उत्तक संवर्धन (टिशू कल्चर) पर निबंध: अर्थ और इतिहास | Essay on Tissue Culture: Meaning and History in Hindi!

उत्तक संवर्धन पर निबंध | Essay on Tissue Culture


Essay # 1. जंतु कोशिका का अर्थ (Meaning of Tissue Culture):

यह ऊतक कोशिकाओं का एक समूह होता है । ऊतक कल्चर सामान्यतः संपूर्ण अंग के कल्चर को भी कहा जाता है । इसमें सम्पूर्ण अंग, ऊतक के हिस्सों तथा कोशिकाओं की भी पोषक माध्यम पर वृद्धि की जाती है । इसे अंग (Organ Culture) तथा कोशिका (Cell Culture) में वर्गीकृत किया जा सकता है ।

यह इस पर निर्भर करता है कि ऊतक का संगठन इस प्रकार हो रहा है या नहीं । जंतु कोशिकाओं की यह कृत्रिम वृद्धि (Animal Cell Culture) की शुरुआत 1880 में हुई, जब Arnold ने दर्शाया कि श्वेत रक्त कोशिकाएं (Leucocytes) शरीर के बाहर भी वृद्धि कर सकती हैं ।

Animal Tissue Culture में कोशिकाएं शरीर के बाहर पृथक् कर ली जाती हैं तथा उन्हें कृत्रिम माध्यम में सभी आवश्यक फीजियोलॉजिकल अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान कर वृद्धि करवाई जाती है ।

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यह एक प्रकार का अद्वितीय माध्यम है, जिसका सर्वाधिक उपयोग मेडिकल तथा एग्रीकल्चरल विज्ञान में किया जा रहा है । जंतु कोशिका को कल्चर करना सर्वप्रथम 1907 में Harri Ross ने शुरू किया, उन्होंने सर्वप्रथम मेंढक के ऊतकों में वृद्धि करवाई ।

Essay # 2. जंतु कोशिका के उपयोगिताएँ तथा हानियाँ (Merits and Demerits of Tissue Culture):

जंतु कोशिकाओं को कल्चर करने की निम्नलिखित उपयोगिताएँ है:

1. कल्चर की मदद से कोशिका को आसानी से अध्ययन तथा नियंत्रित किया जा सकता है ।

2. कोशिका की एक समानता को बरकरार रखा जा सकता है ।

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3. यह आर्थिक रूप से भी आसान होता है ।

4. इसके द्वारा कानूनी, नैतिक आदि परेशानियों से भी बचा जा सकता है ।

जंतु कोशिका कल्चर की निम्नलिखित हानियाँ हैं:

(i) इसमें कठोर व नियंत्रित फीजियोकेमीकल तथा पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है । (Temp., pH, Osmotic Pressure, Light, CO2, O2 etc.)

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(ii) कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाओं के कल्चर के लिये यह कई गुना अधिक महँगा होता है ।

(iii) ये एन्यूप्लायड (Aneuploid Chromosome) के लिए अस्थाई होती है ।

(iv) पोषक माध्यम सिन्थेटिक प्रकार का होना आवश्यक होता है ।

Essay # 3. जंतु कोशिका संवर्धन (Animal Tissue Culture):

एनिमल सेल कल्चर जंतु कोशिकाओं में इन विट्रो कल्चर करने की एक बायोटेक्नॉलाजिकल तकनीक है । एनिमल सेल्स कई वर्षों से प्रयोगशाला स्तर पर अध्ययन की जा रही है, यद्यपि पिछले कुछ वर्षों से स्तनि कोशिकाओं ने कई बायोलॉजिकल्स के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए अधिक ध्यान खींचा है ।

एनिमल सेल उत्पादन के दोहन के लिए विकसित तकनीक पारंपरिक माइक्रोबियल फरमनटेशन प्रक्रिया से निकट संबंधित है । विश्वसनीय मीडिया की व्यापारिक आपूर्ति तथा संदूषण का बेहतर नियंत्रण, एनिमल सेल कल्चरिंग तकनीक को एक रूटीन तकनीक बनाते है ।

‘टिशू कल्चर’ शब्द से तात्पर्य है- संपूर्ण अंग, ऊतक, फ्रेगमेण्ट साथ ही कोशिकाओं को उपयुक्त न्यूट्रिऐंट मीडियम पर वितरित करना । यह इस आधार पर कि ऊतक संगठन बना रहता है या नहीं ।

निम्न दो में विभाजित है:

(1) ऑर्गन कल्चर,

(2) सेल कल्चर ।

अंग कल्चर में, संपूर्ण एम्ब्रयोनिक ऑर्गन या छोटे टिशू फ्रेगमेण्ट को इन विट्रो इस प्रकार कल्चर किया जाता है कि इनका टिशू आर्किटेक्चर बना रहे । इसके विपरीत सेल कल्चर को कोशिकाओं में ऊतकों के याँत्रिक या एन्जायमिक वितरण द्वारा या एक एक्सप्लांट से कोशिकाओं के अचानक प्रवास द्वारा प्राप्त किया जाता है । इन्हें अटैच्ड मोनोलेयर्स या सस्पेंशन कल्चर के रूप में मेनटेन किया जाता है ।

ताजे पृथक किए गए सेल कल्चर को प्राथमिक सेल कल्चर कहा जाता है, ये सामान्यतः होमोजिनस होते है तथा इनकी वृद्धि धीरे होती है, लेकिन ये सेल टाइप तथा विशिष्टताओं दोनों में अपने उद्गम के ऊतकों के समान होते हैं । प्रायमरी कल्चर को सबकल्चर करने के बाद, यह सेल लाइन्स को उत्पन्न करता है, जो अनेक सबकल्चर के बाद मर जाती है ।

(ऐसी सेल लाइन्स को फाइनिट सेल लाइन्स की तरह जाना जाता है ।) अथवा इनडेफिनेटली वृद्धि करती रहती हैं (इन्हें कंटिन्यूअस सेल लाइन्स की तरह जाना जाता है) । अधिकतर सामान्य ऊतक फिनीट सेल लाइन्स को जन्म देते हैं, जबकी टयूमर्स को कंटिन्यूअस सेल लाइन्स कहा जाता है ।

कोशिका, ऊतक एवं अंग संवर्द्धन (Cell, Tissue and Organ Culture):

एनिमल सेल कल्चर से तात्पर्य है ऐसी तकनीकों एवं विधियों से है, जिसमें एनिमल सेल्स में इन विट्रो कल्टीवेट एवं कल्चर किया जाता है । एनिमल सेल कल्चर का तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एनिमल सेल्स को वांछित उत्पाद प्राप्त करने के उपयुक्त न्यूट्रिऐंट मीडियम पर उगाया जाता है ।

सेल कल्चर से निम्न 3 प्रकार की कोशिकाएं प्राप्त होती है:

(1) स्टेम सेल्स,

(2) प्रीकर्सर सेल्स,

(3) डिफरेंशियेटेड सेल्स ।

स्टेम सेल्स अविभेदित कोशिकाऐं होती है, जो सही प्रेरित दिशाओं में कई प्रकार की कोशिकाओं में विभेदित हो सकती है, विभिन्न प्रकार की स्टेम सेल्स, उन कोशिकाओं के प्रकारों के रूप में भिन्नता प्रकट करती हैं, जिनमें ये विभेदित होती हैं ।

प्रीकर्सर सेल्स की उत्पत्ति स्टेम सेल्स से होती है एवं विभेदन करने को तैयार करती है । किंतु ये विभेदित नहीं होती है । ये कोशिकाऐं प्रोलिफरेशन की क्षमता बनाये रखती है । इसके विपरीत डिफरेंशियेटेड सेल्स में विभाजन की क्षमता नहीं पायी जाती ।

कुछ सेल कल्चर्स जैसे एपीडर्मल केरोनोसाइट कल्चर में सभी तीनों प्रकार की कोशिकाऐं प्रदान करती है, जो प्रीकर्सर में विकसित हो जाती है । प्रीकर्सर सेल्स प्रोलिफरेट होकर विभेदित सेल टाइप में परिपक्व हो जाती है, अत: ऐसे कल्चर्स के मेंटेनेंस के लिए स्टेम सेल्स आवश्यक होती है, जो हिटरोजीनस प्रकृति की होती है ।

सेल कल्चर को- (1) मीनोलेयर्स या (2) सस्पेंशन कल्चर के रूप में उगाया जा सकता है । सस्पेंशन कल्चर में प्रोपेगेशन, हीमोपोयाटिक सेल लाइन्स, एमायटिक ह्यूमर्स एवं रूपांतरित कोशिकाओं ।

वे कोशिकाऐं जो इन विट्रो कल्चर के दौरान फिनोटायपिकली रूपांतरित होकर एंकट इनडिपेंडेंट बन जाती है तथा नॉन ट्रासफर्म्ड सेल्स के मोनोलेयर ग्रोथ के विरूद्ध कई कोशिका मोटी लेयर के रूप में वृद्धि करने में सक्षम होती है, के लिए सीमित होता है ।

अत: कल्चर में कोशिकाओं को एक सतह, सब्सट्रेट की आवश्यकता होती है, चिपकने के लिए, ताकि ये प्रोलिफरेट कर सके । वे कोशिकाऐं जो सब्सट्रेट से चिपकने में अक्षम होती है, वे विभाजित नहीं हो सकती । अर्थात् इनकी वृद्धि एंकरेज डिपेंडेट होती है ।

जंतु कोशिका संवर्द्धन की प्रमुख तकनीकें (Main Techniques of Animals Culture):

सेल कल्चर का आरंभ निम्न शीर्षकों के अंतर्गत समझा जा सकता है:

(1) सब्सट्रेट (कल्चर वेसल) का स्टेरेलाइजेशन एवं प्रिपेरेशन,

(2) मीडियम की प्रिपेरेशन एवं स्टेरेलाइजेशन,

(3) एक्सप्लांट का आइसोलेशन,

(4) एक्सप्लांट का डिसएग्रीगेशन,

(5) सबकल्चर एवं क्लोनिंग,

(6) संदूषण ।

जंतु कोशिका संवर्द्धन के उपयोग (Applications of Animal Cell Culture):

बायोटेक्नॉलाजी में अनुसंधान के कई क्षेत्र टिशु कल्चर पर आधारित है, इस कारण से क्षेत्र जंतुओं में टिशू कल्चर विधियों को वांछित प्रोत्साहन देते है ।

इन क्षेत्रों में निम्न सम्मिलित है:

(i) एण्टीवायरल वैक्सीन का निर्माण, जिन्हें वायरस के मल्टीप्लिकेशन एवं ऐसे के लिए सेल लाइन्स के स्टैण्डराइजेशन की आवश्यकता होती है ।

(ii) कैंसर रिसर्च, जिसके लिए कल्चरों में अनियंत्रित कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है ।

(iii) सेल फ्यूजन तकनीक ।

(iv) जेनोटिक मैनीपुलेशन, जो कल्चर में कोशिकाओं एवं अंगों में संभव है ।

(v) मोनोक्लोनल एण्टीबॉडीज, जिनके उत्पादन के लिए कल्चर में सेल लाइन्स की आवश्यकता होती है ।

(vi) सेल लाइन्स के उपयोग से फार्मास्यूटिकल ड्रग्स का उत्पादन ।

(vii) गर्भाशय से उत्पन्न कोशिकाओं का क्रोमोजोम का विश्लेषण ।

(viii) सेल लाइन्स के उपयोग से टोक्सिन एवं प्रदूषकों के प्रभाव का अध्ययन ।

(ix) कृत्रिम त्वचा का उपयोग ।

(x) तंत्रिका कोशिकाओं के कार्यों का अध्ययन यद्यपि रूपांतरित कोशिकाओं के उपयोग के बिना, न्यूरॉन्स को इन विट्रो प्रोपेगेट नहीं किया जा सकता ।

Essay # 4. कोशिका संवर्धन इतिहास (History of Cell Culture):

Cell Culture एक Exciting Technology है, जो कि आधुनिक Cell Culture को Belong करती है । पशु Cell Culture का इतिहास एक शताब्दी पुराना हैं । Cell Culture Technology विभाजन तथा विभेदन की नींव है ।

Cell Culture ने Human Genome Project में भी अपना योगदान दिया, जिसकी मदद से Gene Expression के Pathway को समझने में आसानी हुई है । Harrison and Carrel (1912) ने सर्वप्रथम Tissue Culture Technology का शुभारंभ किया था, जिससे Animal Cell की प्रकृति को विभेदन करने में मदद मिली ।

Harrison ने Frog (मेंढक) को Prefer किया, क्योंकि वह एक Cold Blooded (ठंडे खून वाला) Animals है और उसके लिए पुन: Incubation की आवश्यकता नहीं थी । इसके पश्चात् इसे Mammalian Tissue पर (स्तनपायी के उत्तक पर) Apply (प्रयोग) किया गया है ।

Harrison की इस Technique के बाद Medical Science ने इस Technology को Warm Blooded (गर्म खून वाला) Animals तक आगे बढ़ाया । जहाँ सामान्य तथा Pathological विकास में मदद मिली । Tissue Culture के लिए सबसे प्रमुख Embrynated Hen’s Egg (गर्भस्थ अंडा) था ।

Earketel (1943) ने सर्वप्रथम बताया कि Rodent Tissue को Continuous Cell Line के लिए उपयोग किया जा सकता है । Gay (1952) ने बताया कि मानव के Tumor से भी Continuous Line प्राप्त की जा सकती है । इसका सबसे अच्छा उदाहरण Hela है ।

Pack and Marcuss ने सर्वप्रथम Cell को Stain करने की विधि Dilution Technology दी । 1959 में Lovelock and Bishop ने सर्वप्रथम DMSO (Di Methyl Salfhoxide) को Cryo Preservation के लिए उपयोग किया । 1940 के दौरान Antibiotics के आविष्कार के बाद Cell Culture तकनीक में और भी विकस देखा गया है ।

शुरुआत में Animal Cell का Tissue Culture में उपयोग एक विवाद के रूप में उभरा था । Animals को Preclinical Trials में उपयोग किया जाने लगा तथा इन्हें Cosmetics के बनाने में भी उपयोग किया गया । Cell Fusion Technology का आविष्कार Baski (1901) ने किया था तथा जन्तु कोशिका में Genetic Manipulation Fredrick ने 1993 में दिया ।

1980 में Kohler एवं Mylestein द्वारा Monoclonal Antibody and Hydridomo Technology दी गई । इसके अलावा कुछ उत्पाद जैसे Insulin and Interferon, Human Growth Hormone को भी Genetically तैयार किया गया । इसके अलावा अन्य क्षेत्र जैसे कोशिका विभेदन का अध्ययन किया गया ।

इनके अलावा Homografting and Reconstructive Surgery को भी वैज्ञानिकों द्वारा आगे बढ़ाया गया । Reconstructive Surgery का उदाहरण Plastic Surgery तथा Culture Cell का Graft करना भी होता है । दोषयुक्त कोशिका को भी Normal Gene में Transplant करके इन्हें Genetically Modify किया गया ।

1996 में Willmat तथा उसके साथियों ने सफलतापूर्वक एक Transgenic भेड़ का क्लोन विकसित किया, जिसे Dolly नाम दिया गया । सन् 2002 में Human Genome Society of France ने Clone Human Baby का विकास किया, जिसे Eve नाम दिया गया ।


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