म्यांमार पर निबंध | Essay on Myanmar in Hindi.

इसे ‘स्वर्ण पैगोडों का देश’ कहा जाता है । मांडले व यांगून (रंगून) इसकी पुरानी राजधानियाँ हैं । प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से राजधानी को यांगून से देश के मध्य भाग में मांडले डिवीजन में स्थित ‘नायपिडाव’ में स्थानांतरित कर दिया गया है । म्यांमार भारत के पूर्व में स्थित है तथा इसकी सीमाएँ बांग्लादेश, भारत, चीन, लाओस और थाइलैंड से मिलती हैं ।

पश्चिम में इसकी सीमा बंगाल की खाड़ी से घिरी हुई है । ‘अराकानयोमा’ यहाँ की प्रमुख पर्वत श्रेणी है । यह हिमालय का पूर्वी मोड़ है । ‘हकाकाबोराजी’ म्यांमार की सर्वोच्च चोटी है । दक्षिण से उत्तर की ओर पर्वत श्रेणियों के क्रम इस प्रकार हैं- अराकानयोमा, चिन, नागा व पटकोई । यहाँ के शान पठार और कायिन्नी पठार खनिजों से भरपूर हैं । यहाँ टिन का अच्छा भंडार है ।

यहाँ के पर्वतीय क्षेत्रों में मानसूनी वन मिलते हैं । यहाँ के ‘सागवान’ (Teak) वन संसार में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं, जिसका निर्यात कर म्यांमार पर्याप्त विदेशी मुद्रा अर्जित करता है । समुद्र तट के समीप वाले दलदली भागों में मैंग्रोव वन पाए जाते हैं । म्यांमार के अधिकतर उद्योग वन और कृषि पर आधारित हैं ।

ADVERTISEMENTS:

मध्यवर्ती भाग की नदी-घाटियों का निर्माण इरावदी, सितांग और सालवीन नदियों (दक्षिणवाहिनी) से हुआ है । इरावदी नदी को ‘म्यांमार की जीवनधारा’ भी कहा जाता है । यातायात का मुख्य साधन नदियों द्वारा प्रदत्त जलमार्ग ही है । म्यांमार के चिदविन नदी घाटी में भारत के NHPC की मदद से ‘थामंति’ बाँध बनाया जा रहा है ।

‘मांडले’ इरावती नदी के तट पर बसा नगर है, जबकि ‘यांगून’ एक प्रमुख पत्तन है । म्यांमार के ‘प्यू शहर’ को विश्व विरासत की सूची में रखा गया है । इसे सुदूर पूर्व का ‘चावल का कटोरा’ कहा जाता है ।

म्यांमार विश्व के उन तीन देशों में शामिल है, जो अंतर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली का उपयोग नहीं करते हैं । हाल ही में म्यांमार ने अपने पहले जैवमंडल अभ्यारण्य इनले झील (Inle Lake) की शुरूआत की है ।

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