Read this article in Hindi to learn about the role of media in public administration.

मीडिया अर्थात संचार का वो माध्यम जो सूचनाओं और समाचारों को समाज और सरकार को उपलब्ध कराता है । आज ज्ञान और शिक्षा के युग में मीडिया की समाज में भूमिका को सरकार के बराबर ला खड़ा किया है । अब मीडिया जनता को उनकी समस्याओं और शिकायतों से संबंधित जानकारी घर-घर पर पहुंचा कर उजागर बना रही है ।

मीडिया ने प्रशासन पर जन नियंत्रण को अधिक प्रत्यक्ष व प्रभावी बनाया है । आज का मीडिया प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के रूप में सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है । साइबर सुरक्षा युग में दुनिया को हर तरह की सूचनाएं अधिक स्पष्ट और तत्काल रूप में चाहिये इसी अपेक्षा ने मीडिया को नये पर दे दिये हैं ।

और चूंकि खुद मीडिया भी आज साइबर आधारित हो चला है अतः घटनाओं और सूचनाओं तक पहुंच और उनके तीव्र सम्पेक्षण की अपेक्षा को वो पूर्ण प्रभाव से पूरा भी कर रहा है । लेकिन इस प्रभाव के दो पहलू प्रथम जनता को विभिन्न सूचना के साथ जागरूक बनाना और दूसरा जनता की अपने पर बढ़ती निर्भरता को व्यवसायिक लाभ में बदलना ।

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पहली सकारात्मक भूमिका है जिसके अंतर्गत:

(1) विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रभावी इस्तेमाल/ मीडिया ने इस संविधानिक अधिकार का उपयोग जनता के हित में भी किया और जनता को भी इसके लिये प्रभावी मंच प्रदान किया ।

(2) स्थानीय, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्या-घटनाओं की नेवाक प्रस्तुति जनता की मूलभूत समस्याओं जैसे पानी, बिजली, साफ-सफाई आदि पर सरकार की लापरवाही उजागर की वही अपने आलेखों से और चर्चा से (Live) राष्ट्रीय समस्या के मुद्दे उठाये जैसे भ्रष्टाचार का मामले हो या दुष्कर्म के मामले हो ।

(3) मीडिया ने कुछ मुद्दों पर जनता को जागरूक बनाया जैसे सत्यमेव जयते कार्यक्रम या सावधान इंडिया ।

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(4) मीडिया ने दूरस्थ क्षेत्रों की जनता तक पहुंच बनायी जिससे वे जनता भी राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ गई जैसे आज छोटे से गांव का व्यक्ति भी जानता है कि अन्ना हजारे कौन है और क्या कर रहे हैं ।

लेकिन सकारात्मक प्रभाव का महत्व क्षीण हो जाता है जब मीडिया को हम पवित्र की आड़ में पित पत्रकारित्रा के रूप में पाते हैं ।

जैसे:

(i) वर्तमान मीडिया बाजार का हिस्सा है जो स्वयं भी एक बड़ा बाजार बन चुका है और बाजार को उसकी नाकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही रूपों में नजारे को बढ़ाने का माध्यम है ।

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(ii) अखबार हो या टेलिविजन या नेट आधारित पत्रकारिता अधिकांश का उद्देश्य निजी व्यवसायिक हितों की पूर्ती प्रमुख है जबकि जनहित गौण । जैसे- सभी मीडिया माध्यमों में समाचारों से ज्यादा विज्ञापन हैं ।

(iii) आज मीडिया पूंजी आधारित है अतः पूंजीपति ने वास्तविक पत्रकारों को इस क्षेत्र से बाहर कर दिया । दुष्परिणाम यह है कि आम जनता के हितों की जगह मीडिया पूंजीपति की बात ज्यादा करता है । उदाहरण भारत में करोड़पति सूची को प्रमुखता दी जाती है जबकि संघर्ष की गाथा को यदाकदा ही कवरेज मिलता है ।

(iv) वस्तुतः मीडिया TRP के खेल में उलझा है, जिसमें वो मुद्दे महत्वपूर्ण हो जाते हैं जिससे TRP बढती है जैसे बोरिंग में फंसे बच्चे का 24 घंटे Live Coverage लेकिन ऐसे बोरिंग के जिम्मेदार सरकार व ठेकेदार के विरूद्ध सफल अभियान नहीं चलाना ।

(v) यही TRP जैसा फंडा अखबारों के सर्कुलेशन के होड का है, अतः दुष्कर्म के एक मामले को फ्रंटपेज मिल जाता है, लेकिन हजारों बच्चों के साथ घटने वाली घटना मूलभूत कारणों को प्रकारान्तर से दफना दिया जाता है ।

स्पष्ट है कि मीडिया ने व्याचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग अधिक किया अन्यथा जो मीडिया स्वतंत्रता के पूर्व शराब, विदेशी वस्तु इन्कार पर ब्रिटिश हुकूमत को प्रताड़ना के बावजूद घेरे रखा था, वह इसके प्रचार प्रसार में अपनी उन्नती को तलाशता ।

सारांश यह है कि मीडिया Article 19A के तहत स्वायता प्राप्त इकाई है । मार्केन्ड काटजू के शब्दों में, ”मीडिया समाज में अफीम की तरह हो चुका है अतः इससे सामाजिक दायित्व के दायरे में लाने की जरूरत है ।”