नगर निगम एवं नगरपालिकाएं पर निबंध । Essay on Municipal and Municipalities in Hindi.

1. प्रस्तावना ।

2. नगरपालिकाएं ।

3. नगर निगम-कार्य, साधन एवं शक्तियां ।

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4. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

हमारे दैनिक जीवन में पीने का पानी, रोशनी, साफ सड़कें, चिकित्सा, शिक्षा, स्वास्थ्य, पार्क इत्यादि का विशेष महत्त्व है । इन सबकी व्यवस्था हमारे लिए नगरों में नगर निगम एवं नगरपालिकाएं करती हैं । नगरों तथा महानगरों की इतनी विशाल जनसंख्या को इन सबकी तमाम सुविधाएं मुहैया कराना नगर निगम तथा नगरपालिका का कार्य है 1 महानगरों में नगर निगम तथा छोटे शहरों में नगरपालिकाएं कार्य करती हैं । इसे महानगरपालिका निगम तथा कॉरपोरेशन भी कहते हैं ।

2. नगरपालिकाएं:

नगरपालिका के अधिकतर सदस्य अपने नगर की जनता द्वारा ही चुने जाते हैं । इन सदस्यों की संख्या नगर की कुल जनसंख्या पर निर्भर करती है । प्राय: इनकी संख्या 15 से 60 तक होती है । चुनाव के लिए प्रत्येक शहर को वार्डों में बांट दिया जाता है ।

नगर में कुछ स्थान अनुसूचित जातियों के लिए सुरक्षित रखे जाते हैं । मतदाता सूची में 18 वर्ष की आयु वाले नागरिकों को मतदान का अधिकार है । नगरपालिका का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम 25 वर्ष

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निर्धारित है । जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि कुछ विशिष्ट सदस्यों को चुनाव करते हैं, जिन्हें एल्डरमैन कहा जाता है । ये सब मिलकर नगरपालिका बनाते हैं । बैठकों की अध्यक्षता अध्यक्ष द्वारा होती है ।

अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता द्वारा या चुने हुए प्रतिनिधियों के द्वारा होता है । प्रत्येक नगरपालिका एक उपाध्यक्ष का चुनाव भी करती है, जो अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्य करता है । इन निर्वाचित स्थायी सदस्यों में अधिशासी अधिकारी, सचिव, स्वास्थ्य अधिकारी, सफाई अधिकारी, द्युनिसिपल इंजीनियर, ओवरसियर, चुंगी अधिकारी तथा अन्य विशेषज्ञ होते हैं ।

3. नगर निगम-कार्य, साधन, शक्तियां:

नगर निगम के अध्यक्ष को महापौर (मेयर) कहा जाता है । महापौर का चुनाव नगर निगम के सदस्य करते हैं या जनता सीधे चुनती है । महापौर के अतिरिक्त एक उपमहापौर, 50 से 150 तक सदस्य होते हैं ।

इनका चुनाव 5 वर्षों के लिए किया जाता है । ये वयस्क मताधिकार द्वारा चुने जाते हैं । नगर निगम के सदस्य कुछ अनुभवी सदस्यों को चुनते हैं, जिन्हें एल्डरमैन कहते हैं ।

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ये सभी सदस्य मिलकर नगर निगम बनाते हैं । नगर निगम के दिन-प्रतिदिन का कार्य कई समितियां करती है । इन समितियों में 6 से 12 सदस्य होते हैं । प्रत्येक समिति का एक अध्यक्ष होता है । इन समितियों में शिक्षा समिति, स्वास्थ्य समिति, निर्माण समिति प्रमुख है ।

प्रत्येक नगर निगम में एक पदाधिकारी होता है, जिसकी नियुक्ति सरकार द्वारा होती है । इसका मुख्य कार्य नगर निगमों के नियमों को लागू करना होता है । इस कार्य में इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षा विशेषज्ञ उसकी सहायता करते हैं ।

कार्य-नगर निगम तथा नगरपालिका दोनों के ही कार्य लगभग समान हैं । नगरपालिका तथा नगर निगम स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी के साथ-साथ खाने-पीने की वस्तुओं में मिलावट को रोकने की कार्रवाई करते हैं । महामारी तेथा दूसरे रोगों को दूर करने, टीकों का प्रबन्ध करती है । औषधालय अस्पताल खोलती है, इस तरह अच्छे सचार के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों की सफाई करती है ।

नागरिकों के लिए आवागमन हेतु चौड़ी सड़कों का निर्माण, मरम्मत का कार्य नगर निगम व पालिकाओं के द्वारा किया जाता है । पानी, बिजली के साथ-साथ शवदाह गृह की व्यवस्था भी करती है । सार्वजनिक शिक्षा के साथ-साथ बाजार, पुस्तकालय, चिड़ियाघर आदि का संचालन नगर निगम तथा नगरपालिका का होता है ।

नगर निगम तथा पालिका के कुछ ऐच्छिक कार्य में आग बुझाने हेतु अग्निशमन यन्त्र की व्यवस्था शामिल है । इसके आय के साधनों में चुंगी कर, सम्पत्ति कर, व्यापार, व्यवसाय कर पानी पर कर, रोशनी पर कर, राज्य सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान प्रमुख हैं ।

नियन्त्रण:  राज्य सरकारें नगरपालिका व नगर निगम के कार्यो पर नियन्त्रण रखती हैं । वे इनके विरुद्ध कार्रवाई कर इन्हें भंग कर सकती हैं ।

4. उपसंहार:

लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली का आधार जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए शासन है । अत: सरकार अपने कार्य और शक्तियों का विभाजन विकेन्द्रीकृत व्यवस्था के अन्तर्गत कहीं ग्राम पंचायत, कहीं जनपद पंचायत, कहीं जिला पंचायत, तो कहीं नगरपालिका व नगर निगम बनाकर करती है । अपने उद्देश्यों के अनुरूप जनकल्याण हेतु इन्हें भ्रष्टाचार से दूर रहकर कार्य करना होगा ।

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