आर्किमिडीज की जीवनी | Biography of Archimedes in Hindi!

1. प्रस्तावना ।

2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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आर्कमिडीज संसार के उन महान् गणितज्ञों एवं वैज्ञानिकों में शीर्ष स्थान रखते हैं, जिन्होंने आधुनिक गणित को विकसित करने में न केवल महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया बल्कि भौतिक शास्त्र के क्षेत्र में सापेक्षित घनत्व के सिद्धान्त को भी प्रतिपादित किया । सौर ऊर्जा के प्रभाव को भी सर्वप्रथम उन्होंने संसार के सामने लाया । वे एक ऐसे यान्त्रिक इंजीनियर भी थे, जिन्होंने मशीनों में लीवर के प्रयोग एवं महत्त्व को व्यावहारिक रूप प्रदान किया ।

2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां:

आर्कमिडीज का जन्म सिसली के { सायराक्यूज} में ईसा पूर्व 287 में हुआ था । उनके पिताश्री फीडायस राजा हायरो के नजदीकी थे । आर्कमिडीज ने अपनी सम्पूर्ण शिक्षा अलेक्जेड्रिया में पूर्ण की । आर्कमिडीज ने अपने सापेक्षित घनत्व के सिद्धान्त में यह प्रतिपादित किया कि जब कोई वस्तु पानी में डुबोई जाती है, तो उसमें उछाल आता है ।

उछाल कहलाने वाला बल उस वस्तु द्वारा प्रतिस्थापित पानी के बराबर होता है । वस्तु का आयतन जितना ज्यादा होगा और वजन कम होगा, तो वह पानी में कम डूबेगी । जिसका वजन ज्यादा व आयतन कम होगा, वह डूब जायेगी; क्योंकि वस्तु द्वारा प्रतिस्थापित पानी का भार कम होता है और उछाल भी कम होता है ।

हल्की वस्तु का उछाल ज्यादा होता है । उनका यह सिद्धान्त पूरी तरह पानी में डूबी हुई तथा आशिक रूप से डूबी हुई दोनों ही प्रकार की वस्तुओं पर लागू होता है । यह सिद्धान्त तरल पदार्थो पर ही नहीं, गैसों पर भी लागू होता है ।

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तभी तो बैलून हवा में उड़ते हैं । जहाज पानी में कैसे तैरते हैं यह जानने में आर्कमिडीज का सिद्धान्त काफी महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ । आर्कमिडीज ने लीवर तथा घिरनियों के सिद्धान्त की सहायता से एक बड़े जहाज को समुद्र से खींचकर किनारे लगवा दिया ।

देश की रक्षा हेतु उनके द्वारा बनाये गये युद्धक उपकरण इतने प्रभावकारी थे कि कई वर्षो तक शत्रु उनके राज्य पर हमला नहीं कर पाये । सूर्य की किरणों को केन्द्रित करके उन्होंने सौर ऊर्जा द्वारा शत्रु के सैनिक जहाज में आग लगवा दी ।

फलत: वह जहाज सम्पूर्ण नष्ट हो गया । उन्होंने गणित तथा भौतिकी के 9 प्रमुख सिद्धान्तों में बेलनाकार, गोलाकार वस्तुओं का आयतन, वृत्ताकार चीजों का क्षेत्रफल व नाप, पैराबोला की गणना, स्पाइरल तारों के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया ।

उन्होंने एक ऐसे मशीनी स्क्रू का निर्माण किया, जिसे आर्कमिडीज रुक कहा जाता है । इसके द्वारा पतली नालियां, हल्के पदार्थ, अनाज, रेत, राख आदि भी साफ किये जा सकते हैं । आर्कमिडीज की सबसे पहली उपलब्धि यह थी कि उन्होंने सिसली के राजा हायरो के सोने के मुकुट की शुद्धता की जांच करके बताया ।

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सुनार द्वारा लाये गये मुकुट को तोड़े बिना जांच कराने का दायित्व आर्कमिडीज को सौंपा गया, तो उन्होंने अचानक ही इसका हल ढूंढ निकाला । एक दिन  स्नान करने के लिए वे लबालब पानी से भरे टब के भीतर बैठे थे, तो उन्हें लगा कि उनका वजन कम हो गया है और टब का पानी कुछ बाहर निकल गया है ।

वे अपने आपको हल्का और ऊपर की उघेर आता हुआ महसूस कर रहे थे । बस खुशी के मारे यूरेका ! यूरेका ! मिल गया ! मिल गया । चिल्लाते हुए प्रयोगशाला की ओर दौड़ पड़े । उन्होंने अपनी इस नयी खोज का व्यावहारिक परीक्षण करते हुए यह पाया कि जब कोई वस्तु किसी द्रव में डुबाई जाती है, तो वह हल्की हो जाती है । उसके भार में होने वाली कमी वस्तु द्वारा विस्थापित द्रव के भार के बराबर होती है ।

अब उन्होंने मुकुट को पानी से लबालब यारे बर्तन में डुबोया । उससे जो पानी बाहर निकला, उसे नाप लिया । उसके बाद उतने ही वजन का सोना लिया और उसे पानी में डुबोया । दूसरी बार पानी कम गिरा था । उन्होंने यह साबित किया कि मुकुट के सोने में चांदी की मिलावट की गयी; क्योंकि सोना ज्यादा भारी होता है और चांदी हल्की ।

समान वजन वाला सोना कम जगह घेरता है और चांदी ज्यादा जगह । यही सापेक्षिक घनत्व का सिद्धान्त है । आर्कमिडीज ने यह घोषणा कर दी थी कि यदि उन्हें सही स्थान मिल जाये, तो वे संसार को भी उठा सकते हैं । वे रेत के कटोरे में कितने दाने हैं, यह भी बता सकते थे ।

3. उपसंहार:

आर्कमिडीज के सापेक्षिक घनत्व, लीवर व स्क्रू के सिद्धान्तों एवं सौर ऊर्जा से सम्बन्धित आविष्कारों ने उनके शत्रु देशों में खलबली-सी मचा दी थी । रोम के शासक ने जब सिसली पर आक्रमण किया, तो अपने सेनापति को यह आदेश दिया कि वे आर्कमिडीज को जिन्दा पकड़कर ले आयें ।

रोम के विजयी सिपाही सिसली शहर में प्रवेश कर आये । 75 वर्षीय आर्कमिडीज अपने घर में फर्श पर बैठे हुए कुछ आकृतियां बना रहे थे । सिपाहियों को प्रवेश करते देख बोले: ”मुझे बेशक मार दो, पर मेरी खींची इन आकृतियों को मत मिटाना ।” मूर्ख सिपाही ने आव न देखा न ताव, आर्कमिडीज के शरीर में तलवार खोंच दी । लहुलूहान आर्कमिडीज अपने नये सिद्धान्त के साथ ईसा पूर्व  212  में इस दुनिया से कूच कर गये ।

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