कीटों को नियंत्रित करने के लिए प्रयुक्त तरीके | Read this article in Hindi to learn about the nine major methods used for controlling pests. The methods are:- 1. रेडिएंट ऊर्जा का प्रयोग (Use of Radiant Energy) 2. ड्राई डाई का प्रयोग (Use of Dry Die) 3. पीड़कों को नियंत्रण, भौतिक एवं यांत्रिक 4. नुकीला दाब (Pointed Pressure) 5. हाथ से पकड़कर नष्ट करना (Pest Control by Hand Catch) and a Few Others.

BIPM के अन्तर्गत पीड़कों के प्राकृतिक शत्रुओं (Natural Enemies) का संरक्षण तथा सभी खेती विषयक कार्यों, यांत्रिक, भौतिक, जैविक, आनुवांशिकी, प्रतिरोधी किस्सों का चयन, विधिक क्रिया-कलाप (Legal Methodology) कीट-निगरानी, रासायनिक एवं अन्य नियंत्रण पद्धतियों द्वारा किया जाता है ।

Method # 1. रेडिएंट ऊर्जा का प्रयोग (Use of Radiant Energy):

इस ऊर्जा (Energy) का प्रयोग रेडियो तरंग (Radio Wave Length) के लिए किया जाता है । 2450 Mega Cycles, 12.25cm Wave Length और 940 Watts, 170-187°F (76.6°C – 86.1°C) का ताप (Temperature) उत्पन्न करता है ।

इसका उपयोग अनाजों या गोदामों में छीपे कीटाणुओं या Grainery Weevil और Confused Flavour Beetles को 15-20 Seconds में ही मारने में होता है । Radient Energy का अप्रत्यक्ष रूप में प्रयोग (Male Insects) से Sterile बनाने में किया जाता है ।

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γ Radiation (Gamma Radiation) या Chemo-Sterilants का प्रयोग कर Male Insects को Sterile बनाकर सामान्य Insects के साथ छोड़ दिया जाता है । ताकि मादा कीटों (Female Insects) के साथ Mating में सामान्य Fertile Male के साथ Compete कर सके और कीटों को Control किया जा सकता है ।

E.F. Knipling (1937) में America के कुरा काव दीप पर Screw Worm (Cochliomyia Hominivorax) के Pupae को Sterile बनाया था । इसके लिए उन्होंने Cobalt 60 (Co-60) स्त्रोत से प्राप्त γ किरणें (Rays) का प्रयोग किया गया ।

इस तरह से प्राप्त बंध्य नर कटि (Steriles Male Insects) को 7 सप्ताहों के लिए 400 males/sq/mile की दर से सौ प्रतिशत Sterile Eggs Masses प्राप्त करने के लिए छोड़ दिया गया और पेस्ट Control हो गया । इसे Sterile Male Technique कहते हैं ।

Method # 2. ड्राई डाई का प्रयोग (Use of Dry Die):

ड्राई डाई एक Porous रंध्रयुक्त महीन सिलिका जेल (Silica Gel) होता है जिसका प्रयोग Insect के क्यूटिकल (Cuticle) को खुरेदकर शरीर से आवश्यक जल को निकालने में होता है जिससे कीट मर जाते है । इस विधि का प्रयोग मुख्यतः गोदाम के पीड़कों के लिए होता है ।

Method # 3. पीड़कों को नियंत्रण, भौतिक एवं यांत्रिक (Pest Control by Physical and Mechanical Trap):

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पीड़कों (Pests) को नियंत्रित करने हेतु भौतिक (Physical) व यांत्रिक विधि (Mechanical Methods) का प्रयोग भी काफी-प्रभावशाली होता है । यांत्रिक (Mechanical) व भौतिक (Physical) उपायों में विशेष उपकरण की सहायता अथवा उसके बिना ही बल प्रयोग करना अथवा वातावरण (Environment) को Physical Component का उपयोग करना भी शामिल है ।

Physical Control के उपाय तत्काल दृष्टिगोचर होने वाले परिणाम लाते हैं । ये उपाय अधिकतर किसानों में लोक प्रिय है । इन उपायों में समय और मेहनत अधिक लगता है और बड़े पैमाने पर ये उपाय करागर नहीं हो पाते हैं । इन्हें व्यवसायिक दृष्टि से लागू करना संभव नहीं हो पाता है ।

Method # 4. नुकीला दाब (Pointed Pressure):

नारियल (Coconuts) के क्राउन (Crown) में उपस्थित Rhinoceros Beetle (White Grub) के Adults Stage को लोहे के हुक (Iron Hook) का उपयोग करके मार दिया जाता है । इस विधि का प्रयोग Sugar Cane Stem Borer तथा Mango Stem Borer के लिए भी किया जाता है ।

Method # 5. हाथ से पकड़कर नष्ट करना (Pest Control by Hand Catch):

फसलों (Crops) नुकसान पहुंचाने वाले Insects के Eggs, Larvae Pupa एवं स्वयं कीटों (Insects) को नियमित रूप से पकड़कर नष्ट किया जा सकता है । किन्तु यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे हाथ से पकड़कर नष्ट नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें अधिक श्रम लगती है ।

Method # 6. तापमान द्वारा (By Temperature):

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60°F (15.5°C) एवं 40°F (4.4°C) के मध्य सभी कीट (Insects) अक्रियाशील (Non-Active) रहते है । तापमान के और नीचे जाने पर अर्थात 40°F (4.4°C) से नीचे किटाणुओं (Insects)/रोगाणुओं (Pathogens) द्वारा होने वाली हानि व्यवहारत: नहीं होता है ।

परन्तु निम्न ताप की अपेक्षा उच्च ताप (High Temp) कीटों (Insects) के नियंत्रण (Control) हेतु ज्यादातर उपयुक्त होता है । ग्लास हाउस (Glass House) को भाप उपचार (Steam Sterilisation) देने पर मृदा (Soil) में रहने वाले पीड़क Germs Pathogens तथा Nematodes मर जाते हैं ।

कपास (Cotton) के मध्य पाये जाने वाले Pectinofora Gossypiella के Larvae को नष्ट करने हेतु साइमन कॉटन सीड हीटर (Simon Cotton Seed Heater) का उपयोग किया जाता है जिसके द्वार कपास के बीज को 3-7 मिनट के लिए 125-135°F (140°F तक) अर्थात 51.6C-57.2°C (60°C तक) ताप पर रखकर उपचारित किया जाता है ।

इसी प्रकार बल्ब को गर्म जल से उपचारित करने पर (Hot Water Bath Treatment) Nematole तथा Mites नष्ट हो जाते है । ब्लो लैम्पस (Blow Lamps) द्वारा (Woolly Aphids) के Colony को समाप्त किया जाता है ।

गोदाम में रखे अनाजों/बीजों को गर्म हवा (Hot Air) से Treatment कर गोदामों के Pests को मारा जाता है क्योंकि अनाजों/बीजों में उपस्थित आर्द्रता (Seed Moisture) को कम भी किया जाता है जिससे बीज की Storage-Life बढ़ जाती है ।

Method # 7. जाल अथवा अवरोधक का प्रयोग करना (Apply for Nets and Barriers):

इस विधि का प्रयोग भी पीड़क नियन्त्रण (Pest Control) के लिए किया जाता है । फार्म हाउस की खिड़कियों (Window) में स्क्रीन (Screen) लगाने से मक्खियों (Flies) एवं मच्छरों (Mosquitoes) से बचाव कर सकता है । मिर्ची और टमाटर के नर्सरी को जाल से ढंकने से Bemisia Tabaci द्वारा वायरस का संचरण नहीं होता है ।

इसी प्रकार अनार के फलों को कपड़ा या कागज से ढँक देने से Anar Butterfly फलों (Fruits) पर अंडा नहीं दे पाती है । नारंगी को बाँस के बास्केट से ढँकने पर Fruit Sucking Moth का आक्रमण नहीं होता है । काँटेदार पौधों को लगाकर बंदरों से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है ।

Method # 8. जैविक नियंत्रण (Biological Control):

प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणाली में कीटाणुओं (Insects) और खरपतवारों पर नियंत्रण (Control) उनके प्राकृतिक शत्रुओं (Natural Enemies) के माध्यम से स्थापित किया जाता रहा है लेकिन विकृत पारिस्थितिकी प्रणाली में Pathogens Insects, पीड़कों के नियंत्रित (Pest Control) करने के लिए अधिक मात्रा में परभक्षी (Predatory) और परजीवी कीट (Parasite Insects), माइटस (Mites), कवक (Fungi) या अन्य जीव पर निर्भर करता है जिसे जैविक नियंत्रण (Biological Control) के नाम से जाना जाता है ।

कीटों (Insects) के नियंत्रण हेतु प्राकृतिक शत्रु (Natural Enemies) के रूप में परजीवी (Parasite) कीट परजीवी (Parasitoid), परभक्षी (Predators) तथा रोगाणु (Pathogen) का उपयोग होता है । लेकिन Parasitoid एवं Predators का प्रयोग ही ज्यादा होता है ।

Biological Control के लिए विभिन्न प्रकार के तरीकों को अपनाया जाता है जो निम्न प्रकार के होते हैं:

(i) Hyper Parasite- ऐसे परीजीवी (Parasite) प्राथमिक परजीवी (Primary Parasite) के ऊपर आक्रमण करते है । Hyper Parasite को द्वितीय परजीवी (Secondary Parasite) भी कहते है ।

(ii) Homeostasis- लम्बे समय के अंतराल में Pests की संख्या (Population) में स्थायित्व आना Homeostasis कहलाता है । छोटी अवधि में संख्या में परिवर्तन अस्थायी रूप से होती रहती है लेकिन लम्बे समय में स्थायित्व (Stability of Population) की ओर अग्रसर होती है ।

(iii) Parasitiod- जब Insect ही परजीवी (Parasite) होता है तब उसे Parasitoid कहते हैं जैसे गन्ना (Sugarcane) एवं चावल (Rice) पारिस्थितिकी प्रणाली में Tissue Borers के Control हेतु Egg Parasitoids (Trichogramma Chilonis) तथा T. Japonicum का प्रयोग किया जाता है ।

(iv) Autoparasite- कीट (Insects) के कुछ प्रजातियों (Species) में अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि Male Insect अपने ही प्रजाति के मादा कीट (Female Insects) पर आक्रमण करता है जिसे Auto Parasite कहा जाता है, ऐसा Observe किया जाता है ।

(v) Primary Parasite- वनस्पतिक जीवों पर यह जीवी आश्रित रहता है ।

Method # 9. यांत्रिक फंदों का प्रयोग (Use of Mechanical Traps):

White Grubs, Agrotis, Rice Stem Borer, Leaf Hopper आदि प्रकाश (Light) की ओर आकर्षित होने वाले कीट है । ऐसे Insects को नष्ट करने हेतु प्रकाश फंडे का प्रयोग किया जाता है । उदाहरण नीले रंग (Blue Colour) के कपड़े का प्रयोग सर्वाहारी (Polyphagous) Tobacco Cater Pillar (Spodoptera Litura) को फँसाने में किया जाता है ।

चूहों (Rats) को पकड़ने हेतु भी विभिन्न प्रकार की चूहेदानी का प्रयोग किया जाता है । Spodeptera Litura और S. Litura के लिए Cis-q-, trans-11-tetradeca-dieny1.I Acetate तथा Ephistia. Elutello और S. Litura के लिए Cis-q, trans 12-Tetradecadieny I-Acetate नामक Pheromone Traps का उपयोग किया जाता है ।

कीटों (Insects) को नियंत्रित करने के लिए Binding Materials का भी प्रयोग किया जाता है । यांत्रिक व भौतिक (Mechanical and Physical) Control की उपरोक्त विधियों के अलावा कुछ और भी विधियाँ हैं जो पीड़क नियंत्रण (Pest Control) में सहायक है । जैसे छानकर तथा फटककर कीटाणुओं को अलग करना कीटों को झिझोंड़ना तथा कर्णकटु आवाजों से भगाना, पक्षियों से सुरक्षा हेतु चमकदार पट्टी का प्रयोग करना आदि ।

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