ईबैंकिंग पर निबंध | Essay on E-Banking in Hindi.

ईबैंकिंग पर निबंध | Essay on E-Banking


Essay # 1. ई-बैंकिंग का परिचय (Introduction to E-Banking):

इलेक्ट्रौनिक बैंकिंग, जिसे इण्टरनेट बैंकिंग भी कहा जाता है, ने बैंकिंग उद्योग में एक वृहद् परिवर्तन ला दिया है और ‘बैंकिंग-सम्बन्धों’ पर इसका विस्तृत प्रभाव पड़ा है । इण्टरनेट बैंकिंग में, बैंक सम्बन्धी उत्पादों और सेवाओं की सुपुर्दगी को सम्मिलित किया जाता है ।

इसे चार प्रमुख साइटों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे- स्तर एक की साइट, जिसमें कि केवल जमा खातों के समंकों का निर्धारण किया जाता है, से लेकर चतुर्थ स्तर की साइट्‌स, जिसमें उच्च स्तर के अतिरिक्त उत्पादों के एकीकृत विक्रय और अन्य प्रकार की विनियोग सेवाओं (Investment Services) तथा बीमा सम्बन्धी समंकों में सहजता से एकीकृत एवं विश्वस्तर पर विस्तृत किया जाता है ।

अन्य शब्दों में, एक सफल इण्टरनेट बैंकिंग निम्न समाधान प्रस्तुत करती है:

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(i) बचतों पर अपवादजनक दरों का निर्धारण,

(ii) बिना किसी मासिक शुल्क के जाँच करना,

(iii) मुफ्त में बिलों का भुगतान एवं ए.टी.एम. (ATM) मशीन पर सरचार्ज में छूट

(iv) सभी प्रकार के खातों व्यक्तिगत ऋणों एवं बन्धकों के बारे में सरलता से ऑनलाइन पता करना एवं खाता खोलना

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(v) चौबीसों घण्टे खातों की परख करना तथा

(vi) व्यक्तिगत सतर्कता के साथ ‘गुणवत्ता-ग्राहक सेवाएं’ (Quality Customer Service) प्रदान करना ।


Essay # 2. ई-बैंकिंग की परिभाषा (Definition of E-Banking):

”इण्टरनेट बैंकिंग या ई-बैंकिंग से तात्पर्य व्यक्तिगत कम्प्यूटर एवं ब्रोजर का प्रयोग करते हुए, किसी भी बैंकिंग कार्य को करने के लिए, उसके बैंक की वैबसाइट से जोड़ना समाधान निकालना है ।”

इण्टरनेट बैंकिंग प्रणाली में बैंक केन्द्रीयकृत समंकों को वैबसाइट पर उपलब्ध कराता है । बैंक, जिन सेवाओं की अनुमति देता है वे मीनू में इण्टरनेट पर प्रसारित की जाती है । कोई सी भी सेवा चुनी जा सकती है तथा पुन सेवा की प्रकृति के आधार पर उसे स्पष्ट किया जा सकता है ।

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बैंक के परम्परागत शाखा मॉडल की जगह अब ए.टी.एम. नेटवर्क के साथ वैकल्पिक प्रसारण (सुपुर्दगी) माध्यमों (Channels) ने ले ली है ।


Essay # 3. ई-बैंकिंग प्रक्रिया (Procedure of E-Banking):

बैंकिंग के क्षेत्र में ई-बैंकिंग (E-Banking) नया युग है । जब बैंक अपने ग्राहकों को सेवाएं Electronics Distribution Channel के द्वारा प्रदान करता है उसे ई-बैंकिंग (E-Banking) कहते हैं । ई-बैंकिंग (E-Banking) तकनीकी नव-प्रवर्तन (Innovation) तथा प्रतिस्पर्धा (Competition) का परिणाम है ।

बैंक अपनी मूल्य परक उत्पादों (Value Added Products) तथा सेवाओं को भेजने के लिए Electronic तथा Telecommunication Network का उपयोग करता है । इस हेतु उपकरणों में टेलीफोन, कम्प्यूटर, फैक्स A.T.M. इत्यादि शामिल हैं । अब बैंकों ने कुछ नई सेवाओं को शामिल किया है जैसे- Internet Banking तथा Mobile Banking ।

ATM द्वारा व्यक्ति कहीं भी तथा किसी भी समय बैंकिंग कर सकता है । ATM Card के उपयोग द्वारा कोई भी व्यक्ति अपने खाते से पैसे निकाल सकता है ।

पर्सनल कम्प्यूटर तथा वर्ल्ड वाइड वेब (w.w.w.) की सहायता से बैंकों ने इण्टरनेट का प्रयोग बढा दिया है । ग्राहक अपने निर्देश (Instruction) इण्टरनेट के माध्यम से बैंक को दे पाते हैं । इसको हम E-Banking या I-Banking या Net-Banking कहते हैं । वर्तमान में प्रसिद्धि प्राप्त कर रही बैंकिंग को Online Banking भी कहते हैं ।

सेवाओं का स्तर (Level of Services):

पहले E-Banking सेवा Tele-Banking का उपयोग करके सूचना दी जाती थी तथा इसमें पुरानी Transaction तथा चैक की Issue की सूचना दी जाती थी । इसी तरह शाखा से दूरी शाखा के बीच Electronics Clearance मशीन Remittance के लिए लगाई गई ।

फिर नई सेवा के लिए नया Software लगाया गया था तथा Internet के द्वारा दी जाने वाली सेवाओं को निम्न तीन भागों में बाटा गया:

भाग 1:

यह बैंक की मूल स्तर सेवा Website है जो कि बैंक के उत्पाद तथा सेवा की सूचना को ग्राहकों में विस्तार करती है । यह E-Mail के द्वारा किया जाता है ।

भाग 2:

इस स्तर में माध्यम Transactional Website का उपयोग किया जाता है इस प्रकार की E-Banking में ग्राहक Bank Balance के बारे में जानकारी ले सकता है परन्तु अपने लेखे की जानकारी नहीं प्राप्त कर सकता ।

भाग 3:

यह Internet Banking सेवा का सबसे उच्च स्तर है, इस स्थिति में बैंक Fully Transactional Web Site के द्वारा सेवाएं प्रदान करता है । इसमें ग्राहक अपने खाते को Internet द्वारा संचालित कर सकता है । ग्राहक अपने पैसे, बिल तथा प्रतिभूति का खरीदना तथा बेचना Internet के द्वारा कर सकते हैं ।

इस प्रकार की Internet Banking Services का उपयोग पारम्परिक बैंक द्वारा नई तकनीक के रूप में किया जाता है । संसार में लगभग सभी बैंक Internet द्वारा सेवाएं ग्राहकों को प्रदान करते हैं ।

इन्टरनैट बैंकिंग को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति मिली है । भारत में भी परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही है । वर्ष 2002 में, केवल एक दर्जन के लगभग बैंक विभिन्न स्तर पर ‘Net-Banking’ सेवाएँ उपलब्ध करवा रहे थे जबकि वर्तमान में लगभग सभी व्यापारिक बैंक यह सेवायें दे रहे हैं । ई-बैंकिंग द्वारा लेन-देन की लागत में महत्वपूर्ण कमी आई है ।

उपलब्ध सेवाएँ (Services Offered):

भारतीय बैंक Web-Enabled बैंकिंग व्यवसाय के भिन्न चरणों में हैं ।

यह चरण सामान्यतः इस प्रकार के हैं:

1. पहले चरण के बैंक वह है, जिनकी Web-Site नहीं है । लेकिन यह E-Mail द्वारा ग्राहकों से संचार करते हैं । यह सेवाएं सीमित शाखाओं व सीमित ग्राहकों के लिए हैं ।

2. दूसरे चरण के बैंक वह हैं जिनकी Web-Site हैं । यह उत्पादन व सेवाओं के बारे में सामान्य जानकारी देते हैं और E-Mail द्वारा संचार करते हैं ।

3. तीसरे चरण के बैंक वह हैं, जो अपने ग्राहकों से इलेक्ट्रॉनिक रूप से लेन-देन करते हैं । ग्राहक, इसके द्वारा खाते खोल सकते हैं, चैक-बुक ले सकते हैं, लेखों का मुद्रित विवरण (Print Out) साख पत्र खोलने का निवेदन कर सकते हैं, आदि तथा एक बैंक में एक खाते से दूसरे बैंक में कोषों का अंतरण भी कर सकते हैं ।

4. चौथे चरण में, बैंक एक खाता धारक के खाते से दूसरे खाता धारक के खाते में कोष अंतरित करने की अनुमति देते हैं ।

5. पाँचवे चरण में, बैंक बिलों की Online Real-Time Shopping की सुविधा देते है । जैसे HDFC E-Shopping Online की सुविधा देता है । इसके लिए उसने Payment Gate Way की व्यवस्था की है । HDFC बैंक ने दूसरी संस्थाओं के साथ व्यावसायिक समझौता (Tie-Up) किया है ताकि ग्राहकों को E-Commerce Transaction की सेवा मिल सके ।

HDFC बैंक, स्टेट बैंक तथा अन्य बैंकों ने Mobile Banking की सुविधा प्रदान करने के लिए Cell Phones Operators से समझौता किया है । इस सुविधा में व्यक्ति अपने खाते को Mobile Phone पर देख कर आपरेट सकता है ।


Essay # 4. भारत में इन्टनेट बैंकिंग का भविष्य (Future of Internet Banking in India):

भारतीय बैंक Online Banking उपलब्ध करवाने में अन्तर्राष्ट्रीय बैंकों से अभी काफी पीछे हैं । यह, पर्याप्त अधोसंरचना या पर्याप्त संख्या में Users के बिना संभव नहीं है । अनुभव यह बताता है कि Net पर किया जाने वाला लेन-देन सीमित है ।

कुछ कठिनाइयाँ इस प्रकार हैं:

1. E-Banking में सुरक्षा के कई मानदण्ड है, परन्तु उचित प्राधिकरण द्वारा प्रमाणित नहीं है ।

2. प्राप्त संचार बैंड विडथ, आवश्यकतानुसार है ।

3. अधिकतम बैंकों में बिजली पूर्ति में रुकावट आती है जबकि ऐसी सेवाओं के लिए निरन्तर बिजली पूर्ति की आवश्यकता होती है ।

4. ऐसी सेवाओं के लिए विवरण एक तरफा (One-Sided) होते है; अथवा बैंक Supremacy का लाभ उठाते हैं । इससे ग्राहकों में आत्म विश्वास नहीं आता ।

ATM व Telebanking को प्राथमिकता मिलती हैं ।

5. Internet में भौगोलिक सीमाएँ नहीं होती । कम्प्यूटर सम्बन्धित अपराध (Cyber Crimes) पर नियन्त्रण करना कठिन होता हैं । पर्याप्त Cyber Laws की बहुत आवश्यकता है ।

इन रुकावटों के बावजूद भी, यह लोकप्रिय हो रही है और I-Banking की संस्थापना के लिए कई उपाय जा रहे हैं ।

जैसे:

1. दूरसंचार विभाग अतिरिक्त Band Width उपलब्ध करवा रहा है ।

2. प्रमाणिकता प्राधिकरण की नियुक्ति के लिए कदम उठाए गए हैं ।

3. Chief Vigilance Commissioner अधिक कम्प्यूटीकरण पर बल दे रहे है अथवा साख सूचना ब्यूरो के प्रस्तावित गठन से, I-Banking को सहायता मिलेगी ।

4. रिजर्व बैंक ने Real Time Gross Settlements (RTGS) प्रणाली द्वारा Real Time Funds Transfer को लागू किया है ।

5. Access केवल एक विशिष्ट Gateway द्वारा होगा । इससे कठोर प्रवेश नियन्त्रण (Rigorous Access Control) सुनिश्चित होगा ।

6. RBI द्वारा सुरक्षा के विभिन्न स्तर सुनिश्चित किए जा रहे हैं ।

7. अंशों के अभौतिकीकरण में महत्वपूर्ण वृद्धि I-Banking को सहायता मिलेगी ।

8. विभिन्न बैंकों द्वारा बनाए भुगतान Gateway से I-Banking को प्रोत्साहन मिलेगा ।

9. RBI ने I-Banking और तकनीक सम्बन्धी विभिन्न मुद्दों के निरीक्षण के लिए एक दल गठित किया है । इससे उचित अधोसंरचना के निर्माण में सहायता मिलेगी ।

आन-लाइन बैंकिंग को सफल कैसे बनाया जाए? (How to Make Online Banking Successful):

आन-लाइन बैंकिंग में सफल बनाने के लिए बैंकों को लागत-प्रभावी लाभ ग्राहकों को देने चाहिए ।

बैंकों को अपने ग्राहकों को निम्न सुविधायें उपलब्ध करानी चाहिये:

(a) अधिकतम ब्याज

(b) 24 घण्टे बैंकिंग सेवा

(c) बिलों की निःशुल्क भुगतान सुविधा

(d) ATM सरचार्ज पर न्यूनतम प्रभार

(e) क्रेडिट कार्ड सुविधा हेतु न्यूनतम प्रभार

(f) अत्याधुनिक उत्पाद

(g) उच्च गुणवता सेवा

i- बैंकिंग को बढ़ावा देने वाले तत्व (Factors Promoting I-Banking):

निम्न तत्व I-Banking में सहायक होते हैं:

(a) न्यूनतम लागत की इलेक्ट्रौनिक सेवायें

(b) सुलभ

(c) जागरूकता

(d) विश्वस्तरीय बैंकिंग

(e) e-कॉमर्स का विकास

(f) सुविधाजनक

(g) Online शॉपिंग


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