Read this article in Hindi to learn about the local government of Japan.

जापान में स्थानीय सरकार के प्रारम्भ (Introduction to Japanese Local Government):

जापान में प्रजातंत्र और इसके एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में ”प्रजातान्त्रिक विकेन्द्रीकरण” की अवधारणा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपनायी गयी । इसे लागू किया तत्कालीन सैनिक तन्त्र ने जिसने सत्ता पर नियन्त्रण स्थापित कर लिया था । जापान में स्वः शासन के लिये स्थानीय सरकार (Local Government) शब्दावली इस्तेमाल होती है ।

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स्थानीय सरकार के स्वरूप और शक्तियों को निर्धारित करने वाले दो माध्यम हैं:

1. जापानी संविधान और

2. स्थानीय स्वायत्तता अधिनियम, 1947

1. जापानी संविधान में स्थानीय सरकार:

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जापानी संविधान द्वारा स्थानीय सरकार को पर्याप्त अधिकार दिये गये है, जो इस प्रकार हैं:

(i) स्थानीय निकायों के संगठन और उनके कार्य-अधिकारों का निर्धारण डाइट कानून बनाकर करेगी । लेकिन ऐसे कानून स्थानीय स्वायत्तता के सिद्धान्तों के अनुरूप होने चाहिए ।

(ii) स्थानीय निकाय अपनी विचार परिषदों की स्वयं स्थापना करेंगे ।

(iii) स्थानीय निकायों की परिषदों के समस्त सदस्य अधिनियम द्वारा निर्धारित अन्य पदाधिकारी तथा निकायों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मतदान द्वारा जनता के द्वारा चुने जायेंगे ।

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(iv) स्थानीय निकायों को विधि अनुरूप अपने नियम बनाने का अधिकार होगा ।

(v) निकाय अपनी सम्पति और कार्यों का स्वयं प्रबंध और प्रशासन कर सकेंगे ।

(vi) निकाय की जनता की बहुमत आधारित सहमति के बिना डाइट (Diet) ऐसा कोई कानून नहीं बना सकती जो उस निकाय विशेष पर ही लागू हो । इस प्रकार संविधान स्थानीय निकायों को पर्याप्त अधिकार देते हुये भी जापान की ”एकात्मक राज्य” की अवधारणा को सुरक्षित रखता है ।

2. स्थानीय स्वायत्तता अधिनियम 1947 (Local Autonomy Law, 1947):

उपरोक्त संवैधानिक प्रावधानों को स्पष्ट करने और उनको सम्पूरित करने के उद्देश्य स्थानीय स्वायत्तता अधिनियम, 1947 में डाइट ने पारित किया ।

इसके प्रावधानों में प्रमुख हैं:

1. इस अधिनियम के द्वारा स्थानीय सरकारों के विभिन्न स्तरों का निर्धारण किया गया है ।

2. इन निकायों के अर्न्तसंबंधों को स्पष्ट किया गया है ।

3. प्रत्येक निकाय के संगठन, कार्य प्रणाली और अधिकारों-दायित्वों को बताया गया है ।

4. इसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रावधान है प्रांतीय स्तर की स्थानीय सरकार पर से केन्द्र सरकार के विधिक नियन्त्रण को समाप्त कर देना ।

5. इसी प्रकार इस अधिनियम ने अधीनस्थ स्थानीय निकायों (Municipalities) पर से प्रांतीय सरकार की शक्तियों को भी समाप्त कर दिया है । अर्थात् स्थानीय सरकारों को पर्याप्त स्वायत्तता प्रदान की गयी है ।

6. इसका दूसरा महत्वपूर्ण प्रावधान है स्थानीय निकायों के मतदाताओं को पहल और प्रत्यावर्तन (Initiative and Recall Powers) के अधिकार प्रदान करना ।

अर्थात् मतदाता अपने निकाय के लिये किसी नीति या प्रस्ताव को प्रस्तुत कर सकते है तथा अपने प्रतिनिधियों को वापस भी बुला सकते है । पहल और प्रत्यावर्तन के इन अधिकारों ने जापान में स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र को लगभग स्थापित किया है ।

जापान में स्थानीय सरकार के संगठन, शक्तियां और कार्य (Organisation, Powers and Functions of Japanese Local Government):

जापान में केन्द्रीकृत और एकात्मक शासन व्यवस्था है । साथ ही स्थानीय सरकार के रूप में विकेन्द्रीत संरचनाएं भी हैं । यहां ”प्रांतीय सरकार” (Provincial Government) को भी स्थानीय सरकार के अन्तर्गत रखकर स्थानीय स्वशासन का ही भाग माना गया है ।

तदनुरूप जापान में स्थानीय सरकार की चार इकाइयां हैं:

1. प्रशासकीय (Prefecture)

2. शहरी (City)

3. कस्बाई (Town) और

4. ग्रामीण (Village)

वस्तुतः पूरे जापान को 46 प्रशासकीय में विभक्त किया गया है । प्रत्येक प्रशासकीय के अनतर्गत विभिन्न ”सिटी”, ”टाउन” और ”विलेज” है ।

प्रशासकीय (Prefecture):

जापान को जिन 46 ”प्रिफेक्चर्स” में बांटा गया है, वे भारतीय राज्यों के सदृश हैं लेकिन इन राज्यों से भिन्न वे स्थानीय शासन की इकाइयां हैं । प्रत्येक ”प्रिफेक्चर की अपनी शासन व्यवस्था है जिसका प्रमुख ”राज्यपाल” (Governor) होता है । प्रिफेक्चर की अपनी विधायिका होती है ।

राज्यपाल:

राज्यपाल जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचित होता है । इसका कार्यकाल 4 वर्ष है ।

कार्यकाल के पूर्व भी उसे निम्नलिखित परिस्थितियों में हटाया जा सकता है:

1. जापान के प्रधानमंत्री के लिखित आदेश द्वारा

2. प्रिफेक्चर की विधायिका द्वारा उसके विरूद्ध प्रस्ताव पारित करके ।

3. प्रिफेक्चर के स्थानीय मतदाताओं द्वारा प्रत्यावर्तन (Recall) के तहत वापस बुलाकर ।

4. स्वयं त्याग पत्र दे दे ।

राज्यपाल प्रिफेक्चर का सर्वोच्च शासक होता है और इस नाते प्रिफेक्चर के सम्पूर्ण स्थानीय प्रशासन पर उसका पूरा नियन्त्रण होता है । प्रिफेक्चर की बजट व्यवस्था का निर्धारण भी वही करता है । राज्यपाल के विधायिका से संबंधित अधिकार भी व्यापक है । वह विधायिका के पारित प्रस्तावों को ”वीटो” (Veto) कर सकता है । वह विधायिका को सूचित किये बिना अध्यादेश (Ordinance) जारी कर सकता है । इस दिशा में ”विधायिका को भंग करना” उसका सबसे सशक्त अधिकार है ।

विधायिका:

प्रिफेक्चर की एक सदनीय विधायिका होती है जिसकी संख्या जनसंख्या अनुसार 40 से लेकर 120 तक हो सकती है । ये सदस्य स्थानीय मतदाताओं द्वारा 4 वर्ष के लिये चुने जाते हैं । सदस्यगण अपने मध्य से सभापति का चुनाव बहुमत के आधार पर करते हैं । विधायिका विभिन्न समितियों का भी चुनाव करती है और उन्हीं के माध्यम से काम करती है ।

विधायिका उपनियमों का निर्माण करती है और बजट को स्वीकृत करती है । अपने दो तिहायी विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा विधायिका राज्यपाल की ”वीटो शक्ति” को निरस्त कर सकती है । वह अविश्वास प्रस्ताव पारित करके राज्यपाल को पद छोड़ने के लिये बाध्य कर सकती है । इस प्रकार ”प्रिफेक्चर” में राज्यपाल और विधायिका को परस्पर नियन्त्रण और संतुलन की स्थिति प्राप्त है ।

नगर पालिकीय सरकार (Municipal Government) शहरी (City), कस्बाई (Town) और ग्रामीण (Village):

जापान में शहरी (City), कस्बाई (Town) और ग्रामीण (Village) तीनों क्षेत्रों के स्थानीय निकायों को ”म्यूनिसीपालटीज्” (नगर पालिकाएं) कहा जाता है । प्रत्येक प्रिफेक्चर में विभिन्न संख्याओं में उक्त न संस्थाएँ होती हैं ।

संगठन और संरचना:

तीनों किस्म की नगरपालिकाओं की संगठनात्मक संरचानाओं में सदस्य संख्या को छोड़कर पूर्ण समानता है । प्रत्येक नगरपालिका में मुख्य कार्यकारी ”मेयर” होता है और प्रत्येक में ही एक ”परिषद” होती है । मेयर राज्यपाल का और परिषद विधायिका का प्रतिरूप होती है । क्योंकि मेयर और परिषद के अधिकार और परस्पर संबन्ध ठीक वैसे ही हैं जैसे राज्यपाल और विधायिका के ।

मेयर (Mayor):

नगरपालिका का मेयर प्रमुख प्रशासक होता है और 4 वर्ष के लिये स्थानीय मतदाओं के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है ।

लेकिन इसके पूर्व भी वह अपने पद से हटाया जा सकता है यदि:

1. स्वयं इस्तीफा दे दे ।

2. प्रिफेक्चर का राज्यपाल उसे बर्खास्त कर दे ।

3. परिषद द्वारा उसके विरूद्ध प्रस्ताव पारित करके ।

4. स्थानीय मतदाताओं द्वारा ”प्रत्यावर्तन” (Recall) का प्रयोग करके ।

मेयर की शक्तियाँ:

मेयर का अपने स्थानीय प्रशासन पर पूर्ण नियन्त्रण होता है । वह परिषद को सूचित किये बिना आदेश जारी कर सकता है और नियम बना सकता है और  परिषद में प्रस्तुत कर सकता है । परिषद के पारित प्रस्तावों को ”वीटो” कर सकता है । वह परिषद को भंग भी कर सकता है ।

परिषद (Council):

परिषद एक सदनीय होती है जो संगठन और शक्तियों में प्रिफेक्चर की विधायिका का ही प्रतिरूप है । स्थानीय जनसंख्या आधारित उसमें न्यूनतम 12 से लेकर अधिकतम 48 सदस्य हो सकते हैं । इनका निर्वाचन स्थानीय मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से 4 वर्ष के लिये होता है । इन्हें मेयर समय पूर्व हटा भी सकता है या जनता वापस (Recall) बुला सकती है । ये अपने मध्य से ही परिषद का एक सभापति और विभिन्न समितियों के सदस्यों को चुनते हैं ।

परिषद की शक्तियाँ:

सभापति का चुनाव, उपनियमों का निर्माण, बजट को स्वीकृति परिषद के प्रमुख अधिकार है । वह मेयर के ”वीटो पावर” को दो तिहाई विशेष बहुमत से निरस्त कर सकती है । वह मेयर को अविश्वास प्रस्ताव पारित कर हटा सकती है ।

सारांशत:

1. जापानी स्थानीय शासन की चारों संस्थाएं संगठन, अधिकार, कर्तव्यों में एकरूपता रखती है ।

2. अमेरिकी राष्ट्रपति प्रणाली का प्रभाव जापान की ”स्थानीय सरकार” पर आया है । विशेषकर स्थानीय शासन प्रमुख (राज्यपाल या मेयर) अमेरिका में जनता द्वारा चुने गये राष्ट्रपति के अनुरूप ही है ।

3. राज्यपाल और मेयर दोनों की अपने क्षेत्रों में दोहरी भूमिका होती है । वे राष्ट्रीय मामलों में केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि की भांति तथा स्थानीय मामलों में स्थानीय सरकार की भांति काम करते हैं ।

4. केन्द्र की और स्थानीय सरकारों की अपनी पृथक लोकसेवाएँ होती हैं जिनकी भर्ती भी क्रमशः केन्द्र और स्थानीय सरकारें स्वयं करती हैं । इनका परस्पर स्थानान्तरण भी नहीं हो सकता ।

5. केन्द्रीय लोक सेवा की भांति स्थानीय लोक सेवा के भी दो वर्ग हैं, एक विशेष सेवा और दूसरी सामान्य सेवा ।