सावधि जमा खातों की शीर्ष 23 विशेषताएं. Read this article in Hindi to learn about the top twenty-three features of fixed deposit accounts.

इस खाते के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण बातें निम्नानुसार हैं:

(1) खाता कौन खोल सकता है? (Who can Open a Account):

कोई भी एक व्यक्ति (Individual) (निरक्षर व्यक्ति, अवयस्क को सम्मिलित करते हुए) फर्म, संयुक्त स्कन्ध कम्पनी, क्लब, परिषद, समिति किसी भी सावधि जमा योजना के अन्तर्गत खाता खोल सकते है ।

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(2) जमा की अवधि (Period of Deposit):

कम से कम 46 दिन तथा अधिकतम 10 वर्ष तक की अवधि के लिए स्थायी जमाएं स्वीकार की जा सकती हैं किन्तु निम्नलिखित दशाओं में 10 वर्ष की इस अधिकतम अवधि को शिथिल किया जा सकता है:

(a) एक ऐसे अवयस्क, जिसके दोनों माता-पिता जीवित न हों, के नाम में स्थायी जमा की अवधि उस अवयस्क के व्यस्कता प्राप्त करने की अवधि तक बढाई जा सकती है ।

(b) सरकार, संस्थानों, कम्पनियो आदि की विशिष्ट आवश्यकताओं (जैसे सिकिंग फण्ड आदि) के लिए विशिष्ट जमा खातों के सम्बन्ध में ।

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(3) न्यूनतम जमा-राशि (Minimum Amount of Deposits):

स्थायी जमा योजना के अन्तर्गत न्यूनतम 500 रुपये तथा कुबेर-योजना, जमा प्रमाण-पत्र (Kuber Yojana, Deposit Certificates) में न्यूनतम 100 रुपये जमा कराएं जा सकते हैं ।

(4) जमा की रसीद (F.D.R.):

सावधि जमा के लिये बैंक जमाकर्ता को रसीद देती है जिसे F.D.R. कहते है । यदि जमाकर्ता चाहे तो इस रसीद को बैंक की निरापद सुरक्षा (Safe Custody) में निःशुल्क रख सकता है ।

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(5) ब्याज की दर (Stock Rate):

सावधि जमाओं पर अवधि के अनुसार समय-समय पर रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित की जाने वाली दरों से ब्याज दिया जाता है ।

(6) काज का भुगतान:

यद्यपि सावधि जमाओं पर ब्याज निर्दिष्ट दर से सावधि जमा रसीद की परिपक्वता पर देय होता है तथापि बैंक ब्याज क भुगतान प्रायः त्रैमासिक (Quarterly) आधार पर करते हैं ।

(7) देय तिथि से पूर्व भुगतान:

यद्यपि सावधि जमा एक निश्चित अवधि की समाप्ति के पश्चात् ही देय होती है तथापि यदि जमाकर्ता समय से पूर्व उसका भुगतान चाहता है तो बैंक समय से पूर्व राशि वापस कर सकता है । इस स्थिति में बैंक सर्वप्रथम ब्याज की उस दर का निर्धारण करेगा जो उतनी अवधि के लिए लागू होती है जितनी अवधि तक जमाकर्ता ने राशि जमा रखी है फिर इस दर में से 1 प्रतिशत पैनल्टी कम करके आने वाली दर से ब्याज दिया जाएगा ।

(8) सावधि जमा रसीद के विरुद्ध अग्रिम:

बैंकर सावधि-जमा रसीद की राशि में उपार्जित ब्याज जोड़कर आने वाली राशि के 75% राशि तक ऋण जमाकर्ता को दे सकता है ।

सावधि जमा रसीदों के विरुद्ध ब्याज निम्नानुसार वसूल किया जाता है:

(i) यदि सावधि जमा ऋण लेने वाले के नाम में हो तो ऐसी जमा पर देय ब्याज की दर से कम से कम 2% अधिक दर से ।

(ii) यदि सावधि जमा ऋण लेने वाले के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति के नाम में हो तो ब्याज की दर ऋण निर्धारण ऋण के उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए किया जाता है ।

(9) अ-हस्तांतरणीय (Not-Transferable):

सावधि जमा रसीद अ-हस्तांतरणीय (Not-Transferable) होती है, अतः उसे पृष्ठांकन द्वारा हस्तांरित नहीं किया जा सकता है । भुगतान प्राप्ति के लिए रसीद पर रेवेन्यू टिकट लगाकर हस्ताक्षर करने होते हैं । अवधि समाप्त होने पर इसकी रकम किसी तीसरे व्यक्ति को दी जा सकती है किन्तु इसके लिए विधिवत् विमुक्त (Duly Discharged) जमा-रसीद के साथ उस तीसरे व्यक्ति के नाम प्राधिकार पत्र लिखित रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए ।

(10) दातव्य तिथि पर भुगतान (Payment on Due Date):

स्थायी जमा रसीद (F.D.R.) का भुगतान दातव्य तिथि पर जमाकर्ता या जमाकर्ताओं को उनके निर्देशानुसार किया जाता है । जमाकर्ताओं को विधिवत् विमुक्त (Duly Discharged) (अर्थात् रेवेन्यू स्टाम्प लगाकर) जमा रसीद बैंक को प्रस्तुत करनी होती है ।

नकद भुगतान करते समय बैंकर को आयकर अधिनियम के प्रावधानों का पालन करना होता है, जैसे- 20,000 रुपये या अधिक राशि की सावधि जमा या जमाओं का भुगतान जमाकर्ताओं में या तो आदाता के खाता में देय चैक/ड्राफ्ट (Account Payee Cheque/Draft) द्वारा या राशि जमाकर्ताओं के चालू खाते/सेविंग बैंक खाता में क्रेडिट करके किया जाना चाहिए ।

(11) नवीनीकरण (Renewal):

किसी विद्यमान जमा (Existing Deposit) का परिपक्वता से पूर्व आगे की अवधि के लिए नवीनीकरण (Renewal) भी कराया जा सकता है । ऐसी दशा में परिपक्वता से पूर्व भुगतान प्राप्त करने पर देय होने वाले दाण्डिक ब्याज (Penalty) की शर्त नहीं होगी ।

(12) कालातीत (Overdue):

जमा पर ब्याज-सावधि जमा राशि का भुगतान जमाकर्ता से उसके द्वारा मांग किये जाने पर ही होता है । यदि कोई जमाकर्ता रसीद का भुगतान देय हो जाने पर भी उसका भुगतान प्राप्त नहीं करता तो नियमानुसार अवधि समाप्त होने की तिथि से उस पर ब्याज अर्जित करना समाप्त हो जाता है किन्तु यदि बैंक चाहे तो आगे की अवधि के लिए भी ब्याज दिया जा सकता है बशर्ते कि जमा राशि का आगे नवीनीकरण करा लिया जाता है ।

(13) जमा राशि की रसीद का खो जाना (Misplacement of Deposit Slip):

यदि सावधि जमा की रसीद खो जाती है, अथवा चोरी चली जाती है तो जमाकर्ता को इसकी सूचना तत्काल बैंकर को देनी चाहिए । बैंकर ग्राहक से क्षतिपूर्ति अनुबन्ध (Indemnity Agreement) प्राप्त करके डुप्लीकेट रसीद निर्गमित कर देता है । चूंकि यह रसीद अ-हस्तांतरणीय होती है, अतः यदि बैंकर चाहे तो ग्राहक से केवल एक साधारण आवेदन-पत्र तथा वचन-पत्र (Undertaking) लेकर भी डुप्लीकेट रसीद दे सकता है ।

(14) अभिहस्तांकन (Assignment):

जमाकर्ता, यदि चाहे तो, अभिहस्तांकन (Assignment) की सूचना बैंकर को देकर सावधि जमा रसीद का किसी व्यक्ति के पक्ष में अभिहस्तांकन कर सकता है ।

(15) कुर्की का आदेश (Garnishee Order):

सामान्यतः सावधि जमा खातों पर कुर्की का आदेश (Garnishee Order) जमा राशि की परिपक्वता पर रसीद के प्रस्तुत किये जाने पर लागू होता है ।

(16) खाता खोलना (Account Opening):

सावधि खाता खोलने के लिए जमाकर्ता या कर्ताओं के बैंक द्वारा निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करना होता है जिस पर जमाकर्ता (कर्ताओं) के हस्ताक्षर होने चाहिए । बैंक को जमाकर्ता (कर्ताओं) के नमूने के हस्ताक्षर (Specimen Signature) भी ले लेने चाहिए तथा खाता खोलने से पूर्व उचित परिचय-संदर्भ (Introduction) भी प्राप्त कर लेना चाहिए ।

(17) संयुक्त नाम में खाते:

यदि सावधि-खाता एक से अधिक संयुक्त नामों में खोला जाना हो तो खोलने के आवेदन-पत्र पर तथा वापसी भुगतान निर्देशों (Repayment Mandate/Instructions) पर भी सभी जमाकर्ताओं के हस्ताक्षर होने चाहिए । संयुक्त जमाकर्ताओं में से किसी एक जमाकर्ता की मृत्यु की दशा में, राशि का भुगतान उत्तरजीवी जमाकर्ता (कर्ताओं) को देय होगा, मृतक जमाकर्ता के प्रतिनिधि को कोई राशि देय नहीं होगी ।

यदि कभी भी कोई एक या उत्तरजीवी (Either/Survivor) खाते का भुगतान किसी एक या अधिक जमाकर्ता द्वारा रोक दिया जाता है तो शेष राशि का भुगतान सभी जमाकर्ताओं या जीवित जमाकर्ता ओं को किया जायेगा ।

(18) अवयस्क के नाम में जमा (Deposit in the Name of Minor):

 

यदि सावधि जमा किसी अवयस्क (Minor) के नाम में है तो उसके संरक्षक को अवयस्क के जन्म दिनांक (तथा यदि अवयस्क लड़की हो तो उसकी शादी के बारे में) घोषणा (Declaration) देनी होगी । यदि सावधि जमा की परिपक्वता से पूर्व अवयस्क वयस्कता प्राप्त कर लेता है, तो जमा राशि का भुगतान उसके पूर्व-संरक्षक द्वारा हस्ताक्षरित निर्देश (Mandate) के आधार पर वयस्क को कर दिया जायेगा ।

यदि अवयस्क के वयस्कता प्राप्त करने से पूर्व ही संरक्षक की मृत्यु हो जाये तो जमा राशि का भुगतान या तो अवयस्क को उसकी वयस्कता प्राप्त कर लेने के पश्चात् देय होगा या सक्षम न्यायालय द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को संरक्षक नियुक्त किया जा सकता है । यदि संरक्षक से पूर्व अवयस्क की मृत्यु हो जाये तो अवयस्क की मृत्यु का प्रमाण-पत्र प्राप्त करके संरक्षक को भुगतान कर दिया जायेगा ।

(19) संरक्षक एवं अवयस्क के संयुक्त नामों में सावधि जमा:

यदि संरक्षक एवं अवयस्क के संयुक्त नामों में कोई एक या उत्तरजीवी (Either or Survivor) वापस भुगतान किए जाने योग्य सावधि जमा की गई हो तो खाता खोलने के फार्म, नमूने के हस्ताक्षर कार्ड तथा घोषणा-पत्र (Declaration) पर संरक्षक को दो बार हस्ताक्षर करने होते हैं- एक बार अपने लिए तथा एक बार अवयस्क की ओर से संरक्षक की हैसियत से । परिपक्वता पर जमा राशि का भुगतान या तो संरक्षक को अथवा यदि अवयस्क ने वयस्कता प्राप्त कर ली है तो उसे किया जा सकता है ।

(20) रसीद में नामों को जोड़ना/हटाना:

यदि किसी रसीद में किसी नए व्यक्ति के नाम को जोड़ने अथवा किसी विद्यमान नाम (सभी नाम नहीं) को हटाने या किसी मृतक व्यक्ति के नाम को हटाकर उसके स्थान पर किसी नए नाम को जमाकर्ता के रूप में जोड़ने का लिखित आवेदन जिस पर जमाकर्ता (संयुक्त) नामों में जमा होने पर सभी जमाकर्ताओं के हस्ताक्षर हो, तो रसीद की परिपक्वता के पूर्व इस प्रकार की प्रार्थना बैंकर द्वारा स्वीकार की जा सकती है ।

नए जमाकर्ताओं के नमूने के हस्ताक्षर प्राप्त कर लिए जाएंगे तथा खाता खोलने के फ़ॉर्म/नमूने हस्ताक्षर कार्ड तथा सभी अभिलेखों में आवश्यक संशोधन कर लिए जाएंगे ।

(21) रसीद का हस्तांतरण (Signature on the Receipt):

जमाकर्ता अथवा संयुक्त खाते की दशा में सभी जमाकर्ताओं के द्वारा लिखित में मूल रसीद के साथ आवेदन करने पर सावधि जमा रसीद से बैंक की किसी अन्य शाखा पर चालू रखने या भुगतान के लिए देय (For Continuation or Made Payable at an Other Branch) हस्तांतरित किया जा सकता है । बैंक यह सुविधा निःशुल्क प्रदान करते है ।

(22) जमा-राशि की विभाजन (Splitting-Up):

बैंक किसी सावधि जमाकर्ता के कानूनी उत्तराधिकरियों या कानूनी प्रतिनिधियों या नामांकित व्यक्ति के आवेदन पर सावधि जमा राशि को दो या अधिक भागों में विभाजित (Split-Up) कर सकता है तथा उनके अलग-अलग नामों में जमा-रसीदें जारी कर सकता है ।

ऐसी स्थिति में यदि जमा की कुल-राशि एवं अवधि में कोई परिवर्तन न हो (अर्थात् वे पूर्ववत् ही रहें) तो इसे सावधि जमा का पूर्व-भुगतान (Pre-Payment) नहीं माना जाएगा । इन्हीं शर्तों के अन्तर्गत संयुक्त खातेदारों के नामों में जमा राशि का भी विभाजन किया जा सकता है ।

(23) जमाकर्ता की मृत्यु (Death of the Depositor):

सावधि जमा तथा उस पर देय ब्याज की राशि का भुगतान सामान्यतः मृतक जमाकर्ता के उत्तराधिकारी या उसके कानूनी प्रतिनिधि को सावधि जमा की अवधि पूर्ण होने पर किया जाता है किन्तु यदि जमा राशि अवधि पूर्ण होने से पूर्व मांगी जाती है तो बैंक बिना दाण्डिक ब्याज (Penalty) लिए देय ब्याज दर पर ही जमा राशि का भुगतान कर सकता है ।

यदि जमा राशि अवधि समाप्त हो चुकने पर बाद में आगे कभी माँगी जाती है तो जमा अवधि तक का ब्याज बैंक एवं जमाकर्ता के मध्य तय हुई ब्याज दर से तथा उसके बाद की अवधि का ब्याज अवधि समाप्त होने के समय प्रभावशील ब्याज दर से लगाया जाएगा । यदि मृत-जमाकर्ता के खाते की रकम 25,000 रुपये से अधिक न हो तो उस रकम को उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र (Succession Certificate) मांगे बिना भी अन्य सामान्य सावधानियाँ बरतते हुए निकाला जा सकता है ।