Read this article in Hindi to learn about:- 1. तुलनात्मक लोक प्रशासन का अर्थ (Meaning of Comparative Public Administration) 2. तुलनात्मक लोक प्रशासन की परिभाषाएं (Definition of Comparative Public Administration) 3. जन्म और विकास (Origin and Development) 4. अध्ययन (Study).

तुलनात्मक लोक प्रशासन का अर्थ (Meaning of Comparative Public Administration):

दो प्रशासनिक प्रणालियों की तुलना जिससे एक सामान्य लोक प्रशासन का सिद्धांत निर्मित हो सके, तुलनात्मक लोक प्रशासन कहलाता है । सामान्य अर्थों में इसका अर्थ विभिन्न देशों में कार्यरत सरकारी प्रशासनिक प्रणालियों का तुलनात्मक अध्ययन है । तुलनात्मक लोक प्रशासन का वास्तविक अर्थ है, तुलना के आधार पर विभिन्न देशों के प्रशासनों का उनकी संस्कृति (पर्यावरण) के संदर्भ में अध्ययन करना जिससे संस्कृति निरपेक्ष लोक प्रशासन का विकास हो सके ।

अर्थ:

लोक प्रशासन सरकारी प्रशासन होता है, अतएव तुलनात्मक लोक प्रशासन से आशय सरकार की प्रशासनिक प्रणालियों की परस्पर तुलना है । यह तुलना दो या अधिक देशों के प्रशासन या उसके भाग या एक ही देश के अन्तर्गत प्रशासनिक प्रणालियों की हो सकती है ।

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इस प्रकार तुलनात्मक लोक प्रशासन के अर्थ में शामिल है:

1. सरकारी प्रशासनिक प्रणालियों की तुलना,

2. दो या अधिक देशों की प्रशासनिक संरचना और उनके कार्यों की तुलना,

3. एक ही देश में अवस्थित भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के प्रशासन की तुलना,

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4. उक्त सभी का तुलनात्मक अध्ययन और विश्लेषण ।

अर्थ से संबंधित दो दृष्टिकोण:

1. व्यापक दृष्टिकोण – यह सम्पूर्ण प्रशासन को सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में विश्लेषित करता है । यह प्रशासन को संस्कृतिबद्ध घटना मानता है ।

2. रिग्स का संकुचित दृष्टिकोण – रिग्स तुलनात्मक शब्द को अनुभाविक और सिद्धांतपूरक अध्ययन तक सीमित कर देता है ।

तुलनात्मक लोक प्रशासन की परिभाषाएं (Definition of Comparative Public Administration):

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राबर्ट जैक्सन- ”तुलनात्मक लोक प्रशासन का वह अध्ययन है जिसका संबंध सार्वजनिक कार्यों की प्रशासनिक क्रियाओं में सम्मिलित संरचनाओं और प्रक्रियाओं की बहु सांस्कृतिक तुलनाओं से है ।”

निमरोड रफैली- ”तुलनात्मक लोक प्रशासन तुलनात्मक आधार पर लोक प्रशासन का अध्ययन है ।”

हारून खान- ”तुलनात्मक लोक प्रशासन से आशय है, विभिन्न देशों के लोक प्रशासन का अध्ययन ।”

फैरेल हडी- ”तुलनात्मक लोक प्रशासन सिद्धान्त निर्माण की प्रक्रिया है ।”

रमेश अरोड़ा- ”तुलनात्मक लोक प्रशासन से आशय ऐसे विषय से है, जिसमें दो या अधिक प्रशासनिक ईकाइयों की संरचना एवं कार्यात्मकता की तुलना हो ।”

तुलनात्मक लोक प्रशासन समूह (CAG)- ”तुलनात्मक लोक प्रशासन वस्तुत: लोक प्रशासन का वह सिद्धान्त है, जो विभिन्न संस्कृतियों और राष्ट्रीय संस्कृति पर एक साथ लागू किया जा सकता है और तथ्यों और आकडों के द्वारा जिसका परीक्षण किया जा सकता है ।”

तुलनात्मक लोक प्रशासन की जन्म और विकास (Origin and Development of Comparative Public Administration):

तुलनात्मक लोक प्रशासन की चर्चा विल्सन, व्हाइट के ग्रंथों में भी मिलती है, लेकिन इसके वास्तविक अर्थ में नहीं । इसका वास्तविक जन्म द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ ।

इसके जन्म के निन्नलिखित कारण हैं:

1. संयुक्त राष्ट्र संघ तथा अमेरिकी विद्वानों का विकासशील देशों के आर्थिक पुनर्निर्माण हेतु इन देशों में जाना तथा वहां के प्रशासन से संपर्क होना ।

2. विकासशील देशों के प्रशासन द्वारा विकसित देशों से आये सुधारों के नमूनों के प्रति प्रतिकूल रवैया अपनाना क्योंकि वे इन देशों की संस्कृति के अनुरुप नहीं थे ।

3. उपर्युक्त परिस्थितियों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशासनिक सुधारों का आन्दोलन उठ खड़ा हुआ । यह तथ्य स्थापित हुआ कि किसी एक देश में दूसरे देश के प्रशासनिक सिद्वांत सफल नहीं हो सकते क्योंकि वे उस देश की संस्कृति के अनुरूप नहीं होते । यही तुलनात्मक लोक प्रशासन के जन्म और उसके अध्ययन (पर्यावरण के संदर्भ में) का मुख्य कारण था ।

इस मुद्दे ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सचेत पर्यावरणीय परिप्रेक्ष्य को स्थापित कर प्रशासन के प्रति सांस्कृतिक (पर्यावरणीय) तुलनात्मक अध्ययन का विकास किया । उल्लेखनीय है कि 1956 में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग प्रशासन (International Co-Operation Administration) ने 40-42 देशों में लगभग 200 प्रशासन विशेषज्ञ प्रशासनिक अध्ययन के निमित्त भेजे ।

4. वाल्डों द्वारा केलिफोर्निया (बर्कले विश्वविद्यालय) में इसके अध्ययन की शुरूआत (1948) ने इस दिशा में अहम भूमिका निभायी ।

5. प्रिस्टन सम्मेलन:

तुलनात्मक लोक प्रशासन पर प्रिस्टन सम्मेलन, 1952 का क्रियात्मक प्रभाव आया । इस सम्मेलन द्वारा एक समिति गठित की गयी, जिसका उद्देश्य था, एक तर्कपूर्ण मानदण्ड का निर्धारण करना, जिसके आधार पर विभिन्न देशों के प्रशासन का अध्ययन किया जाए । वस्तुत: विदेशों में क्षेत्रीय अध्ययन को प्रोत्साहित करने की दिशा में यह बड़ा कदम था, जिसने आगामी अध्ययनों को दिशा दी ।

6. लोक प्रशासन समिति, 1953:

अमेरिकी राजनीति विज्ञान एसोसिएशन ने अस्थायी रूप से एक लोक प्रशासन समिति का गठन किया । यह समिति 1963 में ”तुलनात्मक लोक प्रशासन समूह” का गठन कर समाप्त हो गयी ।

7. तुलनात्मक लोक प्रशासन दल, (1963) का सर्वाधिक योगदान:

अस्पा (अमेरिकन सोसाइटी फार पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, 1939) की एक समिति के रूप में तुलनात्मक लोक प्रशासन दल (CAG) का गठन 1963 में किया गया । इसने तदर्थ लोक प्रशासन समिति का स्थान लिया ।

फ्रेडरिग्स इसके प्रथम अध्यक्ष थे, जो 1970 तक रहे । उनका स्थान रिचर्ड गेबल ने लिया । रिग्स 1962 में आस्पा के अध्यक्ष भी बने और 1970 तक इस पद पर रहे । रिग्स और फोर्ड फाउन्डेशन के प्रयत्नों से तुलनात्मक लोक प्रशासन के अध्ययन में तेजी आयी ।

फेडरिग्स की अध्यक्षता में “केग” ने ही तुलनात्मक लोक प्रशासन की दिशा में सर्वाधिक योगदान दिया । केग से जुड़े विद्वानों में रिग्स, गेबल, वाल्डो, फेरल हडी, मार्टिन लान्डू, विलियम सफीन, शेरवुड, सायर, मांटगोयरी, ब्रायबन्ही, डायमण्ड, बर्टम ग्रास आदि उल्लेखनीय है ।

रिग्स के अनुसार इनमें से अधिकांश विद्वान वे थे, जो विभिन्न देशों में तकनीकी मिशन के प्रभारी बन कर गऐ थे और जिन्होंने व्यवहारिक रूप से देखा था कि पर्यावरणीय प्रभावों ने अमेरिकी प्रशासनिक नमुनों को किस प्रकार अस्वीकृत कर दिया था । अत: इन्हें दल के कार्यक्रमों और उद्देशयों में गहन रूचि थी ।

“केग” ने 11 समितियों का निर्माण किया, जो एशिया, लैटिन अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका आदि देशों (क्षेत्रीय अध्ययन) के साथ प्रशासन, राजनीति, संगठन सिद्धान्त, नियोजन, कानून (विषय अध्ययन) आदि से संबंधित थी । दल की एक शोध पत्रिका “द जर्नल आफ कम्पेरेटिव एडमिनिस्ट्रेशन” और एक समाचार पत्र (News Letter) भी नियामित रूप से प्रकाशित होता रहा ।

उल्लेखनीय है कि “दल” को 1971 तक फोर्ड फाउण्डेशन से वित्तीय सहायता मिली । बाद में इसने स्वयं के वित्तीय साधन तलाश लिए । गुप ने तुलनात्मक लोक प्रशासन के क्षेत्र को व्यापक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया । इसने ही प्रशासन, विशेषकर विकास प्रशासन को उसकी पारिस्थतिकीय के सन्दर्भ में क्चश्लेषित करने हेतु विद्वानों को अत्यधिक प्रेरित किया ।

टी.एन. चतुर्वेदी ने तु. लो. प्र. के उदय के कारणों को दो शीर्षों में बांटा हैं:

i. बौद्धिक उत्प्रेरक कारण और

ii. नीति उत्प्रेरक कारण ।

i. बौद्धिक उत्प्रेरक कारण:

1. परम्परागत दृष्टिकोण की अपर्याप्तता ।

2. लोक प्रशासन को विज्ञान बनाने के लिए ।

3. व्यवहारवादियों द्वारों आदर्शात्मक के स्थान पर व्यवहारिक अध्ययनों पर जोर ।

4. सामाजिक पर्यावरण का सन्दर्भ ।

5. तुलनात्मक राजनीतिक अध्ययन का प्रभाव ।

ii. नीति उत्प्रेरक कारण:

1. द्वितीय विश्वयुद्ध के समय प्रशासन का अध्ययन

2. विदेशी सहायता कार्यक्रम

3. प्रशासनिक सुधार आन्दोलन

4. अमेरिका का सैन्य आधिपत्य

5. अन्तर्राष्ट्रीय पारस्परिक निर्भरता

तुलनात्मक लोक प्रशासन का अध्ययन (Study of Comparative Public Administration):

तुलनात्मक लोक प्रशासन के अध्ययन की शुरूवात प्रोफेसर मैक्रिडिज की 1955 में प्रकाशित कृति ”तुलनात्मक सरकारों का अध्ययन” से होती है । मेक्रेडिज को तुलनात्मक लोक प्रशासन का अग्रदूत माना जाता है । इसी वर्ष फ्रेडरिग्स ने अपना लेख “तुलनात्मक लोक प्रशासन की शिक्षा पर तकनीकी सहायता का प्रभाव” राजनीति विज्ञान परिषद के समक्ष पड़ा ।

फ्रेडरिग्स को तुलनात्मक लोक प्रशासन का पिता माना जाता है । इनके पश्चात वाल्डो, हडी, स्टोक्स, गेबल, क्लीवलैण्ड डायमण्ड, शेरवुड, मांटगोमरी और स्वयं रिग्स ने अनेक कृतियों की रचना तुलनात्मक लोक प्रशासन पर की । उल्लेखनीय है कि तुलनात्मक लोक प्रशासन और विकास प्रशासन दोनों का संयुक्त अध्ययन करने की प्रवृत्ति भी बढ़ी ।