इलेक्ट्रिक वर्तमान और इसका स्रोत | Electric Current and Its Source in Hindi. Read this article in Hindi to learn about:- 1. Introduction to Electric Current 2. Source of Electric Current 3. Electrolyte Composition.

विद्युतधारा का आसय (Introduction to Electric Current):

आज के इस वैज्ञानिक युग में हमारे जीवन में विद्युत का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है । बिना विद्युत के हमारे दैनिक क्रियाकलापों का पूर्ण होना असंभव सा प्रतीत होता है । जीवन के प्रत्येक क्षेत्र जैसे घर, स्कूल, अस्पताल, उद्योग धंधे, आवागमन के साधन- बस, ट्रेन, वायुयान, जहाज आदि में विद्युत का महत्वपूर्ण योगदान है ।

विद्युत के बिना रेडियो, कप्यूटर, टेलीविजन आदि चल पाना संभव नहीं है । वास्तव में, विद्युत ऊर्जा का एक रूप है । आवेश दो प्रकार के होते हैं एक ऋण आवेश व दूसरा धन आवेश । किसी पदार्थ की सतह पर यदि ऋण आवेशित कणों (इलेक्ट्रॉनों) की अधिकता हो जाती है तो वह पदार्थ ऋण आवेशित कहलाता है और यदि सतह पर ऋण आवेशों की कमी हो जाती है तो वह धन आवेशित कहलाता  है ।

पदार्थ में इन आवेशित कणों (चाहे वे धन आवेश हों या ऋण आवेश हों) की अधिकता के कारण उस पदार्थ में हल्की वस्तुओं जैसे कि कागज के छोटे-छोटे टुकड़े, तिनके, थर्मोकॉल के टुकड़े, पक्षियों के पंख आदि को आकर्षित करने का गुण आ जाता है । इसे हम स्थिर वैद्युत कहते हैं । विद्युत को हम देख नहीं सकते हैं किन्तु इसके प्रभावों को देखकर इसकी उपस्थिति का पता लगा सकते  हैं ।

ADVERTISEMENTS:

जब किसी पदार्थ में आवेश एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर प्रवाहित होते हैं तो यह प्रवाह विद्युतधारा के रूप में जाना जाता है । आवेशित चालक को अनावेशित चालक के सम्पर्क में रखने पर आवेशों का प्रवाह आवेशित चालक से अनावेशित चालक की ओर होता है ।

जब किसी धनावेशित वस्तु तथा ऋण आवेशित वस्तु को सम्पर्क में लाया जाता है या चालक तार से जोड़ा जाता है तो ऋण आवेशों का प्रवाह धन आवेशित वस्तु की ओर होता है । वैसे ही आवेशित व अनावेशित वस्तुओं को जोड़ा जाता है तो आवेश, आवेशित वस्तु से अनावेशित वस्तु की ओर प्रवाहित होने लगता है ।

ADVERTISEMENTS:

यह आवेश एक वस्तु से दूसरी वस्तु में सेकण्ड के बहुत छोटे भाग के लिए प्रवाहित होता है जिसके परिणामस्वरूप धारा प्रवाहित होती है । अत: एकांक समय में प्रवाहित आवेश को विद्युतधारा कहते हैं । परिभाषा के रूप में आवेश के बहने की दर को वैद्युतधारा कहते हैं ।

विद्युतधारा के स्रोत (Source of Electric Current):

विद्युतधारा के विभित्र स्रोत हैं जैसे कि सेल, विद्युत जनित्र, पवन चक्की आदि ।

विभिन्न प्रकार के सेल है:

(1) वोल्टीय सेल,

ADVERTISEMENTS:

(2) डेनियल सेल,

(3) शुष्क सेल,

(4) संचायक सेल ।

विद्युतधारा प्राप्त करने की ऐसी युक्ति जो रासायनिक क्रिया द्वारा किसी परिपथ में आवेश प्रवाह को निरन्तर बनाए रखती है विद्युत सेल कहलाती है । रासायनिक ऊर्जा को विद्युतीय ऊर्जा में परिवर्तित करने की युक्ति को विद्युत सेल कहते हैं ।

विद्युत सेल की रचना (Electrolyte Composition):

विद्युत अलग-अलग धातुओं की दो छड़ें होती हैं जिन्हें विद्युताग्र या इलेक्ट्रोड (Electrode) कहते हैं । ये इलेक्ट्रोड किसी बर्तन में एक द्रव में डूबे रहते हैं । इस द्रव को वैद्युत अपघट्‌य (Elecrolyte) कहते हैं । अलग-अलग प्रकार के सेल के लिए अलग-अलग प्रकार के इलेक्ट्रोड, वैद्युत अपघट्‌य व बर्तनों को उपयोग में लाया जाता है ।

कार्यविधि:

जब इलेक्ट्रोडों को किसी वैद्युत अपघट्‌य में डुबाया जाता है तो ऋण आवेश एक इलेक्ट्रोड पर व धन आवेश दूसरे इलेक्ट्रोड पर इकट्ठे होने लगते हैं । जिस इलेक्ट्रोड पर ऋण आवेश (-) संचित होते हैं केथोड कहलाता है और जिस पर धन आवेश (+) संचित होते हैं एनोड कहलाता है ।

जब इन इलेक्ट्रोडों को किसी चालक तार से जोड़ा जाता है तो उसमें आवेश (इलेक्ट्रॉन) प्रवाहित होने लगते हैं । जिससे तार में विद्युतधारा प्रवाहित होने लगती है । जब तक वैद्युत अपघट्‌य से आवेश इलेक्ट्रोडों को मिलते रहते हैं तार में आवेशों का प्रवाह होता रहता है और हमें विद्युतधारा प्राप्त होती रहती है ।

इस प्रकार विद्युत सेल विद्युतधारा के एक स्रोत के रूप में कार्य करता है । अधिक मात्रा में विद्युतधारा की प्राप्ति के लिए विद्युत जनित्र (Electric Generator) का उपयोग किया जाता है ।

Home››Physics››Electric Current››