Read this article in Hindi to learn about:- 1. खाद्य मिलावट का अर्थ (Meaning of Food Adulteration) 2. खाद्य योज्य के स्वास्थ्य संकट (Health Hazards of Food Additives and Adulteration) 3. भोज्य मिलावट का पता लगाना (Some Examples of Detection).
खाद्य मिलावट का अर्थ (Meaning of Food Adulteration):
विभिन्न प्रकार के भोजन में विभिन्न प्रकार से मिलावट या Spoilage से जो खराबी आती है, वे निम्न है । प्रतिकेकन और युक्त प्रवाही कर्मक प्रति सूक्ष्मजैविक कर्मक प्रति ऑक्सीकारक (Antioxidants), रंगक, संसाधक और अचार बनाने वाले करक गुथे हुए आटे का सामर्थ्यक, शुष्कन कारक, पायसीकारक, एन्जाइम, दृढक (Firming), सुगन्धित स्वाद शोधक, सुरुचि कारक, आटा उपचार कारक सूत्रण कारक, धूमक (Fumigants), आर्द्रक (Humectant), किण्वन कारक (Leavening Agents), स्नेहक (Lubricants) और मोचन कारक (Release Agents) अपोषी मीठा करने वाला (Non-Nutritive Sweetness), ऑक्सीकारक (Oxidizing Agent) और अपचायक (Reducing Agents), pH नियंत्रण कारक, परिरक्षित, प्रक्रमण कारक, नीदक (Propellants), वातन कारक और गैंसे, मोचन कारक (Release Agents), प्रच्छादक (Sequestrates) विलेय और वाहन, स्थायीकारी (Stabilizer) और प्रगाढ़कर (Thickeners), पृष्ठीय-सक्रिय कारक, पृष्ठीय-परिसज्जा करक (Surface-Finishing Agents), संकर्मी (Synergists), संव्युतक (Texturizers), प्रगाढ़क (Thickening Agents) और हारमोन (Hormone), वृद्धि नियंत्रक (Growth Regulators) । इन सभी से भोज्य पदार्थ में विकृति उत्पन्न हो जाती है जिन्हें रोकने के लिए विभिन्न विधियाँ अपनाई जाती है ताकि भोज्य पदार्थ खराब न हो ।
खाद्य योज्य के स्वास्थ्य संकट (Health Hazards of Food Additives and Adulteration):
खाद्य योज्य गंभीर चिंतनीय हानि पहुँचाते हैं । संभव प्रभाव के अंतर्गत कैन्सनरोत्पत्ति (Carcinogenesis), अर्बुदोत्पत्ति (Tumorogenesis), विरुपोत्पत्ति (Teratogenesis) और उत्परिवर्तजनीयता (Mutagenesis) आते है । खाद्य योज्य से कई अस्थमा, शीतपित्त (Urticaria) और अन्य एलर्जी अभिक्रियाएँ भी हो सकती हैं ।
पैकिंग तत्व जैसे काँच, मेटल, पेपर, प्लास्टिक और पुनर्योजित सेल्युलोस प्राणियों के लिए अविषालु होते है । प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले खाद्य भोज्य जैसे Citral, Pressor Amines, Erucic Acid, Safrole भी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं ।
ADVERTISEMENTS:
i. मनोसक्रिय पदार्थ (Psychoactive Substances):
जैसे कैफिन (Caffeine), थीओफिलीन (Theophylline) और थीओब्रोमीन (Theobromine) केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं । कैफिन, चाय, कॉफी और कोको (Coco) में उपस्थित होता है । स्कोपोलामीन (Scopolamine), बेलाडोना (Belladonna), ऐल्केलाइड भी केन्द्रीय उद्दीपन करता है । निकोटिन (Nicotine) अधिक मात्रा में लेने से आविषालु होता है ।
ii. प्रतिविटामिन (Antivitamin):
आंत्र अवशोषण के साथ अन्तक्षेप करते हैं और अन्य आविषालु प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं ।
ADVERTISEMENTS:
iii. विटामिन (Vitamins):
यदि अधिक मात्रा में ले फिर जाएँ तो गंभीर स्वास्थ्य सकट भी उत्पन्न कर सकते हैं । विटामिन A,D,K,C,E नियासीन (Niacin), फेलिक अम्ल (Folic Acid) और थाएमीन (Thiamine) भिन्न प्रकार के विकास उत्पन्न कर सकते हैं ।
iv. सुरुचिक वृद्धक (Flavour Enhancers):
जैसे मोनोसोडियम ग्लुटामेट (Monosodium Glutamate) (MSG) चीनी रेस्टोरेन्ट सिन्ड्रोम (Chinese Restaurant Syndrome) के लिए जिम्मेदार है- गले के पीछे ज्वलन संवेदन होती है जो अग्र भुजाओं तक फैलती है तथा अग्र दृढीकरण होता है व उपचर्मीय व्यथा होती है । भिन्न प्रकार के रंगक (Colourants) भी आविषालु प्रभाव उत्पन्न करते पाए गए हैं ।
ADVERTISEMENTS:
इसी प्रकार भोज्य पदार्थ को मिलावट व विकार से बचाने के लिए विभिन्न विधियाँ अपनायी जाती है जिससे भोज्य पदार्थ स्वास्थ्य वर्धक बना रहे । ऐसे भोज्य पदार्थ को बनाने वाली विभिन्न कम्पनियों (Companies) को प्रमाण लेना पडता है । अतः भोज्य पदार्थ को संरक्षित करने के लिए रसायनों रंगों आदि देने के लिए यह आवश्यक है कि इनका कोई प्रभाव विनाशकारी न हो ।
वर्तमान समय में पैकिंग भोज्य पदार्थ और दूसरे प्रकार के भोज्य पदार्थ का उपयोग किया जा रहा है जिसे Junk Food का नाम दिया जाता है और उसे खाने से बचने के लिए कहा जाता है । इससे सिद्ध होता है कि जो भोज्य पदार्थ इस प्रकार के थे उनमें कुछ मिलावट या ऐसे घटक हैं जो मनुष्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं । अतः ऐसे भोज्य पदार्थों पर रोक लगा देना चाहिए जो नुकसान करने वाले हो ।
अतः इस प्रकार के Foods का निर्माण होना चाहिए जो मनुष्यों के लिए लाभप्रद हो और स्वास्थ्यवर्धक ताजे हो साथ में उनमें कोई मिलावट या संक्रमण न हो तथा Foods में सारे Component उपस्थित रहे । ऐसे भोज्य पदार्थ जिसमें मिलावट या Spoilage या विभिन्न Organisms जो Food को हानि पहुँचाने वाले हैं तो ऐसे Foods से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ फैलती है जिसे मनुष्य सहन न कर पाने की स्थिति में आ जाता है ।
कुछ Foods जिन्हें Chemically किया जाता है । उसके Effects धीरे-धीरे एक बड़ी बीमारी के रूप में उभर कर आती है । अतः Foods का उपयोग इस प्रकार का हो जो अधिक Hygenic और किसी भी प्रभाव से विमुक्त हो ।
खाद्य मिलावट में भोजन को स्वास्थ्यवर्धक बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के नियम व संस्थाएँ बनी है जिससे भोजन स्वास्थ्यवर्धक बनाने के लिए विभिन्न प्रमाण लेने की आवश्यकता हो इस पर राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर की संस्थाएँ है जो भोज्य पदार्थ को जाँच कर उन्हें बाजार में उपलब्ध करती है ।
Pack Food का पूरी तरह से स्वच्छता, पाश्चुरीकरण व विभिन्न प्रकार के रासायनिक का उपयोग करने पर ध्यान रखा जाता है । यह संस्थाएँ भोज्य पदार्थ की गुणवत्ता बनाए रखती है क्योंकि भोज्य पदार्थ की जाँच कर प्रमाण देना होता है । इसका कारण यह है कि आम जनता में स्वास्थ्यवर्धक भोज्य पदार्थ जिसमें दालें, फल, सब्जीयां, अण्डे, माँस आदि शुद्धता से पहुँच सके ।
डब्बा बंद भोज्य पदार्थ उत्पाद सीमित समय तक स्वच्छ रहते है । ज्यादा समय होने पर खराब होने लगते है । इसलिए एक निश्चित दिनांक बनाने व समाप्त होने की दिनांक आवश्यक रूप से देना होता है । यह राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर कार्य करने वाली संस्थाएँ करती है । इन संस्थाओं द्वारा परीक्षण नमूना डिब्बाबंदी और परिरक्षण की जाँच कर प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है ।
यह संस्थाएँ निम्न है:
1. B.S.I. (Bureau of Indian Standards):
BSI भारत की राष्ट्रीय मानक कम्पनी है । ये Ministry of Consumer Affairs, Food और Public Distribution को जोड़ने का कार्य करती है । BSI Act 1986 में बना और 22 दिसम्बर 1986 से लागू हुआ इसका इसकी देख रेख केन्द्रीय मंत्रालय के मंत्री के अधीन रहती है ।
यह विभाग पूरी तरह से प्रशासनिक कार्य को नियंत्रित करता है । ये संस्था भारतीय मानक संस्थान [Indian Standards Institution (ISI)] के अधीन रहती है ।
Department of Industries और Supplies No.-1 ने दृढ़ संकल्प लिया और इस Organisation Governments, Industry Scientist बनाया इसमें एक Corporate Body होती है जिसके अन्तर्गत 25 सदस्य होते हैं जिसमें Central, State Government, Industry Scientist और Research Institution और Consumer Organizations के होते हैं (सदस्य शामिल होते है) इसका मुख्य खर्यालय नई दिल्ली में है तथा Regional Office Kolkata, Chennai, Mumbai, Chandigarh और Delhi में और 20 Branch Office है । यह भारत के लिए Food Enquiry WTO – TBT का भी कार्य करती है ।
यह Organization की जाँच Food Quality, Packing Export आदि का कार्य करती है और Certificate अच्छे Healthy Food के लिए देती है ।
2. AGMARK (Agriculture and Mark):
AGMARK दो शब्दों से मिलकर बना है । AG का अर्थ है Agriculture और MARK का अर्थ है- प्रमाण पत्र चिन्ह (Certificate Mark) । ये शब्द भारत के Parliament ने Originally शामिल किया और एक बिल पारित किया जिसे Agriculture Product (Grading और Marking) कहते हैं जो एक हम के रूप में प्रसिद्ध है ।
भारत में Agricultural Products का Certification Mark किया जाता है । ये Directorate of Marketing and Inspection के द्वारा किया जाता है । यह उनको Standard के Set के अनुसार Confirm और Approved करके Certification देते है ।
यह Government of India की Agency होती है । 1937 के Act जो Agricultural Produce (Grading and Marking) AGMARK के द्वारा Legally दिया जाता है । AGMARK का पूरा तंत्र (System) जिसमें 1934 से 1941 तक Government of India ने Advisor दिया कि Archibald Macdonald, Living Tone, Agricultural and Marketing के द्वारा यह Mark बनाया गया ।
इस Agency में कई सौ Staff इस Organization में Support Work करता है । पूरे भारत वर्ष में इस तंत्र (System) के अंतर्गत एक Certificate किसी भी Product के संबंध में दिया जाता है जो उस Product की Quality के लिए दिया जाता है जिसे सही माना जाता था । ये सभी Dealers के लिए अनिवार्य होता था ।
AGMARK Standards के अन्तर्गत 205 वस्तुएँ जिसमें (Pulses) दालों की किस्में Cereals Variety, Essential Oils, Fruits and Vegetables और Semi Processed Products जैसे Vermicelli की Quality आदि के लिए Certification देता है ।
एग्मार्क प्रयोगशाला (AGMARK Laboratories):
AGMARK Certification के लिए पूरे राज्यों (State) में अपनी स्वयं की Laboratories है जो राष्ट्रीय एक्ट के Under Testing और प्रमाणीकरण (Certifying) केन्द्र (Centre) के रूप में होते है । उदाहरण- Central AGMARK Laboratory (CAL)-Nagpur, ये Regional AGMARK Laboratory (RALS) है ।
इसके दो नोडल ऑफिस (Nodal Office) Mumbai, New Delhi, Chennai, Kolkata, Kanpur, Kochi, Guntur, Amritsar, Jaipur, Rajkot, Bhopal में है । हर Regional Office में Laboratories Equipped और Testing Products उपलब्ध रहते है । सभी Centre में विभिन्न Tested Products तथा Specialized Range में Test करते है ।
उपयोगिता एवं जाँच (Commodities and Tests):
इन प्रयोगशालाओं में Chemicals Analysis, Microbiological Analysis Pesticide Residues और Aflatoxin Analysis, Whole Species, Ground Species, Ghee, Butter, Vegetables Oils, Mustard Oil, Honey Food Grains (Wheat), Wheat Products (Atta, Suji और Maida)Gram Flour, Soya bean Seed, Bengal Gram, Ginger, Oil Cake Essential Oil, Oil और Fats Animal Casings Meat और Food Products की जाँच होती है ।
3. F.A.O. (Food and Agriculture Organization):
इसे United Nations की Agency कहा जाता है । इस Agency ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर (International Level) पर भुखमरी को समाप्त किया । FAD Act एक फोरम (Forum) है । इसमें सभी राष्ट्र बराबरी से Negotiate Agreements और Debate Policy को अपनाते है ।
FAO एक जानकारी का स्त्रोत (Source) है और दूसरे देशों को विकास करने में सहायता करती है जैसे सभी देशों में Transaction Modernize के अलावा Agriculture, Forestry और Fisheries Practices, अच्छे Nutrition और Food Security सभी को Improve करती है ।
FAO में 8 अगस्त 2013 में 194 सदस्य थे । साथ में European Union (Member Organization) और Faroe Islands और Tokelau के Associate Members थे ।
Food और Agriculture Organization (FAO) के द्वारा सभी देशों में प्रभावी नियमों को लागू करने वाली संस्थाओं के नाम पते 1977 में List of National Plant Quarantine Service नामक पत्रिका में प्रकाशित है । इसमें से किसी Plant Products, Foods उत्पादन को किसी देश से आयात करने के लिए वही से एक सटिर्फिकेट अवश्य माँगा जाना चाहिए जो इस बात के वर्णित करे कि निर्यात किया गया उत्पाद किसी बीमारी या रोगजनक से मुक्त है ।
4. P.F.A. (Prevention of Food Adulteration):
PFA एक नियम (Act), जो संसद में 1954 में बनाया गया था जिसमें भोजन के बचाव और मिलावट का नियम था, जो 1955 में आगे बढ़ाया (Extend) गया । ये Act काफी बड़ा तथा फैला हुआ था । PFA मत के अन्तर्गत भोज्य पदार्थों से सम्बन्धित Standard जैसे Sampling, Analysis of Food, Powers of Authorized Officers, Nature of Penalties और दूसरे भोजन से सम्बन्धित दूसरे Parameters थे ।
ये Parameters Food Additives, Preservative, Colouring Matters, Packing और Labelling of Foods, Prohibition और Regulations of Sales से सम्बन्धित थे । सेन्ट्रल कमेटी ऑफ फूड स्टैंर्ड (Central Committee of Food Standards) के द्वारा PFA नियम को अग्रेसित (Recommend) करके इसे लागू किया तथा इसे केन्द्र सरकार (Central Government) के स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) और परिवार कल्याण (Family Welfare) के अन्तर्गत रखा गया है और देश के विभिन्न राज्यों में से इसके सदस्यों को रखा गया है ।
PFA Act और नियम (Rules) को निर्देश दिए कि राज्य सरकार और स्थानीय संस्थाएँ इन नियमों के अन्तर्गत कार्य के खाद्य अपमिश्रण अधिनियम 1954 (Food Adulteration Act 1954) की रोकथाम को आगे बढ़ाया और केन्द्रीय सरकार द्वारा (Central Government) के द्वार इसे खाद्य सुरक्षा (Food Safety) और मानक अधिनियम 2006 (Standards Act 2006) में अधिसूचित किया ।
PFA Act 1954 और 1955 के अनुसार इसे खाद्य मानकों के लिए अस्थाई प्रस्ताव (Transitory Provision for Food Standards) ने निरंतर करा । PFA के द्वारा कुछ नियमों की रूपरेखा FSS Act 2006 के अनुसार बनाई गयी । इसमें राज्य सरकर (State Government) के साथ मिलकर आगे के Process को Scruting की गई ।
Food Safety and Standards Act 2006 के Sub Section (b), (c), (e) और (f) की Section-91(2) और Sub Section (n), (g), (r) और (s) के Section 92(2) के अन्तर्गत नियमों का अनुसरण व रूपरेखा तैयार करना
चाहिए । साथ में Food Safety Officer की Qualification Sample को लेना ।
FSO कार्य खरीदने वाले के द्वारा Food Analysed को लेने की विधि भोज्य प्रयोगशाला के द्वारा कार्य और विधियों को उपयोग करना और Section 47 के अधीन दूसरे कार्यालयीन कार्यों का ज्ञान होना इन्हें खाद्य कानून भी कह सकते है ।
Food Act 1954 के अनुसार यह साफ है कि खाद्य मिलावट (Food Adulteration) का अर्थ है जो लोग मिलावट करते हैं वो अपराध (Crime) में मिले हुए है । उन्हें इसके लिए सजा दी जाए ।
मिलावटी भोजन के अंतर्गत आते है:
(a) यदि भोजन सडा हो, रखा हुआ हो या किसी बीमार जानवर से प्राप्त हो तो वो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है ।
(b) यदि भोज्य पदार्थ जो हानिकारक हो या फिर को ऐसा उत्पाद (Product) जो बहुत ज्यादा उपयोग किया जा चुका हो जो प्राकृतिक और अपनी ही गुणवत्ता (Quality) के लिए हानिकारक होता है ।
(c) यदि कोई भी भोज्य बनाया जाए या Pack किया जाए तो उसे Safe Conditions में रखना चाहिए नहीं तो वो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है ।
(d) अगर किसी भी उत्पाद (Products) का कोई पदार्थ उसमें से पूरी तरह या Partially निचोड़ा जाए या निकाला जाए तो वो Product के लिए अच्छा नहीं होता और उसकी गुणवत्ता (Quality) के लिए भी हानिकारक होता है
(e) यदि उत्पाद (Product) में कोई भी जहरीला (Poisonous) पदार्थ नहीं होना चाहिए अन्यथा वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है ।
(f) कोई भी रंगीला (Coloured) भौतिक पदार्थ नियमानुसार मिला होना चाहिए या फिर Product में रंगीले भौतिक पदार्थ की मात्रा उतनी हो जितनी उसकी Limit हो ।
(g) उत्पाद में कोई भी निषेधीय रक्षक या घोला गया रक्षक उसकी निर्धारित सीमा से ज्यादा नहीं होना चाहिए ।
(h) उत्पाद की गुणवत्ता या स्वच्छता निर्धारित स्केल से नहीं गिरनी चाहिए ।
भोज्य मिलावट का पता लगाना (Some Examples of Food Adulteration Detection):
(1) Food – Arhar Pulse:
मिलावट (Adulterant) – Kesarri Pulse.
पता लगाना (Detection):
तुअर दाल फन्नी आकार का लक्षण हैं । Kesari बडी अरहर को दृष्टि परीक्षण (Visual Examination) के द्वार अलग करेंगे । यदि उसे रंग (Colour) किया गया है तब थोडे से Sample को Test Tube में लेते है । उसमें 3ml शुद्ध जल (Distill Water) डालकर हिलाते (Shake) हैं जिससे Coloured Produced होता है ।
(2) हींग (Asafoetida):
मिलावट (Adulterant) – Resin and Colour.
पता लगाना (Detection):
शुद्ध हींग (Asafoetida) को पानी में तेजी के साथ मिलाकर हिलाते है । जिससे Milky सफेद रंग Produce होता है । यदि इसमें मिलावट होती है तो सफेद रंग दूसरे रंग में बदल जाता है । यदि किसी Stick पर हींग लगाकर स्प्रिट लैम्प में गर्म करते हैं, Pure Asafoetida Bright Flame देती है ।
(3) Food – काली मिर्च (Black Paper):
मिलावट (Adulterant) – Papaya Seeds
पता लगाना (Detection):
पपीते के बीज (Seeds) में कोई सुगंध नहीं होती है और ज्यादातर छोटे Size के होते है । यदि इन्हें काली मिर्च के साथ मिलाते हैं तो Visual Examination के द्वारा व रगड़कर Smell से पहचान सकते है ।
(4) Food – काफी पाल्डर (Coffee Powder):
मिलावट (Adulterant) – Cereal Starch
पता लगाना (Detection):
Test Tube में One Fourth Tea Spoon Sample लेकर उसमें 3ml of शुद्ध जल डालते है । Spirit Lamp में गर्म करने से यह रंगहीन हो जाता है । इसमें 33ml. of Potassium Permanganate और Muratic Acid डालते है । विलयन नीले रंग का होता है । इसमें 1% Aqueous Solution of Iodine का डालते है । पुनः नीला रंग आता है । अर्थात् इसमें स्टार्च की मिलावट है ।
(5) Food – सूखी लाल मिर्च (Dry Red Chilli):
मिलावट (Adulterant) – Rhodamine B Colour
पता लगाना (Detection):
Red Chilli Powder का Sample, एक Liquid Paraffin में भीगा काटन (Cotton) के टुकडे पर फैला देते है । Cotton Red Colour का हो जाता है तो उसमें मिलावट है ।
(6) Food – चना आटा या पाउडर:
मिलावट (Adulterant) – Kesari Powder
पता लगाना (Detection):
नमूने को थोडी सी मात्रा में टेस्ट ट्यूब में लेते है । उसमें 3 ml शुद्ध जल डालते है । साथ में 3ml Muratic Acid की डालते है । टेस्ट ट्यूब को गर्म पानी में रखते हैं ।
(7) Food – हरी सब्जी (Green Vegetables) करेला (Like Bitter Gourd), हरी मिर्च (Green Chilli) और दूसरी सब्जी:
मिलावट (Adulterant) – मैंलाकाइट ग्रीन (Malachite Green)
पता लगाना (Detection):
Moistened White Blotting Paper पर छोटा सा टुकडा या Sample रखते है । यदि Paper पर हरा रंग आता है तो Malachite Green या सस्ता कृत्रिम (Artificial Colour) रंग का उपयोग हुआ है ।
(8) Food – गुड (Jaggery):
मिलावट (Adulterant) – Metanil Yellow Colour
पता लगाना (Detection):
थोडा सा गुड का चूर्ण (Powder) परख-नली (Test Tube) में लेते है । इसमें 3 ml. Alcohol लेकर हिलाते (Shake) है जब तक की चूर्ण पूर्ण रूप से Mix न हो जाए । इसके बाद 10 Drop हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Hydrochloric Acid) की डालते है जिससे Pink Colour Produced होता है अर्थात गुड में Metanil Yellow Colour मिला है ।
(8) Food – Processed Food, Sweetmeat or Syrup:
मिलावट (Adulterant) – Metanil Yellow Colour
पता लगाना (Detection):
थोडा Amount Sample का Test Tube में लेते है । उसमें 10 Drops of Muratic Acid या HCI की डालते हैं जिससे Rosy Colour Appear होता है अर्थात् Food में Metanil Yellow की मिलावट की गई है ।
(9) Food – Turmeric Powder:
मिलावट (Adulterant) – Metanil Yellow Colour
पता लगाना (Detection):
थोडा Amount Sample का Test Tube में लेते है । उसमें 3ml. of Alcohol की डालकर Shake करते हैं । जब अच्छी तरह से Solution बन जाए तो उसमें 10 Drops Muratic Acid या Hydrochloric Acid डालते हैं । Pink Colour Appear होता है । अर्थात् Turmeric Powder में Metanil Yellow Colour मिला है ।