Read this article in Hindi to learn about DNA fingerprinting and polymerase chain reaction.

किसी जीन की बहुत सारी प्रतियों (Copies) को बनाना जीन ऐम्प्लिफिकेशन कहलाता है । इसके लिए जीन को किसी वेक्टर की मदद से क्लोन (Clone) किया जाता है । इस विधि (Method) से जीन एम्प्लिफाई करने में काफी समय तथा कई तकनीकों का सहारा लेना पड़ता है ।

इस समस्या से निजात पाने के लिए सन 1985 में कैरीमुलिस ने पॉलिमरेज अभिक्रिया श्रृंखला (Polymerase Chain Reaction PCR) का विकास किया । यह अत्यन्त दक्ष पूर्णत: स्वचालित तथा अत्यन्त शक्तिशाली विधि (Method) है । इससे कुछ ही घण्टों में अरबों प्रतियाँ उत्पादित की जा सकती हैं ।

PCR के लिए निम्नलिखित की आवश्यकता होती है:

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(i) एक उच्च ताप स्थिर (Heat Stable) DNA पॉलिमरेज जैसे Toq पॉलिमरेज । यह एन्जाइम थर्मस ऐक्वेटि-कस (Thermus Aquaticus) नामक बैक्टीरिया से प्राप्त होती है ।

(ii) दोनों 31, सिरों के लिए प्राइमर (Primer) ।

(iii) वांछित DNA का मिश्रण ।

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(iv) चारों डी-ऑक्सी न्यूक्लियो-साइडों (Deoxynucleo-Sides) के ट्राइफॉस्फेट अर्थात् d ATP, d CTP, d GTP एवं TTP.

PCR के प्रारम्भ में उपर्युक्त चारों चीजों को अभिक्रिया मिश्रण (Reaction Mixture) में मिलाते हैं और DNA अणुओं की डीनेचर करने के लिए इसे 90-98°C तक गर्म करते हैं । इसके बाद मिश्रण को 40-60°C तक ठण्डा करते हैं, जिससे दोनों प्राइमर (Primer) अपने-अपने DNA के स्ट्रैण्ड के छोरों पर ऐनील (Anneal) हो जाते है ।

तापमान (Temperature) को उपर्युक्त स्तर पर रखते हुए रासायनिक क्रिया कराते हैं, जिससे DNA का पूरक स्ट्रैण्ड का संश्लेषण होता है । चूंकि प्राइमरों (Primer) से संश्लेषण एक-दूसरे की दिशा में बढ़ता है, अत: इन दोनों प्राइमरों (Primer) के बीच स्थित DNA खण्ड का रेप्लिकेशन होता है ।

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Taq पॉलिमरेज 70-75°C तापमान (Temperature) से सर्वाधिक क्षमता से कार्य करता है । यहाँ पर PCR का प्रथम चक्र पूरा हो जाता है और इस तरह के प्रत्येक चक्र में 1-3 मिनट लगते हैं ।

इसके पश्चात् द्वितीय चक्र (Cycle) का ऐम्प्लिफिकेशन (Amplification) प्रारम्भ करते हैं । यह चक्र भी प्रथम चक्र (Cycle) की भांति होता है, परन्तु अन्तर यह है कि यहाँ पर DNA स्ट्रैण्डों की संख्या दुगुनी होती है । द्वितीय चक्र को प्रथम चक्र (Cycle) की ही भाँति पूर्ण करने के पश्चात् हमें DNA खण्डों की संख्या चार गुनी प्राप्त हो जाती है ।

इस तरह से PCR 60 चक्रों तक किया जा सकता है । परन्तु सामान्यतः 20-30 चक्र (Cycle) ही किये जाते हैं । PCR के अन्तिम चरण में DNA खण्ड को जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस द्वारा शुद्धिकरण करते हैं और शुद्धिकरण (Purification) के पश्चात् इसका उपयोग किया जा सकता है ।