मसालों का निर्माण कैसे करें? | Are you planning to manufacture spices? Read this article in Hindi to learn about how to manufacture and produce spices.

मुख्यतया मसालों का उपयोग व्यंजनों को अधिकाधिक स्वादिष्ट बनाने हेतु किया जाता है । संभवतया मसालों का जितना उपयोग भारतीयों द्वारा अपने भोजन में किया जाता है उतना शायद ही किसी अन्य देश में किया जाता हो । भारतीय मसाले अपने आप में अनेकों विविधतायें तथा विशिष्टतायें लिए हुए होते हैं तथा यही कारण है कि विदेशों में भी भारतीय मसाले काफी अधिक पसंद किए जाते हैं इनका काफी मात्रा में निर्यात भी हो रहा है ।

मसालों के संदर्भ में उपभोक्ताओं द्वारा जिस पहलू को अधिक महत्व दिया जाता है वह है इनकी शुद्धता । शुद्धता के साथ-साथ विभिन्न फ्लेवर्स को भी उपभोक्ताओं द्वारा काफी महत्व दिया जाता है तथा इस संदर्भ में किन्हीं स्थापित तथा प्रसिद्ध नामों वाले उत्पादनकर्ताओ जैसे एम. डी. एच. एवरेस्ट, अशोक आदि द्वारा अनेकों स्वादों तथा फ्लेवर्स के मसाले बाजार में प्रस्तुत किसे गए हैं जैसे-छोले का मसाला चाट का मसाला करी मैंथी, मीट मसाला आदि ।

परन्तु यद्यपि किन्हीं विशिष्ट फ्लेवर्स के मसालों की मांग (मसालों की कुल मांग का लगभग 20%) भी उपभोक्ताओं द्वारा की जाती है परन्तु अधिकतम मात्रा में (कुल माँग का लगभग 80%) सामान्य मसालों जैसे हल्दी का पावडर, धनिया पावडर, मिर्ची पावडर आदि की मांग ही रहती है जिन्हें अपनी आवश्यकता तथा रेसीपी (Recipe) के अनुरूप मिश्रित करके गृहणियां/खानसामा लोग भोजन (डिश) तैयार करते हैं ।

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अतः यदि पूर्णता में देखा जाये तो बाजार में सामान्य परिप्रेक्ष्य में पिसे मसालों का प्रचलन तथा उपयोग बढ़ता जा रहा है उसके अनुसार इन उत्पादों का भविष्य अत्यधिक उज्ज्वल प्रतीत होता है ।

पिसे मसालों के निर्माण के क्षेत्र में स्थानीय उद्यमी अपेक्षाकृत अधिक सफल हो सकते हैं क्योंकि इनके निर्माण में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न कच्चे माल ग्रामीण स्तर पर उपलब्ध हो सकते हैं तथा स्थानीय रूप से स्थापित होने के कारण उद्यमी स्थानीय मंडियों/गाँवों से पानी सुविधा तथा पसंद के कारण उच्च गुणवत्ता के कच्चे माल का चयन कर सकता है ।

अतः यदि कोई उद्यमी इन उत्पादों के निर्माण से संबंधित इकाई कस्बा/तहसील स्तर पर स्थापित करे अच्छी गुणवत्ता का कच्चा माल प्रयुक्त करे तथा शुद्धता का ध्यान रखे तो उसके उत्पादों को आशातीत सफलता मिलनी निश्चित है । इसके साथ-साथ यदि उद्यमी इन उत्पादों हेतु ‘एगमार्ग’ चिन्ह प्राप्त कर ले तो उसे शासकीय तथा अन्य उपभोक्ता भण्डारी के माध्यम से भी इन उत्पादों का विवरण करना आसान हो जायेगा ।

(एगमार्ग प्राप्त करने हेतु उद्यमी उनकी इकाई के उत्पादन में आने के उपरांत म. प्र. लघु उद्योग निगम की क्वालिटी कन्ट्रोल एण्ड टैस्टिंग लेबोरेटरी, पोलोग्राऊण्ड, इन्दौर अथवा इस तरह की अन्य अधिकृत प्रयोगशालाओं से संपर्क कर सकते हैं) स्थानीय थोक विक्रेताओं के माध्यम से इन उत्पादों का विपणन करने के साथ-साथ विभिन्न शासकीय विभागों, उपभोक्ता भण्डारों, विपणन संघों, आदि के माध्यम से भी इन उत्पादों के विपणन हेतु पर्याप्त बाजार प्राप्त किया जा सकता है ।

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प्रस्तुत इकाई में यद्यपि तीन प्रकार के (मिर्ची, धनिया, हल्दी) मसालों के पावडर्स के निर्माण से संबंधित विवरण तथा अनुमान ही प्रस्तुत किए गए हैं परंतु बाजार की माँग तथा कच्चे माल की उपलब्धता को देखते हुए उद्यमी अन्य प्रकार के मसालों का निर्माण भी कर सकते हैं । इसके साथ-साथ वे किन्हीं विशिष्ट फ्लेवर्स के मसालों का निर्माण भी कर सकते हैं ।

उपरोक्त के अतिरिक्त संबंधित मशीन की अतिरिक्त क्षमता (Spare Capacity) को देखते हुए किन्हीं अन्य वस्तुओं की पिसाई का कार्य (जॉब वर्क के आधार पर) भी इस इकाई में किया जा सकता है ।

मसालों के उत्पादन की प्रक्रिया (Manufacturing/Production Process for Spices):

मसालों की उत्पादन प्रक्रिया काफी सरल है । सर्वप्रथम बाजार से अच्छी क्वालिटी का कच्चा माल-लाल मिर्ची, धनिया अथवा हल्दी खरीदी जाती है तथा इसे साफ करके अच्छी तरह सुखाया जाता है । इस सूखे हुए पदार्थ को पल्वराईजर में डालकर इसकी वांछित मैश के अनुसार पिसाई की जाती है तथा इसके उपरान्त मांग के अनुसार 50 ग्राम, 100 ग्राम, 500 ग्राम अथवा किसी अन्य साईज के पौलीथीन बेरस में पैक कर विपणन हेतु प्रस्तुत कर दिया जाता है ।

कई बार ये मसाले बोरियों में भरकर भी बाजार में प्रस्तुत किये जाते हैं । विशिष्ट फ्लेवर्स के मसाले बनाने हेतु विभिन्न फार्मूले के अनुसार विभिन्न अवयवों को विशिष्ट अनुपात में मिलाकर विशिष्ट फ्लेवर्स के मसाले भी प्राप्त किये जा सकते हैं ।

मसालों की इकाई का उत्पादन लक्ष्य (वार्षिक) [Production Target of the Spices Producing Unit (Annual)]:

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प्रस्तुत इकाई में निम्नानुसार उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है:

1. लाल मिर्ची का पावडर = 9465 कि. ग्रा.

2. धनिया पावडर = 8875 कि. ग्रा.

3. हल्दी पावडर = 11240 कि. ग्रा.

क्योंकि इस इकाई में प्रयुक्त किये जाने वाले पल्वराईजर की उत्पादन क्षमता काफी अधिक है, अतः उपरोक्त उत्पादों के अतिरिक्त इस इकाई में अनेकों अन्य प्रकार की वस्तुओं जैसे छालें, नमक, शक्कर, खनिज पदार्थ, कैमीकल्स आदि की पिसाई भी जॉब वर्क आधार पर की जा सकती है, जिससे इस इकाई की लाभप्रदता और अधिक बढ़ाई जा सकती है ।

मसालों की इकाई के वित्तीय पहलू (Financial Aspects of the Spices Producing Entity):

 

1. इकाई की स्थापना हेतु कार्यस्थल/भवन की आवश्यकता (Workplace/Building Requirement for Establishment of the Unit):

इस इकाई की स्थापना हेतु लगभग 500 वर्गफीट के कार्यस्थल की आवश्यकता होगी जो कि लगभग 1000 रु. प्रतिमाह के किराए पर उपलब्ध हो सकता है ।

इकाई में प्रयुक्त की जाने वाली प्रस्तावित मशीन (पल्वराईजर) की प्रमुख विशेषतायें (The Key Features of the Proposed Machine (Pulverizing) used in the Unit):

इस इकाई में प्रयुक्त की जाने वाली प्रस्तावित मशीन पल्वराईजर मसालों की पिसाई हेतु सर्वाधिक उपयुक्त तथा सफल मशीन मानी जाती है । इस मशीन में पत्थर का काई पार्ट नहीं है तथा संपूर्ण पिसाई लोहे के वीटर और लाईनर्स के बीच होती है । इस एक ही मशीन से अनेकों प्रकार की वस्तुएं पीसी जा सकती हैं ।

जिन प्रमुख वस्तुओं की पिसाई हेतु यह मशीन सर्वाधिक उपयुक्त पाई गई हैं वे हैं-

सभी प्रकार के मसाले चावल गेहूँ, दालें, कॉफी, तम्बाखू सुपारी, जड़ी बुटियाँ, पत्तियाँ, नमक, पेड़ की छाल रसायन साबुन चक्की गीली दालें आदि । इस मशीन से आयुर्वादक जड़ी-बूटियों, पेड की छाल, हर्रा, बहेड़ा, आंवला, पीपर तथा अन्य कंद मूल भी आसानी से बारीक से बारीक पीसे जा सकते हैं ।

दो, तीन, चार अथवा अधिक वस्तुओं का मिश्रण भी इसी मशीन से आसानी से हो जाता है जिसके लिये अलग से मिक्सर मशीन की आवश्यकता नहीं होती ।

इसके अतिरिक्त इस मशीन की अन्य प्रमुख विशेषतायें निम्नानुसार हैं:

1. यह मशीन जगह कम घेरती है, करीब 10 वर्गफीट की जगह संपूर्ण मशीन की स्थापना हेतु पर्याप्त है ।

2. इसे अशिक्षित महिलाएँ/पुरुष भी आसानी से चला सकते हैं क्योंकि यह चलाने में अति आसान है ।

3. इसमें मिर्ची के बाद शक्कर अथवा अन्य जो भी वस्तु आप पीसना चाहें, मशीन साफ हो जाती है । इसमें एक वस्तु दूसरे में नहीं मिलती ।

4. यह मशीन व्यवसाय के साथ-साथ घरेलू आवश्यकताओं की पिसाई के काम में भी आ सकती है ।

5. पिसाई के समय इस मशीन में ठण्डी हवा बने रहने के कारण पीसे जाने वाले पदार्थ का असली रंग सुगंध और स्वाद सुरक्षित रहता है (इस बात की गारंटी पत्थर की चक्की में नहीं होती है)

6. इस मशीन से पीसी हुई वस्तु को छानने की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि वस्तु स्वयं छनकर जाली के माध्यम से बाहर आती है ।

7. पत्थर की चक्की को बार-बार टांकने की आवश्यकता होती है जिससे पीसी हुई किसी भी वस्तु में पत्थर के कण आ जाना स्वाभाविक है । परंतु इस मशीन में पिसाई लाईनर्स एवं वीटर की तेज रफ्तार (6000 आर. पी. एम.) से होने की वजह से उत्तम क्वालिटी का उत्पाद निकलता है ।

वर्तमान में इस मशीन (पल्पराईजर) के मुख्य मॉडल जो मसाला उद्योग स्थापित करने के इच्छुक लघु व्यवसाईयों के लिए उपयुक्त हैं, निम्नानुसार हैं:

1.2 हा. पा. की मोटर वाला पल्पराईजर – 5 से 10 कि. ग्रा. प्रति घंटे मसाले पीसने की, क्षमता (विद्युत मोटर तथा अन्य समस्त खर्चो सहित कीमत लगभग 13600 रु.)

2.3 हा. पा. की मोटर वाला पल्पराईजर – 15 कि. ग्रा. प्रति घंटा मसाले पीसने की क्षमता (विद्युत मोटर तथा समस्त खर्चों सहित कीमत लगभग 17080 रु.)

3.5 हा. पा. की मोटर वाला पल्पराईजर – 60 कि. ग्रा. प्रति घंटा मसाले पीसने की क्षमता (विद्युत मोटर तथा समस्त खर्चा सहित कीमत लगभग 21,000 रु.)

4.10 हा. पा. की मोटर वाला पल्पराईजर – 60 कि. ग्रा. प्रतिघंटा मसाले पीसने की क्षमता (विद्युत मोटर तथा समस्त खर्चा सहित लगभग 30,500 रु.)

यह मशीन मुर्गी दाना, मछली दाना तथा पशु आहार के लिए भी उपयोग है ।

3. इकाई में लगने वाले माल की लागत (प्रतिमाह) [Cost of Goods Engaged in Unit (Per Month)]:

इस इकाई में लगने वाले प्रमुख कच्चे माल का विवरण तथा उस पर आनेवाली

अनुमानित लागत का विवरण निम्नानुसार है:

 

4. उपयोगिताओं पर व्यय (प्रतिमाह) [Expenditure on Utilities (Per Month)]:

इस इकाई में लगने वाले प्रमुख उपयोगिता विद्युत की है । इकाई में प्रयुक्त होने वाले पल्वराईजर के संचालन हेतु 10 हा. पा. के विद्युत कनेक्शन की आवश्यकता होगी जिस पर प्रतिमाह लगभग 2000रु. (अनुमानतः पल्पराईजर दिन में 5 घंटे चलेगा) का व्यय होने का अनुमान है ।

विद्युत – 2000

5. कर्मचारियों एवं श्रमिकों को देय वेतन/पारिश्रमिक (प्रतिमाह) [Salary/Remuneration Payable to Employees and Workers (Per Month)]:

इकाई में सचालन/प्रबंधन कार्य से जुड़े कर्मचारियों/श्रमिकों को प्रतिमाह निम्नानुसार वेतन/पारिश्रमिक देय होगा:

6. विविध खर्चे (प्रतिमाह) (Miscellaneous Expenses (Per Month)):

इकाई में संचालन से संबंधित विविध खर्चा जैसे मरम्मत तथा रख-रखाव, बीमा, यात्रा व्यय, विज्ञापन आदि पर निम्नानुसार व्यय होगा:

12. कुल वार्षिक लाभ = 126430

13. मासिक लाभ = 10535

14. कच्चे माल के प्रदायकर्ता:

कच्चा माल स्थानीय बाजार, किसानों तथा मण्डियों में प्राप्त किया जा सकता है ।