भारत की सामरिक शक्ति पर निबंध! Here is an essay on ‘India’s Strategic Power’ in Hindi language.

किसी भी देश को बाह्य आक्रमणों सुरक्षा के लिए अपनी सामरिक शक्ति को सुदृढ़ करने की आवश्यकता होती है । यह बात हमारे देश भारत के साथ भी शत-प्रतिशत लागू होती है । भारत के पडोसी देश नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यामार, भूटान, चीन एवं पाकिस्तान है ।

पाकिस्तान एवं चीन को छोड़कर इसके सभी पडोसी देशों से अच्छे सम्बन्ध । एक ओर, पाकिस्तान का रवैया प्रारम्भ से ही भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रहा है, तो दूसरी ओर, चीन दक्षिण एशिया का एक ऐसा देश है, जो भारत के लिए कभी भी खतरा बन सकता है ।

पाकिस्तान से अब तक भारत को चार बार युद्ध लड़ना पडा है तथा हमें चीन से भी एक बार युद्ध लडने की विवशता झेलनी पडी है । पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में भी लिप्त है एवं अपनी जमीन का इस्तेमाल बह आतंकवाद को बढावा देने के लिए कर रहा है ।

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वर्ष 1998 में जब भारत ने दूसरी बार परमाणु परीक्षण किया, तो उसी वर्ष पाकिस्तान ने भी परमाणु परीक्षण कर अपनी शक्ति का अहसास कराया । इन परिस्थितियों को देखते हुए भारत को अपनी सामरिक शक्ति पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है । 

यद्यपि भारत की सामरिक शक्ति चीन के मुकाबले काफी कम है, किन्तु भारत एवं चीन के क्षेत्रफल के साथ-साथ दोनों की जनसंख्या के अनुसार आनुपातिक तौर पर देखें, तो इसे चीन के मुकाबले अधिक नहीं तो कम भी नहीं कहा जा सकता और जहाँ तक सामरिक शक्ति के मामले में पाकिस्तान का सवाल है, तो भारत उससे बहुत है ।

भारत की रक्षा नीति का उद्देश्य किसी भी आक्रमण की स्थिति में सुरक्षा के लिए रक्षा बलों को आवश्यक साजों-सामान से लैस कर पूरी तरह मुस्तैद रखना तो है ही साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति की स्थापना एवं उसे बढावा देना भी है ।

रक्षा एवं सुरक्षा सम्बन्धी सभी मामलों पर सरकार से निर्देश प्राप्त कर, इसे सशस्त्र बलों के मुख्यालयों, अन्तर-सेना संगठनों, रक्षा उत्पादन प्रतिष्ठानों और अनुसन्धान एवं विकास संगठन तक पहुँचाने के लिए रक्षा मन्त्रालय का गठन किया गया ।

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रक्षा मन्त्रालय के अन्तर्गत चार विभाग हैं- रक्षा विभाग, रक्षा उत्पाद विभाग, रक्षा शोध तथा विकास विभाग एवं भूतपूर्व सैनिक/रक्षाकर्मी कल्याण विभाग । भारतीय सेना के तीन अंग हैं- थल सेना नौसेना भारत के समुद्री वायु सेना । सेना के इन तीनों अंगों का सर्वोच्च सेनापति भारत का राष्ट्रपति है ।

भारतीय थल सेना संख्या की दृष्टि से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना है इसका प्रमुख उतरदायित्व बाहरी खतरों से देश की रक्षा करना है । इसके अतिरिक्त यह आन्तरिक अशान्ति के दौरान भी कानून व्यवस्था बनाए रखने में स्थानीय प्रशासन की मदद करती है ।

आधुनिकीकरण के बाद सक्षमता की दृष्टि से भारतीय थल सेना को विश्व की उत्कृष्ट थल सेनाओं में शुमार किया जाता है । भारतीय नौसेना भारत के समुद्री क्षेत्र में शान्ति तथा स्थिरता के उपाय सुनिश्चित करती है । भारत की समुद्री सीमा 7516 किमी है ।

भारतीय तट पर 12 मुख्य एवं 189 छोटे बन्दरगाह है । इन सबकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय नौसेना की है । भारत के सामरिक हितों की रक्षा करने में भारतीय वायु सेना की । युद्ध क्षेत्र में थल सेना का मनोबल बढाना एवं उसकी सहायता करने के साथ हवाई हमलों में भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है ।

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इन तीनों सेनाओं के अतिरिक्त भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, असम राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गाडर्स, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सीमा सुरक्षा बल एवं केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल जैसे अर्द्धसैनिक एवं नागरिक बल भी भारत कीं आन्तरिक एवं बाह्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

भारतीय रक्षा बलों को सशक्त करने के लिए भारत सरकार ने मिसाइल विकास सम्बन्धी कई योजनाओं को प्रारम्भ किया । देश में सुरक्षा प्रणाली को ठोस आधार देने के लिए रक्षा ‘अनुसन्धान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) की स्थापना की गई भारतीय मिसाइल कार्यक्रम द्वारा कई मिसाइलों का बिकास किया गया ।

भारत की सामरिक शक्ति का आभास इसके द्वारा विकसित मिसाइलों की मारक क्षमता से हो है । रक्षा अनुसन्धान व बिकास संगठन तथा सेना की विशेष मिसाइल रेणामेण्ट द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ‘पृथ्वी’ मिसाइल 160-260 किमी की दूरी तक मारक क्षमता रखती है तथा एक हजार किग्रा बिस्फोटक सामग्री ले जाने में सक्षम है । ‘अग्नि’ मिसाइल की मारक क्षमता 1,200 से 2,500 किमी है ।

यह सतह-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल है । अब तक अग्नि- 1,2,3,4 और 5 का सफल परीक्षण कर, इन्हें सेना में शामिल किया जा । अग्नि-5 की मारक दूरी 5,000 किमी से भी अधिक है, जिसके दायरे में एशिया और अफ्रीका के अधिकांश देश आ सकते हैं । इस समय भारत अग्नि-6 और सूर्या जैसी अत्यधिक शक्तिशाली मिसाइलों पर भी काम कर रहा है ।

इनके अतिरिक्त भी भारत के पास अनेक अत्याधुनिक हथियार हैं, जो भारत की सामरिक शक्ति का आभास कराते हैं । ‘आकाश’ जमीन से आकाश में मार करने बाला प्रक्षेपास्त्र है, जिसकी मारक क्षमता 25 किमी है । ‘नाग’ एक टैंकनाशक प्रक्षेपास्त्र है, जिसकी मारक क्षमता 4 किमी तक है ।

‘अस्त्र’ हवा-से-हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है । ‘त्रिशूल’ नौसेना के जहाज से छोड़े जाने वाला । ‘धनुष’ पारम्परिक एवं गैर-पारम्परिक हथियारों के साथ हमला करने में सक्षम मिसाइल है ।  भारत की सुपरसोनिक मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ की गति ध्वनि की गति से भी तीन गुना ज्यादा है । ‘यू ए वी निशान्त’ अपनी श्रेणी में विश्व के कुछ चुनिन्दा चालकरहित वायुयानों में से एक है ।

‘सागरिका’ और ‘के-4’ ऐसे प्रक्षेपास्त्र हैं, जिनका उपयोग समुद्र के भीतर से भी किया जा सकता है । अमेरिका निर्मित लैन्डिंग प्लेटफॉर्म ‘डॉक यू एस एस ट्रेंटन’ को 17 जनवरी, 2007 को भारतीय नौसेना की पूर्वी कमान में शामिल किया गया ।

भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने के बाद ‘आई एन एस विराट’ के बाद यह दूसरा सबसे बडा युद्धपोत होगा, जिसका नाम ‘आई एन एस जलाश्व’ रखा गया है । आई एन एस अरिहन्त के जुलाई, 2009 में नौसेना में शामिल होने के साथ ही भारत दुनिया के उन छ देशों में शामिल हो गया, जिनके पास परमाणु रिएक्टरयुका पनडुब्बी है ।

वर्ष 2014 में विमानवाहक पोत आई एन एस विक्रमादित्य और मिसाइल विध्वंसक पोत आई एन एस कोलकाता के भारतीय नौसेना में शामिल होने के साथ ही भारत की नौसेनिक शक्ति में भारी इजाफा हुआ है ।

भारत ने अपनी जरूरतों को देखते हुए वर्ष 1974 में ही परमाणु परीक्षण कर लिया था । वर्ष 1998 में एक बार फिर परमाणु परीक्षण कर इसने दुनिया को अपनी शक्ति का आभास करा दिया । अमेरिका से परमाणु समझौते के बाद भारत की सामरिक शक्ति निश्चित तौर पर बढी है ।

भारत जैसे-जैसे तेजी से आर्थिक प्रगति हासिल करता जा रहा है, वैसे-वैसे इसकी रक्षा सम्बन्धी चिन्ता भी बढ़ती जा रही है, इसलिए इसे अपने बजट में रक्षा को प्रमुखता देनी पड़ती है । पिछले वर्षों के बजट में रक्षा को विशेष महत्व दिया जाना इस बात का प्रमाण है । आतंकवाद के बढ़ते खतरे, न के शत्रुतापूर्ण रवैये एवं चीन के खतरे से निपटने के लिए भारत को अपनी सामरिक शक्ति को और समृद्ध करने की आवश्यकता है । 

वैसे भारत का उद्देश्य किसी भी देश को डराना या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हथियारों की होड़ को प्रोत्साहन देना नहीं है भारत की छवि एक शान्तिप्रिय देश की रही है और भविष्य में भी शान्ति प्रयासों का समर्थन करना इसका ध्येय रहेगा, लेकिन यदि कोई भी शक्ति उसकी सम्प्रभुता और अस्तित्व को चुनौती देगी, तो भारत उसका उत्तर अवश्य देगा ।

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