भारत में गरीबी पर निबंध | Essay on Poverty in India in Hindi.

भारत एक ऐसा देश जो विश्व में एक अपनी पहचान बना चुका है । इस देश में विभिन्न जाति, समुदाय के लोग निवास करते हैं, जिनकी संस्कृति भी भिन्न-भिन्न है । आज हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्ति के 66 वर्ष हो चुके हैं ।

आज भी कई ऐसी समस्याएँ हैं जो कि विकराल रूप में उभर कर देशवासियों के लिए चुनौती है, जिसमें सबसे बड़ी समस्या है, गरीबी । गरीबी किसी एक कारण से नहीं, बल्कि इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं । इसको रोकने के कई उपाय समय-समय पर किये जाते रहे है । फिर भी यह एक विकराल समस्या बनी हुयी है ।

भारत जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा बड़ा देश है । यहीं लगभग 5 लाख गाँव हैं, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्‌डी है । पूर्व के समय में भारत को सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था । योजना आयोग द्वारा जारी ताजे आकड़ों के आधार पर वर्ष 2011-12 में गरीबी का प्रतिशत 21.9 फीसदी रह गया है ।

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इसके अंतर्गत ग्रामीण इलाकों में गरीबी रेखा के नीचे के लोगों की संख्या 25.7 फीसदी और शहरों में 13.7 फीसदी है । सितम्बर, 2011 में सरकार के द्वारा गाँव व शहर के लिए क्रमशः 27.20 रूपये और 33.30 रूपये निर्धारित किया गया है । विकास, गरीबी और रोजगार ये तीनों ऐसे हैं, जिसके कारण कोई भी देश आगे बढ़ता है ।

आज हमारे देश में विकास की गति अवरूद्ध, गरीबी की स्थिति में तथा रोजगार की स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहे है । विश्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि दुनियाँ के एक-तिहाई गरीब भारत में निवास करते हैं । गरीबी देश के लिये एक बड़ी चुनौती है । यह आज से नहीं बल्कि कई समय से हमारे देश में व्याप्त है ।

हम देखें तो हमारे देश में गरीबी, बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या, रोजगार की मारकाट, भुखमरी, बदहाली, पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण आदि जैसी समस्यायें आज भी बनी हुई हैं लोकन इन सब में सबसे बड़ी चुनौती है गरीबी । इसके एक नहीं बल्कि कई कारण व्याप्त है ।

यह आर्थिक परिस्थितियों का परिणाम है । भारत में गरीबी मापने का कार्य परम्परागत ढंग से कई बार किया जा चुका है व इससे निपटने के लिये शासन स्तर से कई प्रकार की योजानायें एवं कार्यक्रम तैयार किये गये हैं फिर भी गरीबी हमारे देश में उपस्थित है ।

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वर्ष 2000 से ही नहीं बल्कि इसके पूर्व के शासन स्तर से कई योजनायें एवं कार्यक्रम देशवासियों के हित एवं विकास के लिए संचालित किए गए हैं मगर फिर आज भी हम विकासशील देश से विकसित देश नहीं बन पाये । इसके लिए जरूरी है, कि देशवासियों का विकास हो क्योंकि इससे ही देश का विकास होगा ।

भारत बहुत से विकासशील देशों में से एक है, जो कि गरीबी की समस्या दूर नहीं कर पाया है । हैरानी की बात यह है कि इन योजनाओं से देश का विकास क्यों नहीं हुआ । ”गरीबी हटाओ” का नारा सन् 1969 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिया था । इस नारे से उन्होंने 1969 में जबरदस्त सफलता हासिल की थी तभी से देश में गरीबी को समाप्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं फिर भी वह आज विद्यमान है ।

कहावत है कि ”मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की कुछ यही हाल गरीबी हटाओ कार्यक्रमों का रहा है” । नारे बदलते गये गरीबी बढ़ती गई, आज हम गरीबी से भुखमरी की ओर बढ़ रहे हैं तभी तो भारत सरकार का खाद्य सुरक्षा कानून को देश के गरीबों के हित के लिए लाना पड़ा ।

गरीबी किसी एक कारण से नहीं हे, इसके लिए अनेक कारण एवं परिस्थितियाँ जिम्मेदार हैं । जनसंख्या की वृद्धि हो या बेरोजगारी क्योंकि जितनी संख्या में रोजगार के अवसर खुलते है उससे कहीं अधिक रोजगार पाने के लिए लोग खड़े नजर आते हैं ।

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आज भी छोटे किसानों की जमीनों पर बड़े भूस्वामियों के कब्जे हैं जिसके कारण वह अपना घर-द्वार छोड़कर पलायन के लिये मजबूर हैं । देश का पैसा बाहर जाकर जमा हो रहा है । उस पर हमारे देशवासियों का हक है । वह विदेशों में जाकर विदेशों की शान बना रहा है जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर स्वाभाविक रूप से बुरा प्रभाव पड़ रहा है ।

आज के समय में खाने से पीने तक की सभी वस्तुएँ इतनी महँगी हो चुकी हैं कि एक गरीब व्यक्ति के उपभोग से परे हैं । इन सबके साथ भ्रष्टाचार, घोटाले, प्राकृतिक आपदायें एक आम आदमी को जीने नहीं देती ।

आज भी हम देखते हैं कि कई लोग फुटपाथ पर सोने के लिए, भुखमरी के कारण भीख व कुपोषण, बेरोजगारी के लिए मजदूरी एवं अन्य कार्यों के कारण गरीबी से जीने के लिये मजबूर हैं । सोचने की बात है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद आज हमारे देश को 67 वर्ष गुजर चुके हैं फिर भी हम इन सब समस्याओं से आज भी झूझ रहे हैं ।

इन सबके बावजूद आज हमारे देश की ये स्थिति बनी हुई । गरीबी की समस्या को हल करने के लिए स्वयं को गरीबी की संकल्पना से परे जाना होगा । यह जानना काफी नहीं है कि कितने लोग गरीब हैं, बल्कि यह जानना जरूरी है कि गरीब लोग आखिर गरीब क्यों हैं ।

शासन द्वारा कई योजनायें गरीबों के लिए चलाई जा रही है । लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं है बल्कि यह जानना जरूरी भी है कि क्या ये सुविधायें गरीबों तक पहुँच भी रही हैं या नहीं, क्या उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है या नहीं गरीबी जैसे मुददे से निपटने के लिए क्रियान्वित करने की आवश्यकता है ।

गरीबी को कम करने के लिए किए जाने वाले प्रयास:

(i) आधारभूत संरचना के निर्माण में निवेश,

(ii) निर्यात को बढ़ावा,

(iii) आयात में कमी,

(iv) भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास हेतु पशुपालन,

(v) वानिकी, सहायक उद्योगों को बढ़ावा,

(vi) रोजगार के अवसरों में वृद्धि,

(vii) जनसंख्या में कमी,

(viii) शहरीकरण पर रोक,

(ix) सस्ती परिवहन प्रणाली का विकास,

(x) अन्य उपाय भी करना है ।

कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे हम इस समस्या से निजात पा सकते हैं इसके लिए जरूरी है कि हमें भी गरीब व गरीबों को ध्यान में रखकर सोचने की आवश्यकता है. और उसी के आधार पर कदमों को आगे बढ़ाने की जरूरत है । इस बात में कोई सदेह नहीं कि हमारे देश ने विश्व स्तर पर अपना नाम नहीं कमाया ।

मगर ये भी सच है कि आज भी हम गरीबी की समस्या से जूझ रहे हैं । आज भी लोग पलायन, बेरोजगारी, कुपोषण, भुखमरी, महँगाई जेल । अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं लेकिन ऐसा कब तक चलेगा । जब तक देश के सभी क्षेत्रों का विकास नहीं होगा तब तक गरीबी को समाप्त नहीं किया जा सकता है ।

इसलिये जरूरी है कि हम आकड़ों के आधार पर नहीं, बल्कि प्रत्येक क्षेत्र की वास्तविक सच्चाई को जानकर ही उचित कदम उठायें एवं उनसे संबंधित योजनाएँ तैयार करें ।  यह किसी एक व्यक्ति की बात नहीं बल्कि हम सभी को एक-साथ मिलकर कार्य करने की जरूरत है तथा साथ ही इसको दूर करने के लिये हमें भी एक गरीब की स्थिति के बारे में सोचना पड़ेगा तभी हम गरीबी जैसी समस्या को दूर कर सकते हैं ।

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