आय और धन की असमानता: शीर्ष ग्यारह उपाय | Read this article in hindi to learn about the top eleven measures adopted to check inequality of income and wealth. The measures are:- 1. सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार (Extension of Public Sector) 2. रोजगार के अधिक अवसर (More Employment Opportunities) 3. न्यूनतम आवश्यकताओं का कार्यक्रम (Minimum Needs Programmes) 4. सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का आरम्भण (Introduction of Social Security Schemes) and a Few Others.

समाज के विभिन्न वर्गों में आय और धन की सुस्पष्ट असमानता न तो सामाजिक रूप में वांछनीय है तथा न ही सहन करने योग्य । इसलिये इन असमानताओं का आरम्भिक स्तर से विलोपन भारतीय आयोजन का सदैव मुख्य उद्देश्य रहा है ।

”एक निर्धन देश के पास पुनर्वितरण के लिये केवल निर्धनता ही होती है ।”

आर्थिक आयोजन की आरम्भिक स्थितियों में सरकार ने साधनों के समृद्धों से निर्धनों की ओर स्थानान्तरण के विचार की कभी प्रशंसा नहीं की । इसने केवल आर्थिक विकास को तीव्र करने पर बल दिया ताकि इससे निर्धन लोगों का जीवन प्रभावित हो सके । परन्तु दुर्भाग्य से, देश में आर्थिक वृद्धि की दर बहुत धीमी थी तथा इससे निर्धन लोगों को लाभ नहीं पहुँच सका ।

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आय की असमानताओं को कम करने में निम्नलिखित उपाय बहुत सहायक सिद्ध हो सकते हैं:

Measure # 1. सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार (Extension of Public Sector):

भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था की प्रणाली को अपनाया है जो सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र द्वारा सकारात्मक भूमिका की अपेक्षा करती है । परन्तु यथार्थ यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार कुछ ही निजी हाथों में आय के केन्द्रीकरण को रोकने के लिये किया जाना चाहिये ।

Measure # 2. रोजगार के अधिक अवसर (More Employment Opportunities):

रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध करके आय की असमानताओं को दूर किया जा सकता है जिससे लोग अपनी मौलिक आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकेंगे । इस समस्या का समाधान श्रम-गहन तकनीकें कर सकती हैं न कि पूंजी-गहन तकनीकें ।

छठी और सातवीं पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान ”इन्टैग्रेटिड रूरल डिवैल्पमैंट प्रोग्राम (IRDP)”, ”जवाहर रोजगार योजना (JRY)” और ”रूरल लैण्ड़लैस एम्पलायमेंट गारंटी प्रोग्राम (RLEGP)” आदि कार्यक्रम आरम्भ किये गये जिससे ग्रामीण क्षेत्र से निर्धनता का विलोपन किया जा सके ।

Measure # 3. न्यूनतम आवश्यकताओं का कार्यक्रम (Minimum Needs Programmes):

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न्यूनतम आवश्यकताओं का कार्यक्रम समाज के विभिन्न वर्गों में असमानताओं को कम करने में सहायक हो सकता है । यह तथ्य वर्ष 1970 के दशक के आरम्भ में महसूस किया गया क्योंकि विकास के लाभों का निर्धन लोगों पर प्रभाव नहीं पड़ा तथा अल्प विकसित देशों के पास समाज के निम्न वर्ग की मौलिक आवश्यकताओं की ओर सीधे ध्यान देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था ।

पांचवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान पहली बार न्यूनतम आवश्यकताओं का कार्यक्रम आरम्भ किया गया । इसी प्रकार छठी योजना ने मानवीय साधनों में निवेश कार्यक्रमों पर बल दिया ।

Measure # 4. सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का आरम्भण (Introduction of Social Security Schemes):

विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाएं जैसे ”कर्मचारी क्षतिपूर्ति कानून”, ”मातृत्व लाभ कानून”, ”भविष्य निधि योजना”, ”कर्मचारी राज्य बीमा निगम” तथा कार्य के स्थान पर मृत्यु असमर्थता और रोग की स्थिति में लाभ आदि सुविधाओं ने निर्धनता पर सीधा आक्रमण किया ।

अन्य विकास योजनाओं में सम्मिलित हैं ”स्माल फार्मरक डिवैल्पमैंट एजेन्सीज (SFDA)”, ”मार्जिनल फार्मरक एण्ड एग्रीकल्रचर लेबर एजेन्सीज (MFALA)”, ”क्रैश स्कीम फॉर रुरल डिवैलपमैंट (CSFRD)” तथा ”ड्राट प्रोन ऐरियाज प्रोग्राम (DPAP)” जो इस लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हुई ।

Measure # 5. लघु स्तरीय उद्योगों की स्थापना (Establishment of Small Scale Industries):

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कुटीर एवं लघु स्तरीय उद्योगों के प्रोत्साहन की नीति ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषतया पिछड़े क्षेत्रों में रोजगार की रचना में सहायक सिद्ध हो सकती है । इसके अतिरिक्त, इससे साधन आधिक्यपूर्ण क्षेत्रों के कमी वाले क्षेत्रों में शहरीकरण की अधिक समस्या उत्पन्न किये बिना स्थानान्तरित हो जायेंगे ।

Measure # 6. ग्रामीण लोगों की उन्नति (Upliftment of Rural Masses):

प्रायः कहा जाता है कि भारत गांवों में बसता है, इसलिये गाँवों के निर्धन लोगों की उन्नति के लिये विभिन्न योजनाएँ बनाई जानी चाहियें । गांवों में निर्धन जीवन प्रायः भूमिहीन कृषि श्रमिकों, छोटे और सीमान्त किसानों, ग्रामीण कारीगरों, अनुसूचित जातियों और जन-जातियों के हिस्से आता है । तथापि स्मरण रहे कि भारत सरकार ने समय-समय पर अनेक योजनाएं आरम्भ की हैं ।

Measure # 7. भूमि सुधार (Land Reforms):

भूमि सुधारों की नीति मुख्यता आय तथा भूमि के स्वामित्व की असमानताओं को कम करने का मुख्य लक्ष्य रखती है । भूमि सुधारो का नारा है, ”भूमि जोतने वाले की है ।” अतः जमींदारी प्रथा को समाप्त करके, जोत क्षेत्रों का निर्धारण किया गया । परन्तु दुर्भाग्य की बात है कि ये भूमि सुधार न केवल अपर्याप्त और त्रुटिपूर्ण थे बल्कि इनके कार्यान्वयन में भी विभिन्न स्तरों में बाधा डाली गई ।

फिर भी आशा की जाती है कि यदि इन सुधारो को गम्भीरता से लागू किया जाता है तो इससे बेहतर परिणाम प्राप्त होगे जो समृद्ध वर्ग की आय को कम करने में सहायक होंगे ।

Measure # 8. सम्पत्ति का पुनर्वितरण (Redistribution of Assets):

यह सुपरिचित तथ्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आय की असमानताएँ भूमि के केन्द्रीकरण से उत्पन्न होती हैं । इसलिये, समाधान, ग्रामीण क्षेत्रों में आय की असमानताएँ भूमि के केन्द्रीकरण से उत्पन्न होती हैं । इसलिये, समाधान, ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन लोगों के बीच सम्पत्ति के पुनर्वितरण में निहित है, यद्यपि, देश में उत्तराधिकार के नियम प्रचलित होने के कारण इस मत की प्रयोज्यता सीमित है ।

Measure # 9. आय और धन के केन्द्रीकरण पर प्रतिबन्ध (Curb on Concentration of Wealth and Income):

पिछडे हुये और अल्प-विकसित देशों में बडे व्यापारिक घराने प्रायः अपने आप को एकाधिकार की स्थिति में पाते हैं । यह आर्थिक शक्तियों के केन्द्रीकरण तथा अन्य भ्रष्टाचारी प्रथाओं का कारण भी बनता है । अतः इस प्रकार की प्रथाओं के वैधानिक ढंगों से प्रतिबन्धित किया जाना चाहिये । ‘एकाधिकार तथा व्यापार प्रतिबन्ध’ (MRTP) एक ठीक पग था ।

Measure # 10. प्रगतिशील कराधान (Progressive Taxation):

आय और धन की असमानताओं को कम करने का एक अन्य उपाय प्रगतिशील कराधान प्रणाली भी है । यह आय को समृद्ध लोगों से निर्धन लोगों की ओर स्थानान्तरित करने में सहायता करती है । परन्तु एक विशेषज्ञ अध्ययन अनुसार, भारतीय कर संरचना को उपयुक्त बनाने के लिये कोई व्यवस्थित प्रयास नहीं किये गये हैं । इसलिये समय की मांग है की भारतीय कर प्रणाली को तर्कसंगत बनाया जाये ।

Measure # 11. शिक्षा और जागृति (Education and Awakening):

शिक्षा व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा से सर्वोत्तम को बाहर लाने में सहायता करती है । इसलिये सभी लोगों को किसी भी मूल्य पर शिक्षा की सुविधाएं उपलब्ध करना आवश्यक है । निर्धन लोगों को वजीफा, मुफ्त पुस्तकें तथा फुटकर भत्ता आदि दिया गया । शिक्षा निर्धन लोगों में जागृति लाकर उनकी मानसिक क्षमताओं को बढ़ायेगी ।