दक्षिण-पश्चिम एशिया पर निबंध | Essay on South-West Asia in Hindi language.

यह विश्व का ऐसा शुष्क प्रदेश है, जहाँ पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार मिलते हैं । यह इनके आय का मुख्य साधन है । अरब प्रायद्वीप का दक्षिणी व दक्षिणी-पूर्वी भाग अर्थात् फारस की खाड़ी का निकटवर्ती भाग पेट्रोलियम का सबसे प्रमुख क्षेत्र है । सिनाई प्रायद्वीप व भूमध्यसागरीय तटवर्ती क्षेत्र भी तेल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है ।

दक्षिण-पश्चिम एशिया अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल व प्राकृतिक गैस उपलब्ध कराता है, जिससे उसे ‘पेट्रो डॉलर’ मिलता है । OPEC (Organisation of the Petroleum Exporting Countries) के गठन के बाद यह अंतर्राष्ट्रीय बाजार को प्रभावित करने में सक्षम क्षेत्र बन गया है ।

दक्षिण-पश्चिम एशिया के अधिकतर देश संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोगी देश हैं तथा वहाँ की बड़ी तेल कंपनियों ने यहाँ भारी पूँजी निवेश किया है । इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर भारत, रूस, ईरान, मध्य एशिया के बीच माल यातायात हेतु प्रस्तावित समुद्री रेल व सड़क मार्ग है ।

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सऊदी अरब क्षेत्रफल में दक्षिण-पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा देश है । यह अरब प्रायद्वीप के लगभग 80% क्षेत्रफल पर विस्तृत है । यह पूर्णतः राजतांत्रिक देश है । इसकी राजधानी रियाद है । इसका आंतरिक भाग पठारी है, जिसके पश्चिमी सीमा पर पर्वतीय क्षेत्र मिलते हैं ।

दक्षिणी भाग में संसार का सबसे बड़ा रेतीला मरूस्थल है, जिसे ‘रब-अल-खाली’ कहते हैं, जबकि उत्तरी भाग में ‘अल-नाफूद’ मरूस्थल मिलता है । मक्का का फाटक ‘जेद्दा’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है । शारजाह क्रिकेट मैदान के लिए प्रसिद्ध है, जबकि दुबई प्रसिद्ध व्यावसायिक केन्द्र है । ‘जेद्दा’ पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा बंदरगाह व हवाई अड्‌डा है ।

विश्व के विभिन्न भागों से आए हज यात्री यहाँ पर उतर कर मक्का जाते हैं । खाद्यान्न, फल व सब्जियों में आत्मनिर्भर होने के लिए यहाँ सिंचाई विस्तार की योजनाएँ चल रही हैं तथा घाटे के स्थिति में भी खेती की जाती है ताकि किसी संकट या युद्ध के समय कोई देश खाद्य सामग्री को उसके विरूद्ध हथियार न बना सके ।

खनिज तेल के भंडारण व निर्यात में सऊदी अरब का संसार में पहला स्थान है जबकि उत्पादन में रूस के बाद दूसरा स्थान है । उच्च आर्थिक आय के बावजूद यहाँ मानव विकास व विशेषकर लिंग आधारित मानव विकास का स्तर काफी निम्न है ।

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‘संयुक्त अरब अमीरात’ (UAE) की राजधानी अबूधाबी से 17 किमी. की दूरी पर स्थित शहर ‘मसदर’ की गणना न सिर्फ विश्व के प्रमुख स्मार्ट शहरों में की जाती है, बल्कि यह दुनिया का पहला ‘जीरो कार्बन’ शहर भी है । संयुक्त अरब अमीरात के अंतर्गत सात अरब अमीरात शामिल किए जाते हैं ये हैं- आबूधाबी, दुबई, शारजहाँ, अल आईन, रास-अल-खामिख, आजमान व हूजिराह ।

यमन अरब प्रायद्वीप के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित पर्वतीय देश है तथा अफ्रीका के जिबूती से ‘बाब-अल-मंदेब’ जलसंधि से अलग होती है । अरब प्रायद्वीप में सर्वाधिक वर्षा यमन में ही होती है । पर्वतीय ढालों पर दिन में देर तक कुहरा छाए रहने के कारण सूर्य की तीखी किरणों से कहवे की फसल सुरक्षित रहती है ।

यहाँ का ‘मोका’ कहवा विश्व प्रसिद्ध है । यमन का सबसे बड़ा बंदरगाह ‘अदन’ है जो ‘पोर्ट ऑफ काल’ है । स्वेज मार्ग पर भोजन, जल, ईंधन आदि आवश्यकताओं की पूर्ति करता है । इसकी राजधानी साना के निकट ‘वादी-ए-दहर’ प्रसिद्ध ज्वालामुखी डॉट है ।

ओमान ईरान से हॉरमुज जलसंधि के द्वारा अलग होता है । फारस के खाड़ी के कुछ द्वीपों को लेकर ओमान व ईरान में विवाद है । राजधानी मस्कट के निकट ‘मैत्रा’ बंदरगाह अवस्थित है ।

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कतर पूर्णतः राजतंत्र व्यवस्था के अंतर्गत आता है । इसकी राजधानी दोहा है, जहाँ विश्व व्यापार संगठन का सम्मेलन भी हो चुका है । यह एक मरूस्थलीय प्रायद्वीप है । कतर ने आधुनिक कृषि तकनीकी का विकास कर प्रति हेक्टेयर कृषि उत्पादकता में वृद्धि की है ।

कुवैत इराक के निकट अत्यन्त छोटा परंतु अत्यधिक तेल संपन्न राष्ट्र है, जिसकी राजधानी अलकुवैत (कुवैत सिटी) है । फारस की खाड़ी के उत्तरी छोर पर स्थित इस देश का विश्व के खनिज तेल भंडारों में सऊदी अरब, रूस व इराक के बाद चौथा स्थान है ।

यहाँ विश्व का सर्वाधिक तेल संपन्न क्षेत्र ‘बरघन पहाड़ी’ अवस्थित है । ‘मीना-अल-अहमदी’ कुवैत का प्रमुख तेल पत्तन है । अमेरिकी फौज की उपस्थिति से इसकी अर्थव्यवस्था प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है ।

बहरीन एक द्वीपीय राष्ट्र है, जो फारस की खाड़ी क्षेत्र में अवस्थित है । इस अरब प्रायद्वीपीय राज्य हैं- 33 छोटे-छोटे द्वीप हैं, जिनमें बहरीन सबसे बड़ा है । ब्रिटेन के पूर्व उपनिवेश बहरीन की राजधानी मनामा है ।

ईरान का अर्थ है- ‘आर्यों का देश’ । यहाँ के अधिकतर निवासी आर्य मूल के हैं, जो मध्य एशिया से यहाँ आए हैं । शेष जनसंख्या में अरब व तुर्क नस्ल की प्रमुखता है । ईरान शिया बहुल देश है । कुछ जनसंख्या ईसाइयों व यहूदियों की भी है । ईरान की राजधानी ‘तेहरान’ है । ईरान का पठार अंतर्पर्वतीय पठार का उदाहरण है । इसके क्षेत्र में ‘दस्त-ए-कबीर’ व ‘दस्त-ए-लुत’ मरूस्थलीय भाग हैं ।

ईरान की सबसे ऊँची चोटी देमाबंद है, जो एलबुर्ज पर्वत पर है । ईरान में ‘कनात’ नहरों द्वारा फसलों की सिंचाई की जाती है । ये जमीन के अंदर सुरंग बनाकर निर्मित की गई है । ईरान जनसंख्या में पश्चिमी एशिया का सबसे बड़ा देश है । यहाँ अधिकतर जनसंख्या कैस्पियन के दक्षिणी भाग में अतरक व करून नदी की घाटियों में एवं दजला-फरात (टिगरिस-यूफ्रेटस) डेल्टा में रहती है ।

ईरान का दक्षिणी-पश्चिमी भाग पेट्रोलियम का प्रमुख भंडार रखता है । ईरान की तेल राजधानी ‘अबादान’ इसी प्रदेश में है । ईरान के प्रमुख तेल क्षेत्रों में लाली, कमरनशाह, नफ्त सफिद, हफ्त केल, गच्छशारन प्रमुख हैं, जिनके खनिज तेल का शोधन अबादान रिफाइनरी में होता है । ईरान का पहला परमाणु ईंधन संयंत्र ‘बुशेर’ में स्थापित किया गया है ।

‘चाबाहार’ बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है । चाबाहार पोर्ट का भारत के लिए सामरिक महत्व है तथा भारत इसके विकास में सहयोग प्रदान कर रहा है । वर्तमान में ईरान-तुर्कमेनिस्तान-कजाकिस्तान रेल लिंक का निर्माण किया गया है ।

इराक प्राचीन मेसोपोटामिया सभ्यता की भूमि रही है, जो दजला-फरात (टिगरिस-यूफ्रेटस) नदी बेसिन में विस्तृत है । शिया बहुल होने के बावजूद यहाँ के शासक सुन्नी वर्ग से रहे हैं । मेसोपोटामिया सभ्यता के समय यहाँ पर गेहूँ, जौ, मटर आदि अनाजों की खेती विश्व में सबसे पहले प्रारंभ की गई । भेड़-बकरियों का पालन भी इसी क्षेत्र में शुरू हुआ ।

मध्यकाल में खलीफा हारून-अल-रशीद ने बगदाद को अपनी राजधानी बनाया तथा ‘बैतुल हिकमा’ नामक विज्ञान अकादमी की स्थापना की, जिससे ज्ञान व विज्ञान क्षेत्र में प्रगति हुई । आधुनिक काल में इराक ब्रिटेन का उपनिवेश था तथा इसके प्रभाव से यहाँ पश्चिमी सभ्यता के ज्ञान व विज्ञान का प्रसार हुआ ।

1980 में शुरू हुए ईरान-इराक युद्ध व 1991 में हुए खाड़ी-युद्ध एवं कुवैत पर संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकार के बाद इसकी अर्थव्यवस्था व जन-जीवन पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है । खाड़ी युद्ध के पश्चात् दजला-फरात नदियों के डेल्टाई व दलदली क्षेत्र को कृषि योग्य बनाने के भी प्रयास हुए हैं, जिससे वहाँ के पर्यावरण में भारी परिवर्तन हुए ।

यहाँ के विस्तृत मैदान को दजला-फरात (टिगरिस-यूफ्रेटस) नदियों के द्वारा निकाली गई नहरों से सिंचित किया गया है । इराक की जलवायु पर उसकी अक्षांशीय अवस्थिति व ऊँचाई का अत्यधिक प्रभाव पड़ा है । यहाँ वर्षा मुख्य रूप से सर्दियों में भूमध्यसागरीय शीतोष्ण चक्रवातों से होती है ।

संसार में सबसे अधिक खजूर का उत्पादन व निर्यात इराक द्वारा ही किया जाता है । पेट्रोलियम यहाँ का प्रमुख खनिज है । सऊदी अरब के बाद तेल भंडार में इराक का विश्व में दूसरा स्थान है । यहाँ ब्रिटेन की कंपनियाँ तेल का मुख्य उत्पादन करती हैं । खाड़ी-युद्ध का इराक के तेल उत्पादन, आर्थिक स्थिति व जनसंख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है ।

इराक का सबसे प्रमुख नगर व राजधानी बगदाद है । यह टिगरिस नदी के तट पर है । ‘अल-बसरा’ टिगरिस व यूफ्रेटस के संगम पर बसा नगर है । अन्य प्रमुख नगरों में मोसुल, किरकुक, कर्बला व उम्मकसर मुख्य हैं । कर्बला सांस्कृतिक व धार्मिक केन्द्र है जबकि बगदाद ऐतिहासिक-सांस्कृतिक नगर है ।

सीरिया की बड़ी नदियाँ यूफ्रेटस, अल-खबूर व बाल्लिक हैं । इन सभी नदियों का उद्‌गम टॉरेस पर्वतीय क्षेत्र है । दमिश्क सीरिया की राजधानी व प्रमुख नगर है । सीरिया दक्षिण-पश्चिम एशियाई देश है, जिसके पश्चिम में भूमध्यसागर, उत्तर में तुर्की, पूर्व में ईराक, दक्षिण-पश्चिम में लेबनान व दक्षिण में जॉर्डन है । सीरिया के उत्तर-पूर्व में यूफ्रेटस नदी घाटी है ।

इसका मध्यभाग मरूस्थल है । इसके तटवर्ती भाग में भूमध्यसागरीय जलवायु पाई जाती है । वर्ष 2011 से अब तक गह युद्ध चल रहा है । इस्लामिक टेस्ट (ISIS) आतंकवाद के कारण सीरिया के लाखों लोग अन्य देशों में शरण लेने को बाध्य हुए है । यहाँ पर पेट्रोलियम व सूती वस्त्र मिलता है । यहाँ की प्रजातियाँ अरब कुर्द हैं । यहाँ की ‘उमव्यद मस्जिद’ दर्शनीय पर्यटन स्थल है ।

तुर्की दक्षिण-पश्चिम एशिया का देश है, जो एशिया एवं यूरोप महाद्वीप के मध्य स्थित ‘एशिया का प्रवेश द्वार’ कहलाता है । तुर्की का 98 प्रतिशत भाग एशिया महाद्वीप में एवं मात्र 2 प्रतिशत भाग यूरोप महाद्वीप में पड़ता है । यूरोपीय भाग में यूरोपीय संस्कृति एवं एशियाई भाग में एशियाई संस्कृति की झलक दिखाई पड़ती है । तुर्की सामान्यतः एक पठारी प्रदेश है ।

उत्तर में पॉण्टिक पर्वत श्रेणी एवं दक्षिण में टॉरस पर्वत श्रेणी के बीच अनातोलिया का पठार स्थित है । इस पठार पर चूना पत्थर एवं ज्वालामुखी चट्‌टानों की प्रधानता पाई जाती है । पॉण्टिक एवं टॉरस पर्वत श्रेणियाँ आर्मीनिया की गाँठ से आपस में मिल जाती हैं । आर्मीनिया की गाँठ तुर्की के पूर्वी भाग में स्थित है तथा तुर्की की सर्वोच्च चोटी (5185 मी.) माउण्ट अरारात यहीं पर स्थित है ।

अरारात शिखर एक शांत ज्वालामुखी क्षेत्र है । यह शिखर सदैव बर्फ से ढका रहता है एवं यहीं से दजला एवं फरात नदियाँ निकलती हैं । आर्मिनियाई गाँठ से निकलने वाली सभी पर्वत श्रेणियाँ टर्शियरी युगीन पर्वत के उदाहरण हैं । कृषि एवं पशुपालन तुर्की का मुख्य व्यवसाय है । यहाँ पालतू पशुओं में भेड़ एवं बकरियाँ प्रमुख हैं ।

यहाँ ‘अंगोरा जाति’ की बकरियाँ विश्व प्रसिद्ध हैं, जिनसे श्रेष्ठ किस्म की मोहेर ऊन प्राप्त किया जाता है । तुर्की का भूमध्यसागरीय प्रदेश फलों की कृषि के लिए प्रसिद्ध है । तुर्की एशिया का 84% जैतून, 80% अंगूर एवं 70% अंजीर का उत्पादन करता है । तुर्की की राजधानी अंकारा है, तुर्की का इस्तांबुल नगर एशिया एवं यूरोप दोनों ही महाद्वीपों पर स्थित है ।

तुर्की के पश्चिमी भूमध्यसागरीय प्रदेश में स्थित इजमिर की घाटी आर्थिक दृष्टि (कृषि एवं उद्योग) से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । यह तुर्की का सबसे घनी आबादी वाला प्रदेश भी है । ‘इजमिर की घाटी’ अफीम की कृषि के लिए प्रसिद्ध है । यह एक मरूस्थलीय प्रायद्वीप है । यहाँ पर कोई नदी नहीं है ।

तुर्की में भूमध्य सागर के तट पर स्थित मर्सिन प्रान्त के आकक्यू में देश का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण शुरू हुआ । हाल ही में रूस व तुर्की के टकराव ने वैश्विक युद्ध की स्थिति पैदा कर दी थी ।

कतर ने आधुनिक कृषि तकनीकी का विकास कर अपने यहाँ प्रति हेक्टेयर कृषि उत्पादकता बढ़ा लिया है । कतर की राजधानी दोहा हैं जहाँ वित्त व्यापार संगठन (WTO) का सम्मेलन भी आयोजित हो चुका है । कतर पूर्णतः राजतंत्रात्मक व्यवस्था के अंतर्गत आता है ।

जॉर्डन पूर्णतः राजतंत्रात्मक देश है । इसका 90% से भी अधिक भाग मरूस्थलीय है । जॉर्डन व इजरायल की सीमा पर अवस्थित ‘मृत सागर’ विश्व की सबसे नीची व अत्यधिक खारी झील है । ‘अम्मान’ जॉर्डन की राजधानी है जबकि ‘अकाबा’ यहाँ का प्रमुख बंदरगाह है ।

लेबनान भूमध्यसागरीय जलवायु का देश है । यह भूमध्यसागर के पूर्वी तट पर एक सँकरी पेटी के रूप में विस्तृत है । सीरिया व इजरायल इसके सीमावर्ती देश हैं । लेबनान को ‘पूर्व का स्विट्‌जरलैण्ड’ कहते हैं । यहाँ का सबसे बड़ा नगर व सांस्कृतिक केन्द्र उसकी राजधानी बेरूत है । त्रिपोली और सिडोन में तेलशोधन केन्द्र हैं ।

साइप्रस भूमध्यसागर के उत्तर-पूर्वी भाग में एक द्वीपीय राष्ट्र है तथा भूमध्यसागरीय जलवायु होने के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है । इसकी राजधानी निकोसिया है । ‘लरनाका’ यहाँ का अन्य महत्वपूर्ण नगर है ।

इजरायल जॉर्डन, सीरिया, लेबनान व मिस्र से घिरा हुआ देश है । इसकी स्थापना 18 मई, 1948 को फिलिस्तीन के विभाजन के फलस्वरूप हुई थी । यहाँ की लगभग 16% जनसंख्या अरब समुदाय से सम्बंधित है, जबकि शेष विभिन्न देशों से प्रवासित यहूदी जनसंख्या है ।

देश की लगभग 40% जनसंख्या विदेशों से आई है, जिन्हें ‘ओलीम’ कहा जाता है जबकि जिन यहूदियों का जन्म इजरायल में हुआ, उन्हें ‘सबरश’ कहते हैं । स्थापना की घोषणा होने के साथ ही अरब राष्ट्रों ने इस पर आक्रमण कर दिया परंतु इजरायल इसमें विजयी रहा तथा फिलिस्तीन के 80% भाग पर इसका कब्जा बना रहा ।

1967 ई. में हुए अरब-इजरायल युद्ध में अरब देशों की पराजय हुई तथा इजरायल ने मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप, सीरिया के गोलन पहाड़ियों (गोलन हाइट्‌स), जॉर्डन के पश्चिमी भाग (वेस्ट बैंक) पर कब्जा कर लिया । 1978 ई. में मिस्र ने इजरायल को मान्यता दे दी जिसके बदले इजरायल ने स्वेज नहर का पूर्वी भाग (सिनाई प्रायद्वीप) खाली कर दिया ।

अभी भी इजरायल व अरब देशों के मध्य कई विवाद हैं । गोलन हाइट्‌स पर इजरायली नियंत्रण, लेबनान के दक्षिण भाग पर अवैध कब्जा, वेस्ट बैंक क्षेत्र में 1967 ई. के युद्ध के बाद बनाई गई इजरायली बस्तियाँ मुख्य विवादित मुद्दे हैं ।

इसके अलावा 10 लाख से भी अधिक फिलिस्तीनी शरणार्थी निकटवर्ती देशों में शरण लिए हुए हैं, जो इस प्रदेश की भारी समस्या है । जेरूसलेम को राजधानी बनाए जाने को लेकर भी विवाद है ।

यह यहूदी, ईसाई व मुस्लिम तीनों के लिए पवित्र भूमि है, अतः अरब राष्ट्र इसके एक भाग पर अपना अधिकार चाहते हैं ताकि वे अपने धर्म स्थलों की सुरक्षा कर सकें ।

फिलिस्तीन, पूर्वी जेरूसलेम को राजधानी बनाना चाहता है, जिसे वे समर्थन देते हैं । इजरायल विकसित देशों में आता है । यह अत्यधिक घना बसा व अत्यधिक नगरीकृत देश है । जेरूसलेम (राजधानी), तेल अबीब व हैफा यहाँ के मुख्य नगर हैं ।

फिलिस्तीन का अर्थ होता है पवित्र भूमि । हजरत मूसा यहीं के निवासी थे । यहूदी, ईसाई व इस्लाम धर्म की यह जन्मस्थली माना जाता है, इसीलिए तीनों के लिए इसका धार्मिक महत्व है । वर्तमान समय में यह इजरायल का स्वायत्तशासी प्रदेश है जबकि 1948 ई. के पहले यह एक स्वतंत्र राष्ट्र था । फिलिस्तीन की मानव इतिहास में मुख्य भूमिका रही है ।

8,000 ई. पूर्व आखेट युग के पश्चात् सबसे पहले कृषि व पशुपालन के साक्ष्य मिले हैं । 1948 ई. में जब इजरायल की स्थापना हुई तो अरब फिलिस्तीनियों को निकटवर्ती देशों में शरणार्थी का जीवन बिताना पड़ा । एक अनुमान के अनुसार, विभिन्न क्षेत्रों में अरबी मूल के फिलिस्तीनियों की कुल संख्या लगभग 85 लाख है, परंतु इनमें से एक बड़ी संख्या को किसी देश की नागरिकता नहीं है ।

वर्तमान समय में इनकी सर्वाधिक संख्या इजरायल द्वारा कब्जा की गई भूमि ‘वेस्ट बैंक’ व ‘गाजा पट्‌टी’ में मिलती है । शरणार्थियों के रूप में इनकी सर्वाधिक संख्या जॉर्डन, लेबनान व सीरिया में है ।

अरब-इजरायल संधि के बाद फिलिस्तीन के एक स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण की दिशा में प्रगति हुई है । वेटिकन सिटी एवं स्वीडन ऐसे यूरोपीय देश है, जिन्होंने फिलिस्तिान को देश के रूप में मान्यता दी है ।

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