ब्राजील पर निबंध | Essay on Brazil in Hindi!

Here is an essay on ‘Brazil’ especially written for school and college students in Hindi language.

दक्षिण अमेरिका के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित यह देश विश्व का पांचवाँ बड़ा देश है । चिली और इक्वाडोर को छोड़कर शेष सभी दक्षिणी अमेरिकी ब्राजील देशों की सीमा इससे मिलती है । देश का अधिकतर भाग विषुवत वृत्त के दक्षिण में आता है । यहाँ के ‘ब्रासिल’ (रेडवुड) वृक्ष के नाम पर इस देश का नाम ब्राजील रखा गया है ।

इसके उत्तर और पूरब में अटलांटिक महासागर है । ब्राजील का अधिकतर भाग उच्चभूमि या पठार है । पूर्वी भाग सबसे ऊँचा है तथा तट की ओर खड़ी ढाल बनाता है । यहाँ लावा के जमाव से उपजाऊ मिट्‌टी मिलती है, जिसमें कहवे की अच्छी खेती होती है ।

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देश का उत्तर-पश्चिम भाग समतल मैदान है, जिसका निर्माण अमेजन और उसकी सहायक नदियों के द्वारा हुआ है । इसमें जलोढ़ मिट्‌टी मिलती है । दलदल व वनाच्छादित होने के कारण यह कृषि के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है । ब्राजील की जलवायु मुख्यतः उष्णार्द्र है ।

केवल दक्षिणी भागों में गर्मी कुछ कम पड़ती है । वर्षा सिर्फ गर्मियों में होती है । कैम्पोस क्षेत्र में सवाना जलवायु मिलती है । ‘वाल्सा’ नामक संसार की सबसे हल्की लकड़ी विषुवतीय प्रदेशों में होती है, जिनसे जीवन रक्षक नौकाएँ एवं कॉर्क बनाई जाती है । सिनकोना वृक्ष की छाल से मलेरिया की दवा कुनैन तैयार की जाती है । ‘कार्नोबा वृक्ष’ से मोम निकाला जाता है ।

वृक्षों की सघनता, दलदल भूमि, अस्वास्थ्यकर जलवायु और परिवहन की कठिनाइयों के कारण ब्राजील अपने वनों का भरपूर उपयोग नहीं कर पा रहा है । ब्राजील, रबड़ के पेड़ का मूल स्थान है । परंतु उपरोक्त कारणों से आज यह रबड़ उत्पादन में काफी पीछे चला गया है । ‘विश्व का कहवा-पात्र’ कहा जाने वाला ब्राजील विश्व में सबसे अधिक कहवा उत्पन्न करने वाला देश है ।

इसका सबसे बड़ा निर्यातक भी यही है । ब्राजील में कहवे का सर्वाधिक उत्पादन साओपोलो व उसके पृष्ठ प्रदेशों में होता है । कहवा के पौधे को ब्राजील में पुर्तगालियों द्वारा 1200 ई. में अरब से लाया गया था । ब्राजील में कहवा के बड़े-बड़े बागान मिलते हैं, जिन्हें ‘फजेंडा’ कहा जाता है ।

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ब्राजील की दूसरी प्रमुख फसल कपास है । यह कपास के प्रमुख उत्पादक देशों में गिना जाता है । ब्राजील अब गन्ना उत्पादन में भी प्रमुख स्थान हासिल कर चुका है । कोको के उत्पादन और निर्यात में अफ्रीका के घाना और नाइजीरिया के बाद ब्राजील का ही स्थान है ।

ब्राजील के अधिकतर खनिजों के भंडार मिनास गिराइस राज्य में है । यहाँ उत्तम कोटि के लौह अयस्क और अभ्रक के विशाल भंडार हैं । ‘इटाबिरा’ ब्राजील का प्रमुख लौह-अयस्क खनन केन्द्र है । दक्षिण अमेरिका में ब्राजील सर्वाधिक मैंगनीज उत्पादन करता है । ब्राजील की ‘अमापा खान’ संसार में मैंगनीज की सबसे बड़ी खान है ।

ब्राजील में पठारी नदियों से जलविद्युत उत्पन्न करके कई उद्योगों का विकास किया जा रहा है । पराना नदी पर ‘इटेपु’ एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है, जिसमें संसार की सबसे अधिक जल-विद्युत उत्पादन की क्षमता है । बेलो मोंटे बाँध (Belo Monte Dam) जीगू नदी पर स्थित है । इस बाँध का पर्यावरणविद् विरोध कर रहे हैं ।

यहाँ के उद्योगों में वस्त्र उद्योग और चीनी उद्योग महत्वपूर्ण है । ‘वोल्टा-रिटोन्डा’ में ब्राजील का पहला इस्पात कारखाना लगाया गया था । यह रियो-डि-जेनेरियो व साओपोलो के मध्य ‘परेबा घाटी’ में स्थित है । साओपोलो, रियो-डि-जेनेरियो, बेलो-होरिजोंटो और ‘सैंटोस’ यहाँ के प्रमुख औद्योगिक नगर हैं ।

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विश्व का सबसे बड़ा कहवा निर्यातक बंदरगाह सैंटोस है । ब्राजीलिया, इस देश की राजधानी है । इसके मुख्य निर्यात कहवा, कपास, कोको, लौह अयस्क, लकड़ी एवं चीनी हैं । देश की तटरेखा बहुत लम्बी है, अतः यहाँ अनेक बंदरगाह हैं । अधिकतर नगर तटों पर ही स्थित हैं ।

अधिकांश जनसंख्या का संकेन्द्रण तटीय प्रदेशों में है । ‘साओपोलो’ ब्राजील का सबसे बड़ा नगर व दक्षिणी गोलार्द्ध का सबसे बड़ा नगरीय समूह है । विश्व में टोक्यो-याकोहामा, न्यूयार्क व मैक्सिको सिटी के बाद इसका चौथा स्थान आता है । ‘रियो-डि-जेनेरियो’ गुआनबारा की खाड़ी के तट पर अवस्थित सुंदर नगर है ।

इसे ‘मैग्नीफिकेंट नगर’ (भव्य नगर) के नाम से भी जाना जाता है । यह ब्राजील का दूसरा सबसे बड़ा नगर है । ‘कोपाक्बाना पुलिन’ (बीच) रियो-डि-जेनेरियो में अवस्थित सुंदर पर्यटक स्थल है । एक्रेआ जनजाति अमेजन के जंगलों में रहती थी तथा विश्व अर्थव्यवस्था से कटी हुई है ।

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