खरपतवारनाशी: मतलब, प्रकार और प्रभाव | Read this article in Hindi to learn about:- 1. खरपतवारनाशी का (Meaning of Weedicides) 2. खरपतवारनाशी का प्रभाव (Uses of Weedicides) 3. खरपतवारनाशी का प्रभाव (Effect of Weedicides) 4. रसायन जिनसे खरपतवार की वृद्धि रोकी जाती है (Chemicals Used to Decrease Growth of Weeds) and Other Details.

Contents:

  1. खरपतवारनाशी का (Meaning of Weedicides)
  2. खरपतवार के प्रकार (Types of Weeds)
  3. खरपतवारनाशी का प्रभाव (Uses of Weedicides)
  4. रसायन जिनसे खरपतवार की वृद्धि रोकी जाती है (Chemicals Used to Decrease Growth of Weeds)
  5. मृदा सौरीयन के द्वारा खरपतवारों का प्रबंध या नियंत्रण (Management of Weeds by Soil Solarization)
  6. खरपतवारनाशी का प्रभाव (Effects of Weedicides)

1. खरपतवारनाशी का (Meaning of Weedicides):

विभिन्न अनाजों, दालों, फलों, सब्जियों की खेती की जाती है । जो मनुष्यों व जानवरों के लाभदायक होती है । विभिन्न प्रकार के अनाज उत्पन्न होने के साथ-साथ कुछ Unwanted Plants पौधे आदि भी उग आते है ।

जो हानिकारक होते हैं और मृदा पर अपना प्रभाव डालते हैं तथा उपज को भी प्रभावित करते है । ये Weeds खेती के लिए हानिकारक होती है । फसल के साथ बढ़ती है और मृदा की उर्वरकता को कम करती है ।

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इन्हें नियंत्रित करने के लिए खरपतवारनाशी का उपयोग किया जाता है । जिस प्रकार कीट को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है । खरपतवार को नियंत्रित करने वाले रासायनों को खरपतवारनाशी कहते हैं ।


2. खरपतवार के प्रकार (Types of Weeds):

खरपतवार दो प्रकार के होते हैं:

(1) जलीय खरपतवार (Aquatic Weeds):

जल में रहने वाले Unwanted Plants जो Aquatic Fauna को प्रभावित अर्थात् हानिकारक होते है । Aquatic Weed कहलाते हैं । जैसे Anabena, Hexacanth आदि ।

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(2) थलीय खरपतवार (Terrestrial Weeds):

वे पेड़ पौधे जो थल पर उगते हैं या फिर खेती के साथ उत्पन्न हो जाते हैं । यह मृदा की उर्वरकता और फसल को नुकसान पहुँचाते हैं । उदाहरण एविना फैटुआ, नोटेबेरिस आदि इन्हें शाकनाशी भी कहा जाता है ।


3. खरपतवारनाशी का प्रभाव (Uses of Weedicides):

प्रायः खरपतवारनाशी (Weedicides) का प्रयोग खरपतवारों के विरूद्ध प्रयोग किया जाता है । यह रसायन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में रोगों पर भी प्रभाव डालते हैं । खेतों में शाकनाशी का प्रयोग खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है जिससे रोगजनक के निवेश द्रव्य की उत्तरजीविता एवं निर्माण नष्ट हो जाता है ।

कुछ शाकनाशियों का रोग के साथ सीधा संबंध हो सकता है । शाकनाशी रसायनों ने कुछ रोगों जैसे राइजोक्टोनिया सोलेनी द्वारा उत्पन्न चुकंदर का किरीट विगलन एवं कपास का मूल विगलन एवं कपास और टमाटर की फ्यूजेरियम ग्लानि तथा विभिन्न फसलों का स्केलेरोटियम स्तंभ विगलन इत्यादि की उग्रता बढ़ाने का प्रदर्शन किया है ।

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जबकि अनेक परपोषी रोगजनक संयोगों में खरपतवारनाशी ने रोग उग्रता में कमी का प्रदर्शन भी किया है । खरपतवारनाशी के अनुप्रयोगों द्वार कवकनाशी की क्रिया भी बदल सकती है । खरपतवारनाशी के प्रत्यक्ष प्रभावों के अन्तर्गत रोगजनक की वृद्धि का उद्दीपन अथवा परपोषी पौधों की Susceptibility में वृद्धि या ह्रास होना आते है ।

खरपतवारनाशी के अप्रत्यक्ष प्रभावों के अन्तर्गत मृदा (Soil) सूक्ष्म वनस्पति की क्रियाशीलता में वृद्धि या ह्रास होना तथा कुछ अतिरिक्त या एकांतर परपोषी अथवा फसल पादप की सूक्ष्म जलवायु के परिवर्तन द्वारा रोगजनक का चयन आता है ।


4. रसायन जिनसे खरपतवार की वृद्धि रोकी जाती है (Chemicals Used to Decrease Growth of Weeds):

खरपतवारनाशी रसायन जिनसे खरपतवार की वृद्धि रोकी जाती है निम्न प्रकार के है:

(1) 4-D Ethyl Ester 38% EC:

इस रसायन का उपयोग 2,4-D ईथाइल इस्टर 38% EC. जिसे Per Liter 500gm के साथ मिक्स करके डाला जाता है तथा बड़े पत्तों (Leaves) वाली वीड्स जो गेहूँ की खेती में उग आती है, उसे नियंत्रण में लाने के लिए रसायन का उपयोग होता है ।

(2) 2,4-D Amine Salt 58% SL:

इसे 2-4 D Amine Salt 58% SL के नाम से जाना जाता है । इसे गेहूँ (Wheat), चावल (Rice), मक्का (Maize) Millets, Grass-Lands, Aquatic Board Leaves Weeds, Grass-Seeds Crops, Sugarcane आदि में Climatic Conditions को देखकर उपयोग किया जाता है ।

(3) Anilophos 30% EC:

वर्तमान में इसे JOLT के नाम से जानते हैं यह Germinating Shoots, Root और दूसरे Herbicides की Roots, Shoot द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है और फिर पूरे Plant में फैल जाता है तथा Vegetative Parts में इनका Concentration अधिक होता है तथा Reproductive Parts में कम इसके द्वारा वार्षिक घास और दूसरी Weeds जो कि बीजों वाली होती है ।

उनके Control में भी उपयोग करते है । कुछ फसलें जैसे Barley, Cotton, Peanuts, Sugar beet Wheat आदि में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए उपयोग में लाते हैं परन्तु इसे Local Authorities के Approval तथा उस स्थान की पर्यावरण स्थिति को देखते हुए उपयोग करते हैं । इसे 2.5 Liter 250 से 800 Liter में घोलकर उपयोग में लाते हैं ।

(4) Butachlor 50% EC:

यह Light Yellow Oil के Form में होता है । परन्तु जल में Soluble है । ये फसल के साथ उगने वाले खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए उपयोग में लाते हैं ।

(5) Glyphosate 41% SL:

Glyphosate 41% Agrochemical में उपयोग आने वाले बड़े स्तर का रसायन Crops Resistant के लिए Glyphosate का उपयोग होता है । Genetically Modified Cropds जैसे Soyabean या Cotton ये Selective Weeds और Herb के रूप में उपयोग होते है । यह Light Yellow Liquid तथा सफेद चूर्ण के रूप में मिलता है । यह पानी में अघुलनशील होता है ।

(6) Glyphosate 71% SG:

यह खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है । फसलों में पाए जाने वाले बड़े व चौड़े पत्तों वाली खरपतवार को नियंत्रित करने में उपयोग किया जाता है । यह पानी में घुलनशील होता है तथा इसका छिड़काव किया जाता है ।

(7) Isoproturon 50% W.P:

इसका सामान्य नाम Isoproturon है । इसे Herbicide कहा जाता है । ये 3- (4-ISO Prol Phenyl) – l – l – Dimethylurea है । इससे Wheat, Corn, Soja, Pea, Cotton में उगे खरपतवार को नियंत्रित किया जाता है । यह चूहों के लिए अधिक Harmful है तथा ये Roots और Leaves के द्वारा Absorbed किया जाता है, जिसका पूरे पौधे पर प्रभाव पड़ता है ।


5. मृदा सौरीयन के द्वारा खरपतवारों का प्रबंध या नियंत्रण (Management of Weeds by Soil Solarization):

मृदा सौरीयन (Soil Solarization) का द्वार खरपतवारों का नियंत्रण करना यह एक अनुसन्धान पर कार्य पर सिद्ध है । Soil के पॉलिएथिलीन पलवारना (Polyethylene Mulching) खरपतवारों के नियंत्रण के लिए प्रभावी विधि है । इस विधि के द्वारा बहुवर्षी घास एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों दोनों की समष्टियाँ अधिक कम हो जाती है ।

सामान्यतः एक वर्षीय या वार्षिक तथा अनेक बहुवर्षीय खरपतवारों जैसे एविना फैटुआ, कीनोपोडियम की जातियाँ कॉनवॉल्वुल्स की जातियाँ फ्यूमेरिया जाति, लैक्टूका जाति, नोटेबेरिस जाति, कैलेरिस जाति पोआ जाति, सिसिम्ब्रियम जाति, सोरघम जाति, स्टेलेरिया जाति आदि को पॉलिथीन या प्लास्टिक पलवारना द्वारा मृदा सौरीयन से नियंत्रित किया गया है । अनेक Gramini Family के खरपतवार मृदा सौरियन के लिए संवेदनशील होते है । जबकि अन्य जैसे मेलीलोटस इत्यादि प्रभावित नहीं होते है ।

मृदा सौरीयन द्वारा खरपतवार नियंत्रण की समांवी क्रिया विधियाँ निम्न है:

(1) खरपतवार के बीजों की तापीय मृत्यु होना ।

(2) Germination के लिए प्रेरित बीजों की तापीय मृत्यु होना ।

(3) बीज Dormancy का टूटना और इसके परिणाम में अंकुरित बीजों की मृत्यु होना ।

(4) दुर्बलता या अन्य क्रिया विधियों द्वारा जैविक नियन्त्रण आदि ।

इस प्रकार मृदा सौरीयन के द्वारा खरपतवार को नियंत्रित किया जाता है ।


6. खरपतवारनाशी का प्रभाव (Effects of Weedicides):

खरपतवारनाशी से कई प्रकार की विषाक्तता होती है । उच्च स्तर पर Acute Toxicity होती है, जो Carcinogenic तथा लम्बे समय तक समस्या को उत्पन्न करती है । Parkinson’s रोग भी खरपतनाशी के द्वार उत्पन्न होती है ।

खरपतवारनाशी के अतिरिक्त छिड़काव करने से Wildlife के Animals की साँस के द्वारा Weedicide Internal Organs पर भी प्रभाव डालते है । कुछ खरपतवारनाशी, Leaching या Surface के द्वारा Ground या Water Sources पर पहुँच जाते है ।

पानी में घुलने तथा मृदा पर फैलने से हानिकारक प्रभाव भी जल्दी फैलते है । Phenoxy Weedicides Dioxins के साथ Contaminated होकर TCDD हो जाता है । खोज से पता चला है कि इससे प्रभावित व्यक्ति या जानवर में कैंसर के लक्षण मिले । Triazine के प्रभाव से ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के लक्षण ज्यादा उत्पन्न हुए है ।

Tordon 101 का कोई भी प्रभाव Animals और Insect पर नहीं पड़ता है । परन्तु अधिक होने पर Rats पर Studies से ज्ञात होता है कि Strong Carcinogenic Activity उत्पन्न होती है । पार्किन्सन (Parkinson) रोग Weedicides और Pesticides से अधिक फैलता है । एक कारक Weedicides का Paraquat माना गया है ।

जबकि बहुत सी संख्या में Weedicides का उपयोग होता है और ये Health पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते है । Commercial Weedicides के कारण Health पर पड़ने वाले प्रभाव Human Health पर Negative होते है ।

उदाहरण के लिए Low Concentration Roundup Adjuvants का Human Embryonic को मार देते हैं तथा Placental और Umbilical को भी प्रभावित करते है । इनका Genetically भी प्रभाव अधिक पड़ता है ।

बहुत से Weedicides के प्रभाव Health और Environmental पर पड़ते हैं जिनकी जानकारी नहीं है परन्तु इनका उपयोग किया जाता है । उदाहरण 1995 में 13 Scientists ने अध्ययन किया कि 2,4-D Human मनुष्य में Cancer का कारण है ।

Phenoxy Weedicides से बहुत प्रकार के Cancer उत्पन्न होते है । इसके अतिरिक्त Weedicides से Soft Tissue Sarcoma और Non-Hodgkin Lymphoma आदि रोग उत्पन्न हो जाते है ।

Weedicides का प्रभाव certain Organisms के Sex Organs, Sex Determination पर पड़ता है । यदि इसको Observe किया जाए तो Sex Rations पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है ।

इसी प्रकार Commercial Weedicides का उपयोग Bird Populations पर Negative पड़ता है । इन Weedicide के प्रभाव बहुत अधिक प्राप्त होते है । यदि Field Study की जाए । Lab में अध्ययन से पता चलाता है कि Toxicity का Birds पर Negative प्रभाव पड़ता है ।

Weedicide का प्रभाव Habitat Changes Food या Shelter पर पड़ता है । Weedicide का उपयोग Silviculture में किया जाता है, जो Vegetation के लिए किया जाता है । यही Vegetation Birds के लिए Harmful होती है ।

इन Weedicides का अधिक उपयोग Birds के लिए अनुपयुक्त होता है और Winter Season में आने वाले Birds पर भी बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है । इसलिए Commercially Weedicides Organic और Non Organic जो भी हो, वो Tested, Approval हो तथा Environmental Protection Agency के द्वारा Label हो और उपयुक्त हो, Harmful न हो ।


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