Read this article in Hindi to learn about:- 1. निर्देशन की एकता का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Unity of Command) 2. आदेश की एकता के गुण या लाभ (Merits or Benefits of Unity of Command) 3. आलोचना (Criticisms).

निर्देशन की एकता का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Unity of Command):

किसी भी प्रशासकीय संगठन में पद-सोपान अर्थात् उच्च-अधीनस्थ का सबध रहता है । थोडे से उच्च अधिकारी होते हैं जो आदेश देते हैं इन उच्च अधिकारियों के नीचे काफी बड़ी संख्या में अधीनस्थ कर्मचारी रहते हैं । ये कर्मचारी अपने अधिकारियों के आदेश को ग्रहण कर उसका पालन करते हैं ।

स्पष्ट है कि कुशल प्रशासन के लिए अनिवार्य है कि प्रत्येक कर्मचारी को यह ज्ञात हो कि उसका तात्कालिक उच्च अधिकारी कौन है ? उसे किसके अधिकारी से आदेश और निर्देश प्राप्त करना है? उसे किसके समक्ष अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करना है? वह किस अधिकारी के प्रति उत्तरदायी है आदि आदेश की एकता के सिद्धांत का संगठन की सफलता में काफी महत्व है ।

निर्देशन की एकता का सामान्यतः अर्थ यह है कि कोई भी कर्मचारी अपने से ऊपर के एक से अधिक अधिकारी से आदेश ग्रहण न करे । यदि किसी कर्मचारी को एक से अधिक अधिकारियों के आदेश के पालन की व्यवस्था कायम कर दी जाए तो उससे संगठन को विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है ।

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जैसे:

1. यह संभावना हो सकती है कि कर्मचारी को परस्पर विरोधी आदेश मिलें जिसके कारण भ्रम और अकुशलता की स्थिति उत्पन्न हो,

2. कर्मचारी किसी भी आदेश को पूरी तरह न समझ सके और अलग कार्य करने में लग जाए या असमंजस में पड़ जाए,

3. यह भी संभावना हो सकती है कि अधीनस्थ कर्मचारी अपने उच्च अधिकारियों को आपस में भिड़ाने का प्रयत्न करें ।

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इन दुष्परिणामों को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक माना जाता है कि प्रत्येक कर्मचारी अपने से ऊँचे एक अधिकारी से ही आदेश प्राप्त करेगा और उसी के प्रति उत्तरदायी भी होगा ।

आदेश की एकता के सिद्धांत की परिभाषा देते हुए हेनरी फेयोल लिखता है कि ”किसी कर्मचारी को केवल एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा ही आदेश दिए जाने चाहिए ।”

पिफनर और प्रेस्थस के शब्दों में – ”आदेश की एकता की अवधारणा का तात्पर्य यह है कि किसी संगठन के प्रत्येक सदस्य को एक और केवल एक नेता के प्रति ही उत्तरदायी होना चाहिए ।”

फेयोल की यह भी मान्यता है कि – ”इस नियम के उल्लंघन से सत्ता निर्बल हो जाती है, अनुशासन सकट में पड़ जाता है, व्यवस्था भंग हो जाती है और स्थायित्व को खतरा पैदा हो जाता है…..एक ही व्यक्ति या विभाग के ऊपर जब दो अधिकारी सत्ता का उपयोग करते हैं तो गडबडी पैदा होने लगती है । ऐसी स्थिति में चलते रहने पर अव्यवस्था में वृद्धि हो जाती है ।”

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आदेश की एकता का सिद्धांत न केवल असैनिक प्रशासकीय संगठनों में वरन् सैनिक संगठनों में भी पाया जाता है । उदाहरणार्थ, उसमें सेकंड लेफ्टिनेन्ट को लेपिटनेन्ट आदेश देता है, लेपिटनेन्ट को कैप्टन, कैप्टन को मेजर और यह क्रम इसी प्रकार चलता है । स्पष्ट शब्दों में, यदि किसी कर्मचारी को केवल एक ही अधिकारी का आदेश मिले, तो उसे आदेश की एकता कहा जाता है ।

आदेश की एकता के गुण या लाभ (Merits or Benefits of Unity of Command):

आदेश की एकता के निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:

1. सत्ता के सूत्रों का स्पष्टीकरण रहता है, कर्मचारी के सामने आदेश की स्पष्टता रहती है, अतः वह क्षमतापूर्ण ढंग से काम कर सकता है ।

2. ‘एक व्यक्ति, एक स्वामी’ के सिद्धांत से संगठन के सुसंचालन में बडी सहायता मिलती है । अनावश्यक भ्रम उत्पन्न होने की संभावना नहीं रहती । कार्य का उत्तरदायित्व भली प्रकार से निश्चित किया जा सकता है ।

3. इस सिद्धांत की एक अन्य विशेषता यह है कि इसकी कमजोरी का फायदा उठाकर निम्न कर्मचारी उच्च अधिकारियों में मनमुटाव पैदा नहीं कर सकता ।

4. इस सिद्धांत से कार्यकुशलता का विकास होता है ।

5. कर्मचारियों में आज्ञा के संबंध में भ्रान्ति उत्पन्न नहीं होती, इसी कारण से प्रशासन के कार्यों में देरी भी नहीं होती । आदेश की एकता के महत्व को बताते हुए लूथर गुलिक ने ठीक लिखा है कि, ”हम इसकी महत्ता को भुला नहीं सकते ।”

6. इससे कर्मचारी और अधिकारी के बीच व्यक्तिगत संबंध भी स्थापित होते हैं ।

आदेश की एकता की आलोचना (Criticism of Unity of Command):

लोक-प्रशासन में आदेश की एकता के सिद्धांत का अपना विशेष महत्व है, लेकिन फिर भी यह सिद्धांत आलोचनाओं से परे नहीं है ।

इसकी आलोचना इस प्रकार हैं:

1. सार्वभौमिकता का अभाव:

यह सिद्धांत सार्वभौमिक रूप से लागू नहीं किया जा सकता है । उदाहरणार्थ, एक सहायक अभियंता के आदेश की एकता की मांग है कि उसे अपने क्षेत्र (जिले) में सामान्य उच्च अधिकारी (जलाधीश) की आज्ञा माननी चाहिए । लेकिन चूंकि वह एक तकनीकी कर्मचारी है अतः आवश्यक है कि उसे अपने तकनीकी उच्च अधिकारी अधिशासी अभियंता से ही निर्देश प्राप्त हो । इस समस्या का समाधान यह हो सकता है कि वह कर्मचारी दोहरे आदेश नियंत्रण के अधीन रहे-एक प्रशासकीय और दूसरा व्यवसायिक नियंत्रण ।

2. सैनिक पद्धति का सिद्धांत:

एफ॰डब्ल्यू॰ टेलर ने आदेश की एकता के सिद्धांत को ”सैनिक पद्धति” कहकर अस्वीकार किया है । उन्होंने इसके स्थान पर कृत्य मूलक निर्देशन तथा अधीक्षण के सिद्धांत का प्रतिपादन किया ।

टेलर का मत है कि प्रत्येक कर्मचारी को आठ अधीक्षकों के नियंत्रण में रहना चाहिए:

i. दल अधिकारी

ii. गति अधिकारी

iii. निरीक्षक

iv. मरम्मत अधिकारी

v. कार्य व्यवस्था तथा पद्धति क्लर्क

vi. अनुदेश कार्ड-क्लर्क

vii. समय तथा लागत क्लर्क एवं

viii. कार्य-अनुशासक ।

इसमें से प्रथम चार तो स्वयं कार्यालय में ही संचालित होंगे । वे कर्मचारियों और अधिकारियों को उनके विशेष कार्य में सहायता देंगे । अन्य चार का संचालन नियोजन कक्ष में होगा । वहीं से आदेश व अनुदेश लिखित रूप में भेजे जाएंगे ।

3. सरकारी प्रशासन में कठिनाई:

सेक्लर-हडसन ने इस विषय में लिखा है कि, ”एक व्यक्ति एवं एक अधिकारी की पुरानी अवधारणा वर्तमान जटिल शासकीय परिस्थितियों में सत्य नहीं है । आदेश की सरल सीधी रेखा के बाहर अनेक अंत: संबंध विद्यमान हैं । फलस्वरूप, अनेक लोगों को प्रतिवेदन देने पड़ते हैं एवं उनके साथ कार्य करना पड़ता है जिससे व्यवस्थित एवं प्रभावशाली तरीकों से कार्य संपन्न किया जा सके । शासन में एक प्रशासक के कई स्वामी होते हैं, और वह उनमें से किसी की भी उपेक्षा नहीं कर सकता । एक से वह नीति, दूसरे से कर्मचारी, तीसरे से बजट और चौथे से प्रदाय एवं उपकरण संबंधी आदेश प्राप्त करता है ।” अतः सरकारी प्रशासन में इस सिद्धांत का सफल प्रयोग एक जटिल समस्या है ।

4. अप्रासंगिक सिद्धांत:

आदेश की एकता के सिद्धांत की मुख्य कमी यह है कि आज की परिस्थितियों में इसकी प्रासंगिकता पर प्रश्नचिह्न लग गया है । क्योंकि आज सहायक अभिकरणों का प्रभाव बढ़ चुका है, विशेषज्ञों की संख्या बढ़ रही है शासन अधिकाधिक जटिल होता जा रहा है । इन विभिन्न तत्वों के फलस्वरूप वर्तमान समय में नियंत्रण की एकता लगभग समाप्त हो गई है ।

उदाहरणार्थ; एक जिलाधीश को लगभग दो दर्जन विभागों से आदेश प्राप्त होते हैं और लगभग इतने ही विभागाध्यक्ष उसे संबोधित करते हैं । आज जिलाधीश कई बार इस समस्या का सामना करता है कि वह किस स्वामी का आदेश माने और किसका नहीं?

मूल्यांकन:

अपनी अनेक कमियों के बाद भी यह स्वीकार्य है कि आदेश की एकता का सिद्धांत एक सरल और उपयोगी सिद्धांत है । यह आज भी सत्य है कि यदि एक अधीनस्थ कर्मचारी को अनेक स्वामियों से जूझना पड़े तो इसके कुपरिणाम निकलेंगे ।

हरबर्ट साइमन ने आदेश की एकता के सिद्धांत को प्रमुखता दी है, पर उन्होंने इसमें संशोधन भी प्रस्तुत किया है कि- ”दो पदाधिकारी आदेशों के परस्पर टकराव की सूरत में केवल एक ही निश्चित व्यक्ति होना चाहिए जिसकी कि अधीनस्थ कर्मचारी आज्ञा मानें ।” फिर भी कहा जा सकता है कि इस सिद्धांत का संगठन में अपना विशेष महत्व है ।