जीवित पौधे पर व्यावहारिक प्रयोगों की सूची! Here is a list of top seven practical experiments on living plants in Hindi language.

1. जीवित संग्रह प्रस्तुत करना  (Live Collection):

पौधे उनकी सुगम उपलब्धता, उनकी विविधिता तथा उन्हें संभालने में आसानी के कारण, अध्ययन करने हेतु उत्कृष्ट सामग्री होते हैं । यद्यपि पौधों को लगभग सभी स्थानों पर आसानी से पाया जा सकता है किन्तु किसी विशिष्ट प्रकार के पौधे को किसी विशिष्ट समय व स्थान पर पाना आसान नहीं होता इसलिए यह वांछनीय है कि हम ऐसे पौधों का जीवित संग्रह बनाएं, जिनकी हमें अकसर आवश्यकता होती है ।

यह कार्य एक स्थाई बगीचे के रूप में करना सबसे अच्छा होगा । यदि सुविधाएं व संसाधन उपलब्ध हों तथा उसकी विशेष रूप से आवश्यकता हो तो बड़े वन के रूप में भी संग्रह को विकसित किया जा सकता है ।

फिर इस पुस्तक के उद्देश्य की दृष्टि से पौधों का एक छोटा जीवित संग्रह विकसित किया जा सकता है जो रख-रखाव में सरल व कम खर्चीला हो । लघु अवधि में अपना संग्रह प्रस्तुत करने की कई विधियां उपलब्ध हैं । क्षेत्र भ्रमण के समय एकत्र किए गए पौधों को अपने कार्य के स्थान पर लगाना रख-रखाव तथा अवलोकन व अध्ययन की दृष्टि से उपयोगी होगा । इस बगीचे को स्थापित करने की प्रक्रिया भी बहुत रोचक व शिक्षाप्रद होगी ।

2. टेरारियम- एक मिट्‌टी का घर (Terrarium- A Mud House):

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इसे हम पृथ्वी के किसी भी वातावरण की जीवित प्राणियों सहित प्रतिकृति के रूप में देख सकते हैं । सरल शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा पात्र होता है जो पारदर्शी व हवा बंद होता है जिसमें मिट्टी व पौधे रखे जाते हैं ।

इस कार्य हेतु सबसे अधिक उपयुक्त पात्र होगा पुराना एक्वेरियम । अन्यथा हम कड़ी प्लास्टिक की चादरों का वांछित आकार का एक पात्र बना सकते हैं । नीचे दिए गए कुछ सरल नवाचार संभव हैं तथा उन्हें बनाने में आनंद प्राप्त कर सकते हैं ।

टेरारियम को स्थापित करना:

कुछ हल्की तथा सड़ी पत्तियों के कचरे से मिश्रित मिट्टी तथा विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे पौधे साबूत जड़ों के साथ, यदि उनमें मिट्टी चिपकी हुई है तो बेहतर होगा उन्हें एकत्र करें । दलदली क्षेत्र से प्राप्त पौधे अथवा आस-पास की मिट्टी सहित उखाड़े गए पौधे हों तो बेहतर होगा । यदि पौधे आसानी से नहीं उखड़ रहे हों तो मिट्टी को खुरपी से ढीला कर लें तभी पौधे को उखाड़ें ।

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मिट्टी को एक्वेरियम अथवा टेरारियम बनाने हेतु जो भी पात्र लिया गया है, उसकी सतह पर फैला दें । पात्र के कोनों में मिट्टी की गहराई भिन्न हो जिससे उसे प्राकृतिक छवि का आकार मिल सके एकत्र किए गए पौधों को मिट्टी पर रखे व हल्के हाथों से उन्हें दबाए ।

पौधों को इस प्रकार लगाएं कि ऊँचे पौधे पात्र के पीछे तथा दोनों बाजुओं में हों । एक छोटी तश्तरी को पात्र के मध्य में गाड़कर उसमें पानी भरा जा सकता है । पानी में छोटे जलीय पौधों को रखा जा सकता है तथा तश्तरी के किनारों पर फर्न जैसे पौधों को लगाया जा सकता है ।

ध्यान रखें कि पौधे अपनी स्वाभाविक शक्ल में ही हों तथा अत्यधिक पौधे लगाकर भीड़-भाड़ न करें । हल्के हाथों से पानी का छिड़काव करें, पात्र पर ढक्कन रखें तथा उसे ऐसे स्थान पर रखें जहां प्रकाश हो किन्तु उसे सीधे धूप के नीचे न रखें ।

कुछ समय बाद पौधे ताजे लगने लगेंगे तथा वे ऐसे कई दिनों तक रहेंगे । यदि पौधे झुकते हुए दिखें तो धीरे-धीरे पानी डालें । यदि मिट्टी अधिक गीली होगी तो पौधे सड़ सकते हैं । ढक्कन को कुछ देर के लिए हटा दें जिससे अतिरिक्त पानी भाप बन कर उड़ जाएगा ।

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यह टेरारियम एक साधारण बगीचे अथवा मैदान जैसे दृश्य प्रस्तुत करेगा जहां न तो अधिक सूखी व न ही अधिक गीली स्थितियां हैं । उपयुक्त मिट्टी तथा पौधों का चयन करके किसी दूसरे वातावरण की भी प्रतिकृति बनाई जा सकती है ।

उदाहरण के लिए रेतीली सतह पर कैक्टस के पौधे लगाकर मरुस्थली परिवेश की प्रतिकृति बनाई जा सकती है । इसी प्रकार दलदली मिट्टी की सतह बनाकर उसमें उर्ध्व जलीय पौधों को लगाकर दलदली क्षेत्र का दृश्य बनाया जा सकता है ।

3. एक बक्से में प्रकृति (Nature in a Box):

एक एक्वेरियम अथवा कड़े प्लास्टिक की चादरें मिलना हमेशा आसान नहीं होता । यदि ये मिल भी जाते हैं तो इनका आकार बहुत बड़ा नहीं हो सकता । किन्तु किसी पुराने लकड़ी के खोके को (जो सामान के ढोने के लिए उपयोग में लाए जाते हैं) अथवा गत्ते के मजबूत खोकों को नमीरोधी बनाकर तथा उनमें देखने हेतु खिड़कियां काटकर टेरारियम बनाना बहुत आसान होगा ।

उस बक्से के ऊपरी भाग को तथा उसकी सबसे बड़ी एक बाजू को इस प्रकार कांटे कि किनारे साबुत रहें व बॉक्स बिखरे नहीं । बॉक्स के संपूर्ण भीतरी भाग को प्लास्टिक की चादर से ढक दें जिससे वह पानी व नमी प्रतिरोधी बन जाए । फिर पारदर्शक एसीटेट की चादर (बड़ी स्टेशनरी की दुकानों में उपलब्ध होती हैं) से सामने का कटा हुआ भाग ढक दें व उसी शीट से ऊपरी भाग भी ढक दें व उसी शीट से ऊपरी भाग भी ढक दें ।

किन्तु उसे इस प्रकार ढंके कि आवश्यकता होने पर ऊपरी भाग को खोला जा सके । इसके बाद चिपकाने वाले टेप से एसीटेट शीट को सामने के भाग में चिपका कर उसे पक्का करने के लिए अंगूठे से दबा दें । यदि एसीटेट शीट उपलब्ध न हो तो पालीथिन शीट का उपयोग किया जा सकता है, किन्तु यह उतनी पारदर्शी नहीं होगी ।

अब इस बॉक्स में ऊपर वर्णित विधि के अनुसार मिट्टी व पौधे डालकर टेरारियम पूर्ण करें । यदि गत्ते का बॉक्स प्रयोग में ला रहे हैं तो अधिक मिट्टी न डालें, नहीं तो उसके भार से वह गिर सकता है । गत्ते के बॉक्स के अन्दर धातु या प्लास्टिक की ट्रे रखी जा सकती है जिसमें मिट्टी रहे तथा वह गत्ते को नुकसान न पहुंचाए ।

4. एक मर्तबान में बगीचा (Garden in a Jar):

आवश्यकता व सुविधा की दृष्टि से एक टेरारियम किसी भी वांछनीय आकार का हो सकता है । एक छोटा टेरारियम बनाने के लिए बड़े मुंह के प्लास्टिक के पारदर्शी पात्र जिनका प्रयोग रसोई घर में सामान रखने हेतु किया जाता है, सबसे उपयुक्त होंगे । बिना उपयोग किए गए अथवा उपयोग करने के बाद हटा दिए गए पात्र आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं ।

एक दो लीटर क्षमता वाला मर्तबान जिसमें काफी जगह होगी तथा बाहर से देखने हेतु भी उसमें पर्याप्त लघु टैरारियम मर्तबान में बगीचा सतह होगी । इस हेतु दो सौ मिलीलीटर का जार भी पर्याप्त होगा ।

एक जार में टेरारियम उसी प्रकार स्थापित किया जा सकता है जैसे मिट्टी की बारीक परत बिछाकर तथा उसमें पौधों को दबाकर । किन्तु इसमें एक विशेष सावधानी लेनी होगी और वह है इसमें पानी बहुत कम मात्रा में डालना क्योंकि इसमें निकासी के उसके भाप बनकर उड़ने की गुंजाइश भी कम ही रहती है । (एक बॉक्स या एक्वेरियम में नमी के रिसने की पर्याप्त संभावना रहती है) |

एक प्लास्टिक के जार में टेरारियम स्थापित करने में अधिक प्रयत्न व खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती । इसीलिए यह आसान होता है । इस प्रकार हम विभिन्न जारों में विभिन्न प्रकार के पौधों को लगाकर जार में बगीचा बना सकते हैं ।

5. जलीय पौधों को रखना (Laying Aquatic Plants):

अधिकांश लोग एक्वेरियम से परिचित होते हैं तथा उनकी यही धारणा होती है कि उसमें मछलियां ही रखी जाती हैं । किन्तु उसके शाब्दिक अर्थ के अनुसार वह जलगृह होता है । इसलिए उसमें जलीय पौधों को रहने का भी अधिकार बनता है । अत: जलीय पौधों का संग्रह करने हेतु एक्वेरियम एक आदर्श गृह होगा ।

कांच के कीमती एक्वेरियम के स्थान पर हम 2 से 5 लीटर क्षमता वाले चौड़े मुंह के प्लास्टिक के जार अथवा सामान रखने के पारदर्शक डिब्बों (फ्रीजर बॉक्स या ब्रेड बॉक्स) का भी प्रयोग कर सकते हैं । इनके तली में कुछ रेत व कंकड़ बिछा दें व उन्हें गर्दन तक साफ पानी से भर दें ।

यदि नगर पालिका द्वारा प्रदत्त पानी का उपयोग कर रहे हैं तो उसे कुछ देर के लिए खुला छोड़ दें जिससे मिश्रित क्लोरीन चला जाएं । फिर उनमें विभिन्न प्रकार के जलीय पौधे रख दें । ध्यान रहे अधिक पौधे रखकर भीड़-भाड़ न करें । पानी के स्तर को इस प्रकार रखें कि इन पौधों की तैरती हुई पत्नियों व सुन्दर फूलों को आसानी से देखा जा सके ।

सरल एक्वेरियम में जलीय पौधों को रखना:

इन कामचलाउ एक्वेरियम को सीधे धूप में न रखकर ऐसे स्थान पर रखें जहां उन्हें भरपूर प्रकाश मिले । कुछ दिन बाद पानी बदल दें व सड़ी पत्तियां व पौधों को हटा दें । यदि आवश्यकता हो तो उनके स्थान पर नए पौधे डाल दें ।

6. पानी का उद्यान (इको पॉन्ड) स्थापित करना (Establishment of Eco-Pond):

अपेक्षाकृत बड़े तथा अधिक प्रकार के पौधों को खुले स्थान में एक कृत्रिम पोखर में रखा जा सकता है । सरल शब्दों में कहें तो यह पोखर एक बड़ा उथला टब हो सकता है जिसे किनारे तक जमीन में गाड़कर पानी से भर सकते हैं । पत्थर व पौधों को इसमें उसी प्रकार रखा जा सकता है जैसे एक्वेरियम में रखा था ।

एक बड़ा व संकरा गड्ढा खोदकर उसमें पॉलीथीन की चादर बिछाकर जिससे पानी का रिसाव न हो, हम एक बड़ा व अधिक आकर्षक पोखर बना सकते हैं । पॉलीथीन की चादर को पोखर के किनारों तक बिछाकर उस पर मिट्टी की मेंढे (छोटे बांध या बंद) बना देनी चाहिए । पॉलीथीन की चादर की तली में कुछ रेत बिछा दी जाए जिससे चादर अपने स्थान पर बनी रहे तथा कुछ हद तक उसे नुकसान से बचाया जा सके । पोखर की गहराई विशिष्ट पौधों के मान से अलग-अलग रखी जा सकती है ।

इस प्रकार के जलीय उद्यान को अधिक रख-रखाव की आवश्यकता नहीं होती हे । केवल नियमित अंतराल से उसमें पानी डालना होता है । पानी के रिसाव को रोकने हेतु पोखर के किनारों पर सीमेंट की बारीक सतह लगाई जा सकती है ।

7. किसी पहाड़ी पर पौधे (Plants on a Hill):

पत्थरों के एक ढेर पर भी कई प्रकार के पौधे लगाए जा सकते हैं । चट्टानी भागों में पाए जाने वाले पौधे मिट्टी तथा पानी की उपलब्धता पर निर्भर रहते हैं । जैसा कि अपेक्षित है ये पौधे जल स्रोतों में पाए जाने वाले पौधों तथा सामान्य रूप से पाए जाने वाले पौधों से भिन्न होते हैं ।

चट्टानी क्षेत्र की विशेषताओं को हम हमारे मकान के पीछे के गन में पत्थरों का ढेर बनाकर तथा उसमें एकत्र किए गए नमूने के पौधों को लगाकर तैयार कर सकते हैं ।

इसके लिए हमें विभिन्न आकार के पत्थर तथा मिट्टी की आवश्यकता होगी । सबसे पहले टीले के आधार की रूप-रेखा बना लें व उसे जमीन पर रेखांकित कर लें । इस रेखांकित सीमा के अंदर बड़े आकार के पत्थरों (जिन्हें आसानी से उठाया जा सके उतने ही बड़े हों) को जमाएं । इन पत्थरों के अन्दर की जगह को छोटे पत्थरों, बजरी तथा मिट्टी से भर दें ।

इसके बाद परिधि पर बड़े पत्थरों की दूसरी सतह जमाएं जो सबसे नीचे की सीमा रेखा से पीछे हो । इसके अन्दर के स्थान को भी उपरोक्तानुसार छोटे पत्थरों, बजरी व मिट्टी से भर दें । इसी प्रकार बड़े पत्थरों की सतहों को पीछे की ओर जमाते जाएं व उसे एक टीले का आकार दें व अन्दर के स्थान को भी उसी प्रकार भरते जाएं ।

टीले की ढलान हर तरफ भिन्न हो सकती है । यह ध्यान रखें कि पत्थर एक के ऊपर एक ठीक से जम जाएं व बजरी व मिट्टी बाहर न निकले । मिट्टी पर हल्के हाथों से पानी का छिड़काव करें व पत्थरों के बीच-बीच में पौधों को रोप दें ।

टीले के किस ओर कितनी धूप आती है, यह बात ध्यान में रखकर उसके विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न पौधे लगाएं । पौधों के प्रकारों के अनुसार टीले के भागों की सिचाई करें । यह टीला आपके पानी के उद्यान व पौध गृह के साथ बहुत अच्छा लगेगा ।

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