सर्व शिक्षा अभियान पर निबंध! Here is an essay on ‘Sarva Siksha Abhiyan’ in Hindi language.

”जब तक देश का एक भी नागरिक अनपढ़ है, तब तक लोकतन्त्र की मंजिल दूर है ।” यह कथन श्री मौलाना आजाद का है, जिन्हें महात्मा गाँधी ‘इल्म का बादशाह’ कहते थे और जिन्होंने भारत के प्रथम शिक्षामन्त्री के रूप में आजाद भारत में शिक्षा नीति की नींव ।

घर-घर शिक्षा की ज्योत जलाने के मौलाना आजाद के इसी प्रयास को हमारे पूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरे भारतवर्ष में ‘सर्व शिक्षा अभियान’ कार्यक्रम का शुभारम्भ कर आगे बढ़ाया । सर्व शिक्षा का अर्थ है- सबके लिए शिक्षा । सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक आदि भेदभावों से ऊपर उठकर समान रूप से सभी बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराना ही सर्व शिक्षा ।

इस अभियान के अन्तर्गत सभी राज्य एवं संघ शासित क्षेत्र शामिल हैं तथा देश की 1,203 लाख बस्तियों में अनुमानित 19.4 करोड़ बच्चे इसके अन्तर्गत आते हैं ।  सर्व शिक्षा अभियान भारत के शिक्षा क्षेत्र के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में से एक कार्यक्रम का उद्देश्य प्रारम्भिक स्तर तक की शिक्षा के लिए सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना एवं जेण्डर सम्बन्धी अन्तर को समाप्त करना है ।

ADVERTISEMENTS:

इस कार्यक्रम को आरम्भ करने की प्रेरणा वर्ष 1993-94 में शुरू किए गए जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम [District Primary Education Programme (DPEP)] से मिली । इसके अन्तर्गत 18 राज्यों को सम्मिलित किया गया था । इसकी आशिक सफलता को देख केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों को सम्मिलित करते हुए ‘सर्व शिक्षा अभियान’ नाम के समावेशी और एकीकृत कार्यक्रम का शुभारम्भ किया ।

इसके अन्तर्गत प्रारम्भिक शिक्षा (कक्षा I-VIII) की सार्वभौमिकता सुनिश्चित करते हुए सभी बच्चों के लिए कक्षा एक से आठ तक की नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का लक्ष्य निर्धारित गया । इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि इस अनिवार्य शिक्षा के लिए स्कूल बच्चों के घर के समीप हो तथा चौदह वर्ष तक बच्चे स्कूल न छोड़े ।

सर्व शिक्षा अभियान प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण से सम्बन्धित प्रमुख कार्यक्रम है । प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण से सम्बन्धित कुछ सहायक कार्यक्रम हैं-ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड, न्यूनतम शिक्षा स्तर, मध्याहन भोजन योजना, पोषाहार सहायता कार्यक्रम, जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय, प्राथमिक शिक्षा कोष । सर्व शिक्षा अभियान को ‘सभी के लिए शिक्षा अभियान’ के नाम से भी जाना जाता है । इस अभियान के अन्तर्गत जब पड़े सब बड़े’ का नारा दिया गया है ।

सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए गए थे:

ADVERTISEMENTS:

1. विद्यालय, शिक्षा गारण्टी केन्द्रों, वैकल्पिक विद्यालयों या ‘विद्यालयों में वापस अभियान’ द्वारा वर्ष 2005 तक सभी बच्चों को विद्यालय में लाना ।

2. वर्ष 2007 तक 5 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चों की प्राथमिक शिक्षा पूरी करवाना ।

3. वर्ष 2010 तक 8 वर्ष की आयु बाले सभी बच्चों की प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करवाना ।

4. शिक्षा पर बल देते हुए सन्तोषजनक गुणवत्ता की प्रारम्मिक शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करना ।

ADVERTISEMENTS:

5. बर्ष 2007 तक प्राथमिक चरण और वर्ष 2010 तक प्रारम्भिक शिक्षा स्तर पर आने बाले सभी जेण्डर सम्बन्धी और सामाजिक श्रेणी के अन्तराल को समाप्त करना ।

इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ऐसी कार्यनीतियों बनाई गई, जिनमें प्रखण्ड स्तर के संसाधन केन्द्रों की स्थापना हेतु स्थानीय समुदाय समूहों एवं संस्थागत क्षमता निर्माण को सक्रिय रूप में शामिल किया । इस अभियान की रूपरेखा में शिक्षकों की नियुक्ति, उनका प्रशिक्षण, माता-पिता तथा बच्चों को प्रेरित करना, छात्रवृत्ति, बर्दी, पाक-पुस्तकों आदि प्रोत्साहनों के प्रावधान शामिल थे ।

इस कार्यक्रम के अन्तर्गत उन क्षेत्रों में नए विद्यालय खोलने का भी लक्ष्य रखा गया था जहाँ विद्यालयी सुविधाएँ कम है । इसमें अतिरिक्त कक्षाओं, शौचालयों आदि का निर्माण करने एवं पेयजल सुविधाएँ आदि उपलब्ध करने सम्बन्धी प्रावधानों के माध्यम से तत्कालीन विद्यालयी मूल संरचना को सुदृढ़ करने का भी लक्ष्य रखा गया था ।

सर्व शिक्षा अभियान में वार्षिक तौर पर Rs.15,000 करोड़ का बजट है । इस अभियान ने न केवल 99% बच्चों की प्राथमिक स्कूल में भागीदारी बढ़ाई है, बल्कि 3-4% 6-14 वर्ष के बच्चों को स्कूल छोडकर जाने से भी रोका है । इस कार्यक्रम के अन्तर्गत विशेषकर बालिकाओं, पिछड़ी जाति, जनजाति के बच्चों और गरीब बच्चों पर ध्यान दिया जाता है ।

सामान्य तौर पर सर्व शिक्षा अभियान की उपलब्धियाँ इस प्रकार रहीं:

1. स्कूल दाखिला अनुपात, जो वर्ष 1950-61 में 31.1% था, वर्ष 2003-04 में बढ़कर 85% हो गया ।

2. वर्ष 2001 में विद्यालय नहीं जाने बाले बच्चों की संख्या 32 करोड़ थी, जो वर्ष 2005 तक घटकर 96 लाख हो गई ।

3. वर्ष 2001 के बाद लगभग दो लाख नए स्कूल खोले गए और लगभग 5 लाख नए शिक्षकों की नियुक्ति की गई ।

4. प्रथम कक्षा से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाली सभी लड़कियों एवं अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लगभग 6 करोड़ बच्चों को नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तकें वितरित की गईं ।

इस तरह, सर्व शिक्षा अभियान के फलस्वरूप विद्यालय छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में भारी कमी लाने में सफलता प्राप्त हुई है, लेकिन वर्ष 2010 तक सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया ।  इसके लिए राज्यों में संसाधनों के असमान वितरण और आवश्यक मानव संसाधन की कमी को विशेष रूप से उत्तरदायी माना गया, इसलिए केन्द्र सरकार ने ‘सर्व शिक्षा अभियान’ को और प्रभावशाली बनाने के उद्देश्यों के साथ वर्ष 2010 में ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ लागू ।

इस अधिनियम में सर्व शिक्षा अभियान के सभी लक्ष्य समाहित हैं । इसका लाभ उठाते हुए मानव संसाधन बिकास मन्त्रालय, भारत सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान को शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करने का प्रमुख साधन बनाया ।

‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009’ राज्य, परिवार और समुदाय की सहायता से 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करता है । यह अधिनियम मूलतः वर्ष 2005 के शिक्षा के अधिकार विधेयक का संशोधित रूप है ।

वर्ष 2002 में संविधान के वे संशोधन द्वारा अनुच्छेद-21ए के भाग-3 के माध्यम से 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया था ।  इसको प्रभावी बनाने के लिए 4 अगस्त, 2009 को लोकसभा में यह अधिनियम पारित किया गया, जो 1 अप्रैल, 2010 से पूरे देश में लागू हुआ और इसी के साथ भारत शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा देने बाले विश्व के अन्य 135 देशों की सूची में शामिल हो गया ।

यद्यपि वर्ष 2009 से ही शिक्षा का अधिकार अस्तित्व में आ चुका है, परन्तु सर्व शिक्षा अभियान अभी भी । वस्तुतः दोनों एक-दूसरे के पूरक कार्यक्रम हैं, इसलिए वर्तमान समय में भी इसकी प्रासंगिकता एवं महत्ता बनी हुई है ।

सरकार ने वर्ष 2015 तक के लिए सर्व शिक्षा अभियान के निम्न उद्देश्य निर्धारित किए हैं:

1. जिन क्षेत्रों में विद्यालय नहीं है, वहाँ नए विद्यालयों की स्थापना करना और मौजूदा विद्यालयों की अवसंरचना में विस्तार करना एवं उनका रख-रखाव करना ।

2. स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करना और मौजूदा शिक्षकों के लिए ‘इन सर्विस’ प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था करना ।

3. बालिकाओं और ‘चिल्ड्रन विद स्पेशल नीड्स’ पर विशेष ध्यान केन्द्रित करते हुए सभी बच्चों को गुणवतापूर्ण प्रारम्भिक शिक्षा उपलब्ध कराना । इसमें जीवन उपयोगी कौशल सम्बन्धी शिक्षा के अतिरिक्त कम्प्यूटर शिक्षा भी सम्मिलित है ।

किसी प्रजातान्त्रिक देश में शिक्षित नागरिकों का बडा महत्व होता है । जननेता नेल्सन मंडेला का कहना है- ”शिक्षा सबसे अधिक शक्तिशाली हथियार है, इसे हम दुनिया को बदलने के लिए प्रयोग कर सकते हैं ।” वास्तव में, शिक्षा द्वारा ही आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हर स्तर पर जनशक्ति का विकास हो है ।

शिक्षा के आधार पर ही अनुसन्धान और विकास को बल मिलता है । इस तरह शिक्षा वर्तमान ही नहीं भविष्य के निर्माण का भी अनुपम साधन है । इन सब दृष्टिकोणों से भी शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने का महत्व स्पष्ट हो जाता है । शिक्षा ही मनुष्य को विश्व के अन्य प्राणियों से अलग कर उसे श्रेष्ठ एवं सामाजिक प्राणी के रूप में जीवन जीने के योग्य बनाती है, इसके अभाव में न केवल समाज का, बल्कि पूरे देश का विकास अवरुद्ध हो जाता है ।

शिक्षा के इन्हीं महत्वों को देखते हुए भारत सरकार ने सबके लिए शिक्षा को अनिवार्य करने के उद्देश्य से शिक्षा का अधिकार अधिनियम पारित करने का एक प्रशसनीय कार्य किया ।  इस कड़ी में सर्व शिक्षा अभियान को इसका सहयोगी बनाना नि:सन्देह अत्यधिक लाभप्रद सिद्ध होगा । विश्व बैंक ने सर्व शिक्षा अभियान को दुनिया का सर्वाधिक सफलतम कार्यक्रम कहा है । आज देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी ऐसे ही कार्यक्रम चलाए जाने की आवश्यकता है ।

Home››Essay››