पूंजी आउटपुट अनुपात के पक्ष में तर्क | Read this article in Hindi to learn about the arguments in favour of high and low capital output ratio.

उच्च पूँजी उत्पाद अनुपात के पक्ष में तर्क (Arguments in Favour of High Capital Output Ratio):

उच्च पूँजी उत्पाद अनुपात के पक्ष में प्राय: निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किये जाते हैं:

1. अल्पविकसित देशों में पूँजी साधनों की व्यर्थता के कारण पूँजी उत्पाद अनुपात के ऊँचा होने की सम्भावना होती है । उत्पाद के पुराने ढंगों के प्रयोग के कारण, इन देशों में पूँजीगत साधनों की पर्याप्त व्यर्थता होती है ।

2. अधिकांश अल्पविकसित देशों में प्राकृतिक साधनों की पूर्ति सीमित होती है तथा उनका अधिक से अधिक पूँजी द्वारा प्रतिस्थापन करना पड़ता है जिससे पूँजी उत्पाद अनुपात बढ़ जाता है ।

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3. अल्पविकसित देशों को अनेक आर्थिक एवं सामाजिक शीर्ष खर्चों की आवश्यकता होती है जैसे यातायात, बिजली, आवास और शिक्षा जो निश्चित रूप में पूँजी गहन होते हैं ।

4. तकनीकी पिछड़ापन उच्च पूँजी उत्पाद अनुपात का एक मुख्य कारण है । पिछड़ी हुई तकनीकों के कारण पूँजी कम उत्पादक है । तकनीकी स्तर नीचा है तथा ज्ञान की वृद्धि धीमी है ।

5. अल्पविकसित देशों में पूँजी उत्पाद अनुपात का ऊँचा होना निश्चित है जहां प्राकृतिक साधनों की अप्रयुक्तता अथवा अल्पप्रयुक्तता के कारण बड़ी मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है ।

6. अल्पविकसित देशों में विकास प्रक्रिया के बढ़ने से मांग के प्रतिमानों का पूँजीगहन उद्योगों की ओर अधिक झुकाव होता है । उत्पाद की पूँजी गहन विधियों के प्रयोग से पूँजी उत्पाद अनुपात बढ़ता है । अर्थव्यवस्था के स्थिर स्वरूप के कारण कुछ प्रकार के आर्थिक ऊपरी व्ययों का तुरन्त पूर्ण उपयोग सम्भव नहीं होता । कम उपयोग की आरम्भिक स्थिति पूँजी उत्पाद अनुपात को ऊपर की ओर धकेलती है ।

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7. अल्पविकसित देशों में ब्याज दर बहुत ऊँचा होता है जिसके परिणाम स्वरूप पूँजी उत्पाद अनुपात भी ऊँचा होता है । प्रो. कुरीहारा इस तथ्य को स्वीकार करते हैं और इसके समाधान में यह तर्क प्रस्तुत करते हैं कि ”उच्च ब्याज दरों के जारी रहने की प्रत्याशा कम पूँजी-गहन तकनीकों का संवर्धन करती है और एक स्थिर मजदूरी दर तथा स्थिर शुद्ध लाभ दर दिये होने पर उच्च पूँजी उत्पाद अनुपात पश्चात कथित (Latter’s) के उत्पाद पर घटते हुये प्रभाव दिखाते हैं ।”

8. अल्पविकसित देशों में नये प्लांट और उद्यम कच्चे माल के स्रोतों से दूर स्थित होते है, पूँजी निवेश अधिक हो सकता है जिसके परिणाम स्वरूप पूँजी उत्पाद अनुपात बढ़ता है ।

9. अल्पविकसित देशों में पूँजी उत्पाद अनुपात का मुख्य कारण यह तथ्य है कि यह देश तुलनात्मक रूप में पूँजीगत वस्तुओं में निर्माण में कम दक्ष होते हैं जिससे पूँजी साज-सामान की कीमत बढ़ती है । पूँजीगत वस्तुओं के निर्माण में तुलनात्मक अदक्षता पूँजी की लागत को बढ़ा देती है तथा उच्च पूँजी उत्पाद अनुपात को बनाये रखने के लिये उत्तरदायी है ।

निम्न पूँजी उत्पाद अनुपात के पक्ष में तर्क (Arguments in Favour of Low Capital Output Ratio):

अल्पविकसित देशों के लिये निम्न पूँजी उत्पाद अनुपात के प्रकरण पर कुछ अर्थशास्त्रियों ने निम्नलिखित मान्यताओं के आधार पर विचार किया है:

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1. देखा गया है कि अल्प विकसित देशों में पूँजी का निवेश उत्पाद को पर्याप्त रूप में बढ़ाता है क्योंकि वहां भारी मात्रा में अप्रयुक्त और अल्पप्रयुक्त प्राकृतिक साधन होते हैं । साधनों के पूर्ण प्रयोग और अल्प प्रयोग के परिणामस्वरूप पूँजी उत्पाद अनुपात नीचा होता है ।

2. पूँजी के अभाव के कारण एक अल्पविकसित देश पूँजी की बचत करने वाले आविष्कारों का प्रयोग करते है तथा वह प्राय: श्रम गहन तकनीकों का प्रयोग करते हैं जिसके लिये पूँजी की कम मात्रा की आवश्यकता होती है ।

3. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पूँजी उत्पाद अनुपात गिर रहा है ।

4. वर्तमान पूँजी का पूर्ण उपयोग पूँजी उत्पाद अनुपात को नीचा कर देता है ।

5. इन देशों में पूँजी के थोड़े से निवेश से श्रम उत्पादकता में पर्याप्त लाभ होगा जो पूँजी उत्पाद अनुपात को नीचे रखेगा ।

6. यदि विकास के प्रारम्भिक सोपानों पर कृषि विकास अथवा अन्य श्रम गहन उद्योगों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है तो पूँजी उत्पाद अनुपात नीचा होगा ।

7. क्योंकि अल्पविकसित देशों में पूँजी का पूर्ण उपयोग नहीं होता । इसलिये ह्रास की दर नीची होती है जिसका अर्थ है प्लांट एवं साज-सामान का लम्बा जीवन और नीचा पूँजी उत्पाद अनुपात ।

8. नियोजित अर्थव्यवस्थाओं में पूँजी की प्रति इकाई के पीछे उत्पादन, आयोजन रहित अर्थव्यवस्था की तुलना में ऊँचा होता है जो निम्न पूँजी उत्पाद अनुपात की ओर ले जायेगा ।