बाजीराव मस्तानी की जीवनी | Bajirao Mastani Kee Jeevanee | Biography of Bajirao Mastani in Hindi!

1. प्रस्तावना ।

2. बाजीराव की प्रेमिका मस्तानी ।

3. उपसंहार ।

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1. प्रस्सावना:

मस्तानी पेशवा बाजीराव की अनन्य प्रेमिका थी । बाजीराव, शिवाजी के बाद मराठा साम्राज्य के सच्चे संस्थापक थे, जो एक सैनिक, योद्धा, कूटनीतिज्ञ, अलौकिक और दृढ़ व्यक्तित्व के धनी, महान् सेनानायक, मराठा शक्ति के प्रसारक व हिन्दू धर्म के रक्षक थे । शासक के श्रेष्ठ गुणों के सम्मिश्रण के साथ-साथ वे एक आदर्श प्रेमी थे । मस्तानी अपूर्व सुन्दरी थी । कहा जाता है कि उस समय भारत की सबसे सुन्दर स्त्रियों में उसकी गणना होती थी । वह बाजीराव से अत्यधिक प्रेम करती थी ।

2. बाजीराव की प्रेमिका मस्तानी:

मस्तानी का जन्म हिन्दू और मुसलमान दोनों ही संस्कृतियों का सम्मिश्रण था; क्योंकि उसकी माता मुसलमान थीं और पिता हिन्दू थे । वह एक श्रेष्ठ नर्तकी एवं अच्छी गायिका भी थी । बुंदेलखण्ड के राजा छत्रसाल ने उसे बुंदेलखण्ड के विजय के फलस्वरूप 12 मार्च, 1779 को बाजीराव को भेंट किया था ।

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बाजीराव उसे अपने साथ पूना ले आये । उसके कट्टर धार्मिक परिवार में मस्तानी का आगमन गृह-कलह का कारण बना । पेशवा की पत्नी काशीबाई, मां राधाबाई तथा भाई चिमनाजी ने उसके पूना आगमन का विरोध किया । बाजीराव मस्तानी से अत्यधिक प्रेम करता था । मस्तानी भी बाजीराव से उतना ही प्रेम करती थी ।

वह पूना के राजमहल के एक भाग में रहती थी । बाजीराव का ध्यान विवाहित स्त्री की भांति ही रखती थी । वह दक्ष घुड़सवार थी । मस्तानी रणक्षेत्र में भी बाजीराव के साथ जाया करती थी । कहा जाता है कि बाजीराव से उसे एक पुत्र-रत्न की प्राप्ति हुई, जिसका नाम उसने शमशेर बहादुर रखा ।

बाजीराव उसके प्रभाव में आकर मांस-मदिरा का सेवन करने लगा था । पेशवा के व्यवहार में उसके सम्पर्क के कारण बहुत अन्तर आ गया था । बाजीराव के निकट सम्बन्धी उससे घृणा करने लगे थे । सन् 1739 में सदाशिव राव के विवाह और रघुनाथ राव के यज्ञोपवीत संस्कार के समय बाजीराव की सार्वजनिक रूप से निंदा की गयी और पुरोहित ने बाजीराव की उपस्थिति में धार्मिक समारोह के बहिष्कार की घोषणा कर दी ।

उस समय बाजीराव किसी सैनिक अभियान में गया हुआ था । चिमनाजी और बाजीराव के पुत्र ने मस्तानी को पकड़कर कारागार में डाल दिया । पेशवा के बार-बार कहने पर मस्तानी को कारागार से मुक्त नहीं किया गया । उसके वियोग के कष्ट में 28 अप्रैल, 1740 को बाजीराव की मृत्यु हो गयी । यह समाचार सुनकर मस्तानी ने भी अपने प्राणों का त्याग कर दिया ।

3. उपसंहार:

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पेशवाकाल में मस्तानी का नाम बाजीराव की प्रेमिका के रूप में हमेशा याद किया जाता रहेगा ।

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