मिल्खा सिंह की जीवनी । Biography of Milkha Singh in Hindi Language!

1. प्रस्तावना ।

2. जीवन चरित्र एवं उपलब्धियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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ओलम्पिक खेलों में दौड़ प्रतियोगिताएं भी काफी लोकप्रिय रही हैं । पहले ये प्रतियोगिताएं घास के प्राकृतिक मैदान में होती थीं, अब ये कृत्रिम टार्टन ट्रेक पर होती हैं । 5 प्रकार की इस प्रतियोगिता में विभिन्न दूरियों में 100 मीटर से लेकर 10 हजार मीटर तक की सामान्य दौड़ों के अलावा 25-30 हजार की दौड़े, रिले दौड़, बाधा दौड़ तथा रटीपल चेस दौड़ होती है ।

इन दौड़ों के समय मापन के लिए इलेक्ट्रॉनिक यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है । हमारे देश के जिस खिलाड़ी ने 1960 के ओलम्पिक खेल में 400 मीटर की दौड़ में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर देश का गौरव बढ़ाया, वह थे-उड्‌न सिख मिला सिंह ।

2. प्रारम्भिक जीवन एवं उपलब्धियां:

मिला सिंह का जन्म 20 नवम्बर, 1935 को पाकिस्तान में हुआ था । 1947 में जब ये अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ दिल्ली आये, तब इनकी अवस्था 12 वर्ष की थी । मिल्खा सिंह के परिवार के अधिकतर लोग सेना में थे, जिनमें इनके बड़े भाई माखन सिंह सेना में हवलदार थे । नवमी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने वाले मिला सिंह का ध्यान पढ़ाई-लिखाई में न होकर  खेल में था ।

अपनी आजीविका के लिए ये पढ़ाई छोड़कर एक ढाबे में काम करने लगे । इनके भाई ने 1953 में इन्हें सेना में भरती करा दिया । सौभाग्यवश उस समय सेना में खिलाड़ियों को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाता था । सेना की ओर से खेलते हुए एक बार इन्होंने 5 मील की दौड़ प्रतियोगिता में भार्ग लिया, जिसमें ये दूसरे क्रम में थे । इनके प्रशिक्षकों ने इन्हें सुझाव दिया कि इन्हें छोटे फासले की दौड़ों में हिस्सा लेना चाहिए ।

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अत: ये 400 मीटर की दूरी वाली दौड़ का अभ्यास करने लगे । सेना में नौकरी के बाद अभ्यास के दौरान ये 400 मीटर की दौड़ को 1 मिनट 30 सैकण्ड में पूरा करते थे । उस समय का भारतीय रिकार्ड 48 सैकण्ड का था । निरन्तर अभ्यास, कठिन परिश्रम के बाद जब इन्होंने पटियाला की एक दौड़ में हिस्सा लेकर 47.9 सैकण्ड का नया राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किया, तो इन्हें 1956 के मेलबोर्न ओलम्पिक में भेजा गया ।

वहां 48.9 सेकण्ड में जो दूरी इन्होंने तय की, वह विश्व रिकार्ड से काफी पीछे थी । उस समय के उस समय के 400 मीटर के विश्व विजेता अमेरिकी खिलाड़ी जैंकिन्स ने इन्हें जो सुझाव दिये, उस पर चलते हुए मिला ने 1957 की 22वीं राष्ट्रीय एथेलेटिक्स प्रतियोगिता में इस दौड़ को 47.5 सैकण्ड में पूर्ण कर नया राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाया ।

1958 के टोकियो में आयोजित एशियाई खेलों में इन्होंने यह दूरी 470 सैकण्ड में पूरी की । 200 मीटर दौड़ 21.6 सैकण्ड में पूरी कर दोनों में प्रथम स्थान अर्जित किया । वेल्स के पांचवें राष्ट्रमण्डलीय खेलों में यह दूरी इन्होंने 46.6 सैकण्ड में पूरी की थी ।

1960 के ओलम्पिक खेलों में 400 मीटर की फायनल दौड़ में ये कास्य पदक जीतने से {0.1 सैकण्ड से} बाल-बाल  चूक गये । चौथे स्थान पर रहे । अपने यथासम्भव प्रयत्न के बाद भी ये विजयी स्थान न पाकर भी हमारे लिए गौरव के पात्र हैं । 45.6 सैकण्ड का इनका जो राष्ट्रीय रिकार्ड है. वह 46 वर्षो के बाद भी कोई तोड़ न पाया । आज ये एक प्रशिक्षक के तौर पर अपनी सेवाएं देश को दे रहे हैं ।

3. उपसंहार:

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उड़न सिख मिल्सा सिंह पर सारे देश को हमेशा गर्व रहेगा कि इन्होंने एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में अपनी इस महत्त्वपूर्ण उपलब्धि से सारे राष्ट्र को प्रेरणा दी है । हॉकी, लीन टेनिस तथा निशानेबाजी में पदक अर्जित करने वाला भारत अब तक दौड़ की प्रतियोगिता में पिछड़ा रहा है । यह अत्यन्त लज्जा की बात है कि हमारे इतने बड़े देश में आज  मिल्खा सिंह जैसे दृढ़ संकल्पी खिलाड़ी बहुत कम हैं ।

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