ई-शॉपिंग पर निबंध! Here is an essay on ‘E-Shopping’ in Hindi language.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस युग में आज मानव ने हर प्रकार की सुविधाएँ प्राप्त कर ली है । इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की बढती पहुँच ने मानव जीवन को सुगम बना दिया है । इण्टरनेट के माध्यम से आज हम घर बैठे-बैठे न सिर्फ दुनियाभर की जानकारी जुटा सकते है, बल्कि ई-शॉपिंग का आनन्द भी उठा सकते है ।

ई-शॉपिंग का अर्थ हैं- इण्टरनेट के द्वारा अपनी मनपसन्द सामग्रियों की खरीदारी करना । भारत में ई-शॉपिंग की शुरूआत 21वीं सदी के आगमन के पश्चात् हुई, किन्तु कुछ ही वर्षों में यह देशभर में इस कदर छा गई, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती ।

आज एक ओर भारत के सभी छोटे-बड़े शहरों में घर से बाहर निकलते ही विभिन्न प्रोडक्ट्स से सजी बडे-बड़े होर्डिंग-बैनर वाली दुकानें दिख जाती हैं, तो दूसरी ओर घरों के अन्दर भी कम्प्यूटर और स्मार्टफोन में एक समृद्ध बाजार मौजूद है । घर से बाहर बाजारों में जाकर अपनी जरूरत के मुताबिक चीजों की खरीदारी करना ऑफलाइन शॉपिंग कहलाती है ।

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इस प्रकार ऑफलाइन शापिंग में ट्रैफिक की झुंझटों को पार करने भीड़-भाड़ से गुजरते हुए थे बाजार का चक्कर काटकर चीजें पसन्द की जाती हैं और फिर मोलभाव करके रुपयों के लेन-देन से उनकी खरीदारी की जाती है । वहीं ई-शॉपिंग अर्थात् ऑनलाइन शॉपिंग में कहीं भी, किसी भी समय कहर चालू करके ई-कॉमर्स की साहस पर जाकर सिर्फ एक ही क्लिक में सारी खरीदारी कर ली जाती है ।

ऑनलाइन शॉपिंग साइस पर खरीदे जाने वाले सामान का ऑर्डर देने के दो-तीन दिनों के अन्दर ही ऑर्डर किए गए सामान घर पहुँचा दिए जाते हैं । टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा का कहना है- ”भारत में खरीदारों की काफी संख्या होने के बावजूद लोग बाजार जाकर सामान नहीं खरीद पाते, किन्तु आज देश में ई-शॉपिंग का चलन इतना अधिक बढ़ गया है कि पाँच सौ से छ: सौ मिलियन लोग इस माध्यम से खरीदारी करते हैं ।”

सचमुच आज देश में ऑनलाइन शॉपिंग का चलन तेजी से बढ रहा है । एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2009 में भारत में ऑनलाइन मार्केट 2.5 अरब डॉलर का था, जो वर्ष 2013 में बढ़कर 16 अरब डॉलर का हो गया और वर्ष 2023 तक इसका कारोबार 56 अरब डॉलर तक पहुँच जाने का अनुमान है, जो देश के रिटेल मार्केट (खुदरा बाजार) का 6.5% है ।

एसोचैम के अनुसार, ऑनलाइन शॉपिंग बढने के पीछे मुख्य कारण हैं- इसके माध्यम से सामान का सीधे घर पर पहुँचाया जाना व बेहतर सर्विस प्रदान करना । वर्ष 2014 में जारी की गई रिपोर्ट कहती है- ऑनलाइन खरीदारी में मुम्बई पहले स्थान पर, अहमदाबाद दूसरे पर और दिल्ली तीसरे स्थान पर है ।

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एसोचैम महासचिव डीएस रावत कहते है- ”आज सड़कों और बाजारों की बढ़ती भीड़, महँगा होता पेट्रोल-डीजल और रोजमर्रा की भागदौड भरी जिन्दगी के मध्य मॉल अथवा बाजारों में जाने हेतु समय निकालना कठिन हो गया है । इन्हीं सब परेशानियों से बचने के लिए लोग ऑनलाइन खरीदारी करना अधिक पसन्द करते हैं ।”

रावत का यह भी मानना हैं- बढ़ती महँगाई और सुला आर्थिक बिकास दर ऑनलाइन खरीदारी के बढते चलन को रोक पाने में असफल रहा है, बल्कि इण्टरनेट के प्रसार और भुगतान के नए विकल्प के कारण ई-कॉमर्स उद्योग को बढावा ही मिला है-और वास्तव में देखा जाए, तो उनका कहना ठीक भी है ।

आज दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बंगलुरु, चण्डीगढ़ जैसे देश के बड़े-बड़े शहरों के साथ-साथ बिहार, झारखण्ड, पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु जैसे राज्यों के शहरों व कस्बों में रहने वाले लोग भी रोजाना बडी संख्या में ई-कॉमर्स के साथ जुड रहे हैं । हर साल दोगुनी रफ्तार से देश में ई-कॉमर्स उद्योग का विस्तार हो रहा है ।

देश में बड़ी संख्या में इण्टरनेट का उपयोग करने वालों में आधे लोग ऑनलाइन खरीदारी का विकल्प चुनते हैं जिनमें युवा वर्ग सबसे अधिक सक्रिय है । इस समय देश में कारोबार करने वाली प्रमुख ई-कॉमर्स कम्पनियों के विभिन्न ऑनलाइन बेबसाइस्द्स के माध्यम से ग्रॉसरी प्रोडक्टस के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, एसेसरीज, रेडीमेड गारमेण्ट, गजेट्‌स, शुज, परफ्यूम, किताबें आदि विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ एक ही क्लिक पर मँगाई जा सकती हैं । अब तो ई-शॉपिंग के द्वारा गाय, भैंस, बकरे जैसे पशुओं को भी खरीदा जा रहा है ।

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ई- शॉपिंग से होने वाले फायदों को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है:

1. समय की बचत व भीड़-भाड से मुक्ति:

आज की व्यस्त जीवन-शैली में लोगों के पास इतना समय नहीं होता कि वे रोजमर्रा की वस्तुओं को खरीदने हेतु एक दुकान से दूसरी दुकान पर भटके और भीड़ में धक्के खाने के बाद दुकानदारों से मोल-तोल करके अपनी जरूरत की चीजें खरीदे ।  घर बैठे ऑनलाइन खरीदारी करने से एक ओर तो समय की बचत होती है तो दूसरी ओर ट्रैफिक समस्याओं व भीड़-भाड़ से भी छुटकारा मिल जाता है ।

2. सस्ती खरीदारी:

ऑफलाइन खरीदारी दुकानों में जाकर की जाती है जहाँ वस्तुओं के मूल्य में दुकान का किराया कर्मचारियों पर व्यय, बिजली की लागत आदि खर्च भी सम्मिलित किए जाते है । जिससे वस्तुएँ महँगी हो जाती हैं किन्तु इसके विपरीत ऑनलाइन खरीदारी में ऑनलाइन स्टोर द्वारा वस्तु सीधे खरीदार के घर पर भेजी जाती है जिसका मूल्य खुदरा बाजार की तुलना में कम होता है ।

ऑनलाइन स्टोर खरीदारों को पारम्परिक दुकानों की अपेक्षा अधिक छूट देते है । विशेष अवसरों एवं पर्व-त्योहारों पर ई-कॉमर्स कम्पनियों की ओर से विशेष स्कीमें एवं ऑफर्स दिए जाते है जो खरीदारों को पारम्परिक दुकानदारों द्वारा दी गई सुविधाओं की तुलना में अधिक भाते है । इन्हीं कारणों से ऐसे अवसरों पर ई-कॉमर्स का कारोबार खुदरा बाजार के कारोबार से ज्यादा चल पड़ता है ।

3. वस्तु की अधिक किस्में:

दुकानों में जगह सीमित होती है जिससे वहाँ ढेर सारे सामान तो मिल जाते हैं पर उनकी अनेक किस्में नहीं मिल पातीं, किन्तु ऑनलाइन वेबसाइट्‌स के द्वारा घर बैठे-बैठे विभिन्न प्रोडक्ट्स की कई किस्मों को देखा जा सकता है और फिर अपनी मनपसन्द चीजों की खरीदारी की जा सकती है ।

4. खरीदी गई वस्तु बदलने की छूट:

ऑनलाइन शॉपिंग करने के दौरान ऑर्डर देकर मँगाई गई वस्तुओं के पसन्द न आने पर ई-कॉमर्स कम्पनियाँ खरीदारों को खरीदी गई वस्तुओं की जगह दूसरी वस्तुएँ खरीदने के अतिरिक्त उन्हें वापस लेने की सुविधा भी प्रदान करती है फलस्वरूप खरीदारों को अपेक्षाकृत अधिक सन्तुष्टि प्राप्त होती है ।  साथ ही इस खरीदारी में कम्पनी द्वारा वस्तुओं को अच्छी तरह से परखने की छूट भी दी जाती है ।

घर पर प्रोडक्ट्स लाने वाले कम्पनी के कर्मचारी ग्राहकों के पूरी तरह सन्तुष्ट होने के पश्चात् ही उनसे पैसों की माँग करते हैं । खुदरा-बाजार में प्रायः खरीदारों को ऐसी सुविधा नहीं दी जाती ।  क्षतिग्रस्त सामान डिलिवरी किए जाने या खरीदार द्वारा सामान नापसन्द किए जाने पर ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर सामान्यतः एक माह के अन्दर सामान बदलने अथवा वापस लेने की सुविधा प्रदान करता है ।

5. पुरानी वस्तु को बेचने की सुविधा:

अक्सर घर में पड़ी पुरानी चीजों के प्रयोग में न लाए जाने अथवा कम उपयोग किए जाने पर उन्हें घर में रखना एक समस्या बन जाती है । व्यक्ति चाहकर भी ऐसी चीजों का खरीदार नहीं खोज पाता किन्तु आज ओएलएक्स, क्विकर आदि फ्री क्लासीफाइड साइट्‌स के द्वारा न सिर्फ पुराने वाहन, इलेक्ट्रनिक प्रोडक्टस एवं फर्नीचर, बल्कि एक-दो बार प्रयोग किए जाने वाले कीमती वस्त्र भी, जो अच्छी स्थिति में हो, आसानी से बेचे जा सकते हैं । 

इन सारी सुविधाओं के बावजूद ऑनलाइन खरीदारी करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए । कभी-कभी लूटे गए अथवा चोरी के सामान भी ऑनलाइन शॉपिंग साइट्‌स के द्वारा बेच दिए जाते हैं । ऐसे में काफी समझ-बूझकर अधिकृत वेबसाइट्‌स के माध्यम से ही वस्तुओं की ऑनलाइन खरीदारी करनी चाहिए । बहुत बार तो प्रोडक्ट्स के दाम से आधे मूल्य पर भी वस्तुओं के बेचे जाने का विज्ञापन ई-कॉमर्स कम्पनियाँ निकालती हैं ।

ऐसी स्थिति में सस्ती खरीदारी के लालच में न पड़कर सामान खरीदने के पूर्व उसके असली होने की जाँच अच्छी तरह कर लेनी चाहिए । डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ई-शॉपिंग करने बाले लोगों को खास रूप से सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि ब्रटपॉस जैसे खतरनाक वायरस प्याइंट ऑफ सेल (पॉस) बिजनेस काउण्टरों पर हमला कर खरीदारों के कार्ड नम्बर एवं पासवर्ड चुरा सकते हैं और एक बार डेबिट अथवा क्रेडिट की जानकारी हाथ लगते ही कार्ड से उनकी जमा राशि उड़ा सकते हैं ।

इण्टरनेट बैंकिंग अकाउण्ट के द्वारा आवश्यक ‘राशि वर्चुअल कार्ड’ जिसका उपयोग बस एक बार किया जा सकता है, जनरेट कर और उसके माध्यम से या फिर सीधे कैश पेमेण्ट कर सुरक्षित ऑनलाइन खरीदारी की जा सकती है ।  ई-शॉपिंग के दौरान नियम व शर्तों को ध्यानपूर्वक पढ़ा एवं समझा जाना आवश्यक है ।

वस्तुओं की खरीदारी करने से पूर्व बेबसाइइस की रीफण्ड, बारण्टी एवं अन्य पॉलिसीज की जाँच अवश्य की जानी चाहिए । उपरोक्त सावधानियाँ बरतकर ई-शॉपिंग में आने वाली समस्याओं से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है । पूरे भारत में ई-कॉमर्स कम्पनियों के कारोबार में दिनों-दिन तेजी से बढोतरी होने के कारण हाल के वर्षों में परम्परागत बाजार का व्यापार प्रभावित होने लगा है ।

काफ्रेडरेशन ऑफ ऑल इण्डिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार वर्ष 2014 में दीपावली पर्व के अवसर पर ई-कॉमर्स कम्पनियों की ओर से बडे स्तर पर ऑनलाइन सेल लगा? जाने के कारण परम्परागत बाजारों को इस फेस्टिवल सीजन के दौरान लगभग 30% की हानि सहनी पड़ी ।

बावजूद इसके तमाम सुविधाओं और बेहतर सर्विस के कारण आज ई-शॉपिंग भारत के युवा वर्ग की पहली पसन्द बनती जा रही है । वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन मार्केटिंग का व्यापक विस्तार होने के कारण इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होने के अवसर भी खुले हैं ।

व्यापार जगत् के विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले दो-तीन वर्षों में ई-कॉमर्स के क्षेत्र में 50 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त हो सकेगा। स्वयं रतन टाटा जैसे उद्योगपति का कहना है- ”ई-कॉमर्स उन क्षेत्रों में से एक है, जहाँ मैं व्यक्तिगत रूप से निवेश करना चाहता हूँ, क्योंकि देश के खरीदारों के उस बडे वर्ग के लिए जो बाजार जाकर चीजें खरीद सकते यह अच्छा विकल्प है ।”

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