उदारीकरण और वैश्वीकरण की सामाजिक प्रासंगिकता | Read this article in Hindi to learn about the social relevance of liberalization and globalization.

वैश्वीकरण का भारत के लोगों, मजदूरों, परिवारों तथा पूरे समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है ।

वैश्वीकरण के अनुकूल तथा प्रतिकूल प्रभाव को संक्षिप्त में नीचे दिया गया है:

1. वैश्वीकरण का रोजगार के अवसरों, श्रमिकों के परिवारों, कर्मशालाओं के वातावरण, आय, सुरक्षा, पहचान, रीति-रिवाज, खान-पान तथा संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ा है ।

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2. सरकारी नौकरियों में रोजगार के अवसरों में कमी आई है तथा निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बड़े हैं ।

3. निजी क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियाँ मनमाने ढंग से लोगों की नियुक्ति करती है और जब जिसको चाहती हैं नौकरी से बाहर निकाल देती है । “The Private Companies Hire and Fire at will.”

4. प्राइवेट क्षेत्र में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ बहुत महँगी है ।

5. यंत्रीकरण, स्वचालीकरण से बेरोजगारी को बढ़ावा मिला है ।

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6. नई टेकनोलोजी ने हुनरमंद एवं कुशल मजदूरों के रोजगार के अवसरों को कम कर दिया है । कुशल-श्रमिकों को भी मशीनों पर काम करने के लिए प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता पड़ती है ।

7. विदेशी रेशमी कपड़े (चीन तथा दक्षिण कोरिया के रेशमी कपड़े) ने भागलपुर (बिहार) के बुनकरों को बेरोजगार कर दिया है । चीन एवं कोरिया के रेशम के कपड़े की मांग इसलिए बड़ी हुई है क्योंकि वह सस्ता होता है ।

8. वैश्वीकरण के कारण 24 से 54 वर्ष के स्त्री आयु वर्ग में स्त्रियों को कोमल उद्योगों में काफी रोजगार मिले हैं । कोमल उद्योग में सिले-सिलाये कपड़े, जूते खिलौने, आभूषण, कंप्यूटर, सेमी-कंडक्टर आदि उद्योग सम्मिलित हैं ।

9. वैश्वीकरण के फलस्वरूप दरिद्र रेखा से नीचे लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है ।

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10. गाँव से भारी संख्या में श्रमिक बड़े नगरों की ओर रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं । नगरों में झुग्गी-झोपडियों की संख्या में वृद्धि हो रही है ।

11. अनाज तथा नकदी फसलों का अधिक उत्पादन करने के लिए रासायनिक खाद एवं कीटाणुनाशक दवाइयों का अधिक इस्तेमाल बढा है, जिससे मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरकता में कमी आई है, मिट्टी के रासायनिक तत्वों में बदलाव आया है तथा मृदा एवं जल प्रदूषण की गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं । भूमिगत जल भी प्रदूषित हुआ है ।

12. किसानों की आमदनी पर वैश्वीकरण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है । बहुत-से किसान ऋण के भार के कारण आत्म-हत्या तक कर रहे हैं ।

13. मछलियों के निर्यात के लिए सागरों एवं महासागरों से भारी मात्रा में मछवाही की जा रही जिसके कारण मत्स्य संसाधन का ह्रास हो रहा है ।

14. पेप्सी तथा कोको कोला जैसे मृदु-पेय में हानिकारक कीटाणुनाशक दवाइयों के तत्व पाए जाते हैं । केरल राज्य में मृदु-पेय की 90 फैक्टरियाँ लगाने से भूमिगत जल में भारी कमी आई है । इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीले कूड़ा-करकट से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है ।

15. अंग्रेजी भाषा, लोगों की भाषा का रूप धारण करती जा रही है । जगह-जगह अंग्रेजी के स्कूल खोले जा रहे हैं ।

16. नगरीय तथा ग्रामीण समाजों में संस्कृति प्रदूषण खतरनाक रूप धारण कर रहा है । सामाजिक मूल्यों एवं परंपराओं भी परिवर्तन रहा है ।

17. वैश्वीकरण का जीवन-शैली, तौर-तरीकों के अतिरिक्त, कला, साहित्य, चित्रकला, नाच, गाने, मूर्ति-कला इत्यादि पर भी गहरा पड़ रहा है ।

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