उष्णकटिबंधीय चक्रवात: उत्पत्ति और लक्षण | Read this article in Hindi to learn about:- 1. उष्णकटिबंधीय चक्रवात  की उत्पत्ति (Origin of Tropical Cyclones) 2. उष्ण चक्रवात की प्रमुख विशेषतायें (Characteristics of Tropical Cyclones) 3. सरंचना (Structure).

उष्णकटिबंधीय चक्रवात  की उत्पत्ति (Origin of Tropical Cyclones):

उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक निम्न वायु-भार का तन्त्र है जो उष्णकटिबंधीय अक्षांशों में विकसित होते है । उष्ण चक्रवातों की उत्पत्ति महासागरों के पश्चिमी भाग में होती है, जहाँ का तापमान 20° से 25°C के आस पास रहता है । अधिकांश उष्ण चक्रवात डोलड्रम की पेटी के उत्तर अथवा दक्षिण में विकसित होते हैं ।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात विश्व की ऊष्मा एवं आर्द्रता का एक शक्तिशाली प्रदर्शन है । इसमें निम्न भार वायु राशियाँ नहीं होती बल्कि सागर स्तर से कई सौ मीटर की ऊँचाई तक एक ही प्रकार का तापमान, आर्द्रता तथा वायु राशि होती है ।

एक उष्ण चक्रवात की उत्पत्ति के लिये निम्न मौसमी दशाओं की आवश्यकता होती है:

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1. गर्म एवं आर्द्र वायु की निरन्तर आपूर्ति होनी चाहिए ।

2. निम्न आक्षांशों में सागर की सतह का तापमान 20° से 25° के आस-पास ।

3. वायुमण्डल शान्त ।

4. सागर स्तर से 9-15 किलोमीटर की ऊँचाई तक प्रतिचक्रवात प्रवाह होना, जिससे वायु का ऊपर की ओर संचार तेज गति से होता रहे ।

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5. कोरियों के प्रभाव के कारण व्यापरिक पवनें मन्द गति से उत्तरी गोलार्द्ध में दाहिनी ओर मुड़ जाती हैं ।

उष्ण चक्रवात की प्रमुख विशेषतायें (Characteristics of Tropical Cyclones):

उष्ण चक्रवात की मुख्य विशेषतायें निम्न हैं:

1. वायु भार रेखाओं का आकार वृत्ताकार होता है ।

2. चक्रवात का व्यास 150 से 300 किलोमीटर होता है ।

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3. चक्रवात के केन्द्रीय भाग को चक्रवात की आँख कहते हैं ।

4. इनमें वाताग्र (Fronts) नहीं होते ।

5. वाष्पीकरण के कारण इनमें भारी मात्रा में निहित ऊष्मा (Latent Heat) होती है ।

6. इनकी रफ्तार 50 किलोमीटर से लेकर 300 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है ।

7. इनकी उत्पत्ति पतझड़ के मौसम में होती है ।

8. इनमें प्रमुख रूप से मुकुटधारी तथा काले बादल पाये जाते हैं (Cumulus-Nimbus), बादल छाये रहते हैं ।

9. इन से मूसलाधार वर्षा होती है ।

10. इनको विनाशात्मक माना जाता है ।

उष्ण चक्रवातों को निम्न नामों जाना जाता है:

(i) टाईफून (तूफान) चीन में ।

(ii) टेफु-जापान में ।

(iii) बेजियो-फिलीपीन्स में ।

(iv) हरिकेन-कैरेबियन सागर में ।

(v) विली-विली-आस्ट्रेलिया में ।

(vi) चक्रवात-बंगाल की खाड़ी, अरब सागर तथा हिन्द महासागर में ।

उष्ण चक्रवात की सरंचना (Structure of Tropical Cyclones):

उष्ण चक्रवात की आंख कहते हैं । चक्रवात के केन्द्रीय भाग को चक्रवात का आँख का विस्तार (व्यास) 20 से 50 किलोमीटर तक होता है । चक्रवात के केन्द्रीय भाग में पवन की गति मन्द होती है । इस भाग में प्राय: बादल नहीं होते । केन्द्रीय भाग (आँख) के चारों ओर अधिक वर्षा होती है और इसी के निकट पवन की गति सब से अधिक होती है । उष्ण चक्रवात में काली घटा पेटियों के रूप में चक्र खाती हुई आगे की ओर बढ़ती है (Fig. 3.33) ।

उष्ण चक्रवात प्राय: भारी तबाही मचाते हैं । इनसे जान-माल, फसलों तथा वृक्षों को भारी नुकसान होता है । तेज पवन के कारण सागर का जल ऊँची लहरों के द्वारा स्थल पर चढ़कर निचले तटों को जल मग्न कर देता है । बंग्लादेश में 1991 के चक्रवात में लगभग दो लाख व्याक्तियों का जानें गई थीं और पशुधन व फसलों और घरों को भारी नुकसान हुआ था ।

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