Read this article in Hindi to learn about the procedure for opening a bank account.

बैंक में विभिन्न प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं जैसे सावधि जमा खाता, बचत बैंक खाता, चालू खाता आदि । बैंक में खाता खोलने वाले ग्राहक भी अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं, जैसे एक व्यक्ति, फर्म, कम्पनी या क्लब, समिति जैसी गैर-व्यवसायी संस्थाएँ ।

इसी प्रकार बैंक में कुछ विशिष्ट प्रकार के ग्राहकों, जैसे अनपढ व्यक्ति, अवयस्क-पर्दानशीन महिला आदि के द्वारा भी खाते खोले जा सकते हैं । अलग-अलग प्रकार के ग्राहकों द्वारा खाते खोलने की प्रक्रिया अलग-अलग होती है । विभिन्न प्रकार के ग्राहकों द्वारा अलग-अलग प्रकार के खाते खोलने एवं उनका परिचालन करने की प्रक्रिया का विस्तृत उल्लेख आगे किया गया है ।

यहाँ हम बैंक में खाता खोलने की सामान्य प्रक्रिया का उल्लेख कर रहे है जो निम्नानुसार है:

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(1) निर्धारित प्रारूप में आवेदन:

बैंक में खाता खोलने के इच्छुक व्यक्ति को निर्धारित प्रपत्र भरकर आवेदन करना चाहिए । विभिन्न प्रकार के खातों के लिए अलग-अलग मुद्रित आवेदन-पत्र बैंक द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं ।

(2) प्रारम्भिक राशि जमा करना:

खाता खोलने हेतु ग्राहक को बैंक में धन जमा करना होता है । खाता खोलते समय जमा की जाने वाली प्रारम्भिक राशि सम्बन्धित खाते के लिए निर्धारित न्यूनतम राशि से कम नहीं होनी चाहिए । राशि जमा करने के लिए ग्राहक को जमा पर्ची (Pay-In-Slip) भरकर उसके साथ राशि बैंक के कैश-काउण्टर पर प्रस्तुत करनी चाहिए । आजकल कई बैंक शून्य जमा पर भी खाता खोलने की सुविधा प्रदान करते हैं ।

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(3) अन्य प्रपत्र भरना:

खाता खोलते समय विभिन्न प्रकार के खातों एवं ग्राहकों के लिए निर्धारित कुछ अन्य प्रपत्रों को भी भरना होता है ।

जैसे:

(a) साझेदारी फर्म के लिए भागीदारी-पत्र (Partnership Letter),

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(b) चैकों/बिलों आदि की व्यवस्था के सम्बन्ध में समझौता ।

(4) आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करना:

फर्म या कम्पनी को खाता खोलते समय कुछ अन्य दस्तावेज भी प्रस्तुत करने पड़ते हैं जैसे एक कम्पनी को समामेलन प्रमाण-पत्र, व्यापार प्रारम्भ करने का प्रमाण-पत्र, पार्षद सीमा नियम एवं अन्तर्नियम, खाता खोलने के लिए संचालक मण्डल के प्रस्ताव की प्रमाणित प्रतिलिपि प्रस्तुत करनी होती है ।

(5) नमूने के हस्ताक्षर:

ग्राहक को अपने नमूने के हस्ताक्षर भी बैंक को देने होते हैं । ये हस्ताक्षर खाता खोलने के आवेदन-पत्र तथा नमूने के हस्ताक्षर कार्ड पर लिए जाते हैं ।

(6) परिचयात्मक सन्दर्भ:

बैंक खाता खोलते समय ग्राहक की साख, प्रतिष्ठा, चरित्र आदि के बारे में सन्तुष्ट हो जाना चाहता है ताकि किसी अवांछनीय व्यक्ति का खाता न खुल जाए । अतः ग्राहक को खाता खोलते समय अपना परिचयात्मक सन्दर्भ (Introductory Reference) प्रस्तुत करना पड़ता है ।

परिचयदाता को अपना विवरण देते हुए खाता खोलने के आवेदन-पत्र पर साक्षी की उपस्थिति में हस्ताक्षर करने होते है । ऐसा परिचयदाता ग्राहक के नियोक्ता (यदि ग्राहक कहीं कर्मचारी हो), बैंक का कोई अधिकारी/कर्मचारी या बैंक तथा ग्राहक से परिचित कोई अन्य व्यक्ति हो सकता है ।

(7) खाता खुलना:

ग्राहक द्वारा समस्त आवश्यक औपचारिकताओं की पूर्ति कर दिए जाने पर बैंक ग्राहक का खाता खोल देता है तथा ग्राहक को- (a) पास-बुक, (b) जमा-पर्ची पुस्तिका तथा निकासी-पर्ची पुस्तिका अथवा चैक-बुक निर्गमित कर देता है ।

वर्तमान में कई बैंकों द्वारा एटीएम कार्ड की सुविधा भी प्रदान की जाती है, जिससे 24 घंटे कहीं से भी धनराशि का आहरण अथवा हस्तांतरण किया जा सकता है ।

परिचय (Introduction):

किसी व्यक्ति का खाता खोलने से पूर्व बैंकर को पर्याप्त सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि खाता खुलते ही बैंकर एवं ग्राहक का सम्बन्ध प्रारम्भ हो जाता है जिसके अन्तर्गत बैंकर पर कुछ महत्वपूर्ण दायित्व आ जाते है । अतः बैंकर को खाता खोलने से पूर्व ग्राहक की साख, उसकी प्रतिष्ठा, चरित्र आदि के बारे में परिचयात्मक सन्दर्भ (Introductory Reference) प्राप्त कर लेना चाहिए । खाता खोलने के निर्धारित आवेदन-पत्र में Introduced By ……… के स्थान पर परिचयदाता का नाम एवं पता देकर उसके हस्ताक्षर करा लिए जाने चाहिए ।

ग्राहक का परिचय कौन दे सकता है? (Who May Introduce the Prospective Customer?):

बैंक में किसी भी प्रकार का जमा खाता (चालू, बचत, स्थायी जमा, आवर्ती जमा खाता) खोलते समय अग्रांकित में से कोई भी व्यक्ति ग्राहक का परिचय दे सकता है:

(1) कोई भी ऐसा चालू अथवा अन्य किसी प्रकार का खातेदार जिसका खाता सन्तोषप्रद ढंग से चल रहा हो तथा जिसका खाता 6 माह से अधिक पुतना है ।

(2) समाज का कोई भी उत्तरदायी व्यक्ति जो उस बैंक के प्रबन्धक अथवा किसी भी अन्य अधिकारी से परिचित हो, भले ही वह स्वयं बैंक का खातेदार न हो ।

(3) बैंक के स्टाफ का कोई भी सदस्य जिसकी सेवाएँ स्थायी (Confirmed) हो चुकी हों ।

(4) खातेदार का वैध पासपोर्ट जिस पर उसका पासपोर्ट आकार का फेटो लगा हो, पर्याप्त परिचय माना जाएगा ।

(5) रक्षा कर्मचारियों (Defense Personnel) की दशा में उसके कमांडिंग अधिकारी का पत्र जिस पर उसके कार्यालय की सील लगी हो तथा जिस पर ऐसे कर्मचारी के हस्ताक्षर व फोटो हो ।

बैंक को मान्य किसी भी परिचयदाता को खाता खोलने के इच्छुक व्यक्ति के साथ स्वयं व्यक्तिगत् रूप से बैंक में आना चाहिए । यदि परिचयदाता स्वयं उपस्थित नहीं होता तो बैंक परिचय की पुष्टि (Confirmation) हेतु परिचयदाता का धन्यवाद-पत्र भेजता है ।

परिचय सदैव व्यक्तिगत् हैसियत (Individual Capacity) में प्राप्त किया जाना चाहिए, न कि प्रतिनिधि की हैसियत (Representative Capacity) में । प्रतिनिधि के रूप में दिया गया परिचय इसलिए उचित नहीं माना जाता क्योंकि परिचय देना ऐसी किसी फर्म या कम्पनी (जिसके प्रतिनिधि के रूप में परिचय दिया जा रहा हो) के व्यवसाय का भाग (Part of the Business) नहीं होता ।

किसी फर्म या कम्पनी की दशा में उसके साझेदारों, निदेशकों द्वारा परिचय उसी समूह की फर्म या कम्पनी द्वारा तब तक स्वीकार नहीं किया जाता जब तक कि उसका प्रत्येक खाता सन्तोषप्रद ढंग से न चल रहा हो तथा फर्म के स्वामी/निदेशक/साझेदार बैंक से भली-भाँति अच्छी तरह से परिचित न हों । परिचयदाता के हस्ताक्षरों का सत्यापन (Verification) भी कराया जाना चाहिए ।

परिचय क्यों आवश्यक है? (Why is Introduction Necessary?):

(1) भारतीय विनियम विलेख अधिनियम की धारा 131 के अन्तर्गत बैंकर को संरक्षण तभी प्राप्त होता है जब उसने ‘सद-विश्वासपूर्वक एवं असावधानी के बिना’ कार्य किया हो । यदि बैंकर बिना परिचय के खाता खोलता है तो उसे असावधानी का दोषी माना जाएगा एवं उक्त धारा का संरक्षण बैंकर को नहीं मिलेगा ।

(2) उपर्युक्त परिचय के अभाव में किसी अवांछनीय (Undesirable) व्यक्ति का खाता खुल सकता है जो बाद में बैंक को धोखा दे सकता है ।

(3) यदि परिचय के बिना खाता खोल दिया जाय तथा बाद में ऐसे व्यक्ति ने अधिविकर्ष मिल जाए और वह भुगतान न करे तो बैंक को हानि उठानी पड़ सकती है ।

(4) यदि ऐसे अवांछनीय व्यक्ति को चैक-बुक की सुविधा दे दी जाय तो वह व्यक्ति खाते में पर्याप्त राशि न होते हुए भी चैक काट सकता है और धोखाधड़ी कर सकता है । ऐसे व्यक्ति का खाता रखने के कारण बैंक की भी छवि खराब हो सकती है ।

(5) हो सकता है कि खाता खुलवाने वाला व्यक्ति अविमुक्त दिवालिया (Un-Discharge Insolvent)  हो । ऐसे व्यक्ति का खाता न्यायालय की अनुमति के बिना खोलने में बैंक परेशानी में पड़ सकता है ।

(6) यदि ग्राहक के बारे में कोई अन्य व्यक्ति संदर्भ (Reference) चाहता है तो बैंक यह संदर्भ कैसे दे सकेगा यदि उसको स्वयं को ग्राहक का पूर्ण परिचय प्राप्त न हो ।

परिचयदाता का दायित्व (Liability of Introducer):

खाता खोलने से पूर्व बैंकर द्वारा किसी सम्मानित व्यक्ति या अपने ग्राहक से परिचय-संदर्भ प्राप्त करना एक सावधानी (Precaution) मात्र है । परिचयदाता का कोई कानूनी दायित्व नहीं है । न तो वह उस ग्राहक जिसके खाते का उसने परिचय दिया है, के किसी कार्य के लिए उत्तरदायी होता है और न ही बैंकर को ऐसे ग्राहक से होने वाली हानि के लिए उसका कोई कानूनी दायित्व होता है ।

किन्तु फिर भी परिचय-दाता का यह नैतिक (Moral) कर्तव्य तो है ही कि वह केवल ऐसे ही व्यक्ति का परिचय दे जिसे वह व्यक्तिगत् रूप से भली-भाँति जानता है ।

परिचयदाता यह नहीं कह सकता कि उसने कोरे फार्म पर हस्ताक्षर किए थे क्योंकि कोई भी सामान्य बुद्धि वाला व्यक्ति ऐसा नहीं करता । परिचय प्राप्त करने की उचित प्रक्रिया यह होनी चाहिए कि परिचयदाता से बैंकर अपने समक्ष फॉर्म पर हस्ताक्षर कराए । इस स्थिति में कोरे फॉर्म पर हस्ताक्षर करने की बात नहीं कही जा सकती । कुछ बैंकर यह भी करते हैं कि यदि परिचयदाता ने अनुपस्थिति में हस्ताक्षर किए हों तो उसे एक पत्र लिखकर पुष्टि करा लेते हैं ।

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