Read this article in Hindi to learn about:- 1. सूत्र और स्टाफ का अर्थ (Meaning of Line and Staff) 2. सूत्र संगठन (Line Organization) 3. विशेषताएँ (Features).

सूत्र और स्टाफ का अर्थ (Meaning of Line and Staff):

सर्वप्रथम मुने-रेले ने सूत्र-स्टाफ को संगठन का एक सिद्धांत स्वीकार किया था । विलोबी ने प्रशासकीय संगठन में दो महत्वपूर्ण गतिविधियों की पहचान की; प्रथम वे जो पदसोपान में व्यवस्थित होती हैं और उद्देश्यों के लिए प्राथमिक रूप से जिम्मेदार होती हैं । इन्हें विलोबी ने प्राथमिक या कार्यात्मक गतिविधियों की संज्ञा दी ।

दूसरी वे जो पदसोपान के बाहर स्थापित होती है, तथा उद्देश्यों से सीधे संबंधित नहीं होती हैं, इन्हें विलोबी ने संस्थागत या गृह संबंधी क्रियाओं की संज्ञा दी । प्राथमिक क्रियाएं इसलिए कार्यात्मक हैं, क्योंकि वे उद्देश्य हेतु प्रत्यक्ष रूप से कार्य करती दिखायी देती हैं । संस्थागत क्रियाएं इसलिए गृह प्रबंध सम्बन्धी क्रियाएं हैं, क्योंकि वे उद्देश्यों से सीधे संबंधित तो नहीं हैं, लेकिन इनके बिना विभाग का काम नहीं चल सकता । विलोबी के शब्दों में – ”प्राथमिक क्रियाएं तो स्वयं साध्य हैं, जबकि संस्थागत क्रियाएं साध्य प्राप्ति के साधन मात्र हैं ।”

वस्तुतः लोक प्रशासन या वृहदकार नीजि संगठनों में कार्मिकों का एक समूह उद्देश्य प्राप्ति के लिए अधिक जवाबदारी से कार्य करता दिखायी पड़ता है, ये सभी उच्च अधिनस्थ सम्बन्धों की रेखा में जमे होते हैं । ये आदेश देते हैं, कार्य करते हैं, नियंत्रण करते हैं, समन्वय करते हैं । यही कार्मिक ”सूत्र” कहलाते हैं, और इनकी उक्त गतिविधियां प्राथमिक गतिविधियां कहलाती हैं ।

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इसी प्रकार ऐसे कार्मिक भी इन संगठनों में मौजूद रहते है, जो इन सूत्र कार्मिकों को तथ्य, कड़े सूचना जुटाकर मदद करते है, या आवश्यक सामग्रीं स्टेशनरी, वर्दी, कच्चे माल आदि की पूर्ति करके उन्हें मदद पहुंचाते है । ये कार्मिक स्टाफ या सहायक कहलाते हैं, और इनकी उक्त गातिवधियां संस्थागत या गृह प्रबंध सम्बन्धी गतिविधियां कहलाती है ।

सूत्र या लाईन संगठन का केन्द्रीय भाग है, जिसके ईर्द-गिर्द स्टाफ और सहायक मौजूद रहते हैं । सूत्र और स्टाफ शब्दावालियां मूलतः सैनिक प्रशासन की है । सैनिक प्रशासन में सूत्र या लाईन का अर्थ सहायक सेवाओं की अपूर्ति से है । जो परम में जमे सैन्य अधिकारी सैनिकों को आदेश देते है, वे लाईन या सूत्र कहलाते हैं ।

जो कार्मिक रण मैदान से दूर सैनिकों के लिए आवश्यक वश, गोला बारूद, भोजन चिकित्सा आदि की व्यवस्था में जुटे रहते है, वे स्टाफ कहलाते हैं । इन इकाइयों को उपयुक्त अर्थों में ही नागरिक प्रशासन में प्रचलित किया गया है । लेकिन यह भी माना जाता है कि द्वितीयक गतिविधियां दो प्रकार की होती है प्रथम परामर्शीय और दूसरी ग्रह प्रबंध संबंधी ।

इस प्रकार एक संगठन में तीन तरह की सेवाएं और उनका करने वाले तीन तरह के अभिकरण होते हैं:

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1. प्राथमिक या क्रियात्मक सेवाएं जिन्हें सूत्र अभिकरण संपादित करते हैं ।

2. द्वितीयक या परामर्शीय सेवाएं जिन्हें सामान्य स्टाफ करता है ।

3. ग्रह प्रबंध संबंधी या सहायक सेवाएं, जिन्हें सहायक अभिकरण करता है ।

सूत्र संगठन (Line Organization):

विलोबी ने इन्हें प्राथमिक या क्रियात्मक इकाई कहा । सूत्र वे संगठन हैं जो प्राथमिक कार्यों के लिए अस्तित्व में आते हैं । संगठन जिस उद्देश्य के लिये अस्तित्व में आता है, उसे प्राप्त करने के लिये सूत्र इकाइयां ही मुख्य रूप से है ये इकाइयां और इनको संपादित करने वाले ही सर्वप्रथम संगठन में आते है ।

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संगठन पहचान भी इन्हीं सूत्र इकाइयां से होती है । इसलिये विलोबी इन्हें प्राथमिक या क्रियात्मक इकाइयों की संज्ञा दी । लेपावस्की के अनुसार सूत्र संगठन में सला व उत्तरदायित्व की रेखाएं ऊपर से नीचे तक फैली रहती है । एल. डी. व्हाइट- ”सूत्र उन प्राथमिक गतिविधियों संबंधित है जिनके शासन स्थापित गया है ।”

सूत्र और स्टाफ की विशेषताएँ (Features of Line and Staff):

1. सूत्र ही संगठन के उद्देश्यों के लिए उत्तरदायी होते हैं ।

2. ये प्राथमिक क्रियाओं को संपादित करते हैं जिनके बगैर संगठन का काम नहीं चल सकता अर्थात संगठन का अस्तित्व उसकी उद्देश्य प्राप्ति से जुड़ा है और उद्देश्य प्राप्ति से सूत्र ।

3. सूत्र आदेश देने, निर्णय लेने तथा उनके क्रियांव्यन के लिए उत्तरदायी है ।

4. ये प्रत्यक्ष रूप से कार्य करते हैं, जनता से इनका सीधा संपर्क होता है ।

5. सूत्र ऊपर से नीचे तक पदसोपान श्रृंखला में आबद्ध होते हैं ।

6. उद्देश्य प्राप्ति के लिए उत्तरदायित्व सूत्रों का होता है ।

7. ये आचरण को नियमित करते हैं । विधायिका के प्रति उत्तरदायी होते हैं, कानूनों का क्रियांव्वन करते है और इन सबके जिम्मेदारी को उठाते हैं ।

कार्य:

एल.डी. व्हाइट ने सूत्र के 4 प्रमुख कार्य बताये हैं:

1. निर्णय लेना ।

2. उत्तरदायित्व लेना ।

3. नीति और कार्यक्रमों की व्याख्या और बचाव ।

4. उत्पादन-स्तर को बनाये रखना और कार्यकुशलता तथा मितव्ययिता सुनिश्चित करना ।

सूत्रों के प्रकार:

प्रक्रिया के आधार पर मुख्य रूप से दो होते हैं:

1. शुद्ध रेखा संगठन – इसमें सभी प्रक्रियाएं एक समान प्रकृति की होती हैं । पूरे संगठन में कोई दूसरी प्रक्रिया संचालित नहीं होती है ।

2. विभागीय संगठन – इसमें विभिन्न प्रक्रियाएं विभागों में एकत्रित करके संगठन को विभक्त कर दिया जाता है ।

स्वरूप के आधार पर चार प्रकार के होते हैं:

1. विभाग – ये मंत्रालय या उनके विभाग है, जैसे रक्षा मंत्रालय, वित्त मंत्रालय ।

2. निगम (लोक निगम) – ओएनजीसी, प्राकृतिक गैस प्राधिकरण आदि । ये किसी मंत्रालय से ही संबंधित होते हैं ।

3. स्वतंत्र नियामिकी आयोग – ये मंत्रालय या विभाग से स्वतंत्र रहते हैं । लेकिन सीधे मुख्य कार्यपालिका के अधीन होते हैं ।

4. सरकारी कम्पनी – यह भी सूत्र का ही एक प्रकार है ।