Read this article in Hindi to learn about:- 1. पॉलिमरेज चेन श्रृंखला का अर्थ [Meaning of Polymerase Chain Reaction (PCR)] 2. पॉलिमरेज चेन श्रृंखला के सिद्धांत एवं प्रक्रिया [Principle and Process of Polymerase Chain Reaction (PCR)] 3. साइकल का व्यवस्थित चरण [Stages of Life Cycle] and Other Details.

पॉलिमरेज चेन श्रृंखला का अर्थ [Meaning of Polymerase Chain Reaction (PCR)]:

पॉलिमरेज चेन रिऐक्शन (PCR) निश्चित DNA अनुक्रम की हजारों से लाखों प्रतियां उत्पन्न करने के लिये, मैग्गींटयूड के कई आर्डरों के विपरीत DNA के अंशों को एक या कई प्रतियाँ बढ़ाने के लिये मॉलेकुलर बॉयोलाजी में वैज्ञानिक तकनीक है ।

यह विधि थर्मल साइकिलिंग पर निर्भर होती है । DNA पिघलन एवं DNA के एन्जाइमेटिक प्रतिकृति के लिये रियेक्शन के बार-बार गर्म एवं ठंडा होने के चक्र को शामिल करती है ।

DNA पॉलिमरेज (जिसके पश्चात विधि को नाम दिया जाता है) के साथ टारगेट क्षेत्र तक संपूरक निश्चित क्षेत्र तक अनुक्रमों को शामिल करके प्रवेशिकायें (छोटे DNA खण्ड) चयनात्मक एवं विस्तार को समर्थ बनाने के लिये महत्त्वपूर्ण घटक होते है । जैसे ही PCR विकसित होता है । उत्पन्न DNA स्वयं प्रतिकृत के लिये टेम्पलेट के रूप में उपयोग किया जाता है ।

ADVERTISEMENTS:

ज्यादातर सभी PCR अनुप्रयोग गर्म-स्थिर DNA पॉलिमरेज DNA का उपयोग करते है । जैसे टैक पॉलिमरेज बैक्टीरियम थर्मस एक्वाटिकस से वास्तविक रूप से अलग एन्जाइम । यह DNA पॉलिमरेज एन्जाइमेटिकली टेम्पलेटट एवं DNA (प्रवेशिकायें भी कही जाती है ।)

ऑलिगो न्यूक्लियोटाइड के, रूप में अलग स्ट्रेन्डिड का उपयोग करके न्यूक्लियोटाइड DNA बिल्डिंग ब्लॉक से नये DNA एकत्रित करता है जो DNA संयोग के प्रारंभ के लिये आवश्यक होते है । PCR विधियों की व्यापक प्रमुखता थर्मल साइकिलिंग का उपयोग करती है अर्थात् तापमान चरण की निश्चित संख्या तक PCR सैंपल को वैकल्पिक रूप से गर्म एवं ठण्डा करना ।

ये थर्मल साइकिलिंग चरण DNA पिघलन नामक प्रक्रिया में उच्च तापमान तक दोहरी कुण्डली DNA में ये स्ट्रेडिडों के भौतिक रूप से अलग करने के लिये सर्वप्रथम आवश्यक होते है । निम्न तापमान पर टारगेट DNA के चयनात्मक विस्तार के लिये DNA पॉलिमरेज द्वारा DNA के संयोग में फिर प्रत्येक स्ट्रेड टेम्पलेट के रूप में उपयोग किया जाता है ।

प्रवेशिका के उपयोग के परिणाम से उत्पन्न चयनात्मकता जो विशिष्ट थर्मल साइकिलिंग स्थितियों के अंतर्गत विस्तार के लिये निश्चित DNA क्षेत्र हेतु संपूरक होती है ।

पॉलिमरेज चेन श्रृंखला के सिद्धांत एवं प्रक्रिया [Principle and Process of Polymerase Chain Reaction (PCR)]:

ADVERTISEMENTS:

DNA स्ट्रेड (DNA टारगेट) के विशेष क्षेत्र को बढ़ाने के लिये PCR का उपयोग किया जाता है । ज्यादातर PCR का विधियाँ विशिष्ट रूप से DNA के अंशों को 10 किलोबेस पेयर (kb) तक विस्तृत करती है । यद्यपि कुछ तकनीकों अंशों को आकार में 40 kb तक विस्तार की अनुमति देती है । आधारभूत PCR सेटअप को कई घटकों एवं प्रतिक्रियाशील तत्वों की आवश्यकता होती है ।

ये घटक निम्न को शामिल करते है:

(a) DNA टेम्पलेट, जिसमें विस्तृत किया जाने वाला DNA क्षेत्र (टारगेट) शामिल होता है ।

(b) दो प्रवेशिका जो दृष्टि की प्रत्येक समष्टि एवं DNA टारगेट की विपरीत दृष्टि स्ट्रेड से 3 इंच (3 मुख्य) तक संपूरक होती है ।

ADVERTISEMENTS:

(c) लगभग 70°C पर उचित तापमान के साथ टेक पॉलिमरेज अन्य कोई DNA पॉलिमरेज ।

(d) डिऑक्सीन्यूक्लियोसाइड ट्रिफॉस्फेट (ट्रफॉस्फेट समूह को मिलाकर dNTPs न्यूक्लियोटाइड) बिल्डिंग ब्लाक, जिसमें DNA पॉलिमरेज तथा DNA स्ट्रेड एकत्र करता है ।

(e) DNA पॉलिमरेज की उचित गतिविधि एवं स्थिरता के लिये उचित के वातावरण प्रदान करके बफर साल्युशन ।

(f) डाइवलेट केटायन, मैग्नीशियम या मैनग्रेनेज अर्थात्, सामान्यतः Mg2+ उपयोग किया जाता है । क्योंकि उच्च Mg2+ DNA एकत्रीकरण के दौरान अशुद्धि दर में वृद्धि करता है ।

(g) मोनोवैलेंट केटायरन पोटेशियम आयन्स ।

PCR सामान्तया थर्मल साइकलन में छोटी रिऐक्शन ट्‌यूब में (0.2-0.5ml वाल्यूम) में 10-20ul की रियेक्शन मात्रा में संचालित किया जाता है । थर्मल साइकलर रियेक्शन के प्रत्येक चरण पर आवश्यक तापमान प्राप्त करने के लिये रिऐक्शन ट्‌यूब को गर्म या ठंडा करता है ।

कई आधुनिक थर्मल साइकलर पेल्टियर प्रभाव का उपयोग करें हैं, जो इलेक्ट्रिक कटेंट को सरलता से वापिस करके PCR ब्लाक होल्डिंग को गर्म एवं ठंडा करने की अनुमति देता है । पतली दीवार रियेक्शन ट्यूब लगातार थर्मल समानता के लिये अनुमति देने हेतु उचित थर्मल संचालन की अनुमति देता है ।

अधिकतर थर्मल साइकलर ने रिऐक्शन ट्‌यूब के सिरे पर संक्षिप्तीकरण को रोकने के लिये लिड्स को गर्म किया है । पुराने रिमो साइकलर में रिऐक्शन मिश्रण के सिरे पर या ट्यूब के अंदर बाक्स की दीवार पर आयत की परत के लिये आवश्यक गर्म लिड की कमी होती है ।

पॉलिमरेज चेन श्रृंखला के साइकल का व्यवस्थित चरण [Stages of Polymerase Chain Reaction (PCR) Life Cycle]:

(1) 94-96°C पर अप्राकृतिक ।

(2) 65°C पर गर्म करना ।

(3) 2°C पर दीर्घीकरण ।

यहाँ चार साइकल प्रदर्शित किये जाते हैं । नीली रेखा DNA टेम्पलेट को प्रदर्शित करती है, जिस तक प्रवेशिका (ला ऐरो) दीर्घ होते है, जो छोटे DNA प्रोडक्ट (हरी रेखा) देने के लिये DNA पॉलिमरेज (लाइट ग्रीन सर्कल) द्वारा विस्तृत होते है, जो स्वयं टेम्पलेट के रूप में उपयोग किये जाते है, जैसे ही PCR विकसित होता है ।

महत्त्वपूर्ण रूप से PCR बार-बार तापमान परिवर्तन, साइकल कहा जाता है । प्रत्येक साइकल के साथ सामान्य रूप से 2-3 अलग-अलग तापमान चरण अक्सर तीन को शामिल करके 20-40 की संख्या को सम्मिलित करती है ।

साइकिलिंग को उच्च तापमान (>90°C) पर एकतापमान चरण (होल्ड कहा जाता है) से पहले आता है एवं अंतिम प्रोडक्ट विस्तार या संक्षिप्त स्टोरेज के लिये समाप्ति पर एक होल्ड से पीछे से आता है ।

उपयोग किया गया तापमान एवं समय की लंबाई ये पैरामीटर के प्रकारों पर आधारित प्रत्येक साइकल में उपयोग किये जाते है । इनके DNA खण्डों के लिये उपयोग किया गया एन्जाइम रियेक्शन डिवैलेंट आयन्स एवं dNTPs का केन्द्रीकरण एवं प्रवेशिका का (Tm) पिछलता तापमान शामिल होता है ।

(i) प्रारंभिक चरण:

यह चरण 94-96°C (or 98°C यदि ज्यादा मोस्टेनल पॉलिमरेज का उपयोग किया जाता है ।) के तापमान रियेक्शन की गर्मी को सम्मिलित करता हैं, जो 1-9 मिनट के लिये रखी जाती है । यह सिर्फ DNA पॉलिमरेज के लिये आवश्यक होता है, जिसे गर्म स्टार्ट PCR द्वारा सक्रियता की आवश्यकता होती है ।

(ii) अप्राकृतिक चरण:

यह चरण पहली नियमित साइकिलिंग घटना होती है एवं 20-30 सेकेंड के लिये 94-98°C तक रियेक्शन को गर्म करना शामिल करता है । पृथक स्ट्रेड DNA मॉलिक्यूल्स उत्पन्न करके संपूरक आधारों के बीच हायड्रोजन बांड को अलग करके DNA टेंपलेट के DNA पिघलने का करण होता है ।

(iii) ताप चरण:

रियेक्शन तापमान एक स्ट्रेट DNA टेम्पलेट तक प्रवेशिका के ताप को 20-40 सेकेंड तक आवंटित करने के लिये 50-65°C तक कम होता है । प्रमुख रूप से गर्म तापमान उपयोग किये गये प्रवेशिका के लगभग 3-5°C नीचे होता है ।

स्थिर DNA-DNA हायड्रोजन बांड सिर्फ तभी बनाये जाते है, जब प्रवेशिका अनुतक टेम्पलेट अनुक्रम से ज्यादा सक्रियता से मिलान करते है । पॉलिमरेज प्रवेश टेम्पलेट हायब्रिड को बांधता है एवं DNA एकत्रीकरण शुरू होता है ।

(iv) विस्तार/दीर्घीकरण चरण:

इस चरण पर तापमान उपयोग किये गये DNA पॉलिमरेज पर निर्भर होता है । टेक पॉलिमरेज का 75-80°C पर इसका उचित गतिविधि तापमान होता है एवं इस एन्जाइम के साथ सामान्यतः 72°C तापमान का उपयोग किया जाता है ।

इस चरण पर पॉलिमटेड dNTPs जोड़कर DNA टेम्पलेट स्ट्रेण्ड तक नये DNA स्ट्रेण्ड की समाप्ति पर 3 हायड्रॉऑक्सिल समूह के साथ dNTPs के 5 फास्फेट समूह को ठोस करके 5 से 3 दिशा में टेम्पलेट के संपूरक होते है ।

विस्तार समय उपयोग किये गये DNA पॉलिमरेज एवं उपयोग किये जाने वाले DNA खण्ड की लंबाई दोनों पर निर्भर होता है । नियम के रूप में सके उचित तापमान पर DNA पॉलिमरेज प्रतिमिनट एक हजार आधार पर पॉलिमराइज होता है ।

उचित स्थिति के अंतर्गत अर्थात् यदि प्रत्येक विस्तार चरण पर सीमित आधार पर अभिकर्मक के कारण यहाँ कोई सीमा नहीं होती है, तब विशिष्ट DNA के घातांकीय (जियोमेट्रिक) उपयोग में सहायक DNA टारगेट की मात्रा दुगनी हो जाती है ।

(v) अंतिम दीर्घीकरण:

इस एकमात्र चरण को अंतिम PCR साइकिल के पश्चात 5-15 मिनट के लिये 70-74°C तापमान पर यह सुनिश्चित करने के लिये संचालित किया जाता है कि कोई बचा हुआ अकेला स्ट्रेण्ड पूर्ण रूप से विस्तृत होता है ।

(vi) अंतिम संचालन:

इस चरण को रियेक्शन की अल्पकालीन स्टोरेज के लिये असीमित समय के लिये 4-15°C पर नियोजित किया जा सकता है ।

परीक्षण करने के लिये कि PCR से उत्पन्न अनुमानित DNA खण्ड (किसी समय एम्पलीफायर या एम्पलीकोन के रूप में संदर्भित किया जाता है) एगारोज जले इलेक्ट्राफॉरेसिस PCR प्रोडक्ट के आकर पृथकीकरण के लिये नियोजित किया जाता है ।

PCR प्रोडक्ट का आकार DNA लेडर (मॉलिक्यूलर वेट मार्कर) के साथ तुलना द्वारा निश्चित किया जाता है, जिसमें PCR प्रोडक्ट के समीप जेल पर चलित परिचित आकर के DNA खण्ड शामिल होते है ।

संभावित DNA खराबी से यह सामान्यतः PCR प्रोडक्ट के विश्लेषण या शुद्धिकरण के लिये क्षेत्र के स्थानीय पृथकीकरण करके उपयोग करके फेंकने योग्य प्लास्टिक वेयर का उपयोग एवं रियेक्शन स्थापन के बीच कार्य क्षेत्र को साफ करने के माध्यम को शामिल करता है ।

प्रवेशिका का डिजाइन तकनीक PCR प्रोडक्ट उत्पादित को विकसित करने एवं अतिरिक्त प्रोडक्ट के निर्माण कोटालेन में महत्त्वपूर्ण होते है एवं वैकल्पिक बफर कंपोनेट का पॉलिमरेज एन्जाइम का उपयोग लंबे या अन्य समस्यागत DNA क्षेत्र के विस्तार में सहायता कर सकता है । अभिकर्मकों की अतिरिक्तता जैसे बफर प्रणाली में फार्मामाइड PCR की विशिष्टता एवं उत्पत्ति को बढ़ा सकते है ।

पॉलिमरेज चेन श्रृंखला के उपयोग [Uses of Polymerase Chain Reaction (PCR)]:

(i) चयनात्मक DNA पृथकीकरण:

PCR, DNA के विशिष्ट क्षेत्र के चयनात्मक विस्तार द्वारा जेनोमिक DNA से DNA खण्डों के पृथकीकरण की अनुमति देता है । PCR का यह उपयोग कई विधियों में वृद्धि करता है, जैसे- दक्षिणी या उत्तरी हायब्रिडाइजेशन एवं DNA क्लोनिंग के लिये हायब्रिडाइजेशन जांच पड़ताल उत्पन्न करता है, जिसे विशिष्ट DNA क्षेत्र को प्रदर्शित करने के लिये DNA की बड़ी मात्रा को आवश्यकता होती है ।

PCR इन DNA सैपलों के विश्लेषण को समर्थ करते हुए यहाँ तक कि शुरुआती पदार्थों की बहुत छोटी मात्रायें शुद्ध DNA की उच्च मात्रा को इन तकनीकों की आपूर्ति करता है ।

(ii) जेनेटिक फिगर प्रिन्टिंग के लिये भी PCR का उपयोग किया जा सकता है । फोरेसिंग तकनीक विभिन्न PCR आधारित विधियों के माध्यम से DNAss अनुसंधान की तुलना द्वारा किसी व्यक्ति या आर्गनिज्म की पहचान के लिए उपयोग की जाती है ।

(iii) कुछ PCR फिंगर प्रिंट विधियों की उन्नत भेदभावपूर्ण शक्तियाँ होती है एवं व्यक्तियों के बीच जैसे- माता-पिता, पुत्र या पति-पत्नी के बीच जेनेटिक संबंधों की पहचान के लिये उपयोग की जा सकती है एवं वंशानुगत परीक्षण में उपयोग की जाती है । यह तकनीक सूक्ष्म जीवों के बीच विकासीय संबंधों को निश्चित करने के लिये उपयोग की जा सकती है ।

(iv) DNA का विस्तार एवं परिमाणीकरण:

चूँकि PCR क्षेत्र का DNA का विस्तार करता है, जो यह निश्चित करता है, PCR का उपयोग सैंपलों की बहुत छोटी मात्रा का विश्लेषण करने के लिये किया जा सकता है ।

यह अक्सर फोरेसिंग विश्लेषण के लिये जटिल होता है, जब DNA की सिर्फ ट्रेस मात्रा प्रमाण के रूप में उपलब्ध होती है । प्राचीन DNA के विश्लेषण में भी PCR का उपयोग किया जा सकता है, जो हजारों वर्ष पुराने काल का होता है ।

इन PCR तकनीक का उपयोग जानवरों पर जैसे रसियन टी.सार की पहचान से इजिप्तियन ममियों के विश्लेषण से उत्पन्न उपयोगों में सफलतापूर्वक किया गया है ।

(v) बीमारियों के निदान में PCR:

PCR भयंकर बीमारियों के शीघ्र निदान की अनुमति देती है, जैसे- ल्यूकेमिया एवं लिमेफोमॉस, जो वर्तमान में कैंसर रिसर्च में ज्यादा विकसित है एवं पहले से ही लगातार उपयोग की जाती है ।

PCR जाँच को संवेदनशीलता पर विशेष भयंकर कोशिकाओं की ट्रांसलोकेशन की पहचान करने के लिये जेनोमिक DNA सैंपल पर प्रत्यक्ष रूप से निष्पादित किया जा सकता है, जो उन विधियों की अपेक्षा कम से कम 1000 गुना ज्यादा होती है ।

माइक्रोबायोलॉजी में PCR डायग्नोस्टिक उपयोग के लिये आधार संक्रमित एजेंटों एवं विशिष्ट जीन्सों की श्रेष्ठता द्वारा पैथोजेनिक मांशपेशियों से गैर पैथोजेनिक विभिन्नता की पहचान होता है ।

PCR द्वारा वायरल DNA की उसी प्रकार पहचान की जा सकती है । उपयोग की गई प्रवेशिका को किसी वायरस के DNA के निश्चित अनुक्रम द्वारा विशिष्ट होना आवश्यक होता है एवं PCR का उपयोग निद्रानिक, विश्लेषण या वायरल जिनोम के DNA अनुक्रम के लिये किया जा सकता है ।

पॉलिमरेज चेन श्रृंखला के रूपान्तरण [Transformation of Polymerase Chain Reaction (PCR)]:

अलग-अलग उद्देश्य की प्राप्ति के लिए PCR के कई रूपान्तरण किये गये हैं, जिनमें से कुछ निम्नानुसार हैं:

(i) इनवर्स PCR (Inverse PCR):

किसी ज्ञात DNA खण्ड (Segment) के दोनों ओर बाहर की ओर स्थित bp (Base Pair) का ऐम्प्लिफिकेशन करने की क्रिया को इनवर्स PCR (Inverse PCR) कहते हैं । इसके लिए ऐसे प्राइमरों का प्रयोग किया जाता है, जो DNA खण्ड (Segment) 51_छोरों के पूरक होते हैं ।

इससे प्राइमरों का 3’-OH समूह ज्ञात खण्ड से बाहर की और प्रेरित हो जाता है और इसके दोनों छोरों से बाहर की और स्थित क्रमों का ऐम्प्लिफिकेशन (Amplification) होता है ।

(ii) एंकोर्ड PCR (Anchored PCR):

जब किसी DNA खण्ड (Segment) या जीन के केवल एक छोर का bp (Base Pair) क्रम ज्ञात करना हो तो छोर के 3’- स्ट्रैण्ड के पूरक क्रम को प्राइमर के रूप में उपयोग करके इस स्ट्रैण्ड की कई प्रतियाँ (Copies) प्राप्त करते हैं ।

इन प्रतियों के 3’- छोर पर पॉलि G (Poly-G) पॉली A, पॉली C या पॉली T में से किसी एक की पूंछ (Tail) जोड़ते हैं, और इस पूंछ के कॉम्पलीमेन्टरी (Complimentary) पॉलि-C प्राइमर का उपयोग करके इस स्ट्रैण्ड के कॉम्पलीमेन्टरी स्ट्रैण्ड का संश्लेषण करते हैं । इस प्रकार प्राप्त दोहरे स्ट्रैण्ड (Strand) का सामान्य PCR प्रक्रिया से ऐम्प्लिफिकेशन (Amplification) करते हैं ।

पॉलिमरेज चेन श्रृंखला के आवश्यकताओं [Requirements for Polymerase Chain Reaction (PCR)]:

PCR में निम्न की आवश्यकता होती है:

(i) DNA साँचा- वह स्त्रोत (Source) जिसमें आवर्द्धित करने के लिए एक या अधिक लक्ष्य अशुद्ध हों, उसे साँचे के रूप में लिया जा सकता है ।

(ii) प्राइमर्स (Primer)- समान G + G अंशों वाले 180-30 न्यूक्लियोटाइड्स के ऑलिगोन्यूक्लियोटाइड के जोड़े “प्राइमर्स (Primer)” की भांति कार्य करते हैं । ये एक से अन्य की ओर DNA संश्लेषण को निर्दिष्ट करते हैं ।

प्राइमर्स की डिजाइनिंग लक्ष्य सिक्वेन्स के विपरीत स्ट्रैण्ड्स पर एनुअल करने के लिए की जाती है, ताकि उनके 31 छोरों से न्यूक्लिओटाइड के योजन द्वारा यह एक दूसरे की ओर बढ़ सकें ।

(iii) एन्जाइम (Enzyme)- PCR में सर्वाधिक उपयुक्त एंजाइम Tag पॉलीमरेज नामक थर्मोस्टेबल एंजाइम है । इसे थर्मस एक्वेटिकस नामक एक थर्मोस्टेबल जीवाणु से अलग किया जाता है ।

पॉलिमरेज चेन श्रृंखला की कार्य-प्रणाली [Function of Polymerase Chain Reaction (PCR)]:

PCR के कार्य (Function) में अनेक चक्र होते हैं ।

वैसे एक आवर्द्धन चक्र में तीन चरण होते हैं:

(a) विकृतिकरण (गलन),

(b) तापानुशीलतन (एनीलिंग) एवं

(c) बहुलीकरण (विस्तारण) ।

(a) विकृतिकरण (लक्ष्य DNA का गलन):

आवर्द्धित किये जाने वाले सिक्वेन्स (100 से 5,000 क्षारों के मध्य) वाले लक्ष्य DNA को उष्मा से डिनेचर (Denature) (95°C पर 15 सेकेण्ड्स के लिए) करते है । ताकि उसके सम्पूरक स्ट्रैण्ड्स पृथक हो जाये (चरण 1) । इस प्रक्रिया को लक्ष्य DNA का गलन कहा जाता है । अलग हो जाने के बाद हर स्ट्रैण्ड DNA संश्लेषण (Synthesis) हेतु साँचे का कार्य करने लग जाता है ।

(b) प्राइमर एनीलिंग (Primer Annealing):

द्वितीय चरण में डिनेचर्ड DNA स्ट्रैण्ड्स में से ऑलिगोन्यूक्लियोटाइड प्राइमर्स की एनीलिंग होती है । चूंकि प्रत्येक ऑलिगोन्यूक्लियोटाइड प्राइमर (Primer) का न्यूक्लियोटाइड सिक्वेन्स सिंगल स्ट्रैण्डेड साँचे के 3′ छोर के सम्पूरक होता है, प्राइमर्स (Primer) प्रत्येक साँचे से एनील (हायब्रिडाइज) उकरते है ।

प्राइमर्स को अत्यधिक मात्रा में मिलाया जाता है एवं 60 सेकण्ड्स के लिए तापक्रम को 68°C तक घटाया जाता है । परिणामतः प्राइमर्स द्वारा हाइड्रोजन बंध बना लिये जाते है । अर्थात् DNA सिक्वेन्स के दोनों ओरों पर DNA से एनील (Anneal) हो जाते हैं, (चरण 2) । तापानुशीलन तापक्रम भिन्नतापूर्ण रहता है । किंतु अत्यल्प तापक्रम से मिस्पेयरिंग (Repairing) हो जाया करती है ।

तापानुशीलन तापक्रम (C में) की गणना इस सूत्र का प्रयोग करते हुए की जा सकती है:

T = 2 (AT) + 4 (G + C).

(c) प्राइमर विस्तारण (बहुलीकरण):

अतंत: अभिक्रिया मिश्रण में न्यूक्लियोसाइट ट्राइफॉस्फेट (dATP, dGTP, dCTP) एवं थर्मोस्टेब्ल DNA पॉलीमरेज को मिलाया जाता है । DNA पॉलीमरेज (Polymerase) प्राइमर्स की बहुलीकरण प्रक्रिया को त्वरित कर (बढ़ा) देता है । तथा इसीलिए प्राइमर्स का विस्तारण (6°C) होता हैं । परिणामस्वरूप, लक्ष्य DNA सिक्वेन्स की कॉपियों (Copies) का संश्लेषण होता हैं (चरण 3) ।

PCR युक्ति में वह ही DNA पॉलीमरेज प्रयोग किये जाते हैं, जो थर्मोस्टेबल हो अर्थात् जो उच्च तापक्रम पर कार्य कर सकें । इस प्रयोजन हेतु PCR टेक्नॉलाजी में दो प्रचलित एन्जाइम्स (Enzyme) Taq पॉलीमरेज (थर्मस एक्वेटिकस लिटोलेरिस से) का प्रयोग किया जाता है ।

संश्लेषण के प्रत्येक चक्र के पश्चात DNA गलत परिपूर्ति पर ये एन्जाइम्स आपेक्षिक स्थिरता को प्रदर्शित करते है । इससे PCR की लागत भी घटती है एवं स्वचालित उष्मीय चक्रण होता है ।

सैद्धांतिक रूप से लक्ष्य अणुओं की संख्या (Number) प्रत्येक चक्र के उपरान्त दोगुनी हो जायेगी एवं इसके फलस्वरूप आवर्द्धन में हुई क्रमिक सब-ऑप्टिमल DNA पॉलीमरेज सक्रियता खराब प्राइमर एनीलिंग एवं साँचे के अपूर्ण विकृतिकरण के कारण 100 प्रतिशत से कम रहती है ।

PCR दक्षता को निम्न सूत्र (Formula) से दर्शाया जाता है:

PCR उत्पाद प्राप्ति = नंबर टार्गेट अमाउंट × (1+% क्षमता), जहाँ n चक्रों की संख्या है ।

पॉलिमरेज चेन श्रृंखला टेक्नोलॉजी के अनुप्रयोग [Applications of Polymerase Chain Reaction (PCR) Technology]:

आण्विक जैविकी, चिकित्सा तथा जैवप्रोद्योगिकी के क्षेत्रों में PCR टेक्नोलॉजी अत्यधिक प्रयोग की जाती है:

(i) किसी एक की तुलना में रिस्ट्रिक्शन फ्रेग्मेटस के अभिविन्यास एवं स्थान का निर्धारण ।

(ii) सिकल सेल एनीमिया, फिनाइलकीटोन्यूरिया एवं पेशीय क्षीणता जैसे- आनुवंशिक रोगों का पता लगाने में PCR महत्वपूर्ण है ।

(iii) DNA तथा RNA का एम्पलीफिकेशन ।

(iv) रोगों एवं कारक सूक्ष्मजीवों का निदान (Treatment) । उदाहरण हेतु AIDS क्लेमाइडिया, राजयक्ष्मा (टीबी), यकृतशोध (हिपैटाइटिस), ह्यूमन पैपिलोमा वायरस एवं अन्य संक्रामक कर्मकों व रोगों (Diseases) के लिए PCR आधारित निदात्मक जाँचें विकसित की जा चुकी है । ये जाँचें, दूत संवेदनशील एवं विशिष्ट होती है ।

(v) यह अपराध विज्ञान में सर्वाधिक प्रयोग में लायी जाती है, जहाँ DNA फिगरप्रिंटिंग टेस्कोलॉजी द्वारा अपराधियों की खोज करनी होती है ।

(vi) यह पादप-रोगों (Plant Diseases) के निदान में भी प्रयुक्त है । विभिन्न पोषियों या पर्यावरणीय सैम्पल्स में बहुत से पादप-रोगजनकों को PCR के प्रयोग से मालूम किया जाता है, उदाहरण के लिए विरियोंड्‌स (Hops, सेब, नाशपाती, अंगूर, सिट्रस इत्यादि से संबंधित) एवं विषाणु (जैसे- TMV, कॉलिफ्लॉवर मोजौक, वायरस या CaMV, बीन यल्लों मोजैक, वायरस (Virus), पल्म पॉक्स, विषाणु, पॉटीवायरेससे) इत्यादि ।

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