हाइब्रिडोमा बनाने और चुनने की प्रक्रिया | Read this article in Hindi to learn about the procedure of making and selecting hybridomas.

हायब्रिडोमा शब्द का उपयोग निम्न दो प्रकार से कोशिकाओं के फ्यूजन से प्राप्त फ्यूज्ड सेल्स के लिए किया जाता है:

(i) एण्टीबॉडी निर्माता लिम्फोसाइट सैल्स (जैसे- भेड़ की लाल रक्त कोशिकाओं से इम्यूनाइज माउस की स्पलीन कोशिका),

(ii) सिंगल मायलोमा सेल जो (बोन मैरो ट्यूमर सेल) ।

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अनिश्चित गुणन करने में सक्षम होती है । इन फ्यूजड हायब्रिड सेल्स या हाइब्रिडोमा में लिम्फोसाइड से वंशागत हुई एण्टीबॉडी बनाने की क्षमता पायी जाती है तथा निरंतर वृद्धि करने की क्षमता पायी जाती है, मैलीगनेंट कैन्सर सेल्स की भाँति ।

हायब्रिडोमा का उत्पादन (Production of Hybridoma):

हायब्रिडोमा टेक्नालॉजी के उपयोग से मोनोक्लोनल एण्टीबॉडीज के उत्पादन के लिए निम्न पदों का पालन किया जाता है:

(i) स्पेसिफिक एण्टीबॉडी के निर्माण के लिए स्पेसिफिक एण्टीजेन के रिपीटेड इन्जेक्शन से एक खरगोश को इम्यूनाइज करना, ऐसा वांछित B-सेल के प्रोलिफरेशन के कारण होता है ।

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(ii) चूहे या खरगोश में ह्यूमर्स का निर्माण ।

(iii) उपर्युक्त दो प्रकार के जंतुओं से स्पलीन कोशिकाओं को अलग-अलग कल्चर करे (स्प्लीन सेल्स B सेल्स एवं T सेल्स से अधिक पायी जाती है) जो स्पेसिफिक एण्टीबॉडी बनाती है तथा मायलोमा सेल्स ली जाती है, जो ट्‌यूमर बनाती है, मायलोमा सेल लाइन का उपयोग किया जाता है, दो रूपों में- यह एण्टीबॉडी बनाना छोड़ देती है तथा यह एक म्यूटेंट होता है, जिसे HGPRT कहते है, जो हायपोजेन्थिन ग्वालिन राइबोसिल ट्रांसफेरज (HGPRT) एन्जाइम नहीं संश्लेषित कर सकता है ।

(iv) पॉलीइथायलीन ग्लायकोल (PEG) के उपयोग से स्पलीन सेल्स का मायलोमा सेल्स में फ्यूजन को प्रेरित करते है, जिससे हायब्रिडोमा बनता है । हायब्रिड सेल्स को सेलेक्टिव हाइपोजैन्थिन अमीनोपेटरिन थायमिडिन (HAT) मीडियम में उगाया जाता है ।

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HAT मीडियम में एक ड्रग अमीनोप्टेरिन पायी जाती है, जो न्यूक्लियोटाइड सिंथेसिस का एक पाथवे ब्लॉक कर देती है, जिससे सेल्स अन्य पाथवे पर निर्भर हो जाती है, जिससे मायलोमा सेल्स में अनुपस्थित HGPRT पाया जाता है । अत: मायलोमा सेल्स जो Q-सेल्स के साथ फ्यूज नहीं करती । वे मर जाती है, क्योंकि वे HGPRT होती है ।

वे B-सेल्स जो फ्यूज नहीं करती, वे भी मर जाती है क्योंकि इनमें इम्मोरटल ग्रोथ की ट्यूमरोजनिक विशेषताएँ नहीं पायी जाती । अत: HAT मीडियम, हायब्रिडोमा सेल्स के चयन को अनुमत करते है, जो B-सेल्स से HGPRT सेल्स को इनहेरिट करते है तथा मायलोम सेल्स से ट्यूमोरिजेनिक प्रोपटीज को इनहेरिट करते हैं ।

क्लोनिंग एवं एण्टीबॉडी प्रोडक्शन के लिए वांछित हायब्रिडोमा का चयन करें ऐसा करने के लिए वांछित हायब्रिडोमा का चयन करें । ऐसा करने के लिए सिंगल सेल कालोनियाँ उगायी जाती है, जो वृद्धि करती है तथा एण्टीबॉडी निर्माण हायब्रिडोमा की स्क्रीनिंग के लिए उपयोग किया जा सकता है ।

सैकडों हायब्रिड सेल्स में से केवल एक ही वांछित विशेषता वाली एण्टीबॉडी बनाती हैं । अधिक मात्रा में मोनोक्लोनल एण्टीबॉडी के उत्पादन के लिए चयनित हायब्रिडोमा सेल्स को कल्चर करें । ये हायब्रिडोमा सेल्स भविष्य में उपयोग के लिए फ्रीज की जा सकती है तथा किसी जंतु के शरीर में भी इनजेक्ट की जा सकती है, ताकि शरीर में एण्टीबॉडी निर्माण हो सके तथा बाद में बॉडी फ्लूड से रिकवर हो सके ।

ह्यूमन हायब्रिडोमा (Human Hybridoma):

मनुष्य या चूहे की मोनोक्लोनल एण्टीबॉडीज के उत्पादन में शोधकर्ताओं ने हायपोजेन्थिन ग्वालीन फास्फोराबोसिल ट्रांसफैरेज म्यूटेंट मायलोमा सेल्स (HPRT) के साथ आरंभ किया ।

माउस मायलोमा सेल्स के साथ उपयोग करने हेतु इम्युनाइज्ड म्यूटेंट मायलोमा सेल्स (HPRT) प्राप्त करने के लिए शोधकर्ताओं ने चूहे को एक दिए गए एण्टीजन के साथ इनजेक्ट किया जिसके लिए चूहा स्पेसिफिक एण्टीबॉडी का निर्माण करता है ।

चूहे की स्पलीन निकल दी जाती है तथा लिम्फोसाइट्स निष्कर्षित की जाती है । माउस मायलोमा सेल्स के साथ मिलायी जाती है तथा सोमेटिक सेल फ्यूजन के प्रमोट करने के लिए पॉलीइथायलीन ग्लायकॉल में थोड़े समय के लिए इनक्यूबेट किया जाता है ।

इसके बाद सेल मिश्रण को HAT ग्रोथ मीडियम में रखा जाता है । अनफ्यूस्ड मायलोमा सेल्स तथा मायलोमा सेल्स तथा मायलोमा-मायलोमा हायब्रिड जिनमें HPRT एन्जाइम नहीं पाया जाता । वे HAT मीडियम में जीवित नहीं रह पाते ।

अनफ्यूज्ड स्पलीन लिम्फोसाइड तथा स्पलीन-स्पलीन लिम्फोसाइड हायब्रिड कुछ रिप्लेशन के बाद प्राकृतिक रूप से मर जाते है । शेष बचे हुए स्पलीन सेल मायलोमा हायब्रिडों को एण्टीजन के विरूद्ध एण्टीबॉडी के निर्माण हेतु ऐसे किया जाता है, पॉजिटिव हायब्रिडोमा माप को क्लोन पर लिया जाता है ।

इसके बाद हायब्रिडौमाज फ्रोजन तथा स्टोर किये जा सकते है । एण्टीबॉडी निर्माण को एम्पलीफाय करने के लिए माइस को हायब्रिडोमाज से इनजेक्ट किया जा सकता है । ऐसे इन्जेक्शन्स एसाइट ह्यूमर बनाते है । ह्यूमर बड़ी मात्रा में मोनोक्लोनल एटीबॉडीज उत्पन्न करते है ।

मनुष्यों के लिए लिम्फोसाइट, कैंसर रोगी के लिम्फ नोड से ली जाती है तथा मायलोमा सेल्स के साथ मिलायी जाती है । लिम्फ नोड सेल्स रोगी के कैंसर के विरूद्ध एण्टीबॉडी बनाती है यदि ऐसा नहीं होता, तो प्रक्रिया मान नहीं करेगी ।

ह्यूमर मिक्सड सेल कल्चर को माइस की प्रक्रिया की भांति ट्रीट किया जाता है । मनुष्य के लिए मोनोक्लोनल एण्टीबॉडी का एम्पलीफिकेशन टिशू कल्चर में अथवा इम्यूनोसप्रेस्ड एनिमल्स में किया जाता है । (वे जंतु जिनमें ड्रग सप्रेस्ड सिस्टम पाया जाता है ।)

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