विश्व जनसंख्या पर निबंध: शीर्ष चार निबंध | Essay on World Population: Top 4 Essays in Hindi language.


Essay # 1. पृथ्वी पर जनसंख्या का वितरण (Distribution of Population on Earth):

किसी विशिष्ट समय में किसी प्रदेश की जनसंख्या का वितरण व उनका घनत्व प्राकृतिक दशाओं के अतिरिक्त वहाँ के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक व जनांकिकी कारकों का परिणाम होता है । पृथ्वी पर जनसंख्या के वर्तमान वितरण को इसी परिप्रेक्ष्य में समझा जा सकता है ।

जहाँ मानव अधिवास की अनुकूल परिस्थितियाँ हैं, वहाँ विश्व के बसे हुए क्षेत्र मिलते हैं, जबकि जिन प्रदेशों में मानवीय बसाव की प्रतिकूल दशाएँ हैं, वहाँ जनसंख्या घनत्व अत्यधिक न्यून है । वैश्विक जनसंख्या के वितरण को इन्हीं दो वृहद् वर्गों में बाँटकर देखा जा सकता है ।

विश्व के बसे हुए क्षेत्र:

ADVERTISEMENTS:

पृथ्वी पर जनसंख्या के चार वृहद् समूह पाए जाते हैं:

1. पूर्वी एशिया

2. दक्षिणी एशिया

3. यूरोप

ADVERTISEMENTS:

4. पूर्वी एंग्लो अमेरिका

1. पूर्वी एशिया (East Asia):

यहाँ विश्व की कुल जनसंख्या का 25% भाग पाया जाता है । इस प्रदेश के प्रमुख देश चीन, जापान, उत्तरी व दक्षिणी कोरिया, ताइवान आदि हैं । जापान को छोड़कर इनमें से प्रायः सभी देश कृषि प्रधान हैं । जनसंख्या प्रमुख रूप से नदी घाटियों, तटीय मैदानों व डेल्टाई भागों में केन्द्रित है । चीन की अधिकांश जनसंख्या पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी भाग में पाई जाती है ।

यहाँ ह्वांगहो, यांग्त्सीक्यांग व सीक्यांग नदी घाटियों में जनसंख्या का संकेन्द्रण है । ह्वांगहो नदी की घाटी में चीन की लगभग 30% जनसंख्या पाई जाती है । ह्वांगहो एवं यांग्त्सीक्यांग की नदी घाटियों व डेल्टाई प्रदेशों के कई भागों में जनसंख्या घनत्व 1,000 प्रति व्यक्ति वर्ग किमी. से भी अधिक है । जापान एशिया का सबसे अधिक उद्योग प्रधान राष्ट्र है ।

ADVERTISEMENTS:

जापान की अधिकांश जनसंख्या 33 से 37 उत्तरी अक्षांशों के मध्य पाई जाती है । उत्तर में होकैडो द्वीप की जलवायु विषम होने के कारण वहाँ की जनसंख्या कम है । पूर्वी एशिया में जनसंख्या की वृद्धि दर 1.0% है, जो दक्षिण एशिया की आधी हैं तथा विश्व की औसत वृद्धि दर से कम है ।

2. दक्षिण एशिया (South Asia):

इस क्षेत्र में विश्व की कुल जनसंख्या का 35% भाग निवास करता है ।

इसे तीन भागों में बाँटकर देखा जा सकता है:

i. दक्षिण पूर्वी एशिया:

यहाँ विश्व की 8.5% जनसंख्या पाई जाती है । इस क्षेत्र में इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलीपींस, थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया व मलेशिया जैसे देश शामिल हैं । यहाँ की जनसंख्या कृषि प्रधान है तथा मुख्यतः नदी घाटियों के निचले मैदानों एवं डेल्टाई प्रेदशों में केन्द्रित है । म्यांमार में इरावती नदी की घाटी तथा डेल्टाई प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या बसाव का क्षेत्र है ।

साल्वीन नदी का डेल्टाई भाग भी एक बसा हुआ क्षेत्र है । थाईलैंड में मीनाम-मेकांग नदी की निचली घाटी सबसे सघन बसा हुआ क्षेत्र है । कंबोडिया (कम्पूचिया) एवं दक्षिण वियतनाम में मेकांग नदी का निचला मैदान जनसंख्या संकेन्द्रण का मुख्य क्षेत्र है । उत्तरी वियतनाम में टोकिंग का मैदान सबसे घना बसा हुआ क्षेत्र है ।

मलेशिया प्रायद्वीप की अधिकांश जनसंख्या पश्चिमी तटवर्ती भाग एवं सिंगापुर में संकेन्द्रित है । इंडोनेशिया में जावा और सुमात्रा के द्वीपों में जनसंख्या का सघन बसाव है । जावा द्वीप का क्षेत्रफल यद्यपि देश के क्षेत्रफल का मात्र 7% है, परंतु यहाँ पर इंडोनेशिया की लगभग 70%, जनसंख्या रहती है ।

इसका प्रमुख कारण उपजाऊ काली मिट्‌टी एवं धान, गन्ना, चाय, नारियल व रबड़ की सघन खेती के कारण यहाँ जनसंख्या का इतना सघन बसाव है । फिलीपींस के लूजोन द्वीप में भी जनसंख्या का अधिक संकेन्द्रण देखा जा सकता है ।

ii. मध्य दक्षिणी एशिया:

यहाँ विश्व की 24% जनसंख्या पाई जाती है । इसके अंतर्गत भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका आते हैं । इसी वृहद् प्रदेश के अंदर मध्य एशिया के कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान व उज्बेकिस्तान के नए राज्य भी सम्मिलित हैं, जो पूर्व सोवियत संघ के भाग हैं ।

ये कृषि प्रधान देश हैं तथा इनकी आबादी मुख्यतः नदी घाटियों, डेल्टाई भागों व तटीय मैदानों में संकेन्द्रित हैं । भारत की 40% से अधिक जनसंख्या सतलज और गंगा के मैदानी भागों में पाई जाती है । गंगा-ब्रह्मपुत्र के डेल्टा क्षेत्र में दक्षिण एशिया की सघनतम जनसंख्या पाई जाती है ।

भारत के पूर्वी तटवर्ती प्रदेश में महानदी, कृष्णा-गोदावरी व कावेरी के डेल्टाई भाग एवं पश्चिमी तटवर्ती प्रदेशों के मालाबार तट के उपजाऊ मैदानों में भी सघन जनसंख्या बसाव है । भारत में बढ़ते नगरीकरण व औद्योगीकरण से धीरे-धीरे जनसंख्या का पुनर्वितरण हो रहा है । बांग्लादेश की 90% जनसंख्या गंगा-ब्रह्मपुत्र के डेल्टाई भाग में संकेन्द्रित है ।

अनेक भागों में जनसंख्या घनत्व 1,000 प्रति व्यक्ति वर्ग किमी. से भी अधिक है । पाकिस्तान की अधिकांश जनसंख्या सिन्धु नदी के निचले मैदानों व डेल्टाई प्रदेश और सतलज-सिन्धु नदी के दोआब क्षेत्र में पाई जाती है । श्रीलंका के दक्षिण-पश्चिम में एवं नेपाल के तराई भाग में इन देशों की अधिकांश आबादी निवास करती है ।

iii. दक्षिणी-पश्चिम एशिया:

यह एक गर्म शुष्क मरूस्थली प्रदेश है । यहाँ की जनसंख्या का मुख्य बसाव नदियों के दोआब क्षेत्रों में, समुद्रतटीय भागों में, पहाड़ियों की तलहटियों में, नदी-घाटियों में तथा जलस्रोतों के पास है । इस प्रदेश की जनसंख्या मुख्यतः ईरान, इराक और तुर्की में निवास करती है । सीरिया, सऊदी अरब, इजरायल, जार्डन, लेबनान आदि इस क्षेत्र के अन्य महत्वपूर्ण देश हैं ।

कृषि, पशुपालन व पेट्रोलियम उद्योग इस प्रदेश की जनसंख्या का आर्थिक आधार है । ईरान की अधिकांश जनसंख्या पश्चिमी भाग में तथा दक्षिण-पूर्व के खुजिस्तान क्षेत्र में पाई जाती है । इराक में जनसंख्या का मुख्य बसाव दजला-फरात के दोआब क्षेत्र में है । टर्की, लेबनान व इजराइल में अधिकांश जनसंख्या भूमध्यसागरीय तटवर्ती भाग तथा नदी घाटियों में रहती है ।

3. यूरोप (Europe):

यह एशिया के बाद विश्व का सबसे अधिक घना बसा महाद्वीप है । पश्चिमी यूरोप सबसे घना बसाव प्रदेश है । इसके पश्चात् क्रमशः पूर्वी यूरोप, दक्षिणी यूरोप तथा उत्तरी यूरोप का स्थान आता है । यूरोप में उच्च औद्योगीकरण के साथ-साथ नगरीकरण भी चरम सीमा पर है । यहाँ जनसंख्या का केन्द्रीकरण, कोयला क्षेत्रों एवं राइन, डेन्यूब, एल्ब, नीपर आदि नदियों की घाटियों में हुआ है ।

यूरोपीय जनसमूह 40-60 उत्तरी अक्षांशों के बीच पाई जाती है । इसका सबसे अधिक सघन भाग 45-55 उत्तरी अक्षांशों के मध्य स्थित है । 50 उत्तरी अक्षांशों के सहारे सघन जनसंख्या की एक लगातार फैली पेटी ग्रेट ब्रिटेन से रूस के डोनेट्‌स बेसिन तक फैली हुई है ।

इसे ‘यूरोपीय जनसंख्या की धुरी’ (Axis of European Population) कहते हैं । वास्तव में, जनसंख्या की यह पेटी कोयला क्षेत्रों की लगातार फैली पेटी है, जो पश्चिम में अधिक चौड़ी व पूर्व में सँकरी होती जाती है ।

चूँकि यूरोपीय जनसमूह की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार निर्माण उद्योग, व्यापार एवं यातायात सेवाएँ हैं, इसलिए यूरोप की सभ्यता को औद्योगिक सभ्यता और संस्कृति को ‘वाणिज्यिक संस्कृति की सभ्यता’ (Mercantile Civilisation) भी कहते हैं । शीतप्रधान होने के कारण उत्तरी यूरोप की जनसंख्या कम है । यूरोप में जनसंख्या लगभग स्थिर है, क्योंकि यहाँ पर जनसंख्या वृद्धि अत्यन्त न्यून है ।

4. पूर्वी एंग्लो अमेरिकी समूह (East Anglo American Group):

इसके अंतर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा के पूर्वी भाग सम्मिलित है ।

इस प्रदेश में सघन जनसंख्या के चार महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं:

i. अटलांटिक तटवर्ती प्रदेश:

यहाँ बोस्टन व न्यूयार्क से फिलाडेल्फिया तक सघन जनसंख्या पाई जाती है ।

ii. ऊपरी ओहियो घाटी:

यहाँ पेन्सिलवेनिया और उत्तरी अप्लेशियन क्षेत्र के कोयला भंडारों पर आश्रित लोहा-इस्पात उद्योग हैं । यहाँ के प्रमुख नगर पिट्‌सबर्ग व यांग्स्टाउन है ।

iii. महान झील प्रदेश:

मिशीगन झील के दक्षिणी तटवर्ती भाग में शिकागो, इरी झील के पश्चिमी और दक्षिणी तटों में डेट्रॉयट, क्लीवलैंड, बफैलो आदि औद्योगिक केन्द्रों एवं ओंटारियो झील के दक्षिण तटवर्ती भाग आदि प्रमुख नगरीय क्षेत्र हैं ।

iv. सेंट लॉरेंस नदी घाटी:

इस क्षेत्र में कनाडा की दो-तिहाई जनसंख्या निवास करती है । कनाडा के ओटावा, मांट्रियल, टोरंटो, क्यूबेक आदि बड़े नगर इसी प्रदेश में हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा की 85% से अधिक जनसंख्या 100 पश्चिमी देशान्तर के पूर्वी भाग में पाई जाती है । संयुक्त राज्य अमेरिका एवं कनाडा के मध्य व पश्चिमी भाग विरल बसे क्षेत्र हैं । मध्य के विस्तृत प्रेयरी मैदानों में गेहूँ की व्यापारिक कृषि की जाती है तथा पश्चिम में रॉकी की ऊँची पर्वत श्रेणियों व पठारों के कारण विरल जनसंख्या मिलती है ।

पश्चिमी तट पर कैलिफोर्निया घाटी में लॉस एंजिल्स, सैन फ्रांसिस्को, सिएटल और वैंकूवर के नगरों में जनसंख्या का अच्छा संकेन्द्रण है । पूर्वी एंग्लो अमेरिका समूह आर्थिक विकास व गुणवत्ता की दृष्टि से श्रेष्ठतम है ।


Essay # 2. दक्षिण के तीन महाद्वीपों में जनसंख्या वितरण (Population Distribution in the Three Continent of the South):

दक्षिणी गोलार्द्ध के तीनों महाद्वीपों का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का लगभग 44% है, जबकि जनसंख्या का भाग मात्र 19% है । वस्तुतः प्रतिकूल जलवायु एवं विषम भू- आकृति के कारण इन महाद्वीपों के अधिकांश भाग मानव निवास के अनुकूल नहीं हो पाए हैं तथा विरल जनसंख्या के क्षेत्र हैं ।

1. दक्षिण अमेरिका:

यह विश्व के 15% भाग में विस्तृत है, परन्तु यहाँ विश्व की जनसंख्या का केवल 5.6% भाग निवास करता है । दक्षिण अमेरिका की लगभग दो तिहाई जनसंख्या मात्र पाँच देशों ब्राजील, अर्जेंटीना, कोलंबिया, पेरू और वेनेजुएला में रहती है । अमेजन बेसिन सघन उष्णार्द्र वनों से युक्त है । यहाँ की लैटेराइट मिट्‌टी कृषि के लिए अनुपयुक्त है ।

‘अटाकामा’ उष्ण शुष्क मरूस्थल तथा ‘पैटागोनिया’ शीतोष्ण शुष्क मरूस्थल है । ओरीनिको का पठार एवं माटोग्रासो सवाना घास के प्रदेश हैं, जहाँ वर्षा की अनिश्चितता व अधिक वाष्पीकरण के कारण कृषि कार्य कठिन है । प्रतिकूल जलवायु व विषम भू-रचना के कारण ये लगभग जनशून्य क्षेत्र हैं । यहाँ जनसंख्या 2 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी. से भी कम है ।

दक्षिण अमेरिका की अधिकांश जनसंख्या कुछ विशिष्ट तटीय भागों में ही पाई जाती है । लगभग 15% जनसंख्या एंडीज के पर्वतीय भागों में पाई जाती है । कोलंबिया की 98% जनसंख्या एवं बोलीविया की 75% जनसंख्या 3,000 मीटर से अधिक ऊँचे भागों में रहती है । बोलीविया के प्रमुख नगर लापाज की ऊँचाई 3,641 मी. है तथा खनिज केन्द्र पोटोसी नगर की ऊँचाई 4,100 मी. है ।

वस्तुतः एंडीज के पर्वतीय भागों में उपयुक्त जलवायु व उपजाऊ मिट्‌टी एवं खनिज की उपस्थिति के कारण यहाँ जनसंख्या का संकेन्द्रण अधिक है । दक्षिणी अमेरिका में उच्च नगरीकरण की प्रवृति है । अर्जेंटीना, ब्राजील, कोलंबिया, चिली, वेनेजुएला एवं पेरू की 60% से 80% जनसंख्या नगरों में निवास करती है ।

दक्षिण अमेरिकी प्रमुख नगरों में ‘हाइपर सेफालिज्म’ (Hyper Cephalism) अर्थात् अत्यधिक उच्च जन-जमाव की प्रवृति भी है, क्योंकि यहाँ की जनसंख्या का अधिकांश भाग राजधानी नगरों में रहती है । ब्यूनस आयर्स में अर्जेंटीना का 53%, मोंटेवीडियो में उरूग्वे की 50%, सेंटियागो में चिली की 53% एवं लीमा में पेरू की 47% जनसंख्या संकेन्द्रित हैं ।

2. अफ्रीका:

यह विश्व के 22.3% भाग में फैला हुआ है जबकि यहाँ विश्व की केवल 12.5% जनसंख्या रहती है । नील नदी की घाटी अफ्रीका का सबसे अधिक घना बसा क्षेत्र है । यहाँ अफ्रीका की लगभग 12% जनसंख्या निवास करती है ।

इथियोपियाई उच्च भूमि, उत्तरी अफ्रीका के भूमध्यसागरीय क्षेत्र, गिनी तटवर्ती भाग,उत्तरी नाइजीरिया आदि क्षेत्र जनसंख्या के सघन बसाव के क्षेत्र हैं । महान सहारा मरूस्थल कालाहारी मरूस्थल एवं कांगो घाटी के सघन विषुवतीय उष्णार्द्र वन जनशून्य क्षेत्र हैं ।

3. आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड:

आस्ट्रेलिया महाद्वीप विश्व के 6.25% भू-भाग में फैला हुआ है, परंतु यहाँ की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या के आधे प्रतिशत से भी कम (0.4%) है । यहाँ के नगरीकरण में भी हाइपर सेफालिज्म की प्रवृति देखने को मिलती है । अधिकांश नगरीय जनसंख्या यहाँ के छः राजधानी नगरों में ही केन्द्रित है ।

सिडनी, मेलबर्न, एडिलेड, कैनबरा, ब्रिसवेन एवं पर्थ नगरों में देश की लगभग 50.9% जनसंख्या पाई जाती है । केवल सिडनी और मेलबर्न नगरीय क्षेत्र में आस्ट्रेलिया की आधी नगरीय आबादी मिलती है ।

मर्रे-डार्लिंग नदी बेसिन में व्यापारिक कृषि व पशुपालन के कारण साधारण जनसंख्या बसाव है । पश्चिम आस्ट्रेलिया के मरूस्थलीय प्रदेश, ‘ग्रेट आर्टिजन बेसिन’ (Great Artisean Basin) के अर्द्धशुष्क क्षेत्र व उत्तरी आस्ट्रेलिया के मानसूनी जलवायु प्रदेश विरल जनसंख्या बसाव के क्षेत्र हैं ।


Essay # 3. पृथ्वी के अनिवासित क्षेत्र (Non Ecumenist Regions of the World):

1. अति ठंडे प्रदेश:

अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड में स्थायी रूप से हिमावरण होने के कारण ये जनशून्य क्षेत्र हैं । आर्कटिक प्रदेश के टुंड्रा व टैगा प्रदेश में जलवायु की कठोरता के कारण कृषि संभव नहीं है । वन आखेट व मत्स्यन पर ही यहाँ के मनुष्यों का जीवनयापन होता है । अतः यहाँ जनसंख्या अत्यंत विरल व अस्थायी है ।

2. शुष्क मरूस्थलीय प्रदेश:

i. सहारा, अरब, थार, पश्चिमी आस्ट्रेलिया, कालाहारी, अटाकामा तथा सिएर्रा नेवादा के उष्ण मरूस्थलों में जनसंख्या अत्यन्त विरल है, क्योंकि वर्षा की कमी व तीव्र वाष्पीकरण के कारण यहाँ कृषि कार्य संभव नहीं है ।

ii. शीतोष्ण मरूस्थल मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में स्थित है । मंगोलिया, गोबी, सीक्यांग, पैटागोनिया और नेवादा के मरूस्थल इसी श्रेणी में आते हैं ।

3. अति उष्ण आर्द्र प्रदेश:

विषुवत रेखीय आर्द्र वनों के प्रदेश इसके अंतर्गत आते हैं । इनमें अमेजन बेसिन, कांगो बेसिन तथा पूर्वी द्वीप समूह शामिल हैं । सतत् उच्च तापमान, भारी वर्षा व विषम जलवायु के कारण यहाँ की जनसंख्या विरल है ।

4. ऊँचे पर्वत:

हिमालय, काराकोरम, क्युनलुन, तिएनशान, काकेशस, आल्प्स, रॉकी, एंडीज आदि में ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में मानव निवास की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण जनसंख्या की अत्यल्पता है ।

जनसंख्या वितरण के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

i. 11 जुलाई, 1987 को विश्व की जनसंख्या 5 अरब तक पहुँच गई थी, इसी परिप्रेक्ष्य में प्रतिवर्ष 11 जुलाई को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाया जाता है । 12 अक्टूबर, 1999 को विश्व की जनसंख्या 6 अरब को पार कर गई । संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के अनुसार विश्व की कुल जनसंख्या 31 अक्टूबर, 2011 को सात अरब के आँकड़े को पार कर गई है ।

ii. विश्व की कुल जनसंख्या का 75.5%, भाग लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया, पोलिनेशिया, मेलानेशिया एवं माइक्रोनेशिया के अल्पविकसित क्षेत्रों में निवास करता है । सामान्यतः ये सभी क्षेत्र जनांकिकी संक्रमण की प्रथम या द्वितीय अवस्था से गुजर रहे हैं । जनसंख्या का शेष 24.5% यूरो, उत्तरी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान एवं न्यूजीलैंड जैसे विकसित क्षेत्रों में निवास करता है ।

 

iii. विश्व की कुल जनसंख्या का 58.2% भाग एशिया (पूर्व सोवियत संघ को छोड़कर) में, 11.5% यूरोप में, 8.4% लैटिन अमेरिका में, 5.8% पूर्व सोवियत संघ में, 5.4% उत्तरी अमेरिका में एवं 0.5% ओशीनिया में मौजूद है ।

iv. चीन में विश्व जनसंख्या का 20% एवं भारत में 17.5% भाग निवास करता है । इन दोनों देशों के बाद क्रमशः संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नाइजीरिया, रूस, मैक्सिको व जापान आदि देशों का स्थान आता है । ये 10 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश हैं ।

v. विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व एशिया में पाया जाता है । इसके पश्चात् यूरोप, उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका व दक्षिणी अमेरिका का स्थान आता

है । ओशीनिया में न्यूनतम जनसंख्या घनत्व है ।

vi. इसके अंतर्गत आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मेलानेशिया, माइक्रोनेशिया व पोलीनेशिया आते हैं । यूरोप में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व पश्चिमी यूरोप में पाया जाता है । उसके पश्चात् क्रमशः पूर्वी यूरोप, दक्षिणी यूरोप व उत्तरी यूरोप का स्थान आता है ।

vii. विश्व की कुल जनसंख्या का 90% से अधिक भाग उत्तरी गोलार्द्ध में निवास करता है जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में 10% से भी कम आबादी रहती है । उत्तरी गोलार्द्ध में भी जनसंख्या वितरण में अक्षांशीय असमानता है ।

viii. कुल जनसंख्या का 10% 0-20N, 50% 20-40N (मुख्यतः एशिया में), 30% 40-60N (मुख्यतः यूरोप में) एवं 1% 60N अक्षांशों के ऊपर निवास करती है । इस प्रकार, विश्व की 80% जनसंख्या 20-60N के मध्य अक्षांशों में पाई जाती है ।

ix. प्राचीन बसे विश्व में विश्व की कुल जनसंख्या का 86% भाग रहता है जबकि नवीन विश्व में कुल जनसंख्या का केवल 14% भाग रहता है । दक्षिण के तीन महाद्वीपों में कुल जनसंख्या का केवल 19% निवास करता है ।

x. विश्व की दो-तिहाई जनसंख्या समुद्र से 500 किमी. के भीतर तथा तीन-चौथाई जनसंख्या समुद्र से 1,000 किमी. के अन्दर पाई जाती है । महाद्वीपों के आंतरिक भागों में शुष्कता व दुर्गमता के कारण जनसंख्या कम है । इस प्रकार, तट से बढ़ती दूरी व जनसंख्या घनत्व के बीच ऋणात्मक सम्बंध मिलता है ।

xi. ऊँचाई में वृद्धि होने से जनसंख्या की मात्रा और घनत्व में कमी आती है । विश्व की 56% जनसंख्या 200 मीटर से कम ऊँचे धरातलीय भागों में निवास करता है ।

xii. जनसंख्या के क्षेत्रीय वितरण में भौतिक कारकों का प्रभाव सभ्यता के विकास तथा तकनीकी ज्ञान में वृद्धि के साथ कम होता चला जाता है ।


Essay # 4. विश्व जनसंख्या संभाव्यताएँ (World Population Problem):

संयुक्त राष्ट्र के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एंड सोशल अफेयर्स के ‘पॉपुलेशन डिवीजन’ द्वारा प्रत्येक दो वर्ष पर विश्व जनसंख्या की वर्तमान स्थिति के साथ-साथ पूर्व एवं भावी प्रवृत्तियों सम्बंधी पुनरीक्षित आँकड़े ‘विश्व जनसंख्या संभाव्यताएँ’ (World Population Prospects) के तहत जारी किए जाते हैं ।

29 जुलाई, 2015 को जारी विश्व जनसंख्या संभाव्यताएँ का नवीनतम 24वाँ संस्करण के अनुसार:

2015 के मध्य तक विश्व की जनसंख्या 7.3 बिलियन (730 करोड़) के स्तर पर पहुँच गई है तथा इसमें विगत 12 वर्षों में ही लगभग 1 बिलियन की वृद्धि हुई है ।

मध्यम प्रजननता के आधार (Medium Fertility Variant) पर विश्व जनसंख्या के 2030 में 8.5 बिलियन, 2050 में 9.7 बिलियन और वर्ष 2100 तक 11.2 बिलियन के स्तर पर पहुँचने का आकलन व्यक्त किया गया है ।

वैश्विक जनसंख्या वृद्धि की दर वर्तमान में 1.18 प्रतिशत वार्षिक है, जो एक दशक पूर्व 1.24 प्रतिशत वार्षिक के स्तर पर थी ।

वर्ष 2015 में विश्व जनसंख्या का 60 प्रतिशत एशिया में (4.4 बिलियन), 16 प्रतिशत अफ्रीका में (1.2 बिलियन), 10 प्रतिशत यूरोप में (738 मिलियन), 9 प्रतिशत लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में (634 मिलियन) एवं शेष 5 प्रतिशत उत्तरी अमेरिका (358 मिलियन) व ओशियाना (39 मिलियन) में निवासित है ।

वर्ष 2015 में जनसंख्या की दृष्टि से चीन (1.4 बिलियन) और भारत (1.3 बिलियन) विश्व के दो सबसे बड़े देश हैं, जहाँ कुल वैश्विक जनसंख्या के क्रमशः 19 एवं 18 प्रतिशत व्यक्ति निवास करते हैं । इनके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका (0.32 बिलियन) का स्थान है ।

विश्व जनसंख्या संभाव्यताएँ के नवीनतम पुनरीक्षण के अनुसार भारत वर्ष 2022 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा ।

साथ ही इसमें 2050 तक नाइजीरिया (वर्तमान में 7वां स्थान) की जनसंख्या की दृष्टि से तीसरे स्थान पर पहुँचने का आकलन व्यक्त किया गया है ।

वर्ष 2015 में विश्व की कुल जनसंख्या में 50.4 प्रतिशत पुरूष एवं 49.6 प्रतिशत महिलाएँ हैं । विश्व जनसंख्या की माध्यिका (Median) आयु 29.6 वर्ष है । विश्व जनसंख्या में 26 प्रतिशत व्यक्ति, 15 वर्ष से कम आयु के हैं जबकि 62 प्रतिशत 15-59 वर्ष आयु के और 12 प्रतिशत 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं ।

Home››Essay››Population››