हिमस्खलन पर निबंध | Essay on Avalanches in Hindi!

Essay # 1. हिमस्खलन का अर्थ (Meaning of Avalanches):

हिम, मलवे तथा चट्टानों के अकस्मात नीचे की और खिसकने को हिमस्खलन कहते हैं । हिमस्खलन प्रायः हिमाछादित पर्वतों एवं ऊंची पर्वत शिखरों पर घटित होते हैं । किसी पर्वतीय ढलान पर यदि हिम का भार, चट्टान की क्षमता से बढ़ जाये तो हिमस्थलन हो जाता है । हिमस्खलन से घरों, सड़कों, पुलों को भारी नुकसान होता है बहुत-से लोगों की मृत्यु हो जाती है ।

हिमस्खलन के प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं:

(i) भारी हिमस्सलन का होना,

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(ii) भारी तथा निरंतर वर्षा का होना,

(iii) पहाड़ों के तीव्र ढलानों को काटकर सड़कें बनाना ।

(iv) ऊँचे अक्षांशों के डेल्टों में अधिक अवसादों का होना ।

Essay # 2. हिमस्थलन के प्रकार (Types of Avalanches):

(i) हिमस्खलन (Snow Avalanches):

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ऐसे हिमस्खलन ऊँचे पर्वतीय भागों में घटित होते हैं । शीत ऋतु में जब कभी ऊँचे पर्वतीय ढलानों पर हिम इकट्ठी हो जाती है तो हिमस्खलन हो जाता है ।

(ii) मलवा-हिमस्खलन (Debris Avalanches):

चट्टानों का अपक्षय के कारण जो मलवा ढलानों पर अथवा ढलानों के निचले भाग में इकट्ठा हो जाता है, यदि उस पर भारी हिमपात हो जाये तो हिम और मलवा नीचे की ओर अचानक खिसक जाता है, जिसको मलवा हिमस्खलन कहते हैं ।

(iii) शुष्क हिमस्खलन (Dry Avalanches):

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इस प्रकार का हिमस्खलन ऊँचे शुष्क पर्वतों में घटित होता है । जब कभी ऊँचे पहाड़ों के खडे ढलानों में अधिक बर्फ इकट्ठी हो जाती है तो शुष्क हिमस्खलन हो जाता है । ऐसे हिमस्खलन होने पर वायुमंडल में बर्फीला धुआँ-सा फैल जाता है ।

(iv) आर्द्र हिमस्खलन (Wet Avalanches):

शीत ऋतु में अत्यधिक हिमपात वर्षा के साथ होने, अथवा बर्फ के पिघलने से आर्द्र-हिमस्खलन हो जाता है । ऐसे हिमस्खलन प्रायः शीतोष्ण कटिबंध के पर्वतों में घटित होते हैं ।

(v) हिमनद हिमस्खलन (Glacial Avalanches):

हिमनद के अगले भाग में अकस्मात् हिम टूट कर गिरने से होने वाले हिमस्खलन को ग्लेशियर हिमस्खलन कहते है । ऐसे हिमस्खलन हिमनदीय प्रदेशों में घटित होते हैं । भारत में हिमस्खलन अधिकतर कराकोरम तथा दीर्घ हिमालय में घटित होते हैं ।

Essay # 3. हिमस्खलन रोकथाम करने के उपाय (Avalanches Control Strategy):

हिमस्खलनों की रोकथाम के लिये निम्न उपाय किये जा सकते हैं:

(i) लोहे के तारों का जाल बनाकर हिमस्खलनों को रोकना (Hardware Measures):

लोहे के तारों का जाल बनाकर हिमस्खलन रोकने के उपाय को जम्मू-कश्मीर राजमार्ग पर रामसू कस्बे के निकट किया गया । लोहे के जाल से टकराकर हिम नीचे एक सीमित क्षेत्र में गिर जाता है जिससे जान व माल का नुकसान नहीं होता ।

(ii) सॉफ्टवेयर उपाय (Software Measures):

सॉफ्टवेयर के द्वारा ऐसे भागों का पता लगाया जा सकता है जिनमें प्रायः हिमस्खलन होता । इस प्रकार हिमस्खलन के बारे में भविष्यवाणी करने से होने वाली हानि को कम किया जा सकता है ।

(iii) बचाव कार्य संरचना (Preventive Structure):

हिमस्खलन के क्षेत्रों में वृक्षारोपण करना, ढलानों को काटकर चबूतरे बनाना, मजबूत दीवार का निर्माण करना, लोहे के जाल बनाना इत्यादि सम्मिलित हैं । उपरोक्त उपायों के साथ-साथ हिमस्खलनों के बारे में ठीक समय पर भविष्यवाणी करने से भी आपदा के प्रतिकूल प्रभाव को बहुत हद तक कम किया जा सकता है ।

यूरोप के देशों में विशेषकर स्विट्‌जरलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, नार्वे, स्वीडन, फिनलैंड तथा रूस में हिमस्खलन रोकने के कारगर उपाय किये गये हैं । भारत के हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में अभी बहुत कुछ करना बाकी है । इस दिशा में जितना जल्दी कार्य किया जाये पारिस्थितिकी तंत्र एवं मानव समाज के लिये बेहतर है ।

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