मारिया मोंटेसरी की जीवनी | Maria Montessori Kee Jeevanee | Biography of Maria Montessori in Hindi

1. प्रस्तावना ।

2. जन्म परिचय एवं शिक्षा जगत् को उनकी देन ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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मैडम मारिया मान्टेसरी को नयी शिक्षा पद्धति, मनोवैज्ञानिक, क्रिया-प्रधान शिशु केन्द्रित शिक्षा का जन्मदाता माना जाता है । शिशु केन्द्रित उनकी व्यावहारिक शिक्षा पद्धति को आज भी किण्डर गार्डन मान्टेसरी विद्यालयों के नाम से अपनाया जा रहा है ।

मैडम मान्टेसरी ने अपनी शिक्षा पद्धति में शिशुओं एवं बच्चों के लिए जिस शिक्षा प्रणाली, खेल विधि, पाठ्‌यक्रम, शिक्षण विधि, शिक्षक, अनुशासन एवं मूल्यांकन पर अपनी जो क्रियाविधि, शिक्षा-विधि शिक्षा जगत को दी है, वह अत्यन्त रोचक, सहज, मनोवैज्ञानिक व व्यावहारिक रही है ।

2. जन्म परिचय एवं शिक्षा जगत् को उनकी देन:

मारिया मान्टेसरी का जन्म सन 1870 में इटली में हुआ था । वे एक प्रतिष्ठित एवं सम्पन्न परिवार में जन्मी थीं । उन्होंने रोम विश्वविद्यालय से एम॰डी॰ की डिग्री प्राप्त की थी । आगे वह इसी विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करने लगी ।

अध्यापन करने के साथ-साथ उन्हें ऐसा अनुभव होने लगा कि शिक्षा के लिए कुछ ऐसी व्यावहारिक क्रिया-प्रधान, खेल-प्रधान शिक्षा पद्धति विकसित की जाये, जो बच्चों को खेल-खेल में काफी कुछ सीखा सके । उन्होंने अपनी इस खेल-विधि में ज्ञानेन्द्रियों, कमेन्द्रियों की शिक्षा पर काफी जोर दिया ।

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उसमें लकड़ी के टुकड़े, आयताकार दपती, मखमली, ऊनी, रेशमी, सूती, कपड़ों, रंगीन टिकिया, घण्टियां, रचादेन्द्रिय, श्रवणेन्द्रिय का बोध कराने वाली वस्तुएं रखी जाती थीं । कक्षा में फर्नीचर ऐसा होता था, जिसे छोटे बच्चे उठा सकें ।

उन्होंने मन्दबुद्धि बच्चों की शैक्षणिक दशा एवं स्थिति में सुधार लाने के लिए अपने गहन अध्यापन एवं परिश्रम के बाद एक नयी शिक्षा-प्रणाली विकसित कर उसे विश्वविद्यालयों में लागू करना चाहा । किन्तु यह उतनी सफल नहीं हो पायी, जितनी उनकी नर्सरी के बच्चों के लिए विकसित केण्डरगार्डन हुई । इस शिक्षा पद्धति के विकास के बाद वह भारत भी आयी थीं ।

मान्टेसरी की शिक्षा-विधि में करके सीखना, देखकर सीखना, अनुभव द्वारा सीखना, इन्द्रियों के माध्यम से सीखना प्रमुख था । उनके पाठ्‌यक्रम मातुभाषा गणित के साथ-साथ खेल द्वारा उसे सीखना प्रमुख था । इस शिक्षा पद्धति में वे शिक्षक की बजाय नर्सरी स्कूलों में शिक्षिकाओं की नियुक्ति पर बल देती थीं ।

उनका विचार था कि अध्यापिकाएं बच्चों को ज्यादा प्यार एवं मनोवैज्ञानिक तौर पर अच्छी तरह से सिखा सकती हैं । इसलिए उन्होंने संगीत, नृत्य, खेल-कूद तथा रोचक गतिविधियों का समावेश किया । इस हेतु उन्होंने कई प्रकार की खेल सामग्री तैयार करवायी ।

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वे सीखने में अध्यापक की भूमिका मार्गदर्शन में प्रमुख मानती थीं । दमनात्मक व कठोर अनुशासन के स्थान पर मुक्त अनुशासन पर बल देती थीं । मारिया मान्टेसरी की प्रमुख रचनाएं-मान्टेसरी मैथड, द सीक्रेट ऑफ चाइल्डहुड चाइल्ड ट्रेनिंग, द डिस्कवरी ऑफ द चाइल्ड ऑर एजुकेशन फार ए न्यू वर्ल्ड हैं । मारिया मान्टेसरी ने कई देशों में जाकर अपनी शिक्षा-पद्धति का प्रचार किया ।

3. उपसंहार:

मान्टेसरी की शिशु-केन्द्रित शिक्षा पद्धति विश्व के शिक्षा जगत् को उनकी महान् देन है । मारिया ने व्यावहारिक शिक्षा को ज्यादा महत्त्व दिया । उनकी दृष्टि में वही शिक्षा पद्धति श्रेष्ठ है, जो शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, नैतिक, संवेगात्मक दृष्टि से बालक का विकास करे ।

उन्होंने विकलांग तथा मन्दबुद्धि बच्चों को सामान्य बच्चों की तरह शिक्षित करने का प्रयत्न किया । शिक्षा को एक प्रक्रिया मानते हुए उन्होंने अपनी शिक्षा में 3 से 7 वर्ष की अवस्था के बच्चों की शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया । इस महान् शिक्षाशास्त्री का निधन 1952 में हालैण्ड में हुआ ।

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