अविकसित देशों के संरक्षण के लिए तर्क | Read this article in Hindi to learn about the seven important rationale for protection of underdeveloped countries. The rationale are:- 1. औद्योगिक विकास (Industrial Development) 2. पूंजी आयातों का संवर्धन (Promoting Capital Imports) 3. व्यापार की अनुकूल शर्तें (Favourable Terms of Trade) 4. पूंजी निर्माण (Capital Formation) and a Few Others.

अल्प विकसित देशों के आर्थिक विकास के लिये संरक्षण की नीति अत्यधिक महत्व रखती है ।

इसके समर्थन में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किये जा सकते हैं:

Rationale # 1. औद्योगिक विकास (Industrial Development):

अल्प विकसित देशों में नये उद्योगों की स्थापना अनेक कठिनाइयों का सामना करती है क्योंकि इन्हें विकसित देशों में पहले से स्थापित उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है । इस प्रतिस्पर्द्धा का सामना करने के लिये आरम्भिक उद्योगों के तर्क को इन देशों ने अपने उद्योगों में संरक्षण देने के लिये अनिवार्य माना जाता है ।

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यह संरक्षण के कारण है कि उनके उद्योगों को विदेशी प्रतियोगिता का सामना नहीं करना पड़ता तथा वह अपने कम गुणवत्ता वाले कीमती उत्पादों को बेचने के योग्य होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप, उनके उद्योगों को विकसित होने का अवसर प्राप्त होता है ।

Rationale #2. पूंजी आयातों का संवर्धन (Promoting Capital Imports):

अल्प विकसित देशों को चाहिये कि अधिक पूंजी वस्तुओं का आयात करें ताकि देश का आधुनिकीकरण हो । इस सन्दर्भ में मुण्डेल का मत है कि संरक्षण के परिणामस्वरूप विदेशी पूंजी का अतिरिक्त बहाव होता है । मुण्डेल के अनुसार, आयात की गई पूंजी वस्तुओं पर शुल्क उनकी दुर्लभता को और बढ़ा देता है । इन वस्तुओं की दुर्लभता के परिणामस्वरूप उनकी सीमान्त उत्पादकता बढ़ती है ।

Rationale # 3. व्यापार की अनुकूल शर्तें (Favourable Terms of Trade):

अनेक अर्थशास्त्रियों जैसे रॉल प्रीबिस्च (Raul Prebisch), सूगर (Sugar) तथा अन्यों का मत था कि व्यापार की शर्तें अल्प विकसित देशों के लिये प्रतिकूल और विकसित देशों के अनुकूल बन रही हैं ।

इसका मुख्य कारण यह है कि अल्प विकसित देश कृषि उत्पादों का निर्यात और निर्मित वस्तुओं का आयात करते हैं । कृषि वस्तुओं और निर्मित वस्तुओं का कीमत अनुपात उत्तर-कथित के पक्ष में होता है । इसलिये मायरडल ने इन देशों को संरक्षण अपनाने का सुझाव दिया ।

Rationale # 4. पूंजी निर्माण (Capital Formation):

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अल्पविकसित देशों में लोगों की आय प्राय: कम होती है जिस कारण निवेश का दर और पूंजी निर्माण भी कम होता है । नर्कसे के अनुसार- यह देश निर्धनता के कुचक्र में फंसे होते हैं । ड्यूसेनबर्ग अनुसार- इन देशों के समृद्ध नागरिक अपनी बचतों को उत्पादक मार्गों में निवेश करने के स्थान पर विलासतापूर्ण वस्तुओं और प्रदर्शनकारी उपभोग पर व्यय करते हैं ।

इस प्रकार वे प्रदर्शनकारी प्रभाव के शिकार हो जाते हैं और विदेशी वस्तुओं के उपभोग को अधिक महत्व देते हैं । इस नीति के परिणामस्वरूप विलासतापूर्ण वस्तुओं में, आयातों पर प्रतिबन्ध लगाये जाते हैं । जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन, रोजगार, आय और बचत की क्षमता का संवर्धन होता है । अत: अल्प विकसित देश निर्धनता के कुचक्र को तोड़ने के लिये संरक्षण की नीति अपनाते हैं ।

Rationale # 5. सन्तुलित विकास (Balanced Development):

अल्पविकसित देश प्राय: कृषि प्रधान होते हैं और उनका औद्योगिक विकास एक-तरफा होता है । इससे ये अर्थव्यवस्थाएं असन्तुलित हो जाती हैं । संरक्षण की नीति औद्योगिक विकास के लक्ष्य को सन्तुलित ढंग से प्राप्त करने में सहायक होती है ।

Rationale # 6. नियोजित विकास के लिये आवश्यक (Necessary for Planned Development):

अल्पविकसित देशों के विकास के लिये संरक्षण आवश्यक है । आर्थिक नियोजन का अर्थ है देश के दुर्लभ साधनों का निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये, पूर्व निर्धारित समय के भीतर दक्ष प्रयोग । संरक्षण नीति देश के सीमित साधनों का पूर्व निर्धारित प्राथमिकताओं के अनुसार प्रयोग सम्भव बनाती है ।

Rationale # 7. भुगतानों के सन्तुलन में असमत्व को ठीक करना (Correct Disequilibrium in Balance of Payment):

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अधिकांश अल्पविकसित देशों का भुगतानों का सन्तुलन प्रतिकूल होता है । इसे अनुकूल बनाने के लिये संरक्षण की नीति अपनानी चाहिये । इससे आयात अवरुद्ध होंगे और निर्यात उत्साहित होंगे । आयातों पर निर्यातों का आधिक्य भुगतानों के सन्तुलन को अनुकूल बना देता है ।