Read this article in Hindi to learn about how to treat waste water.

अपशिष्ट जल उपचार एक बहुत ही व्यापक शब्द है जो उन प्रक्रियाओं के लिए प्रयुक्त होता है, जिनसे अपशिष्ट जल के हानिकारक प्रभाव कम करके इसे उपयोग के लायक बनाया जाता है । इस तरह अपशिष्ट जल का उपचार करके विभिन्न संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोका जा सकता है । सतही तथा भूमिगत जल के प्रदूषण को रोका जा सकता है ।

अपशिष्ट जल का उपचार भौतिक, रासायनिक तथा जैविक प्रक्रियाओं के संयोजन से होता है । ऐसी प्रक्रिया जिनमें भौतिक बल कार्य करते हैं, उन्हें यूनिट ऑपरेशन कहा जाता है तथा रासायनिक तथा जैविक प्रक्रियाओं को यूनिट प्रोसेसेज कहा जाता है ।

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जो निम्नलिखित हैं:

(i) भौतिक यूनिट ऑपरेशन:

जिनमें भौतिक बल कार्य करते है जैसे जांच, मिश्रण, वर्णन, अवसादन, प्रवर्तन ।

(ii) रासायनिक यूनिट प्रोसेस:

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जिनमें प्रदूषकों को रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा हटाया जाता है । जैसे रासायनिक अवक्षेपण, गैस अंतरण, अधिशोषण, आयन अंतरण, इलेक्ट्रो डायलसिस ।

(iii) जैविक यूनिट प्रोसेस:

जिनमें प्रदूषकों को जैविक प्रक्रियाओं द्वारा हटाया जाता है । जैसे Sludge Digestion, Tricking Filtration, Sludge Process आदि ।

पारंपरिक उपचार (Traditional Process):

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इनका उपयोग उष्ण जलवायु में किया जाता है, जिसमें उपचार के निम्नलिखित स्तर शामिल हैं:

(a) प्रारंभिक प्रक्रिया

(b) प्राथमिक प्रक्रिया

(c) द्वितीयक प्रक्रिया

(a) प्रारंभिक प्रक्रिया (Initial Process):

इस प्रक्रिया में सबसे पहले जल में तैरने वाले ठोस कणों को अलग किया जाता है, जिनमें भारी अकार्बनिक पदार्थ शामिल हैं ।

(b) प्राथमिक प्रक्रिया (Primary Process):

इस प्रक्रिया में अवसादन की प्रक्रिया से कार्बनिक पदार्थों को अलग किया जाता है ।

(c) द्वितीयक प्रक्रिया (Secondary Process):

इस प्रक्रिया में कार्बनिक पदार्थों को अलग करने के लिए जैविक क्रियाओं का प्रयोग किया जाता है । कभी-कभी जल में स्थित बचे हुए कार्बनिक यौगिकों, घुलनशील नाइट्रोजन तथा फास्फोरस पेथोजन, कोलोईडल कण, विषैले कणों को दूर करने के लिए कुछ उन्नत तकनीकों का प्रयोग किया जाता है ।

अपशिष्ट जल प्रबंधन के 3 मुख्य पहलु है जो कि निम्नलिखित हैं:

(i) संग्रहण (Collection):

जल का संग्रह पूर्ण रूप से विकसित सीवरेज संग्रह तंत्र से किया जा सकता है । सीवरेज विकसित करने से पहले अशुद्ध जल के प्रवास की दर, हाइड्रोलिक डिजाइन नालियां, डायवर्जन आदि का पूर्ण रूप से ध्यान रखना चाहिए । जगह-जगह पर सीवरेज सुधार के लिए जगह-जगह मैनहोल की व्यवस्था रखनी चाहिए ।

(ii) उपचार (Treatment):

अशुद्ध जल का उपचार कई भौतिक, रासायनिक तथा जैविक प्रक्रिया के संयोजन से किया जाता है, जो ऊपर वर्णित है ।

(iii) निस्तारण/पुन: उपयोग (Exhaustion):

उपचार के पश्चात अशुद्ध जल के निस्तारण की समस्या आती है ।

वर्तमान में प्रयोग में आने वाले कुछ प्रकार निम्नलिखित है:

(a) नदियों में बहाना ।

(b) भूमि-उपयोग के लिए काम में लेना ।

(c) सिचाई के लिए काम में लेना

उदाहरण स्वरूप चीन में 90% तक जल का उपयोग उपचार के पश्चात सिचाई के लिए किया जाता है तथा बची हुई कीचड को ठोस कचरा निष्पादन तरीकों से निष्पादित किया जाता है ।

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