महान चित्रकार राजा रवि वर्मा । Biography on Raja Ravi Varma in Hindi Language!

1. प्रस्तावना ।

2. उनका जीवन वृत्त ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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राजा रवि वर्मा 19वीं और 20वीं सदी के ऐसे महान अग्रणी चित्रकार थे, जिन्होंने भारतीय चित्रकला को परम्परागत ढांचे से बाहर लाकर आधुनिक शैली प्रदान की । प्राचीन भारतीय चित्रकला और आधुनिक नवीन चित्रकला की शैली का अद्‌भुत सम्मिश्रण उनकी चित्रकला में देखने, को मिलता है ।

2. उनका जीवन वृत्त:

सन् 1848 को राजा रवि वर्मा का जन्म केरल की राजधानी तिरुअनन्तपुरम से लगभग 36 कि॰मी॰ दूर  किलिमन्नूर ग्राम में हुआ था । कहा जाता है कि उनका परिवार त्रावणकोर के राज-परिवार से सम्बन्धित था । उनके चाचा भी एक श्रेष्ठ चित्रकार थे । राजा रवि वर्मा ने प्रारम्भिक चित्रकला त्रिवेन्द्रम के राजकीय चित्रकार रामास्वामी नायडू से सीखी और दरबारी चित्रकला अलाग्री नायडू से प्राप्त की ।

उनकी चित्रकला पर यूरोपीय चित्रकारी की छाप व झलक दिखाई पड़ती है । वस्तुत: राजा रवि वर्मा ने भारतीय धर्म के सभी प्रमुख देवी-देवताओं के चित्र अत्यन्त कलात्मकता, सुन्दरता, मधुरता एवं सौष्ठव के साथ बनाये हैं । उनके अद्वितीय चित्रकला कौशल के अनुपम उदाहरण विश्वामित्र, मेनका के चित्र, हरिश्चन्द्र, श्रीकृष्ण, बलराम, मोहिनी, रूक्मागदा तथा दुष्यन्त-शकुन्तला के चित्र आदि हैं ।

जब 1893 में उनके चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गयी थी, तब उस चित्र प्रदर्शनी को देखने का अधिकार केवल धनी-मानी लोगों को ही था । बाद में उनकी चित्रकला जब जनसामान्य तक पहुंची, तब लोगों को उनकी अद्‌भुत चित्रकला से परिचित होने का अवसर मिला ।

3. उपसंहार:

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राजा रवि वर्मा भारत के चित्रकारों में अपना अद्वितीय स्थान इसीलिए रखते हैं, क्योंकि उनकी कला की तकनीकी प्राचीन, भारतीय और यूरोपीय कला शैली के बेजोड समन्वय की विशिष्टता लिये हुए है । भारतीय सामान्य जनमानस में वे इसीलिए लोकप्रिय हुए; क्योंकि उन्होंने हिन्दू देवी-देवताओ के अत्यन्त सुन्दर व स्वाभाविक मुद्रा में ऐसे चित्र बनाये, जो अत्यन्त सजीव तथा श्रद्धा से युक्त जान पड़ते हैं । उनकी चित्रकला में तैल चित्रों का सुन्दर रूप मिलता है ।

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