भूकंप: कारण और परिणाम | Read this article in Hindi to learn about:- 1. भूकम्प का अर्थ (Meaning of Earthquake) 2. भूकम्प के कारण (Causes of Earthquakes) 3. भारत के भूकम्प क्षेत्र (Earthquake Zones of India) 4. प्रभाव (Consequences).

भूकम्प का अर्थ (Meaning of Earthquake):

भूकम्प भूपटल की कम्पन अथवा लहर है, जो धरातल के नीचे अथवा ऊपर चट्‌टानों के लचीलेपन या गुरुत्वाकर्षण की समस्थिति में क्षणिक अव्यवस्था होने पर उत्पन्न होती है ।

भूकम्प की तीव्रता को रिक्टर मापक (Richter Scale) पर प्रकट किया जाता है । भूकम्प को नापने वाले यन्त्र को सीस्मोग्राफ (Seismograph) कहते है । प्रत्येक वर्ष लगभग 507,150 भूकम्प रिकॉर्ड किये जाते हैं, जिनमें से केवल 50,000 को ही मानव महसूस कर पाता है ।

भूकम्प के कारण (Causes of Earthquakes):

भूकम्प आने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

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1. प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonic):

पृथ्वी का भूपटल सात बड़ी एवं एक दर्जन से अधिक छोटी प्लेटों से बना है । यह प्लेटें स्थिर नहीं हैं तथा यह सरकती रहती हैं । जब ये प्लेटें अपने स्थान से खिसकती हैं तो भूपटल में कम्पन पैदा हो जाता है ।

2. ज्वालामुखी उद्गार (Volcanic Eruptions):

ज्वालामुखी उद्‌गार भूकम्प के मुख्य कारणों में से एक हैं । ऐसे भूकम्प या तो ज्वालामुखी उद्‌गार के साथ ही आते हैं अथवा भूकम्प उद्‌गार से पहले आते हैं ।

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3. वलन एवं भ्रंश (Folding and Faulting):

भूगर्भीय हलचल के कारण, भूपटल की परतों में हलचल उत्पन्न होती है तथा वलन एवं भ्रंश पड़ते हैं । वलन एवं भ्रंश पड़ने से चट्‌टानें टूटती हैं तथा भूकम्प आते हैं ।

4. मानवीय कारण (Anthropogenic Causes):

मानव पृथ्वी के भूपटल से खनिजों तथा पत्थरों का खनन करता है नदियों पर बाँध बनाकर जलाशय बनाता है तथा जंगलों को काटता है । यह खनन नीचे धंस जाए तो भू-पटल में कम्पन उत्पन्न होता है । बाँध के जलाशयों के भार से भी भूपटल का संतुलन बिगड़ता है जिससे भू-कम्प आते हैं । सतारा जिले (महाराष्ट्र) में कोयल बाँध के जलाशय के भार (1967) के कारण भारी भूकम्प आया था । जाम्बिया में करीबा बाँध, रूस के नुरेक बाँध (Nourek Dam) और यूनीन के मेराथन बाँध, (1931) में इस प्रकार के भूकम्प रिकॉर्ड किये गये हैं  ।

भारत के भूकम्प क्षेत्र (Earthquake Zones of India):

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भारत के अधिकार भूकम्प हिमालय, कच्छ (गुजरात) तथा उत्तर-पूर्वी भारत की पर्वतमालाओं में आते हैं । दूसरे नम्बर पर उत्तरी भारत के मैदान का नम्बर है । तुलनात्मक रूप से दक्षिण प्रायद्वीप, छोट-नागपुर का पठार बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड तथा छत्तीसगढ़ में भूकम्प कम आते हैं (Fig. 2.26) ।

भूकम्पों का प्रभाव (Consequences of Earthquakes):

भूकम्पों से मानव समाज को सदैव ही भारी जान माल का नुकसान हुआ है ।

भूकम्पों से मानव-समाज एवं पारिस्थितिकी को निम्न प्रकार की हानि होती है:

(i) भू-आकृतियों में परिवर्तन- 1819 के भूकम्प के कारण भुज (गुजरात) में अल्लाह बंध की रचना हो गई थी ।

(ii) बड़े भूकम्पों से भारी जान माल का नुकसान होता है । देखिये तालिका 2.2 ।

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(iii) भवनों, घरों, राजमार्गों, रेल की पटरियों, पुलों तथा नगरों को भारी हानि होती है ।

(iv) महासागरों में बड़े भूकम्प आने से सुनामी (Tsunami) आ जाती हैं । (Sumatra) सुमात्रा के 2004 के भूकम्प के परिणामस्वरूप आई सुनामी में दो लाख से अधिक व्यक्तियों की जान गई थी ।

(v) बहुत-से स्थानों पर भूपटल नीचे धंस जाता है या ऊपर उठ जाता है ।

(vi) भूकम्प आने पर शॉर्ट सार्किट (Short Circuit) के कारण नगरों में आग लग जाती है तथा पानी के पाईप फट जाने से नगरों की गलियों में पानी भरने से बाढ़ जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है ।

भूकम्पों की भविष्यवाणी:

भूकम्पों के बारे में अभी तक वैज्ञानिक ढंग से भविष्यवाणी नहीं की जा सकती । केवल पशुओं के व्यवहार के आधार पर ही कभी-कभी भविष्यवाणी की जा सकी है । 1975 में चीन के हैचांग नगर में एक विश्वसनीय भविष्यवाणी की गई थी ।

भूकम्प से पहले पानी में रहने वाली बतखें पानी से बाहर आ गई, साँप अपने बिलों से निकलकर बाहर आ गये, कुत्ते भौंकने लगे, मछलियाँ पानी से बाहर निकलकर रेत पर उछलने लगीं तथा कुओं का पानी दो तीन मीटर ऊपर चढ़ गया । इन लक्षणों को देखकर भूकम्प की भविष्यवाणी की गई तथा लोगों को चेतावनी देकर मैदानों एवं खुले उद्यानों में आने का सुझाव दिया गया ।

मैदानों में भोजन तथा मनोरंजन के प्रबन्ध किये गये । दूसरे दिन भारी भूकम्प आया सारा नगर ध्वस्त हो गया परन्तु लोगों की जान बच गई । इसके विपरीत 1976 में त्येनशान नगर में अचानक भारी भूकम्प आया जिसमें ढ़ाई लाख से अधिक लोग क्षण भर में मौत के घाट उतर गये और नगर खण्डहर में बदल गया ।

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