम महत्वपूर्ण है, क्योंकि हर समय ऋजु गुणसूत्र द्विगुणित होता रहता है, वह लंबाई में छोटा होता जाता है ।

गुणसूत्रों के छोरों पर जंक DNA के साथ लम्बाई घटने से कुछ पुनरावर्ती या जंक अनुक्रम निष्कासित हो जाते है । (न कि प्रोटीन-एन्कोडिंग DNA अनुक्रमों का निष्कासन होता है, जो कि गुणसूत्र-छोरों से दूर रहते है ।)

टीलोमरेज अधिकांशतया कैंसर कोशिकाओं में सक्रियित होता है, ताकि ये कोशिकाएँ महत्वपूर्ण प्रोटीन-कोडिंग DNA अनुक्रम को खोये बिना ही अपने जिनोम्स को द्विगुणित करने में सक्षम रहे । टीलोमरेज का सक्रियण उस प्रक्रिया का भाग हो सकता है, जिससे कैंसर कोशिकाएँ यांत्रिकरूपेण अनश्वर हो जाती है ।

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