स्याही का निर्माण कैसे करें? | Read this article in Hindi to learn about:- 1. How to Manufacture Writing Ink? 2. How to Manufacture Ink Tablets? 3. How to Manufacture Rubber Stamp Ink? 4. How to Manufacture Ink for Ball Point Pen?

भारत में स्याही बनाने के कारखाने जगह-जगह मौजूद हैं । बड़े-बड़े शहरों में लगे हुए लगभग 10 कारखाने ऐसे हैं जो देश भर में तैयार होने वानली फाउंटेन पेन की कुल स्याही का लगभग 95 प्रतिशत भाग तैयार करते हैं । देश में फाउन्टेन में पेनों का उत्पादन तेजी से बड़ा इसी वजह से फाउन्टेन पेन की स्याही की मांग भी अब काफी बढ़ गई है ।

इसके अलावा देश में पढ़े-लिखे लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है । जिससे पेन की स्याही की खपत और भी बढ़ जाएगी । देश में स्याही की मांग पूरी करने के अलावा भारत से स्याही का निर्यात पड़ोस के देशों को भी किया जा सकता है ।

लिखने की स्याहियां को उत्पादन  करना (How to Manufacture Writing Ink?):

आजकल खासतौर से दो तरह की स्याहियां प्रचलित है:

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1. आयरन गलोटेनेंट और गलेट स्याहियां,

2. रंग से बनी स्याहियां (डाई इंक्स) ।

आयरन गेलोटेनेंट और गेलेट स्याहिया खासतौर पर ‘टैनिक और गैलिक’ तेजाब तथा फैरस सल्फेट को पानी में मिलाकर तैयार की जाती है, फिर इन स्याहियां को देर तक चलाने और पक्का करने के लिए उनमें ठीक किस्म के पक्के रग (टिन्टिंग डाइज) और खनिज तेजाब (मिनरल एसिड) भी मिला दिए जाते हैं ।

इन स्याहियों द्वारा लिखी गई लिखाई काफी पक्की खेती है अर्थात् यह लगभग पचास साल तक फीकी नहीं पड़ती । यदि यह लिखाई फीकी पड़ भी जाए तो ठीक किस्म के रासायनिक प्रयोग द्वारा उसे फिर पहले की तरह ठीक पढ़ने योग्य बनाया जा सकता है । लिखाई को अधिक टिकाऊ बनाने के लिए स्याही में कम से कम 0.6 प्रतिशत लोहे का अंश अवश्य मिलाना चाहिए ।

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रंग में बनी स्याहियां पानी में घुलने वाले रंगों के घोल से बनाई जाती है । फिर इन घोलों में ऐसे रासायनिक द्रव्य भी मिला दिये जाते हैं जिनसे वे काफी समय तक के लिए बनी रहती है । इन स्याहियों की लिखाई अधिक टिकाऊ नहीं होती ।

आयरन गेलोटेनेंट और गेलेट की बनी स्याहियों की लिखाई की तरह इन स्याहियों की लिखाई फिर से ठीक पढ़ने योग्य नहीं बनाई जा सकती । इसी प्रकार रंग से बनी स्याहियों का प्रयोग पक्की स्याहियों के रूप में नहीं किया जाता है ।

आयरन गेलोटेनेंट स्याहिया बनाने का तरीका इस प्रकार है:

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रंग से स्याही बनाने का तरीका (Manufacturing Process):

रग से स्याही बनाने के लिए स्रावित जल (डिस्टिल्ड वाटर) और उपयुक्त रंगों को निश्चित मात्रा में मिला दिया जाता है । इस स्याही को देर तक ठीक रखने के लिए एक लिटर स्याही में एक ग्राम फेनोल जैसा पदार्थ भी मिलाया जाता है । पेन की निब के कोने पर स्याही जमने न पाये इसलिए प्रति लिटर स्याही में 50 से 100 ग्राम तक ग्लिसीन भी मिला देते हैं ।

रंग की स्याही के लिए कुछ उपयुक्त रंगों के नाम दिये गये है:

 

रंग जितना काला होता है, उसी के अनुसार उसे स्याही के घोल में मिलाया जाता है । हल्की या गहरी स्याही बनाने के लिए प्रति लिटर स्याही में 5 से 20 ग्राम तक रंग मिलाया जाता है ।

तैयार स्याही को खुशबूदार बनाने के लिए उसमें आमतौर पर लगभग 0.05 प्रतिशत के अनुपात में मेथाइल सैलीसिलेट, थाइमल आदि जैसे पदार्थ मिला दिये जाते हैं । लिखने की स्याहियों में घोलक पदार्थ मिलाकर प्रायः उन्हें और अच्छा बना लिया जाता है, जिससे इनका प्रयोग फाउन्टेन पेन में भी जा सके ।

कई लोगो का विश्वास है कि साधारण स्याहियों की अपेक्षा फाउन्टेन पेनों की स्याहियों की कुछ विशेषताएं और अच्छाइयां है । वास्तव में बात यह है कि साधारण स्याही और फाउन्टेन पेन की स्याही में कोई बुनियादि अन्तर नहीं होता ।

इतना जरूर है कि फाउन्टेन की स्याही बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि वह जल्दी खराब न हो, लिखने में साफ हो, टिकाऊ हो और पेन से लिखते वक्त उसका बहाव ठीक रहता हो, इसलिए फाउन्टेन पेन की स्याही बनाने के लिए खालिद और बढ़िया रगो को ठीक अनुपात में मिलाया जाता है ।

यदि इस स्याही में अधिक तापमान पर उबलने वाले घोलक पदार्थ ‘साल्वेट और मिला दिये जाएं तो वह भारत की तेज गर्मी में भी नहीं सूखेगी और लिखते समय पेन की निब पर भी नहीं जमेगी ।

स्याही बनाने के लिए आमतौर पर नीचे लिखे घोलों का प्रयोग किया जाता है:

1. एथिलीन ग्लाइकोल

2. ग्लिसरीन

3. एथिलीन ग्लाईकोल-मोनोमिथाइल ईथर (मिथाईल सेलोसोल्व)

4. एथिलीन ग्लाईकोलमोनाइथाइल ईथर (सैलोसोल्व इत्यादि)

स्याही को खुशबूदार बनाने का तरीका:

यदि आवश्यकता हो तो स्याही में भी साबुन की तरह लगभग 0.05 प्रतिशत खूशबू मिलाई जा सकती है ।

स्याही बनाने के लिए मशीनरी एवं उपकरण (Machinery and Equipments Required for Making Ink):

लिखने की स्याही (इंक) (Write Ink (Ink)):

1. वाटर-टैंक

2. गैल्वनाइज्ड टैंक

3. सैटलिंग टैंक

4. मिक्सिंग टैंक

5. फिल्टर-प्रेस

6. बेबी बॉयलर

7. बोतल फिलिंग मशीन

8. सेन्ट्रीफ्यूगल पम्प

9. भार-तुला

स्याही बनाने के विषय में महत्वपूर्ण बातें (Things to Remember while Ink Preparation):

1. बढ़िया स्याही बनाने के लिए यह जरूरी है कि बढ़िया सामान ही इस्तेमाल किया जाये । इसलिए स्याही के लिए केवल असली और शुद्ध रासायनिक पदार्थ और वस्तुएं काम में लानी चाहिए ।

2. सबसे पहले स्याही बनाने के लिए काम आने वाले समस्त पदार्थों को मात्रा के अनुसार ठीक-ठीक तोलना चाहिए और उन्हें गर्म स्रावित जल में अलग-अलग उपकरण से मिलाना चाहिए ।

3. इसके पश्चात इन्हें बनाने वाले उपकरण में डालकर मिला देना चाहिए ।

4. अब इस प्रकार तैयार की गई स्याही को पहले निथारा (Decant) और फिर यदि जरूरी हो छान लेना चाहिए ।

5. निथारने व छानने के बाद स्याही को जांच की हुई शीशियों में भरकर बंद कर देते हैं और उन शीशियों पर नाम आदि की चिप्पी लगा देते है ।

6. स्याही भरने की शीशियां ऐसे कांच की बनी होनी चाहिए जिस पर तेजाब और क्षार का कोई असर न होता है. वरना स्याही बहुत जल्द खराब हो जाएगी ।

रोशनाई की टिकियां को उत्पादन  करना (How to Manufacture Ink Tablets?):

पीछे द्रव (तरल) रोशनाइयों और रोशनाई के पाउडर बनाने की विधियां बतायी गयी है । रोशनाई की टिकियां बनाना भी कठिन नहीं है, परन्तु वह अधिक पूजी का काम है, क्योंकि टिकियां बनाने की मशीन अलग से रखनी पड़ती है । टिकियां बनाने के लिए डैक्स्ट्रीन का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है ।

डैक्स्ट्रीन मैदे की तरह का बारीक पाउडर होता है । अगर इसमें तनिक-सा पानी दिया जाय तो यह गोद की तरह चिपकने लगता है । बढ़िया क्वालिटी की रोशनाई की टिकियां बनाने के लिए डैक्स्ट्रीन में ही रंग मिलाया जाता है ।

टिकियां बनाने के लिए एक बर्तन में कम से कम पानी में नीला रग (मैथिल ब्लू टू बी कान्क) घोल दिया जाता है और इसे डैक्स्ट्रीन में मिलाकर रोटी के आटे की तरह गूथ लिया जाता है । इसमें पानी इतना कम मिलाया जाता है कि सारा रंग तो डैक्स्ट्रीन में मिलाया जाए, अर्थात् डैक्स्ट्रीन गहरे नीले रंग की हो जाय परन्तु यह गुन्धकर बहुत मुलायम न हो, बल्कि भुराभुरा सा रहे ।

इसके छोटे-छोटे टुकड़े तोड़कर एक ट्रे में रख दिया जाता है और धूप में सुखा लिया जाता है । अगर धूप में सुखाने का प्रबंध न हो तो एक बिजली से चलने वाली ओवन बनवा सकते हैं । अगर अच्छी धूप हो तो तीन दिन में यह सुख जाती है । अब इसे हाथ से चलाने वाली ग्राइडिंग मशीन में डालकर पीस लिया जाता है ।

इस मशीन में ऐसा प्रबंध होता है कि पिसाई मोटी या बारीक की जा सकती है, अतः आप इसके स्क्रू को इस तरह एडजस्ट करें कि पिसाई बारीक न हो, बल्कि दरदरा दाना बनकर निकले । पिसे हुए दाने को बारीक छलनी से छान लिया जाता है, ताकि आटा जैसे बारीक पदार्थ निकल जायें और दाना-दाना बचा रहे । इस आटे जैसे बारीक पदार्थ से टिकिया दुबारा बनाई जा सकती है ।

दाने पर एक स्प्रेयर द्वारा पानी की बहुत मामूली सी फुहार डाली जाती है और हाथ से दोनों को रगड़कर फिर एक बार फुहार डाली जाती है । फुहार इसलिए डाली जाती है कि दाने बहुत मामूली से गीले हो जावें । अगर पानी की फुहार ज्यादा डाल देंगे तो दाने एक दूसरे से चिपटकर आटा बन जायेगे ।

अब इन दानों को मिक्सिंग ड्रम में डाल दिया जाता है इन पर थोड़ा सा मैथिलीन ब्लू छिड़कर ड्रम का मुंह बंद करके ड्रम को धीरे-धीरे घुमाया जाता है । लगभग एक घटा घुमाने पर दाने पर एक-दूसरे से रगड़ खाकर चमकदार हो जाते है इन दोनों को निकाल लिया जाता है ।

अब इन दोनों को टैबलेट मशीन, जिसकी क्षमता 70-80 टैबलेट प्रति मिनट है, के हॉपर में डालकर मशीन को चला दिया जाता है । टिकियां बनकर गिरने लगती है । इसे डिब्बों में पैक करके टेबुल लगा दिया गया ।

 

रबड़ स्टैम्प इंक को उत्पादन  करना (How to Manufacture Rubber Stamp Ink?):

यह रोशनाई प्रत्येक कार्यालय में काम आती है काफी मात्रा में बिकती है । इस रोशनाई में विशेषता यह होनी चाहिए कि यह पैड में लगाने पर जल्दी से सूख जाय और काफी समय तक काम देती रहे । इन रोशनाइयों में देर से सूखने का गुण उत्पन्न करने के लिए ग्लिसनि डाली जाती है । रोशनाइयां अधिकतर जामनी रंग की बनाई जाती है ।

रंग को गर्म पानी में घोलकर शेष रचक मिला दिया जाता है । इसे फिल्टर करके शीशियों में पैक कर दिया जाता है । रंग की मात्रा कम-वेश की जा सकती है ।

बॉल पाइन्ट पेन की इंक को उत्पादन  करना (How to Manufacture Ink for Ball Point Pen?):

आजकल बाल पाइन्ट पेनों का उपयोग बहुत बढ गया है । इनकी रोशनाई विशेष प्रकार की होती है जो इतनी गाड़ी होती है कि स्वयं पेन से न निकल सके और साथ ही लिखने में अच्छी हो, अर्थात रुक-रुक कर न निकले ।

मिक्सिंग मशीन (जिसमें गर्म पानी का जैकेट लगा हो) में अरण्डी का तेल डालकर गर्म किया जाता है और इसमें अल्युमीनियम स्टीयरिट मिला दिया जाता है । इसको इतना गर्म किया जाता है कि अल्युमीनियम स्टीयरिट पिघल कर तेल में मिल जाय ।

अब इसमें रग डालकर मिक्सर को चलाए ताकि एक समान रोशनाई में कहीं पर भरि रोडी न रह जाय अन्यथा पैन में ठीक काम नहीं करेगी । रोशनाई तैयार हो जाने पर फिल्टर कर लेना चाहिए । इसे उपयुक्त ढंग से पैक कर लिया जाता है ।

स्याही भरना बाल पाइन्ट पेन की इंक को ट्‌यूब में भरना एक समस्या है, क्योंकि ट्‌यूब चाहे पीतल को हों या प्लास्टिक के, उनका मुंह बहुत छोटा होता है । इस काम के लिए ऑटोमैटिक मशीनें आती हैं । परन्तु छोटे पैमाने पर काम करने वालों के लिए एक छोटी सी हाथ की मशीन आती है । इसकी सहायता से काफी तेजी से बाल पाइंट ट्‌यूबों में रोशनाई भरी जा सकती है ।