निवेश की समय श्रृंखला मानदंड (सीमाओं के साथ) | Read this article in Hindi to learn about the time series criterion of investment in economic development along with its limitations.

यह कसौटी ए. के सेन द्वारा प्रस्तुत की गई थी । उनके अनुसार तकनीक के चयन के लिये समय कारक एक महत्वपूर्ण कारक है । पूँजी उत्पाद अनुपात और बचतों की दर में, दो तकनीकों का समय पथ बनाया जा सकता है तथा यह देखा जा सकता है कि समय क्षितिज पर कौन सी तकनीक अधिकतम प्रतिफल देती है ।

उसके लिये एक समय क्षितिज निश्चित किया जाता है तथा विभिन्न वर्षों के लिये दोनों परियोजनाओं के प्रतिफलों की गणना की जाती है और इसके आधार पर हम तकनीकों के किसी युगल के लिये एक प्रतिलाभ काल को खोज सकते हैं तकनीक के चयन में हम प्रतिलाभ के इस काल की तुलना उस काल से करते है जिस पर हम विचार करने को तैयार होते हैं ।

कल्पना करें कि H और L दो परियोजनाएं हैं तथा 10 वर्ष की समय सीमा है जिसके अन्त में प्रत्येक स्थिति में कुल प्रतिफल 100 मिलियन हैं । पहले 6 वर्षों में H परियोजनाएं के प्रतिफल L परियोजना की तुलना में कम हैं जबकि शेष 4 वर्षों में H के प्रतिफल L परियोजना से बढ़ जाते हैं । क्योंकि दोनों परियोजनाओं में प्रतिफल समान है, समग्र स्थिति तटस्थ है ।

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देखने वाली बात यह है कि उत्पादन की आरम्भिक हानि को पूँजी गहन परियोजनाएं अपना कर 10 वर्षों के भीतर पूरा किया जा सकता है अथवा नहीं । श्रम गहन तकनीक के कारण उत्पादन की आरम्भिक कमी को पूरा करने के लिये पूँजी गहन तकनीक द्वारा लिये गये समय को प्रतिलाभ काल कहा जाता है ।

इसे रेखा चित्र 7.2 की सहायता से स्पष्ट किया गया है । H और L वक्र दी गई समय सीमा के दौरान दो तकनीकों के साथ वास्तविक उत्पादन का बहाव दर्शाते है । ON काल प्रतिलाभ (Recovery) काल है जो क्षेत्र DAD1 को क्षेत्र FAf1 के समान बनाता है ।

इस प्रकार तकनीकों के किसी भी युगल के लिये प्रतिलाभ काल खोजा जा सकता है । तकनीकों के चयन में प्रतिलाभ काल की तुलना उस काल से की जाये जो पहले से विचाराधीन है ।

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यदि यह पाया जाता है कि प्रतिलाभ काल लम्बा है अर्थात यदि समय सीमा के भीतर, तकनीक H अपनाने से उत्पादन में हानि, उत्पादन में अधिकता से पूरी नहीं होती तो हमें तकनीक L का चयन करना चाहिये और विपरीत स्थिति में विलोमत । यदि वर्तमान और भविष्य के भीतर कोई संघर्ष है, तो चयन समय छूट प्रयोग पर निर्भर करेगा ।

सीमाएं (Limitations):

ए. के सेन समय श्रृंखला कसौटी की कुछ सीमाओं को स्वीकार करते हैं:

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1. 10 वर्षों का समय क्षितिज निश्चित करना स्वेच्छाचारी है । कोई विशेष नियम नहीं है जिसके आधार पर किसी विशेष परियोजना के लिये प्रतिलाभ काल निश्चित किया जा सके ।

2. आने वाले सभी समयों के लिये समय श्रृंखला प्राप्त करना सम्भव नहीं । इसलिये आयोजन काल निश्चित रूप में निर्धारित करना पड़ता है, परन्तु इससे कुछ गम्भीर समस्याएं उत्पन्न होती है । जब समय सीमा समाप्त होने वाली होती है, तो उत्पादन की किस्म को बढ़ाने के लिये श्रम गहन तकनीकों का चयन आवश्यक होता है तथा इस प्रकार पूँजी निर्माण की उपेक्षा होती है ।

3. तकनीकी परिवर्तन, वेतन दर, उपभोग की प्रवणता आदि जैसे कारक जिन पर समय श्रृंखला का अध्ययन निर्भर करता है परिवर्तनशील हो सकते हैं और भविष्य के निवेश के सम्बन्ध में भविष्यवाणी कर सकते हैं ।

इस प्रकार, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते है कि उत्पादन तकनीकों के चयन में समय कारक एक महत्वपूर्ण निर्धारक बन जाता है जो अल्प विकसित देशों में निवेश की राशि और प्रतिरुप को प्रभावित करता है ।

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