पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल | Read this article in Hindi to learn about:- 1. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल की प्रस्तावना (Introduction to Pasinetti’s Model of Profit and Growth) 2. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल की  मान्यताएँ (Assumptions of Pasinetti’s Model of Profit and Growth) and Other Details.

Contents:

  1. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल की प्रस्तावना (Introduction to Pasinetti’s Model of Profit and Growth)
  2. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल की  मान्यताएँ (Assumptions of Pasinetti’s Model of Profit and Growth)
  3. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल की व्याख्या एवं पुनर्व्यवस्थापन (Explanation and Reformulating of Pasinetti’s Model of Profit and Growth)
  4. वृद्धि की दर के सम्बन्ध में लाभ की दर एवं शेयर (Rate and Share of Profits in Relation to Growth)
  5. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल के परिणाम (Implications of Pasinetti’s Model of Profit and Growth)
  6. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल  के स्थायित्व की दशाएँ (Conditions of Stability in Pasinetti’s Model of Profit and Growth)

1. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल की प्रस्तावना (Introduction to Pasinetti’s Model of Profit and Growth):

एल. पेसिनेटी ने लाभ एवं वृद्धि के मॉडल को अपने शोध लेख Rate of Profit and Distribution in Relation to the Rate of Economic Growth (1962) में प्रस्तुत किया । उन्होंने आर्थिक वृद्धि की दर पर लाभ की दर एवं आय के वितरण के सम्बन्धों को बचत की विभिन्न प्रवृतियों की अर्न्तक्रियाओं दास विश्लेषित किया ।

ऐसा करते हुए उन्होंने कर्जि की समर्थ माँग एवं विनियोग की धारणाओं का आश्रय लिया जिसके द्वारा आय का निर्धारण सम्भव होता था । इस प्रकार आय के वितरण तथा पूँजी संचय के प्रतिष्ठित विश्लेषण को उन्होंने आधुनिक सन्दर्भों में प्रस्तुत किया ।


2. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल की मान्यताएँ (Assumptions of Pasinetti’s Model of Profit and Growth):

ADVERTISEMENTS:

पेसिनेटी मॉडल निम्न मान्यताओं पर आधारित है:

i. पूर्ण रोजगार की अवस्था विद्यमान है ।

ii. राष्ट्रीय आय में मजदूरी एवं लाभ सम्मिलित हैं ।

iii. श्रमिकों को उनके श्रम के अनुपात में मजदूरी एवं पूँजीपतियों को उनके अधीन पूँजी के परिमाण के अनुपात में लाभ का वितरण किया जाता है ।

ADVERTISEMENTS:

iv. लाभ प्राप्तकर्त्ता एवं मजदूरी प्राप्तकर्त्ता अपनी आय के एक निश्चित अनुपात की बचत करते है । पूँजीपतियों की बचत की प्रवृति, श्रमिकों की बचत प्रवृति से अधिक होती है ।


3. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल की व्याख्या एवं पुनर्व्यवस्थापन (Explanation and Reformulating of Pasinetti’s Model of Profit and Growth):

पेसिनेटी ने कालडोर के मॉडल का आश्रय लेते हुए कुल आय Y को मजदूरी W एवं लाभ P के दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया । इसी प्रकार कुल विशुद्ध बचतों S को श्रमिकों द्वारा की गयी बचत Sw तथा पूंजीपति द्वारा की गयी बचत Sc में विभक्त किया ।

मॉडल का पुनर्व्यवस्थापन (Reformulating the Model):

ADVERTISEMENTS:

मॉडल को पुन: सूत्रबद्ध करने के लिए पेसिनेटी ने समीकरण 1, 2, 3 को ध्यान में रखते हुए एक अन्य Identity निम्न प्रकार स्थापित की:


4. वृद्धि की दर के सम्बन्ध में लाभ की दर एवं शेयर (Rate and Share of Profits in Relation to Growth):

पेसिनेटी के अनुसार एक दीर्घकालीन साम्य मॉडल में यह संकल्पना ली जाती है कि ब्याज की दर बराबर है लाभ की दर के इस संकल्पना से समीकरण

पेसिनेटी के अनुसार उपर्युक्त सम्बन्धों को श्रमिकों द्वारा की जा रही बचतों की प्रवृतियों के सन्दर्भ में किसी मान्यता के । बना स्थापित किया गया है । यह एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष है । इससे तात्पर्य यह है कि दीर्घकाल में श्रमिकों की बचत प्रवृतियाँ, पूंजीपति एवं श्रमिकों के मध्य आय के वितरण को प्रभावित करती है समीकरण (4) जबकि समीकरण (14) में श्रमिकों की बचत प्रवृतियाँ लाभ एवं मजदूरियों के मध्य आय के वितरण को प्रभावित नहीं करती । समीकरण (13) से स्पष्ट होता है कि यह लाभ की दर भले ही वह कुछ भी हो पर कोई प्रभाव नहीं डालती ।

लाभों एवं बचतों के मध्य एक आधारभूत सम्बन्ध (A Fundamental Relation between Profits and Savings):

पेसिनेटी के अनुसार मॉडल इस सस्थागत सिद्धान्त पर आधारित है कि मजदूरियों का वितरण समाज के सदस्यों के मध्य उनके द्वारा किए श्रम के योगदान की मात्रा के अनुपात में तथा लाभों का वितरण उनके द्वारा रखी गयी पूँजी की मात्रा के अनुपात में होता है । इसमें पहली संकल्पना से आशय है कि प्राप्त होने वाले लाभों का वितरण बचतों की उस मात्रा के अनुपात में होगा जिसका योगदान किया गया है ।

पेसिनेटी के अनुसार मॉडल में

इसके द्वारा लाभों एवं बचतों के मध्य एक आनुपातिकता सम्बन्ध तय होता है जो लाभों एवं वितरण की समस्या का आधार है । इससे तात्पर्य है कि प्रत्येक वर्ग में लाभों का दीर्घकाल में बचतों के समानुपाती होना आवश्यक है पेसिनेटी के अनुसार यह सम्बन्ध किसी व्यवहार जनित मान्यता पर निर्भर नहीं है बल्कि उस संस्थागत सिद्धान्त पर आधारित जिसके अनुरूप लाभों का वितरण पूँजी के स्वामित्व के अनुपात के आधार पर किया जाता है । समूची प्रणाली में लाभों का बचतों की दर के साथ अनुपात का वास्तविक मूल्य निर्धारित करने के लिए बचत फलन को समीकरण (15) के साथ प्रतिस्थापित किया जाता है, अत:

उपर्युक्त सम्बन्धों से यह जानकारी प्राप्त होती है किस कारण श्रमिकों की बचत प्रवृतियाँ कुल लाभ के निर्धारण में भूमिका नहीं निभाती एवं किस कारण पूँजीपतियों की बचत करने की प्रवृति कुल लाभ के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत करती है ।

समीकरण (16) से स्पष्ट होता है, कि दीर्घकाल में जब श्रमिक बचत करते हैं तो उन्हें लाभ की एक मात्रा Pw प्राप्त होती है जिसके द्वारा वह अपनी कुल बचतों को ठीक उस मात्रा के बराबर कर सके जिसे पूँजीपति द्वारा श्रमिकों के लाभों Pw से बचाया गया है जबकि यह लाभ उन्हें प्राप्त होते हैं ।

समीकरण (17) यह स्पष्ट करता है कि मजदूरी से हुई बचतें श्रमिकों द्वारा किए गए अतिरिक्त उपभोग की ओर जाने की प्रवृति रखती है (जो उन्हें लाभ द्वारा प्राप्त हुई है) अतिरिक्त उपभोग से तात्पर्य को प्राप्त होने की दशा में उसके द्वारा किए उपभोग से अधिक होते । पेसिनेटी के अनुसार श्रमिकों की स्थिति को देखते हुए लाभ की दर अनिर्धारित होती है । वह दीर्घकाल में अपनी बचतों के अनुपात में लाभ की एक मात्रा प्राप्त करेंगे, भले ही लाभ की दर कुछ भी हो ।

पेसिनेटी के अनुसार यह दशा तब बिल्कुल भिन्न हो जाती है जब पूँजीपतियों की स्थिति पर विचार किया जाय । तथ्य तो यह है कि लाभों के द्वारा प्राप्त होने वाले पूँजीपतियों की बचतें, बचतों एवं लाभों के मध्य एक सीधे सम्बन्ध को प्रकट करती है ।


5. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल के परिणाम (Implications of Pasinetti’s Model of Profit and Growth):

उपर्युक्त व्याख्या के आधार पर पेसिनेटी ने दो निष्कर्ष दिए:

i. श्रमिकों की बचत प्रवृति के अप्रासंगिक होने के कारण यह मॉडल अधिक सामान्यीकरण की ओर बढ़ता है । चूँकि लाभ की दर एवं आय का वितरण लाभ एवं मजदूरी के मध्य Sw से स्वतन्त्र रूप से निर्धारित होता है इसलिए श्रमिकों के सामूहिक व्यवहार हेतु किसी संकल्पना की आवश्यकता नहीं रह जाती । पेसिनेटी के अनुसार आय का वितरण जो कि कुल मजदूरी एवं कुल लाभों के मध्य हो रहा है तथा लाभ की दर पूर्ववत् रहती है ।

ii. पूँजीपतियों की बचत प्रवृति जिन्हें समीकरण (13) व (14) में स्पष्ट किया गया है समूची प्रणाली में बचत निर्णयों की निरपेक्ष व्यूहनीति की महत्ता को पूँजीपतियों के सन्दर्भ में रेखाकिंत करता है । इसके अन्तर्गत श्रमिकों के द्वारा लिए बचत निर्णयों को ध्यान में नहीं रखा जाता । पेसिनेटी ने स्पष्ट किया कि श्रमिक कुल लाभों की एक मात्रा में शेयर कर सकते हैं जो उनके लिए पूर्वनिर्धारित हैं, इसमें इतनी शक्ति नहीं है कि कोई प्रभाव इसके द्वारा उत्पन्न हो सके ।


6. पेसिनेटी मॉडल के लाभ एवं वृद्धि मॉडल  के स्थायित्व की दशाएँ (Conditions of Stability in Pasinetti’s Model of Profit and Growth):

पेसिनेटी के अनुसार यदि कीमत सन्यन्त्र की प्रणाली विद्यमान है, जिसके द्वारा कीमतों का स्तर, मजदूरियों के स्तर या लाभ की सीमाओं के अधीन बढ़ता या गिरता है तथा यदि सन्तुलन विनियोग वास्तव में किए जा रहे है तब प्रणाली स्थायी होगी ।

उपर्युक्त संकल्पनाओं को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है:

इससे अभिप्राय है कि समय के साथ-साथ लाभ की सीमाएँ एवं इसके परिणामस्वरूप कुल लाभों के शेयर का स्थिर रहना, बढ़ना या घटना इस बात पर निर्भर करता है कि कुल बचतें जिन्हें प्रणाली द्वारा बचाया जा रहा है, कुल विनियोग के बराबर, इससे कम या अधिक होती हैं । समीकरण (18) एक सरल अवकलन समीकरण है ।

इसे साम्य लाभों के शेयर के विवेचन के सापेक्ष हल करने पर स्थायित्व की दशा निम्न रूप में सामने आती है

अत: दशा (20) को Sc – Sw > 0 के द्वारा अभिव्यक्त किया जा सकता है । यह ठीक वैसी ही स्थायित्व की दशा है जिसे कालडोर द्वारा स्थापित किया गया । उपर्युक्त व्याख्या स्पष्ट करती है कि यह एक अल्पकालीन दशा है ।

यदि हम दीर्घकालीन दशा को ध्यान में रखें, जबकि श्रमिकों के लाभ का शेयर स्थिर नहीं रहता तथा Pw अपने आपको Kw के एक अनुपात के अनुकूल परिवर्तित करता है तब समीकरण (17) से प्रतिस्थापित करने पर समीकरण (21) में वर्णित दशा को सरल रूप में निम्न प्रकार अभिव्यक्त किया जा सकता है

Sc > 0

पेसिनेटी के अनुसार एक प्रणाली जहाँ पूर्ण रोजगार विनियोग वास्तव में किए जा रहे है तथा कीमतें मजदूरी के सन्दर्भ में लोचशील हैं, स्थायित्व की दशा केवल Sc > 0 है ।

एक समाजवादी प्रणाली की दशा (The Case of a Socialist System):

एक समाजवादी प्रणाली में, समुदाय के सभी सदस्य श्रमिकों के समूह द्वारा अभिव्यक्त किए जाते हैं । यहाँ पूँजीवादी वर्ग का अस्तित्त्व नहीं, उत्पादन की प्रक्रिया को संचालित करने तथा उत्पादन के समस्त साधनों पर राज्य का प्रत्यक्ष स्वामित्व होता है । यद्यपि राज्य, उपभोग नहीं कर सकता; उपभोग तो व्यक्तिगत इकाईयों के द्वारा ही किया जाएगा ।

अत: राष्ट्रीय उत्पाद की किसी मात्रा को यदि समुदाय के सदस्यों में वितरित नहीं किया जाता । मजदूरी का ब्याज के रूप में तो यह मात्रा निश्चित रूप में बचा ली जाएगी । इससे अभिप्राय है कि प्राचल Sc इकाई (Sc = 1) के बराबर है ।

अत: समीकरण (13) व (14) को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है:

 

अभिप्राय यह है कि, सन्तुलन की दशा में कुल लाभ बराबर होते है, कुल विनियोंगों के तथा लाभ की दर (एवं ब्याज की दर) बराबर होती है । पूँजी से विनियोग की दर के बराबर अर्थात् वह वृद्धि की प्राकृतिक दर के समकक्ष होती है । अत: कुल मजदूरियों हमेशा कुल उपभोग के बराबर होंगी तथा कुल लाभ कुल बचतों के बराबर होंगे लेकिन इससे यह अभिप्राय नहीं कि सभी मजदूरियों को उपभोग में व्यय कर दिया जाएगा तथा समस्त लाभों को बचा लिया जाएगा । प्रत्येक व्यक्ति यह स्वतन्त्रता रखेगा कि वह अपनी आय का कितना अंश बचाए ।

मॉडल एवं वास्तविकता (Models and Reality):

पेसिनेटी ने अपने व्यापक आर्थिक विश्लेषण की व्यावहारिक उपयोगिता के बारे में कुछ प्रश्न उठाए । इनमें पहला प्रश्न सामूहिकीकरण से सम्बन्धित है । उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मॉडल बहुक्षेत्रीय वृद्धि मॉडल है ।

दूसरी एवं पृथक समस्या मॉडल के व्याख्यात्मक पक्ष से सम्बन्धित है । कालडोर का आय वितरण सिद्धान्त मुख्यत: कीजियन सकल्पना पर आधारित है जिसमें विनियोग को एक स्वतंत्र चर के रूप में देखा गया जो तकनीकी प्रगति एवं जनसंख्या वृद्धि से प्रभावित होता है, जबकि पेसिनेटी यह जानना चाहते थे कि यदि पूर्ण रोजगार को एक समय विशेष तक बनाए रखना हो तब किन बातों पर ध्यान देना होगा ।

पेसिनेटी ने लाभों एवं मजदूरियों के मध्य तथा पूँजीपति एवं अमिकों के मध्य आय के वितरण को स्पष्ट रूप से प्रकट किया । उन्होंने पूँजीपतियों की बचत प्रवृतियों पर आधारित वृद्धि की दर तथा लाभ की दर के मध्य प्रत्यक्ष एवं सरल सम्बन्ध स्थापित किया । यह सतत् या अविरत वृद्धि की उन दशाओं के लिए भी सत्य है जब श्रमिक बचत करते है । पेसिनेटी का मॉडल कालडोर के मॉडल के सापेक्ष अधिक श्रेष्ठ एवं व्यावहारिक है ।


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